उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर तानाशाह जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केजरीवाल की कांग्रेस से नजदीकी है और वह सत्ता का सुख भोगना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि बिजली और पानी के मुद्दे पर पार्टी ने अपने घोषणापत्र में जो बात कही थी, उस पर अमल करने में चतुराई बरती जा रही है।
पानी का पूरा बिल माफ करने की बात थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बिजली बिल आधा करने पर भी दिल्ली सरकार ने अपना रुख बदल लिया।
उन्होंने कहा कि 'आम आदमी पार्टी' का गठन विधायक या सांसद बनाने के लिए नहीं किया गया, लेकिन सत्ता में आने पर उसके वादे बदल गए हैं।
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी रायशुमारी में ज्यादा यकीन करती है, इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि दिल्ली की जनता से बिजली और पानी के मुद्दे पर भी सरकार रायशुमारी कराए।
जनलोकपाल बिल के मुद्दे पर बिन्नी ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने वादा किया था कि सरकार बनने के 14 दिनों के भीतर यह बिल पास करा लिया जाएगा, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका है, इसलिए उन्हें अपनी मंशा साफ करनी चाहिए। उन्होंने कहा, मुझे किसी पद की लालसा नहीं है।
दिल्ली में विदेशी महिला से गैंगरेप के मामले पर बिन्नी ने कहा कि अगर यह घटना पहले हुई होती, तो आम आदमी पार्टी इसे लेकर खुलकर विरोध जताती, लेकिन अब सत्ता में होने पर इस बारे में कोई कुछ नहीं बोल रहा है।
उन्होंने केजरीवाल पर तानाशाही व्यवहार का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी में फैसले चार-पांच लोग बंद कमरे में करते हैं और अरविंद केजरीवाल उन्हें आदेश देते हैं।
बिन्नी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल कांग्रेस सासंद संदीप दीक्षित के करीबी हैं और केजरीवाल कांग्रेस के आदेशों को मानते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि टिकटों के बंटवारे में भी भ्रष्टाचार किया गया और लोकसभा के टिकट पहले से तय हैं।
बिन्नी ने बुधवार से बागी तेवर अपना रखे हैं। उनका कहना है कि पार्टी मुद्दों से भटक गई है और सरकार उन वादों को पूरा करने की दिशा में काम नहीं कर रही है, जिनके दम पर जीतकर वह सत्ता में पहुंची है।
वहीं पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बिन्नी पहले दिल्ली सरकार में मंत्री का पद पाना चाहते थे और इसके बाद उन्होंने लोकसभा के टिकट की मांग की और टिकट न मिलने पर वह पार्टी से नाराज हो गए।
हालांकि जब बिन्नी से इस पर सफाई मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि केजरीवाल झूठ बोल रहे हैं और उन्होंने कभी किसी पद की लालसा नहीं की है।
आम आदमी पार्टी के अंदर के मतभेद के सामने आते ही मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने जमकर हमला बोला, वहीं कांग्रेस ने इसे पार्टी का आंतरिक मामला बताया है।
ऐसा नहीं है कि बिन्नी पहली बार आम आदमी पार्टी के लिए सिरदर्द बने हैं। इससे पहले वह केजरीवाल कैबिनेट में मंत्री पद न मिलने की वजह से नाराज हो गए थे।
हालांकि उस समय केजरीवाल ने बिन्नी के नाराज होने की खबरों का खंडन किया था और पार्टी के आला नेताओं की कोशिशों के बाद बिन्नी को मना लिया गया था।