Saturday, 20 September 2025
Blue Red Green
Home देश

ShareThis for Joomla!

क्या जयराम सरकार मीडिया पर नियन्त्रण का प्रयास कर रही है

शिमला/शैल। जयराम सरकार ने 3-10-18 को प्रदेश के सारे प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, निगमों के प्रबन्ध निदेशकों, बोर्डों के सचिवों और सारे जिलाधीशों को एक पत्रा भेजकर निर्देश दिये हैं कि लोक संपर्क विभाग की अनुमति के बिना समाचार पत्रों एवम् अन्य मीडिया को विज्ञापन जारी न किये जायें। अतिरिक्त मुख्य सचिव लोक संपर्क विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि इस तरह के निर्देश सरकार द्वारा 6-7-1998, 9-01-02 और 16-09-10 को भी जारी किये गये थे लेकिन इनकी अनुपालना सुनिश्चित नहीं की जा रही है। पत्र में कहा गया है कि कुछ संस्थान कुछ विशेष समाचार पत्रों को ही विज्ञापन जारी करते हैं और इससे असन्तुलन पैदा हो जाता है। कुछ संस्थानों द्वारा लोक संपर्क विभाग की अनुमति के बिना विज्ञापन जारी कर दिये जाने का कड़ा संज्ञान लिया गया है। इस पत्र से पूर्व जो 1998, 2002 और 2010 में तीन बार ऐसे निर्देश जारी किये जाने का जो उल्लेख किया गया है तब भी भाजपा ही सत्ता में थी संयोगवश इससे यही संदेश जाता है कि भाजपा भी मीडिया नियन्त्रण करने का इसी तरह से प्रयास करती है। पिछले कुछ अरसे में राष्ट्रीय स्तर पर भी मीडिया पर नियन्त्रण करने के केन्द्र सरकार के प्रकरण सामने आ चुके है।

प्रदेश में इस सरकार को सत्ता में आये दस माह हो चुके हैं। इस दौरान मुख्यमन्त्री औपचारिक तौर पर मीडिया से बहुत कम मिले हैं। संयोगवश इस समय मुख्यमन्त्री की टीम में वरिष्ठ लोग बहुत नगण्य हैं। बल्कि मुख्यमन्त्री सहित अधिकांश लोग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के नेतृत्व से निकले है। छात्र राजनीति से निकले युवा नेताओं में धीरता और गंभीरता आने में समय लगता है क्योंकि यह स्वाध्याय से आता है और छात्र नेता होना तथा साथ ही स्वाध्याय का भी होना अक्सर विरोधाभास ही रहता है। शायद प्रदेश का दोनों पक्षों का अधिकांश नेतृत्व इसी धीरता और गंभीरता के संकट से गुजर रहा है। ऊपर से प्रदेश का प्रशासनिक नेतृत्व भी अधिकांश में ‘‘आज तक’’ ही सोचने तक सीमित हो गया है और इस कारण से उसकी निष्ठाएं भी स्व के स्वार्थ तक की ही हो गयी है। अन्यथा यदि नेतृत्व में थोड़ी सी गंभीरता होती तो शायद ऐसा पत्र लिखने की कोई भी राय न देता। पत्र में अतिरिक्त मुख्य सचिव लोक संपर्क स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि सरकार के संस्थान इन निर्देशों की अनुपालना नही कर रहे हैं और इससे असुन्तलन पैदा हो रहा है। यहां यह सवाल उठता है कि जब यह असंन्तुलन की स्थिति आपके संज्ञान में आ गयी तब आपने क्या इस आश्य की कोई पॉलिसी बनाई? क्या लोक संपर्क विभाग ने जो विज्ञापन जारी किये वह दो तीन दैनिक पत्रों के अतिरिक्त क्या किसी साप्ताहिक पत्र को जारी हुए शायद नही। साप्ताहिक पत्रों के साथ निदेशक लोक संपर्क की एक बैठक हुई थी इस बैठक को हुए चार माह से ज्यादा का समय हो गया है। इसमें विज्ञापनों को लेकर एक नीति बनाने का निर्णय हुआ था लेकिन आज तक यह नीति नही बन पायी है। बल्कि उस बैठक के बाद तो बिल्कुल विज्ञापन बन्द कर दिये गये हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि आज डिजिटल होने के युग में डीएवीपी और आरएनआई ने सामचार पत्रों के लिये उनकी अपनी वैबसाईट होना अनिवार्य कर रखा है। ऐसे में जिन समाचार पत्रों की अपनी वैबसाइट है और उसी के साथ वह सोशल मीडिया की विधाओं फेसबुक और व्हाटसएप पर भी उपलब्ध है। उनके पाठकों की संख्या कई दैनिक पत्रों से भी अधिक होगी क्योंकि पाठक तो सूचना देखता और चाहता है। जब उसे दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ कोई समाचार मिल जाता है तो वह स्वयं उसे अधिक से अधिक शेयर करता है और उसी से सरकार की एक छवि बन जाती है।
इस परिदृश्य में यदि सरकार के इस पत्र का आकलन किया जाये तो स्पष्ट हो जाता है कि यह पत्र जारी करने से पहले किसी ने भी इसके गुण दोषों पर विचार नही किया है। यहां यह स्पष्ट कर दिया जाना आवश्यक है कि विज्ञापन पर खर्च होने वाला धन प्रदेश के आम आदमी का पैसा है और सरकार इसको खर्च करने में एक तरफा नही चल सकती। सरकार का यह पत्र सरकार के अपने ही खिलाफ एक ऐसा साक्ष्य बन जायेगा कि आने वाले समय में सरकार को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर जो कुछ पिछले दिनों घट चुका है उस पर हिमाचल सरकार का यह पत्र मोहर लगा देता है। इससे जयराम सरकार ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का मीडिया के प्रति दृष्टिकोण सामने आ जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

सर्वोच्च न्यायालय से मिली धूमल, अनुराग को बड़ी राहत

तीन अपराधिक मामलों में दर्ज एफआईआर हुई रद्द
शिमला/शैल। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के खिलाफ पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से जमीनें हथियाने व एचपीसीए को सोसायटी से कंपनी बनाने को लेकर दर्ज मामले व निचली अदालत में चले ट्रायल को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। विधानसभा चुनाव में मिली हार व मुख्यमंत्री पद को खो देने के बाद धूमल व उनके बेटे अनुराग के लिए यह बड़ी राहत हैं।
प्रदेश में इस मामले में अक्तूबर के पहले सप्ताह में न्यायमूर्ति ए के सीकरी की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे अब अदालत में सुना दिया गया और अनुराग ठाकुर की तीन याचिकाओं का निपटारा कर उन्हें राहत दे दी। न्यायमूर्ति ए के सीकरी, अशोक भूषण और अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि वह अनुराग ठाकुर व बाकियों की याचिकाओं को मंजूर करते हैं।
दिसबंर 2012 में वीरभद्र सिंह सरकार के सता में आने के बाद प्रदेश विजीलेंस ने हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम के लिए कानून की मंजूरी लिए वगैर जमीन लेने, एचपीसीए को कंपनी बनाने, सरकारी जमीन पर कबजा करने व पेड़ काटने को लेकर कई एफआईआर दर्ज की थी। मुख्य मामला क्रिकेट स्टेडियम की जमीन व होटल पैवेलियन को लेकर था और धर्मशाला में एचपीसीए के क्रिकेट स्टेडियम समेत तमाम संपतियों को रातों रात कब्जे में ले लिया था। लेकिन प्रदेश हाईकोर्ट ने इस कार्रवाई को गैर कानूनी करार देते हुए बाद में सारी संपतियां एचपीसीए को सौंपने के आदेश दिए थे। विभिन्न मामलों में एफआईआर दर्ज करने के बाद विजीलेंस ने धर्मशाला स्थित अदालत में चालान भी दायर कर दिए थे। अदालत की ओर से अनुराग ठाकुर, उनके पिता प्रेम कुमार धूमल को अदालत में सम्मन करने के आदेश के खिलाफ अनुराग ठाकुर ने प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
प्रदेश हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायामूर्ति मंजूर अहमद मीर ने 25 अप्रैल 2014 को अनुराग की याचिका को खारिज कर दिया था। मीर ने एफआईआर को रद्द करने व ट्रायल को स्टे करने से इंकार कर दिया था। इसके खिलाफ अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी व वीरभद्र सिंह को नाम से पार्टी बना दिया। तब से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहा।
इस बीच, दिसंबर 2017 में प्रदेश में जयराम ठाकुर की सरकार सत्ता में आ गई और सरकार ने इन मामलों को राजनीति से प्रेरित बताकर वापस लेने की मुहीम चलाई। इस बावत प्रदेश के महाधिवक्ता अशोक शर्मा भी सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला वहां हो जहां ये चल रहे हैं। अदालत ने अनुराग ठाकुर को निर्देश दिए कि वह अगली सुनवाई पर अदालत को बताएं कि वह अपनी याचिका वापस लेना चाहते हैं या अदालत मेरिट पर सुनवाई करे।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि वह मेरिट पर फैसला चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एके सीकरी की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की और फैसला सुनाते हुए एफआईआर और ट्रायल को रद्द कर दिया।
वीरभद्र सिंह सरकार में स्टेडियम के लिए शिक्षा विभाग की इमारतें गिराने के मामले में विजीलेंस ने एफआईआर दर्ज की थी। इसका भी चालान धर्मशाला की अदालत में दायर हो गया था। अनुराग ठाकुर ने इस मामले में भी एफआईआर रद्द करने के लिए प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। लेकिन इस याचिका को हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस त्रिलोक सिंह चौहान ने खारिज कर एफआईआर रद्द करने से इंकार कर दिया था।
अनुराग ठाकुर ने हाईकोर्ट के इस फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है व इसकी सुनवाई 12 नंवबर को होनी है। इस याचिका को 1-10-18 को सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के लिये स्वीकार कर लिया है और इसमें राज्य सरकार को सचिव सहकारिता के माध्यम से प्रतिवादी बनाया गया है। इसी मामले में वीरभद्र सिंह एडीजीपी और एस पी विजिलैन्स को भी प्रतिवादी बनाया गया है। 
सुप्रीम कोर्ट से एचपीसीए मामले में एफआईआर रद्द होने से गदगद पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि अदालत से अब तक पांच एफआईआर रद्द हो चुकी है। अदालत से उन्हें लगातार राहत मिल रही है। कांग्रेस सरकार ने उस समय के मुख्यमंत्री के कहने पर झूठे केस बनाए थे। राजनीतिक बदले की भावना से दर्ज किए ये मामले खत्म हो गए। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस को भी सबक मिल गया होगा कि झूठे मामले बनाने से कुछ नहीं होता, सच की जीत होती है। धूमल ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त करते हैं व जिन्होंने इस मुश्किल वक्त में साथ दिया है, उनका भी आभार व्यक्त करते हैं।

SC में प्रशांत भूषण बोले- MAKE IN INDIA को ताक पर रख PM ने की राफेल डील

नई दिल्र्ली। सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर आज अहम सुनवाई हो रही है. अदालत राफेल सौदे की कीमत और उसके फायदों की जांच करेगा. केंद्र ने पिछली सुनवाई में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत और उसके फायदे के बारे में कोर्ट को सीलबंद दो लिफाफों में रिपोर्ट सौंपी थी.

 

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ इस मामले में अहम सुनवाई कर रही है. जिसमें याचिकाकर्ता भी दलीलें देंगे. याचिकाकर्ताओं ने सौदे की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है.

 

सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि पहले इस डील में 108 विमान भारत में बनाने की बात की जा रही थी. 25 मार्च 2015 को दसॉल्ट और HAL में करार हुआ और दोनों ने कहा कि 95 फीसदी बात हो गई है. लेकिन 15 दिन बाद ही प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान नई डील सामने आई जिसमें 36 राफेल विमान पक्के हुए. और मेक इन इंडिया को किनारे कर दिया गया.

 

इस डील के बारे में रक्षामंत्रालय को भी पता नहीं था, एक झटके में विमान 108 से 36 हो गए. और ऑफसेट रिलायंस को दे दिया गया. उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि उन्हें ऑफसेट पार्टनर का पता नहीं है. लेकिन प्रोसेस में साफ है कि बिना रक्षा मंत्री की अनुमति के ऑफसैट तय नहीं हो सकता है. ऑफसेट बदलने के लिए सरकार ने नियमों को बदला और तुरंत उसे लागू किया.

More Articles...

  1. सी बी आई के विशेष निदेशक अस्थाना के खिलाफ दर्ज हुई एफ आई आर
  2. डॉक्टरों की कॉलोनी पर लगा 3.2 करोड़ का जुर्माना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर एक और सवाल
  3. सरकार की सेहत पर भारी पड़ेगा प्रस्तावित राष्ट्रीय राज मार्गो का विकास
  4. मोदी-शाह के खास अदानी प्रकरण की जांच छेड़कर जयराम की नीयत और नीति सवालों में
  5. एसजेवीएनएल बनाम राजेन्द्र सिंह मामले में आये फैसले की अनुपालना जय राम की होगी कड़ी परीक्षा
  6. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के परिदृश्य में बिन्दल मामले पर उभरे संदेह
  7. धारा 118 की जांच में क्या सचिव स्तर पर दी गयी ई सी अनुमतियों की जांच भी होगी
  8. मनाली के होटल Citrus पर लगाया NGT ने 20 लाख का जुर्माना
  9. क्या फैसले के कगार पर पंहुचा बिन्दल मामला वापिस हो पायेगा
  10. कांगड़ा केन्द्रिय सहकारी बैंक की कार्यप्रणाली 174 करोड़ के ऋण में 64 करोड़ हुआ एनपीए
  11. क्या सरकार के फैसले से गैर कृषक की बंदिश हट पायेगी उठा सवाल
  12. आठ महीने में 3026 को मिला रोज़गार
  13. अन्ततः मुकेश को मिल ही गया नेता प्रतिपक्ष का अधिकारिक दर्जा
  14. राजेश धर्माणी और दीपक राठौर को जिम्मेदारीयां मिलना प्रदेश कांग्रेस में नये समीकरणों का संकेत
  15. बीपीएल प्रकरण पर जिम्मेदार नगर निगम सदन और जांच सचिव की
  16. क्या चिट्टों पर भर्ती का दौर शुरू हो रहा है महेन्द्र सिंह के पत्रों से उठा सवाल
  17. क्या एनजीटी के आदेश की अनुपालना हो पायेगी
  18. घातक होंगे सर्वोच्च न्यायालय से मिली प्रताड़ना के परिणाम
  19. संशोधित अधिनियम के बाद भाजपा के आरोप पत्र पर कारवाई की संभावनाएं हुई संदिग्ध
  20. कौन होगा अगला मुख्यसचिव चौधरी के छुट्टी जाने पर ही आ जायेगा सामने

Subcategories

  • लीगल
  • सोशल मूवमेंट
  • आपदा
  • पोलिटिकल

    The Joomla! content management system lets you create webpages of various types using extensions. There are 5 basic types of extensions: components, modules, templates, languages, and plugins. Your website includes the extensions you need to create a basic website in English, but thousands of additional extensions of all types are available. The Joomla! Extensions Directory is the largest directory of Joomla! extensions.

  • शिक्षा

    We search the whole countryside for the best fruit growers.

    You can let each supplier have a page that he or she can edit. To see this in action you will need to create a users who is in the suppliers group.  
    Create one page in the growers category for that user and make that supplier the author of the page.  That user will be able to edit his or her page.

    This illustrates the use of the Edit Own permission.

  • पर्यावरण

Facebook



  Search