Friday, 19 September 2025
Blue Red Green
Home देश

ShareThis for Joomla!

क्या है केंद्रीय सहायता का सच जयराम के ब्यान से उठा सवाल

मोदी मण्डी में दो लाख करोड का हिसाब मांग चुके हैं
अमित शाह ने चंबा में यह आंकड़ा 1,20,000 करोड बताया था
नड्डा 72 करोड का आंकडा परोस चुके हैं
जयराम ठाकुर ने यह राशि 10,000 करोड़ बतायी है
मोदी अब प्रदेश को कुछ नहीं दे गये हैं

शिमला/शैल। प्रदेश विधानसभा के चुनाव इसी वर्ष के अन्त में होने हैं। जय राम की सरकार अपने चार साल के कार्यकाल में हुए चार नगर निगमों में से दो और उसके बाद तीन विधानसभा और एक लोकसभा का उपचुनाव हार चुकी है। अब नगर निगम शिमला का चुनाव भी उच्च न्यायालय के फैसले के बाद 18 जून तक हो पाना संभव नहीं रह गया है। 18 जून के बाद नगर निगम शिमला पर भी प्रशासक बिठाना अनिवार्य हो जायेगा। नगर निगम शिमला के चुनाव टाले जाने का वातावरण भी उप चुनावों की हार के बाद ही प्रशासन और राजनीतिक गठजोड़ से ही तैयार किया गया। यह अब आम चर्चा का विषय बना हुआ है। नगर निगम शिमला में चुनावी हार होने का डर किस कदर हावी हो चुका है यह अब सामने आ चुका है। इसका असर आने वाले विधानसभा चुनावों पर कितना पड़ेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। विश्लेष्कों की नजर में मोदी की सत्ता में आठ साल पूरे होने पर देश की सारी राज्यों की राजधानियों में आयोजित किये गये गरीब कल्याण सम्मेलन पर प्रधानमंत्री के संबोधन के लिये शिमला का चयन भी इसी लिये किया गया था ताकि इन योजनाओं के सारे लाभार्थियों को मोदी के सामने आम जनता बनाकर पेश किया जा सके। मोदी की इस शिमला यात्रा से हिमाचल और जयराम सरकार को क्या-क्या मिला है अब यह चर्चा का विषय बना हुआ है। चुनावी वर्ष के मध्य में हुये इस आयोजन से भाजपा को क्या मिला यदि इसका आकलन किया जाये तो सबसे बड़ा और पहला सवाल यह आता है कि जिस आयोजन का आमंत्रण देने मुख्यमंत्री स्वयं कांग्रेस अध्यक्षा प्रतिभा वीरभद्र सिंह के आवास पर गये उसी आयोजन से भाजपा के ही पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार और प्रेम कुमार धूमल क्यों गायब रहे? क्या इन्हें आमंत्रित ही नहीं किया गया था यहां उन्होंने इस आयोजन में शामिल होना पसंद ही नहीं किया। इस सवाल का जवाब अभी तक नहीं आया है। यही नहीं इस आयोजन के मंच पर उपस्थित केंद्रिय मंत्री अनुराग ठाकुर का प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में नाम तक नहीं लिया। चर्चा है कि मंच पर किसे बिठाना है और प्रधानमंत्री अपने संबोधन में प्रदेश के किस किस नेता का नाम लेंगे इसकी सूची आयोजकों द्वारा तैयार की जाती है। अनुराग का नाम तक प्रधानमंत्री के संबोधन में न आने से किस तरह का राजनीतिक संदेश प्रदेश की जनता में गया होगा इसका अंदाजा लगाना विश्लेष्कों के लिए कठिन नहीं है। फिर इसी आयोजन पर आये पार्टी के वरिष्ठ नेता गणेश दत्त के ट्वीट ने इसके प्रबन्धन पर गंभीर सवाल उठाये हैं। आरोप लगाया गया है कि कुछ लोगों ने इस आयोजन को हाईजैक करने का प्रयास किया है। कई निगमों/बार्डों में तैनात नेताओं को आमंत्रित ही नहीं किया गया था। एक महिला ने तो इस मामले को उपर तक ले जाने की बात की है। इन नेताओं के इस रोश से यह स्पष्ट हो जाता है कि पार्टी की एकजुटता का भीतरी सच क्या है। शायद इसी कारण से पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक अब हमीरपंर में रखी गयी है। जिसमें अनुराग ठाकुर और प्रेम कुमार धूमल को भी आमंत्रित किया गया है। पार्टी के बाद यदि यह देखा जाये कि प्रदेश को प्रधानमंत्री की इस यात्रा से क्या मिला है तो बहुत ही रोचक स्थिति सामने आती है। इस समय प्रदेश का कर्ज भार 70,000 करोड से पार हो चुका है। बेरोजगारी में प्रदेश देश के टॉप छः राज्यों में शामिल हो गया है। इस स्थिति के बाद भी प्रधानमंत्री प्रदेश को कोई राहत पैकेज नहीं दे गये है। बल्कि इस अवसर पर मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने चार वर्षों में मिली केंद्रीय सहायता का आंकड़ा केवल 10,000 करोड बता कर सबको चौंका दिया है। 10 हजार करोड़ का आंकड़ा बाकायदा लोक संपर्क विभाग द्वारा जारी प्रेस नोट में दर्ज है। स्मरणीय है कि मोदी ने मई 2014 को सत्ता संभाली थी उसके बाद प्रदेश में 2017 में विधानसभा और 2019 में लोकसभा के चुनाव संपन्न हुये हैं। प्रधानमंत्री इस दौरान मण्डी आये थे। तब उन्होंने एक जनसभा में स्व.वीरभद्र सिंह से प्रदेश को दिये गये दो लाख करोड का हिसाब मांगा था। फिर गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी चंबा यात्रा के दौरान एक लाख बीस हजार करोड़ दिये जाने का आंकड़ा परोसा था। इसी दौरान नड्डा ने एक पत्र जारी करके 69 राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्रदेश को दिये जाने की जानकारी दी थी। यह राजमार्ग अभी तक सैद्धांतिक अनुमति से आगे नहीं बढ़े हैं। इसका सारा पत्रचार शैल पाठकों के सामने रख चुका है। अभी पिछले दिनों ही नड्डा ने प्रदेश को 72,000 करोड़ दिये जाने का खुलासा किया है। लेकिन अब जयराम ने यह आंकड़ा 10,000 करोड बताकर पुराने सारे दावों पर स्वयं ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। ऐसे में यह सच प्रदेश की जनता के सामने आना ही चाहिये कि डबल इंजन की सरकार का सिंगल सच क्या है। इसके लिये केंद्रीय सहायता और 70,000 करोड़ के कर्ज के खर्च पर श्वेत पत्र जारी किया जाना चाहिये।

क्या प्रधानमंत्री या दूसरे केन्द्रीय नेताओं की यात्राओं से प्रदेश का चुनावी परिदृश्य बदल जायेगा

शिमला/शैल। क्या प्रधानमंत्री की शिमला यात्रा से ही भाजपा की चुनावी वैतरणी पार हो जायेगी? यह सवाल आज प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में एक बड़ा सवाल बनकर चर्चा का केंद्र बना हुआ है। क्योंकि यह एक कड़वा सच है कि प्रदेश के चारों उपचुनाव हारने के बाद जो फजीहत जयराम सरकार की हुई है उससे वह उभर नहीं पायी है। पांच राज्यों में हुये विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली हार से भाजपा का जो मनोबल थोडा संभाला था उसे प्रदेश में घटे पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक और बेच प्रकरण ने फिर से रसातल में पहुंचा दिया है। इसी प्रकरण के बाद चम्बा में विधानसभा उपाध्यक्ष द्वारा स्कूल के छात्रा को थप्पड़ मारने का मामला घट गया। देहरा के निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने जिस भाषा में जनता के बीच ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर और पूरी सरकार को कोसा है उससे हुये नुकसान की भरपाई मुख्यमंत्री द्वारा विधायक का अभिवादन स्वीकार न करने से नहीं हो जाती है। क्योंकि यही विधायक कल तक मुख्यमंत्री और सरकार के कितने निकट और विश्वस्त रहे हैं। यह देहरा में आईपीएच मंत्री के एक प्रोग्राम में सामने आ चुका है। भाजपा में आंतरिक गुटबाजी कितनी ज्यादा रही है इसका खुलासा कांगड़ा में रमेश ध्वाला बनाम पवन राणा और फिर सरवीन चौधरी विवादों तथा ईन्दू गोस्वामी के पत्रों से सामने आ ही चुका है। 2017 के चुनावों में धूमल के खिलाफ षडयंत्र रचा गया था। यह अब धूमल द्वारा जांच की मांग करने और उसे नड्डा द्वारा इंकार कर दिये जाने से भी स्पष्ट हो चुका है। नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं कोर कमेटी की विस्तारित बैठक से शुरू हुई थी। इस बैठक के बाद यह बराबर कहा गया कि कुछ मंत्रियों को हटाया जा सकता है और कुछ के विभागों में फेरबदल हो सकता है। इन्हीं चर्चाओं में बिंदल से प्रदेश अध्यक्षता और स्पीकर शीप छीन गयी। परमार से स्वास्थ्य मंत्री का पद ले लिया गया। कई विधायकों और मंत्रियों के टिकट काटे जाने की खबरें आये दिन उछलती रहती हैं। कैसे और कितने लोग पत्र बम्बों के शिकार हुये हैं। यदि पार्टी में घटे इस सब को एक साथ जोड़ कर देखा और समझा जाये तो कोई भी विश्लेषक यह मानेगा की पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है। आम आदमी पार्टी की आमद नेे भी भाजपा और जयराम सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इसीलिए नड्डा और अनुराग को मैदान में उतारा गया। अनुराग ने आप की प्रदेश इकाई के शीर्ष नेतृत्व को ही तोड़कर भाजपा में शामिल करवा दिया। नड्डा ने रैलियां की। युवा मोर्चा का राष्ट्रीय कार्यक्रम धर्मशाला में आयोजित किया गया। यह क्यास लगायेे जा रहे थे कि कांगड़ा से कांग्रेस के कुछ नेता भाजपा में शामिल हो जाएंगे। कई नाम चर्चा में भी आये लेकिन अंतिम परिणाम शून्य रहा। फिर त्रिदेव सम्मेलन में स्मृति ईरानी को बुलाया गया यहां पर भाजपा के इन त्रिदेवों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश की संज्ञा दे दी गई। लेकिन इस प्रयास के परिणाम भी शुन्य रहे। क्योंकि लोग महंगाई और बेरोजगारी से इस कदर तंग आ चुके हैं कि भाजपा के किसी भी प्रयास का कोई परिणाम नहीं निकल रहा है। आप की तर्ज पर जयराम भी मुफ्त बिजली और पानी देने की घोषणाएं कर चुके हैं। इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए कर्ज़ का सहारा लिया जा रहा है। लेकिन इस सबके बावजूद लोग यह नहीं भूल पा रहे हैं कि प्रदेश बेरोजगारी में देश के टॉप छः राज्यों में से एक हो गया है। जयराम सरकार और भाजपा इसी सब के चलते आज नगर निगम शिमला के चुनाव करवाने का साहस नहीं कर पा रही है। ऐसा पहली बार हुआ है की सरकार के पक्ष में कुछ भी सकारात्मक न हो। इसी परिदृश्य में प्रधानमंत्री अपनी सरकार के आठ साल पूरा होने पर गरीब कल्याण योजनाओं के नाम से शिमला आ रहे हैं। जयराम सरकार ने भी यह बड़े गर्व से दावा किया है कि इस अवसर के लिए शिमला का चुनाव स्वयं प्रधानमंत्री ने किया है। प्रधानमंत्री इस अवसर पर प्रदेश को क्या देकर जाते हैं इसका पता तो बाद में ही चलेगा। लेकिन इस अवसर पर यह सवाल आवश्यक उछलेंगे कि मोदी सरकार का पहला बड़ा आर्थिक फैसला नोटबंदी का था जिसमें 99.6% पुराने नोट नये नोटों से बदले गये हैं। 0.4% इसलिये रहे कि नेपाल में नोटबंदी प्रभावी नहीं हुई। नोटबंदी से जाली नोटों के छपने पर लगाम लगेगी यह दावा किया गया था। लेकिन अब रिजर्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट में माना गया है कि अब भी जाली नोट छप रहे हैं। इसके आंकड़े तक जारी किये गये हैं। 2014 में आम जमा पर जो ब्याज मिलता था वह आज 2022 में आधे से भी कम रह गया है। जीरो बैलेंस के नाम पर खोले गये खातों पर न्यूनतम बैलेंस की शर्त क्यों लगायी गई? क्या इससे गरीब आदमी प्रभावित नहीं हुआ है? हिमाचल सरकार के अपने ही आंकड़ों के अनुसार 65% लोग मुफ्त मिले गैस सिलेंडर दूसरी बार नहीं भरवा पाये हैं। स्कूलों में बच्चों को दिये जाने वाले मिड डे मील के लिये फरवरी के बाद कोई किस्त जारी नहीं हो सकी है। मनरेगा में भी नये साल में कोई बजट जारी नहीं हो पाया है। इस वस्तुस्थिति में प्रधानमंत्री का शिमला में लगातार बैठा रहना भीं सरकार को डूबने से नहीं बचा पायेगा यह माना जा रहा है।

क्या 82 हजार करोड़ के सौदे में सरकार को कोई टैक्स नहीं मिलेगा?

2016 में प्रतिस्पर्धा आयोग अंबुजा को 1164 करोड़ तथा एसीसी को 1148 करोड का जुर्माना लगा चुका है
जुर्माने का मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है
जिन कारणों पर जुर्माना लगा है उनमें सरकार की भूमिका क्या रही है?

शिमला/शैल। हिमाचल में स्थित अंबुजा सीमेंट और एसीसी में स्विट्जरलैंड की कंपनी होल्सिम की हिस्सेदारी 82000 करोड में अदानी ने खरीद ली है। इस सौदे के बाद अपने निवेशकों को संबोधित करते हुये होल्सिम के सीईओ जॉन जेनिश ने यह कहा है कि यह लेन देन टैक्स फ्री है। इस सौदे से उन्हें 6.4 अरब स्विस फ्रैंक की शुद्ध आय होगी। अंबुजा और ए सी सी में हाल्सिम समूह किसी भी नुकसान या कर के लिये जिम्मेदार नहीं होगा। जब हाल्सिम समूह जिम्मेदार नहीं होगा तो क्या इस पर देय करों की जिम्मेदारी अदानी की होगी? अदानी की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। अदानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में जिस तरह के रिश्ते हैं उनके चलते इस सौदे पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। इसमें यह भी एक रोचक तथ्य है कि 2016 में प्रतिस्पर्धा आयोग ने जिन ग्यारह सीमेंट कंपनियों को 6300 करोड का जुर्माना लगाया गया था उनमें हिमाचल की यह दो कंपनियां भी शामिल रही हैं। इनमें अंबुजा को 1164 और ए सी सी को 1148 करोड़ का जुर्माना लगा था। इस जुर्माने को अपीलीय प्राधिकरण में चुनौती दी गयी थी और अब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।
स्मरणीय है कि जब 2018 में वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट में सोलह सौ करोड़ की डील हुई थी तब वॉलमार्ट ने 7439 करोड़ का टैक्स अदा किया था। टैक्स अधिकारियों ने तब कहा था कि इसने अभी और टैक्स देय होगा। लेकिन अब इस डील पर अदानी की ओर से कुछ नहीं कहा गया है। कर तंत्र से जुड़े अधिकारी भी अभी तक खामोश हैं। केवल हाल्सिम समूह के सी ई ओ ने अपने निवेशकों से साफ कहा है कि यह टैक्स फ्री लेन देन है। अंबुजा और ए सी सी दोनों हिमाचल में स्थित हैं। यदि प्रतिस्पर्धा आयोग ने इन कंपनियों को इतना भारी जुर्माना लगाया है तो तय है कि आयोग की नजर में तय मानकों की अनुपालना में कोई आवहेलना की जा रही थी। हिमाचल में स्थित इन उद्योगों को लेकर हिमाचल सरकार की ओर से ऐसा कभी कुछ सामने नहीं आया है इसलिए यह स्पष्ट होना भी आवश्यक हो जाता है कि इन कंपनियों में ऐसा क्या हो रहा था जिस पर इतना बड़ा जुर्माना लगा तथा प्रदेश सरकार इस बारे में अनभिज्ञ रही है। आज प्रधानमंत्री मोदी अपनी सरकार के आठ वर्ष पूरा होने पर शिमला आ रहे हैं। इसलिये यह आवश्यक हो जाता है कि प्रदेश सरकार उनके सामने इस मुद्दे को रखें और प्रदेश की जनता को सही स्थिति की जानकारी दें।
विपक्ष भी इस मुद्दे पर मौन बैठा हुआ है। जबकि प्रदेश और राष्ट्रहित में यह एक बड़ा मुद्दा है। जिसमें 82 हजार करोड़ के लेन-देन पर कोई टैक्स न मिलने की आशंका व्यक्त की जा रही है और सभी संबध पक्ष मौन धारण किये हुए हैं।

More Articles...

  1. क्या जयराम हटाये जा रहे हैं फिर उठी यह चर्चा
  2. क्या यह कानून की समझ है या अदालत का सम्मान
  3. खालिस्तानी झण्डा प्रकरण पर बहुत कमजोर है मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
  4. रस्मी समारोहों से बाहर निकलकर प्रतिभा सिंह कैसे जयराम सरकार को घेरती है इस पर लगी निगाहें
  5. कांग्रेस में हुए बदलाव ने बढ़ाई सरकार और भाजपा की चिंताएं भाजपा की प्रतिक्रियाओं से हुआ स्पष्ट
  6. अवरोधों के बावजूद मण्डी के बाद कांगड़ा के शाहपुर में आप की दूसरी रैली भी रही सफल
  7. क्या जयराम के वकील नड्डा और अनुराग ठाकुर जवाब देंगे
  8. इन्वेस्टर मीट के दावों के बीच सीमेंट उद्योग की भ्रूण हत्या के मायने
  9. क्या भाजपा धूमल की हार के कारणों की जांच का साहस करेगी
  10. प्रदेश में आप के पावं पसारते ही भिण्डरावाला के फोटो पर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया का अर्थ?
  11. मणिकरण प्रकरण को असामाजिक तत्वों का कृत्य बताकर जिम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती
  12. हिमाचल में आप के चुनाव लड़ने के ऐलान से उठते कुछ सवाल
  13. क्या सरकार की प्रस्तावित प्लानिंग पॉलिसी एन.जी.टी. के मानकों के अनुरूप है
  14. कुमार विश्वास के आरोपों को हल्के से नहीं लिया जा सकता
  15. आपको प्रमाणित करना होगा कि आप संपत्ति के मालिक हैं
  16. क्या प्रतिभा सिंह स्व.वीरभद्र सिंह की भूमिका में आना चाह रही हैं
  17. शिमला स्मार्ट सिटी परियोजना के पूरा होने पर उठने लगे सवाल
  18. क्या धर्म संसदों को सरकार का समर्थन हासिल है तंत्र की चुप्पी से उठे सवाल
  19. प्रधानमंत्री की मण्डी यात्रा से हिमाचल को क्या मिला पूछा जाने लगा है यह स्वाल
  20. प्रधानमंत्री की सभा में लोग लाने की जिम्मेदारी लगी प्रशासन के नाम

Subcategories

  • लीगल
  • सोशल मूवमेंट
  • आपदा
  • पोलिटिकल

    The Joomla! content management system lets you create webpages of various types using extensions. There are 5 basic types of extensions: components, modules, templates, languages, and plugins. Your website includes the extensions you need to create a basic website in English, but thousands of additional extensions of all types are available. The Joomla! Extensions Directory is the largest directory of Joomla! extensions.

  • शिक्षा

    We search the whole countryside for the best fruit growers.

    You can let each supplier have a page that he or she can edit. To see this in action you will need to create a users who is in the suppliers group.  
    Create one page in the growers category for that user and make that supplier the author of the page.  That user will be able to edit his or her page.

    This illustrates the use of the Edit Own permission.

  • पर्यावरण

Facebook



  Search