संवत का राजा मंगल और मंत्री शनि
भारतीय संस्कृति और भारतीय ज्योतिष बहुत ही विशाल है और यह अपने अन्दर बहु प्रकार की अकूत सम्पदा समेटे हुए है जिसके आधार पर भारतीय पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं।यह परम्परा भी सदियों से चली आ रही है।इस परम्परा का सभी भारतीय बडे़ सम्मान,श्रद्धा और विश्वास से पालन करते हैं क्योंकि भारतवर्ष धार्मिक दृष्टि से भी सर्वोपरि माना गया है। यह भूमि देवभूमि है जहाँ पर अनेक अवतार हुए हैं।
विश्व में अनेकों प्रकार के नववर्ष मनाए जाते हैं जिनके शुरू होने पर किसीकी भी प्रकार का मौसमी परिवर्तन नहीं होता है जबकि भारतीय नववर्ष विक्रमी सम्वत पर मौसम परिवर्तन होता है और ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष विक्रमी सम्वत शुरु होता है जो इस बार 9 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार को है।संवत का राजा मंगल और मंत्री शनि हैं जो परस्पर शत्रु हैं।वर्ष के शेष पदाधिकारी सस्येश (चौमासा फसलों के स्वामी) मंगल,धान्येश( अनाज के स्वामी) सूर्य,मेघेश(वर्षा के स्वामी) शुक्र,रसेश( फूल एवं रसों के स्वामी) गुरु,नीरसेश (धातुओं के स्वामी) मंगल,फलेश ( फलों के स्वामी) शुक्र,धनेश (कोशपति,खजाने के स्वामी) चन्द्र,दुर्गेश (सेनापति) शुक्र हैं।
रोहिणी का वास "तट" पर होगा।*सम्वत "काल"नाम से होगा।सम्पूर्ण वर्ष संकल्पादि में काल नामक संवत का प्रयोग होगा।
संवत का वास '"धोबी "' के घर में होगा और इसका वाहन गीदड़ होगा।
नवमेघों में "वरुण" नामक मेघ और चतुर्मेघों में "आवर्त" नामक मेघ है।
इस वर्ष सोमवती अमावस्याएँ (2024 में ही)
भाद्रपद वदि अमावस्या - 2 सितम्बर,
पौष वदि अमावस्या - 30 दिसम्बर,
भौमवती अमावस्या मात्र एक ही है।
भाद्रपद वदि अमावस्या -
3 सितम्बर 2024,
शनैश्चरी अमावस*
चैत्र वदि अमावस्या :
29 मार्च 2025,
इस वर्ष पृथ्वी पर चार ग्रहण लगेगें पर* *भारत में कोई भी ग्रहण दिखाई* *नहीं देगा।*
श्राद्ध 17 सितम्बर 2024 से 2अक्तूबर 2024 तक रहेंगें।
कार्तिक मास 17 अक्तूबर से 15 नवंबर 2024 तक रहेगा।
शारदीय नवरात्र 3 अक्तूबर से 11अक्तूबर तक रहेंगें |
धनु संक्रांति का महीना 15 दिसम्बर 2024 से 14 जनवरी 2025 तक रहेगा।
होलाष्टक 7 मार्च 2025 से 14 मार्च 2025 तक रहेंगे।
शनि का गोचर :-
17 जनवरी 2023 से शनि स्वराशि कुम्भ में ही चल रहा है।29 जून 2024 को वक्री होंगें और 15 नवंबर 2024 को मार्गी होंगे। 29 मार्च 2025 को संवत के सम्पूर्ण होने पर शनैश्चरी अमावस के दिन मीन राशि में प्रवेश करेंगे।
गुरु का गोचर :-
देवगुरु बृहस्पति मेष में चल रहे हैं और 1 मई 2024 को वृष राशि में प्रवेश करेंगे। 9 अक्तूबर 2024 को वक्री होंगें और 4 फरवरी 2025 को मार्गी होंगें।
राहू व केतू क्रमशः मीन और कन्या राशि में ही रहेंगे।
गुरु अस्त :-
7 मई 2024 को अस्त होंगें और 31 मई 2024 को उदय होंगें।
शुक्र अस्त :-
28 अप्रैल 2024 को अस्त होंगें और 5 जौलाई 2024 को उदय होंगें।
पुनः 20 मार्च 2025 को अस्त होकर 25 मार्च 2025 को उदय होंगें।
गुरु और शुक्र के अस्त होने से तीन दिन पहले तक वार्धक्य दोष और उदय होने के तीन दिन बाद तक बाल्यत्व दोष रहता है जो सभी प्रकार के शुभ कार्यों हेतु वर्जित माना गया है।
आश्विन नवरात्रारंभ :- 3 अक्तूबर से शुरू। कलौ चण्डौ विनायकौ अर्थात कलियुग में चण्डी (माँ दुर्गा) और विनायक (गणपति) जी की पूजा अर्चना से ही मनोकामनाएं पूर्ण होतीं हैं। प्रत्येक शुभकार्य तो गणपति जी की पूजा से ही शुरू होता है और वर्षभर में गणपति जी को समर्पित गणेश चतुर्थी के व्रत रखे जाते हैं जबकि मां दुर्गा की पूजा के लिए 2 बार नवरात्र (नौ दिन) आते हैं। वासन्त नवरात्र अर्थात चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र अर्थात आश्विन नवरात्र।
विशेष साधकों के लिए वर्ष में 2 बार *गुप्त नवरात्र भी आते* हैं। जो इस बार 6 जुलाई 2024 से 15 जुलाई 2024 तक और 30 जनवरी 2025 से 6 फरवरी 2025 तक रहेंगें।
चैत्र नवरात्र शुरू :-
नववर्ष का शुभारंभ चैत्र नवरात्र से मंगलवार 9 अप्रैल 2024 से शुरू होगा। इस दिन सुबह गणपति पूजन, नवग्रह पूजन, कलश स्थापना और जौं बीजना शुभ कारक है। तत्पश्चात दुर्गा पाठ, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा स्तुति, दुर्गा चालीसा, दुर्गा के 32 नाम, दुर्गा के 108 नाम और सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ अपनी सुविधानुसार किया जा सकता है। इसके लिए दिन या रात की पाबंदी नहीं होती।
पहला नवरात्र 9 अप्रैल, दूसरा 10 को, तीसरा 11 को, चौथा 12 को, पांचवाँ 13 को, छठा 14 को, सातवां 15 को, अष्टमी 16 को और श्री राम नवमी 17 को होगी।
विशेष: प्रयागराज कुम्भ महापर्व
इस वर्ष माघ कृष्ण प्रतिपदा 14 जनवरी 2025 से माघ शुक्ल पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 तक प्रयागराज (इलाहाबाद) कुम्भ महापर्व का सुयोग रहेगा।
13 दिनों का पक्ष :-
23 जून 2024 से 5 जुलाई 2024 तक 13 दिनों का पक्ष रहेगा जो सभी प्रकार के शुभ कार्यों हेतु पूर्णतया वर्जित है।
नववर्ष विक्रमी संवत 2081 सभी के लिए मंगलमय हो।
अश्विनी कुमार शर्मा शास्त्री
ज्योतिषाचार्य
अमृतसर
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