Thursday, 18 September 2025
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सरकार बंदरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए कृतसंकल्प

शिमला। प्रदेश सरकार किसानों को बंदर समस्या से निजात दिलाने के लिए कृतसंकल्प है और इस दिशा में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के चलते प्रदेश में किसानों की फसलों को बन्दरों, आवारा पशुओं तथा जंगली जानवरों से बचाने के लिए 25 करोड़ रु की मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना इस वित्त वर्ष से प्रदेश में आरम्भ की गई है, जिसके तहत किसानों को अपने खेतों में बाड़ लगाने के लिए 60 प्रतिशत वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है।
किसानों को बंदरों की समस्या से निजात दिलाने के उपायों के तहत प्रदेश में 8 नसबंदी केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनमें अभी तक एक लाख से अधिक बंदरों की नसबंदी की जा चुकी है। इस कार्य में तेजी लाने के लिए प्रदेश में एक और नया नसबंदी केन्द्र शिमला जिला के तहत कानिया नाला (सैंज) में शीघ्र ही स्थापित किया जाएगा। नसबंदी किए गए बंदरों के पुनर्वास के लिए वन वाटिकाएं स्थापित करने की कार्य-योजना तैयार की गई है, जिसके तहत आरम्भ में चिंतपूर्णी व पाॅवंटा साहिब में एक-एक वन वाटिका बनाई जाएगी तथा बाद में इन वन वाटिकाओं की सफलता के पश्चात् अन्य उपयुक्त स्थानों पर इस प्रकार की वन वाटिकाएं बनाने पर विचार किया जाएगा।
सरकार के इन्हीं प्रयासों के चलते प्रदेश में गत् दो वर्षांे के दौरान लगभग 18,500 बंदरों की संख्या में कमी दर्ज की गई है। यह खुलासा हाल ही में प्रदेश में बंदरों की संख्या की स्थिति को लेकर मैसूर विश्वविद्यालय द्वारा प्रदेश के वन मंत्राी को सौंपी गई रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013 में हैड काऊंट मैथड (Head Count Method) द्वारा की गई बंदरों की गिनती के अनुसार प्रदेश में बन्दरों की संख्या 2,26,086 आंकी गई थी जोकि सरकार के प्रयासों के चलते वर्ष 2015 में घटकर 2,07,614 हो गई है। पिछले एक दशक से प्रदेश में बंदरों की संख्या में कमी दर्ज की गई। वर्ष 2004 के आंकलन के अनुसार प्रदेश में बंदरों की संख्या 3,17,512 थी।
रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में घटती बंदरों की संख्या का मुख्य कारण नसबंदी माना गया है, जिसे भविष्य में भी जारी रखने का सुझाव दिया गया है। रिपोर्ट के तहत प्रदेश में 27,276 कि.मी. क्षेत्र बदरों के रहने के अनुकूल है। अधिकतर वन मण्डलों में बंदरों की संख्या में कमी आई है, लेकिन नूरपूर, रेणूकाजी, बिलासपुर, रोहड़ू, धर्मशाला, पांगी व डलहौजी वन मण्डलों में वानर संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। यह मण्डल या तो प्रदेश के उतर-पश्चिम या दक्षीण-पूर्व सीमाओं पर स्थित हैं। रिपोर्ट में वन वृतों व वन मण्डलों की अधिक संख्या वाले बीट के बारे में भी उल्लेख किया गया है। कुल 348 बीटों को हाॅटस्पोट बीट के रूप में माना गया है, जोकि 83 वन परिक्षेत्रों में हैं।
रिपोर्ट के तहत वानरों की संख्या का आंकलन पथ सर्वेक्षण प्रणाली (Trail Survey using transact Method) एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली (Geographical Information System) के द्वारा किया गया है। सर्वेक्षण कर्मचारियों द्वारा पूरे प्रदेश में जून से जुलाई, 2015 तक 2631 पथों के 12,782 कि.मी. रास्तों पर किया गया है तथा इसमें वातावरण व ऊँचाई आदि के 22 मानकों का अध्ययन भी किया गया है। इन मानकों के आधार पर तथा वैज्ञानिक आंकलन विधि द्वारा वानरों की गणना की गई है। इसी के चलते हिमाचल प्रदेश इस तरह के आंकलन में देश का पहला राज्य बन गया है।
यही नहीं वानरों द्वारा मनुष्यों पर हमलों की घटनाओं में भी कमी आई है। सरकार वानर समस्या के प्रति गम्भीर है तथा प्रभावित व्यक्तियों को क्षति के अनुसार मुआवजा भी दिया जा रहा है तथा वर्तमान सरकार द्वारा इसके तहत मिलने वाले मुआवजे में समुचित बढ़ौतरी की गई है। जंगली जानवरों के कारण मानव मृत्यु पर मुआवजा एक लाख रुपये से बढ़ाकर एक लाख 50 हजार रुपये किया गया है जबकि गम्भीर चोट में यह राशि 33 हजार रुपये से बढ़ाकर 75 हजार तथा साधारण चोेट में 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार की गई है। अब तक सरकार 2200 मामलों में लगभग एक करोड़ रुपये का मुआवजा प्रभावितों को प्रदान कर चुकी है।

थर्मल पावर के नाम पर एम्टा में डुबे करोड़ो का जिम्मेदार कौन

शिमला/शैल। प्रदेश सरकार ने सितम्बर 2006 में संयुक्त क्षेत्र में थर्मल प्लांट स्थापित करने का फैसला लिया और इसके लिये इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास बोर्ड के माध्यम से निविदायें मांगी गयी थी। इसके उतर में छः पार्टियों ने निविदायें भेजी लेकिन पांच ने ही प्रस्तुति दी और इनमे से दो को अन्त में इसके लिये सक्ष्म माना क्योंकि इनका कोल माईनिंग अनुभव था। इसमें एक कंपनी थी एम्टा जिसने बंगाल और पंजाब में थर्मल प्लांट लगाने का दावा किया था और एम्टा को इस आधार पर ज्वाईट वैंचर का पार्टनर चुन लिया गया। दिसम्बर 2006 में यह संयुक्त क्षेत्र उपक्रम बना और जनवरी 2007 में इसके साथ एम ओ यू साईन हुआ। बंगाल के रानीगंज में यह थर्मल प्लांट लगना था। एम्टा आर हिमाचल पाॅवर कारपोरेशन में 50ः50 की भागीदारी तय हुई और एम ओ यू के बाद 48 महीनों में यह प्लांट लगना था ।

एम्टा को एम ओ यू के तहत दो करोड़ की धरोहर राशी भी पावर कारपोरेशन में जमा करवानी थी। इस प्लांट के लिये कोल ब्लाक चाहिये था। एम्टा ने जे एस डब्ल्यू स्टील के साथ सांझे में भारत सरकार से ग़ौरांगढ़ी में कोल ब्लाक का आवंटन हासिल कर लिया। इसके लिये मई 2009 में जे एस डब्लू के साथ एक और सांझेदारी बनाई गयी। लेकिन भारत सरकार ने नवम्बर 2012 में यह आंवटन रद्द कर होने के बाद दिसम्बर 2012 को एम्टा के निदेशक मण्डल ने फैसला लिया कि वह इसमें और निवेश नहीं करेगें। 26 नवम्बर 2014 को एम्टा ने फिर फैसला लिया कि जब तक एचपीएस ईबी लि. के साथ पावर परचेज सैटल नही हो जाता वह इस पर आगे नहीं बढे़गें। लेकिन मार्च 2015 में बिजली बोर्ड ने पावर परचेच में असमर्थता दिखायी क्यों पावर रेगुलेटर ने थर्मल पावर पर प्रतिबन्ध लगा रखा था। पावर कारपोरेशन इसमें चार करोड़ का निवेश कर चुकी है। अधोसंरचना विकास बोर्ड का निवेश अलग है। 2007 में यह संयुक्त क्षेत्र उपक्रम बना था और आठ वर्षों में यह प्लांट नहीं लग सका। 

स्मरणीय है कि भारत सरकार ने नवम्बर 2012 में कोल ब्लाक आंवटन रद्द कर दिये थे क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के निेर्देशों पर कोल ब्लाक आंवटनों पर सीबीआई जांच बैठ गयी थी। सीबीआई ने एम्टा के संद्धर्भ में चालान कोर्ट में डाल दिया है। ई.डी. भी इस मामलें में जांच कर रही है और उसका चालान कभी भी अदालत में पहुंच सकता है। इस मामलें में जो महत्वपूर्ण बिन्दु सामने आये हैं उनके मुताबिक इस प्रोजैक्ट की फिजिविलटी रिपोर्ट ही नहीं ली गयी थी। इसमें एचपीआईडीबी को जिम्मेदारी क्यों दी गयी जबकि उसका इसमें कोई अनुभव ही नहीं था। जांच में यह भी सामने आ चुका है कि एम्टा का थर्मल में कोई अनुभव ही नहीं था। उसके दावों की कोई जांच क्यों नही की गयी? एम्टा से दो करोड़ की धरोहर राशी क्यों नहीं ली गयी। सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि जब एम्टा 13 दिसम्बर को इसमें ओर निवेश न करने का फैसला ले चुका था फिर उसे 26 दिसम्बर 2012 को 40 लाख और 9-5-2013 को 20 लाख का भागधन क्यों दिया गया?
ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभविक है कि जब भारत सरकार कोल ब्लाक का आंवटन नवम्बर 2012 में रद्द कर चुकी थी और पूरे मामले की सी बी आई और ई डी जांच चल रही थी उसके वाबजूद एम्टा को 60 लाख किसके दवाब में दिये गये?

बांद्रा-देहरादून एक्सप्रेस में लगी आग, 9 मौत

ठाणे।। महाराष्ट्र के ठाणे में बांद्रा-देहरादून एक्सप्रेस की तीन बोगियों में आग लगने से 9 यात्रियों की मौत हो गई है।

हादसा तड़के पौने तीन बजे मुंबई से करीब 170 किलोमीटर दूर दहाणू और घोलवाड़ स्टेशन के बीच हुआ। बताया जा रहा है कि रेलवे प्रशासन की लापरवाही की वजह से ये हादसा हुआ।

वेस्टर्न रेलवे के पीआरओ के मुताबिक यात्रियों की मौत दम घुटने की वजह से हुई। ट्रेन संख्या 19019 की स्लीपर बोगी एस टू, एस थ्री और एस फोर में आग थी।

आग पर करीब दो घंटे बाद ही काबू पा लिया गया। ये ट्रेन बांद्रा टर्मिनस से रात करीब साढ़े ग्यारह बजे रवाना हुई थी और देहरादून जा रही थी। हादसे की वजह से इस रूट पर ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ा है। ट्रेन की बोगियों में आग कैसे लगी, इसकी वजह अभी साफ नहीं हो पाई है।

रेल अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक एस फोर बोगी में मौजूद एक यात्री ने बताया कि आग एस थ्री कोच के पीछे वाले हिस्से में लगी थी और बाद में ये एस टू और एस फोर कोच तक फैल गई।

सर्दी होने की वजह से यात्रियों ने खिड़कियां बंद कर रखी थीं। जिसकी वजह से 6 यात्रियों की धुएं में दम घुटने से मौत हो गई। जब ट्रेन दहाणू और घोलवाड स्टेशन के बीच में थी तभी एक गेटमैन ने ट्रेन के गार्ड को आग के बारे में जानकारी दी।

मरने वालों में दो लोगों की पहचान दीपिका शाह और देवशंकर उपाध्याय के रूप में हुई है। रेलवे विभाग ने मुंबई हेल्पलाइन नंबर 022- 23011853, 23007388 जारी किया है।

चश्मदीदों की मानें तो ट्रेन हादसे में होने वाली मौत के लिए रेलवे प्रशासन की लापरवाही जिम्मेदार है। कहा जा रहा है कि देहरादून एक्सप्रेस ट्रेन में दहानु स्टेशन से पहले ही आग लगने की खबर मिल गई थी। इस खबर के मिलने के बाद ट्रेन को गोरेगांव स्टेशन पर रोक दिया गया।

लेकिन इसके बाद आग की पूरी तरह से तहकीकात करने के बजाय इसे मामूली बता दिया गया और ट्रेन को रवाना कर दिया गया। अगर शिकायत मिलते ही आग की ठीक से जांच-पड़ताल की गई होती तो इतने बड़े हादसे को टाला जा सकता था। साफ है कि रेलवे प्रशासन की समें बड़ी लापरवाही थी।

जो संकेत मिल रहे हैं उससे साफ जाहिर हो रहा है कि पश्चिमी रेलवे की लापरवही की वजह से इतना बड़ा हादसा हुआ।

गौरतलब है कि दस दिन के भीतर चलती ट्रेन में आग लगने का ये दूसरा रेल हादसा है। इससे पहले 28 दिसंबर को नांदेड़ एक्सप्रेस के एसी कोच में आग लगने से 26 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। ये हादसा आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में पुट्टपर्थी के पास हुआ था। ये ट्रेन बेंगलुरू से महाराष्ट्र के नांदेड़ जा रही थी।

BJP के भीतर मेरा टिकट काटने की साजिश!

हजारीबाग।। भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने बुधवार को आरोप लगाया कि भाजपा के भीतर कुछ लोग हजारीबाग लोकसभा सीट से उनका टिकट कटवाने की साजिश कर रहे हैं, लेकिन ऐसे लोग अपने उद्देश्य में कभी सफल नहीं होंगे, क्योंकि उनका हजारीबाग सीट से 2014 में चुनाव लड़ना और जीतना दोनों ही तय है।

हजारीबाग लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद यशवंत सिन्हा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा के भीतर एक धड़ा उनके खिलाफ साजिश करने में जुटा हुआ है और विपक्षी पार्टियां तो उनसे खफा हैं ही।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पार्टी में उनके विरोधी पार्टी मुख्यालय से हजारीबाग सीट का टिकट लेने के जुगाड़ में लगे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि उनके विरोधी अच्छी तरह जानते हैं कि यदि वह चुनाव जीतकर फिर से संसद पहुंचेंगे, तो उनका केंद्र में मंत्री पद पाना तय है, इसलिए उनके खिलाफ साजिश की जा रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दल उन्हें हराने के लिए बड़े पैमाने पर धन का उपयोग कर रहे हैं, यद्यपि ये कोशिशें कामयाब नहीं होंगी।

राहुल गांधी PM पद के योग्य: लालू यादव

रांची।। राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस पार्टी जिसे भी नामित करेगी उनकी पार्टी उसका समर्थन करेगी।

लालू ने आज यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य है, उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी में कोई भी नेता प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य नहीं है।

हालांकि उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार की घोषणा नहीं करनी चाहिए।

राजद अध्यक्ष ने कहा कि राज्यसभा में लोकपाल विधेयक का उनकी पार्टी सर्मथन करेगी। उन्होंने कहा कि झारखंड की हेमंत सरकार ने अल्प समय में जो काम किया है वह बेमिसाल है।

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी जिस तरह से आई है उसी तरह आम आदमी की तरह चली जाएगी। दिल्ली में झूठे वायदे कर और गरीबों को गुमराह कर आम आदमी पार्टी सीटें हासिल की है।

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