तीन अपराधिक मामलों में दर्ज एफआईआर हुई रद्द
शिमला/शैल। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के खिलाफ पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से जमीनें हथियाने व एचपीसीए को सोसायटी से कंपनी बनाने को लेकर दर्ज मामले व निचली अदालत में चले ट्रायल को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। विधानसभा चुनाव में मिली हार व मुख्यमंत्री पद को खो देने के बाद धूमल व उनके बेटे अनुराग के लिए यह बड़ी राहत हैं।
प्रदेश में इस मामले में अक्तूबर के पहले सप्ताह में न्यायमूर्ति ए के सीकरी की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे अब अदालत में सुना दिया गया और अनुराग ठाकुर की तीन याचिकाओं का निपटारा कर उन्हें राहत दे दी। न्यायमूर्ति ए के सीकरी, अशोक भूषण और अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि वह अनुराग ठाकुर व बाकियों की याचिकाओं को मंजूर करते हैं।
दिसबंर 2012 में वीरभद्र सिंह सरकार के सता में आने के बाद प्रदेश विजीलेंस ने हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम के लिए कानून की मंजूरी लिए वगैर जमीन लेने, एचपीसीए को कंपनी बनाने, सरकारी जमीन पर कबजा करने व पेड़ काटने को लेकर कई एफआईआर दर्ज की थी। मुख्य मामला क्रिकेट स्टेडियम की जमीन व होटल पैवेलियन को लेकर था और धर्मशाला में एचपीसीए के क्रिकेट स्टेडियम समेत तमाम संपतियों को रातों रात कब्जे में ले लिया था। लेकिन प्रदेश हाईकोर्ट ने इस कार्रवाई को गैर कानूनी करार देते हुए बाद में सारी संपतियां एचपीसीए को सौंपने के आदेश दिए थे। विभिन्न मामलों में एफआईआर दर्ज करने के बाद विजीलेंस ने धर्मशाला स्थित अदालत में चालान भी दायर कर दिए थे। अदालत की ओर से अनुराग ठाकुर, उनके पिता प्रेम कुमार धूमल को अदालत में सम्मन करने के आदेश के खिलाफ अनुराग ठाकुर ने प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
प्रदेश हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायामूर्ति मंजूर अहमद मीर ने 25 अप्रैल 2014 को अनुराग की याचिका को खारिज कर दिया था। मीर ने एफआईआर को रद्द करने व ट्रायल को स्टे करने से इंकार कर दिया था। इसके खिलाफ अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी व वीरभद्र सिंह को नाम से पार्टी बना दिया। तब से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहा।
इस बीच, दिसंबर 2017 में प्रदेश में जयराम ठाकुर की सरकार सत्ता में आ गई और सरकार ने इन मामलों को राजनीति से प्रेरित बताकर वापस लेने की मुहीम चलाई। इस बावत प्रदेश के महाधिवक्ता अशोक शर्मा भी सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला वहां हो जहां ये चल रहे हैं। अदालत ने अनुराग ठाकुर को निर्देश दिए कि वह अगली सुनवाई पर अदालत को बताएं कि वह अपनी याचिका वापस लेना चाहते हैं या अदालत मेरिट पर सुनवाई करे।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि वह मेरिट पर फैसला चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एके सीकरी की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की और फैसला सुनाते हुए एफआईआर और ट्रायल को रद्द कर दिया।
वीरभद्र सिंह सरकार में स्टेडियम के लिए शिक्षा विभाग की इमारतें गिराने के मामले में विजीलेंस ने एफआईआर दर्ज की थी। इसका भी चालान धर्मशाला की अदालत में दायर हो गया था। अनुराग ठाकुर ने इस मामले में भी एफआईआर रद्द करने के लिए प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। लेकिन इस याचिका को हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस त्रिलोक सिंह चौहान ने खारिज कर एफआईआर रद्द करने से इंकार कर दिया था।
अनुराग ठाकुर ने हाईकोर्ट के इस फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है व इसकी सुनवाई 12 नंवबर को होनी है। इस याचिका को 1-10-18 को सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के लिये स्वीकार कर लिया है और इसमें राज्य सरकार को सचिव सहकारिता के माध्यम से प्रतिवादी बनाया गया है। इसी मामले में वीरभद्र सिंह एडीजीपी और एस पी विजिलैन्स को भी प्रतिवादी बनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट से एचपीसीए मामले में एफआईआर रद्द होने से गदगद पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि अदालत से अब तक पांच एफआईआर रद्द हो चुकी है। अदालत से उन्हें लगातार राहत मिल रही है। कांग्रेस सरकार ने उस समय के मुख्यमंत्री के कहने पर झूठे केस बनाए थे। राजनीतिक बदले की भावना से दर्ज किए ये मामले खत्म हो गए। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस को भी सबक मिल गया होगा कि झूठे मामले बनाने से कुछ नहीं होता, सच की जीत होती है। धूमल ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त करते हैं व जिन्होंने इस मुश्किल वक्त में साथ दिया है, उनका भी आभार व्यक्त करते हैं।
नई दिल्र्ली। सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर आज अहम सुनवाई हो रही है. अदालत राफेल सौदे की कीमत और उसके फायदों की जांच करेगा. केंद्र ने पिछली सुनवाई में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत और उसके फायदे के बारे में कोर्ट को सीलबंद दो लिफाफों में रिपोर्ट सौंपी थी.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ इस मामले में अहम सुनवाई कर रही है. जिसमें याचिकाकर्ता भी दलीलें देंगे. याचिकाकर्ताओं ने सौदे की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है.
सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि पहले इस डील में 108 विमान भारत में बनाने की बात की जा रही थी. 25 मार्च 2015 को दसॉल्ट और HAL में करार हुआ और दोनों ने कहा कि 95 फीसदी बात हो गई है. लेकिन 15 दिन बाद ही प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान नई डील सामने आई जिसमें 36 राफेल विमान पक्के हुए. और मेक इन इंडिया को किनारे कर दिया गया.
इस डील के बारे में रक्षामंत्रालय को भी पता नहीं था, एक झटके में विमान 108 से 36 हो गए. और ऑफसेट रिलायंस को दे दिया गया. उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि उन्हें ऑफसेट पार्टनर का पता नहीं है. लेकिन प्रोसेस में साफ है कि बिना रक्षा मंत्री की अनुमति के ऑफसैट तय नहीं हो सकता है. ऑफसेट बदलने के लिए सरकार ने नियमों को बदला और तुरंत उसे लागू किया.
शिमला/शैल। सीबीआई के शीर्ष अधिकारियों निदेशक और विशेष निदेशक के बीच चले आ रहे विवाद में अस्थाना के विरूद्ध एफआईआर दर्ज हो चुकी है। 15.10.2018 को दर्ज हुई एफआईआर पीसी एक्ट की धारा 7 & 13(2) R/W 13 (1) (d) और धारा 7A के तहत दर्ज की गयी है। स्मरणीय है कि मोदी सरकार ने पीसी एक्ट संशोधित कर दिया है। नया एक्ट 27 जुलाई को अधिसूचित होने के बाद लागू हो गया है। संशोधित एक्ट के लागू होने के बाद इसमें यह प्रावधान किया है कि मामला दर्ज करने से पहले सरकार से अनुमति ली जायेगी। लेकिन इसमें अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले कोई अनुमति नही ली गयी है। इसी आधार पर इसे दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी है। यहां यह भी गौरतलब है कि इस एफआईआर में नये और पुराने दोनों अधिनियमों का सहारा लिया गया है। इस मामले में अदालत का निर्णय क्या आता है यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। लेकिन इस एफआईआर को देखने के बाद सीबीआई के भीतर की स्थिति का पता चल जाता है और इसी उद्देश्य से यह एफआईआर पाठकों के सामने रखी जा रही है।






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