नई दिल्ली।। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार अब एक नई मुश्किल में फंस गई है। आम आदमी पार्टी के विधायक विनोद कुमार बिन्नी फिर से नाराज हो गए हैं।
नाराज विधायक बिन्नी ने कहा है कि दिल्ली सरकार अपने मुद्दे से भटक गई है और कल वे इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। गौरतलब है कि सरकार गठन के दौरान भी बिन्नी मंत्री न बनाए जाने से नाराज हो गए थे जिन्हें मशक्कत के बाद मनाया गया था।
उधर आम आदमी पार्टी ने भी बिन्नी को मनाने की बजाय उनपर सख्त रुख दिखाया है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं वाले लोगों के लिए पार्टी में कोई स्थान नहीं है। कोई जाना चाहता है, तो जाए। बिन्नी ने पार्टी से बात नहीं की। मीडिया के जरिए पार्टी से बात करना गलत है। पार्टी इसका संज्ञान लेकर उन्हें नोटिस जारी कर सकती है।
बताया जाता है कि बुधवार की शाम को अरविंद केजरीवाल ने अपने सारे विधायकों के साथ मीटिंग की थी पर किसी ने कुछ नहीं कहा, बिन्नी ने भी। पार्टी ने इस बात का फैसला ले लिया है कि कोई भी विधायक लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेगा। इसके बाद ही बिन्नी का ये तेवर दिखाना माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव का टिकट न मिलने का नतीजा है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि बिन्नी पहले मेरे पास आए थे मंत्री पद के लिए। अब वो आए थे लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए। हमने सीधा कहा है कि किसी भी एमएलए को लोकसभा का टिकट नहीं देंगे। अब वे किन बातों पर नाराज हैं ये खुद बताएं।
इससे पहले बिन्नी ने कहा कि जो मुद्दे हमने जनता के बीच कहे थे, और आज के परिदृश्य में काफी अंतर आ गया है। मेरी नाराजगी पहले दिन भी वही थी, जो आज है। उन्होंने कहा कि उन्हें मंत्री न बनने का कोई मलाल नहीं है। लेफ्टिनेंट गवर्नर को भावी मंत्रियों की जो लिस्ट भेजी गई थी उसमें उनका नाम था लेकिन उन्होंने खुद जाकर अपना नाम कटवाया था।
बिन्नी ने कहा कि मैं सिर्फ पार्टी से मुद्दों के आधार पर जुड़ा था। जिन मुद्दों पर पार्टी बनी थी उससे वो भटक रही है। पार्टी से नहीं, सरकार से नाराजगी है। सरकार अपने मुद्दों से भटक रही है। ये मामला मनाने और रुठने का नहीं है। अगर वायदों से भटकते हैं तो जनता के साथ छल हो रहा है। इसके लिए अगर होगा तो भूख हड़ताल करेंगे।
नई दिल्ली।। सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताई है कि पूर्व और वर्तमान जजों के खिलाफ यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए एक स्थायी तंत्र होना चाहिए।
इससे पूर्व, अदालत ने विवादास्पद तरीके से कहा था कि उसके पास पूर्व जजों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए कोई प्रशासनिक नियंत्रण नहीं है, इसलिए वह पूर्व जजों के खिलाफ इस तरह के मामलों को सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं कर सकती। अदालत के इस रुख की कड़ी आलोचना हुई थी और कहा गया था कि यह जिम्मेदारी से भागने जैसा प्रयास है।
हाल ही के दिनों में सुप्रीम कोर्ट के दो पूर्व जजों के खिलाफ इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें उन्हीं के साथ इंटर्न के तौर पर काम कर रही महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए।
पिछले ही हफ्ते नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के मौजूदा अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज स्वतंत्र कुमार ने अपने खिलाफ उनकी एक पूर्व महिला इंटर्न द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया था। पूर्व इंटर्न का आरोप था कि जज ने पिछले साल अगस्त में उसका यौन शोषण किया था और उस समय वह सुप्रीम कोर्ट के जज थे।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया कि वह न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के खिलाफ इंटर्न की शिकायतों पर कोई विचार व्यक्त नहीं कर रहा है। कोर्ट ने सवाल किया कि इंटर्न इतने विलंब से यह आरोप क्यों लगा रही है।
जजों ने नामी वकील फली नरीमन तथा केके वेणुगोपाल से इस बारे में सुझाव मांगे कि यौन शोषण से जुड़े मामलों को कैसे चलाया जाना चाहिए और उनकी जांच कैसे होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल के अंत में जस्टिस एके गांगुली को भी सुप्रीम कोर्ट की एक समिति ने अपनी तत्कालीन महिला इंटर्न के साथ गलत शाब्दिक तथा शारीरिक व्यवहार का दोषी बताया था। गांगुली ने बाद में इसी महीने पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में पिछले महीने तक हुई सभी जांचों का ब्योरा दिया है। इसके अलावा बताया गया है कि छह एफआईआर की जांच पूरी हो चुकी है और फाइनल चार्जशीट तैयार करने का काम चल रहा है।
सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट में बताया गया है कि अब तक की जांच में 15 कोल ब्लॉकों में सीबीआई को कोई गड़बड़ी नहीं मिली है।
वहीं, आज केंद्र सरकार कोर्ट को बता सकती है कि वह कुछ कोल ब्लॉक के आवटंन को रद्द करने के हक में है या नहीं। कोल-गेट घोटाले में काले धन के इस्तेमाल से जुड़े मामलों की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय आज सुप्रीम कोर्ट को अपना जवाब सौंपेगा।
पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को काले धन के मामलों में कार्रवाई करने के आदेश दिए थे।
The Joomla! content management system lets you create webpages of various types using extensions. There are 5 basic types of extensions: components, modules, templates, languages, and plugins. Your website includes the extensions you need to create a basic website in English, but thousands of additional extensions of all types are available. The Joomla! Extensions Directory is the largest directory of Joomla! extensions.
We search the whole countryside for the best fruit growers.
You can let each supplier have a page that he or she can edit. To see this in action you will need to create a users who is in the suppliers group.
Create one page in the growers category for that user and make that supplier the author of the page. That user will be able to edit his or her page.
This illustrates the use of the Edit Own permission.