Friday, 19 September 2025
Blue Red Green
Home देश

ShareThis for Joomla!

भाखड़ा-ब्यास परियोजना पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर अमल क्यों नहीं

  • 25 सितम्बर 2011 को हिमाचल के पक्ष में आया है फैसला
  • 7.19 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा हिमाचल को
  • 2199.77 करोड 6% ब्याज सहित भी वसूला जाना है पंजाब और हरियाणा से
  • पंजाब पुनर्गठन आयोग में चण्डीगढ़ में हिस्सेदारी का कोई उल्लेख नहीं है
  • सर्वोच्च न्यायालय में हिमाचल के तीन अधिकारी ए.के.गोस्वामी डॉ.वाई.के.मूर्ति और प्रबोध सक्सेना रख चुके हैं प्रदेश का पक्ष
  • प्रबोध सक्सेना आज मुख्य सचिव हैं उन्हें मामले की पूरी जानकारी है

शिमला/शैल। हिमाचल सरकार ने भाखड़ा-नंगल और ब्यास विद्युती परियोजना में पंजाब पुनर्गठन आयोग के प्रावधानों के तहत उसकी पूरी हिस्सेदारी दिये जाने के लिये 1996 में सर्वोच्च न्यायालय में भारत सरकार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और चंडीगढ़ के खिलाफ याचिका दायर की थी। पंजाब पुनर्गठन आयोग की धारा 78 के अनुसार इन परियोजनाओं में हिमाचल की हिस्सेदारी 7.19 प्रतिशत बनती है। इस याचिका में हिस्सेदारी के अतिरिक्त 12% मुफ्त बिजली दिये जाने का भी दावा किया गया था। याचिका में यह राहत मांगी गयी थी।

The plaintiff has accordingly claimed the following reliefs:
(a) A decree declaring that the plaintiff State is entitled to a share of 12% of the net power generated (total power available after deduction of auxiliary consumption and transmission losses) in Bhakra-Nangal and Beas Projects free of cost from the date of commissioning of the projects and further a decree declaring that the defendants are jointly and severally liable to compensate and reimburse the money value of the power to the plaintiff State as per statements II and IV annexed to the plaint;
(b) A decree declaring that the plaintiff State is entitled to 7.19% of the power generated in the Bhakra-Nangal and Beas Projects from the appointed day (01.11.1966) or from the date of commissioning of the projects, whichever is later, out of the share of the then composite State of Punjab on account of the transfer of population to the plaintiff State under the Punjab Reorganisation Act, 1966 and a further decree declaring that the defendants are jointly and severally liable to compensate or reimburse the plaintiff State for the difference between 7.19% of its share out of the share of the then composite State of Punjab and the power received by the plaintiff State under the ad hoc and interim arrangement from the two projects with effect from the appointed day or the commissioning of the projects, whichever is later as per statements I and III annexed to the plaint;
(c) A decree for a sum of Rs.2199.77 (two thousand one hundred ninety nine decimal seven) crores in favour of the plaintiff and against the defendants jointly and severally as compensation/reimbursement for their failure of supply to the plaintiff 12% and 7.19% share of the power generated in the two projects, being the total of the statements I and IV;
(d) A decree for interest, pendente lite and future at the prevailing bank rates till the realization of amount in full;
(e) Costs of the suit;
(f) Other further reliefs as may be deemed fit and proper in the circumstances of the case.

इस याचिका की सुनवाई के दौरान हिमाचल का पक्ष तत्कालीन मुख्य सचिव ए.के. गोस्वामी मुख्य अभियन्ता एवं सचिव विद्युत डॉ.वाई.के.मूर्ति और जिलाधीश प्रबोध सक्सेना ने अदालत में रखा था। इस याचिका का फैसला 27 सितम्बर 2011 को हिमाचल के पक्ष में आ गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने यह राहत हिमाचल प्रदेश को दी है।

(i) The suit is decreed in part against Defendant Nos. 2 and 3 and dismissed against Defendant Nos. 1, 4 and 5.
(ii) It is hereby declared that the Plaintiff-State is entitled to 7.19% of the power of the composite State of Punjab from the Bhakra-Nangal Project with effect from 01.11.1966 and from Beas Project with effect from the dates of production in Unit I and Unit II.
(iii) It is ordered that Defendant No.1 will work out the details of the claim of the Plaintiff-State on the basis of such entitlements of the Plaintiff, Defendant No.2 and Defendant No.3 in the tables in Paragraph 77 of this judgment as well as all other rights and liabilities of the Plaintiff-State, Defendant No.2 and Defendant No.3 in accordance with the provisions of the Punjab Reorganisation Act, 1966 and file a statement in this Court within six months from today stating the amounts due to the Plaintiff-State from Defendant Nos. 3 and 4.
(iv) On the amount found to be due to the Plaintiff- State for the period from 01.11.1966 in the case of Bhakra-Nangal Project and the amount found due
to the Plaintiff-State for the period from the dates of production in the case of Beas Project, the Plaintiff-State would be entitled to 6% interest from Defendant Nos. 2 and 3 till date of payment.
(v) With effect from November 2011, the Plaintiff- State would be given its share of 7.19% as decreed in this judgment.
(vi) The Plaintiff-State will be entitled to a cost of Rs. 5 lakhs from Defendant No.2 and a cost of Rs.5 lakhs from Defendant No.3.
The matter will be listed after six months along with the statements to be prepared and filed by the Defendant No.1 as ordered for verification of the statements and for making the final decree.

इसके अनुसार 01-11- 1966 से हिमाचल को इन परियोजनाओं में 7.19 प्रतिशत की हिस्सेदारी मिलेगी। इसी के साथ पंजाब और हरियाणा 2199.77 करोड़ भी 6% ब्याज सहित हिमाचल को अदा करेंगे। यह याचिका स्व.वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में दायर हुई थी और इसका फैसला प्रेम कुमार धूमल के कार्यकाल के अन्तिम दिनों में आ गया था। लेकिन 2012 से 2022 तक जो सरकारें सत्ता में रही है वह इस फैसले पर अमल नहीं करवा पायी और न ही किसी सरकार ने फैसले से असहमति जताते हुये इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में कोई अपील ही दायर की है। जबकि सुखद संयोग यह रहा है कि आज के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना तो स्वयं इसमें प्रदेश का पक्ष रखने वालों में रहे हैं। उन्हें तो इस फैसले की जानकारी है लेकिन प्रदेश की जनता को इसकी सही जानकारी नहीं है। जयराम सरकार के कार्यकाल में भी चंडीगढ़ के प्रैस क्लब में इस पर एक पत्रकार वार्ता करके बड़े दावे किये गये थे। हिमाचल, हरियाणा और केन्द्र में भाजपा की ही सरकारें थी। लेकिन इस फैसले की अनुपालना की दिशा में कोई कदम नहीं उठाये गये। अब सुक्खू सरकार भी जयराम के नक्शे कदम पर चल कर प्रदेश को दावे परोसने के काम पर लग गयी है। इस सरकार ने चंडीगढ़ में भी हिस्सेदारी मांगने का एक नया अध्याय इसमें जोड़ दिया है। जबकि पंजाब पुनर्गठन आयोग में हिमाचल का चंडीगढ़ में भी हिस्सा होने का कोई जिक्र नहीं है। जिस तरह से यह दावेदारियां की जा रही हैं उससे लगता है कि प्रशासन जानबूझकर राजनीतिक नेतृत्व को उलझाने का काम कर रहा है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद जनता को यह बताये जाने की आवश्यकता है कि इस फैसले को लागू करवाने के लिए क्या कदम उठाये गये है। क्योंकि जब एक बार अदालत में जाने की बाध्यता बन ही चुकी है तब यह मामला कानूनी तरीके से ही सुलझ पायेगा और ब्यानों से नहीं।

राजीव बिन्दल का सरकार पर हमला समान नागरिक संहिता पर स्टैण्ड स्पष्ट करें मुख्यमन्त्री

  • विक्रमादित्य समर्थन कर रहे हैं तो चन्द्र कुमार विरोध

शिमला/शैल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिन्दल ने कहा कि कांग्रेस की सरकार जो सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में चल रही है, इस सरकार में मुख्यमंत्री के अलग दावे हैं और मंत्रियों के अलग दावे हैं। मुख्यमंत्री कहते है कि हम 97 प्रतिशत हिन्दू आबादी वाले प्रदेश में हिन्दुवादी भाजपा को हराकर सत्ता में आये हैं। इसके जवाब में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य कहते है कि मेरे से बड़ा कोई हिन्दू नहीं है परन्तु मुख्यमंत्री अपने ब्यान पर कायम है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आज देशभर में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए बहस छिड़ी हुई है। इस बहस में लोक निर्माण मंत्री कहते हैं कि समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिये और आज कांग्रेस पार्टी के वयोवृद्ध नेता चौधरी चन्द्र कुमार ने ब्यान दिया है कि समान नागरिक संहिता कानून की कोई जरूरत नहीं है। उन्होनें यहां तक कह दिया कि विक्रमादित्य जो कह रहे हैं वो न तो सरकार का मत है और न ही कांग्रेस पार्टी का मत है।
डॉ. राजीव बिन्दल ने मुख्यमंत्री से सवाल पूछते हुये कहा कि वह स्पष्ट करें कि वो समान नागरिक संहिता के पक्ष में है या विरोध में। उन्होनें यह भी कहा कि वोटों के लालच में कांग्रेस पार्टी समान नागरिक संहिता का विरोध कर रही है और एक-दो लोगों को इस काम पर लगाया हुआ है कि वे विषय को विषयांतर करते रहे। अतः हिमाचल की जनता के सामने यह स्पष्ट रूप से आना चाहिये कि समान नागरिक संहिता कानून के बारे में सरकार का अधिकारिक मत क्या है और कांग्रेस का अधिकारिक मत क्या है।

कांग्रेस की गारंटीयों पर सुक्खू सरकार की परफॉरमैन्स से हाईकमान चिंन्ता में

  • सुक्खू सरकार की परफॉरमैन्स का चुनावी राज्यों पर असर पड़ना तय
  • शिमला में प्रस्तावित विपक्ष की बैठक में यह परफॉरमैन्स स्वतः ही सामने आ जायेगी
  • गारंटीयां तो दूर सत्ता परिवर्तन का एहसास नहीं तक नहीं करवा पायी है सरकार
  • भाजपा काल का प्रशासन ही हावी है शीर्ष से लेकर फील्ड तक

शिमला/शैल। जब से कांग्रेस हाईकमान द्वारा करवाये गये सर्वे में यह सामने आया है कि हिमाचल में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट मिलने नहीं जा रही है और वरिष्ठ नेता ठाकुर कौल सिंह को हाईकमान ने दिल्ली बुलाया है तब से प्रदेश की राजनीति में हलचल बढ़ गयी है। यह चर्चा में आया है कि प्रदेश के हालात पर कॉल सिंह ने एक रिपोर्ट हाईकमान को सौंपी है जिसमें तेईस विधायकों और चार मंत्रियों के हस्ताक्षर हैं। यह चर्चा सामने आने के बाद मुख्यमंत्री भी दिल्ली गये। दिल्ली में मुख्यमंत्री की पहले दिन प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला फिर राहुल गांधी तथा देर शाम के.सी. वेणुगोपाल से मुलाकात हुई। दूसरे दिन फिर राजीव शुक्ला से दो दौर की बैठक हुई। अगले दिन प्रियंका गांधी से मुलाकात हुई। इसी दौरान प्रदेश के मुख्य सचिव भी दिल्ली पहुंचे। शायद वह चिदम्बरम वाले आईएनएक्स मीडिया मामले में दिल्ली गये थे क्योंकि इसमें वह भी सह अभियुक्त हैं और माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले यह मामला निर्णायक बिंन्दु पर पहुंच जायेगा। इस समय सीबीआई कोर्ट में विचाराधीन चल रहा है।
मुख्यमंत्री की दिल्ली यात्रा के बाद मंत्रिमंडल में विस्तार और विभिन्न निगमों/बोर्डों में संभावित ताज पोशीयों को लेकर चर्चाएं गर्म हो गयी हैं। लेकिन इसी दौरान छः बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे स्व. वीरभद्र सिंह के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री और कुछ अन्य मंत्री शिमला में मौजूद होने के बावजूद नहीं आये उससे न चाहते हुये भी प्रदेश की जनता में यह संदेश चला गया कि सरकार और संगठन में सब अच्छा नहीं चल रहा है। स्व. वीरभद्र सिंह का प्रदेश की राजनीति और प्रदेश की जनता के दिलों में जो स्थान है उसे काम के सहारे भी विस्थापित करने में लम्बा समय लगेगा। इसलिये सार्वजनिक आचरण में जरा सा भी है संकेत जाना कि उनकी अहमियत कम करने का प्रयास किया जा रहा है राजनीतिक रूप से आत्मघाती होगा। अभी तो अगले विधानसभा चुनाव में भी वीरभद्र सिंह प्रसांगिक रहेंगे। लेकिन इस मौके पर जो सियासत की गयी है उससे सरकार की प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगे हैं। यह सब कुछ रिपोर्ट हुआ है और दिल्ली तक पहुंचा है।
दूसरी ओर वित्तीय संकट चलते कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान तक नहीं हो पा रहा है। हजारों कर्मचारी हर महीने प्रभावित हो रहे हैं और यह संख्या लगातार बढ़ती जायेगी यह शीर्ष प्रशासन ने भी मानना शुरू कर दिया है। इसी संकट के चलते सरकार गारंटीयां लागू नहीं कर पा रही है। ओ.पी. एस. बहाली से बड़ा मुद्दा 2021 में हुये वेतन मान संशोधन के फलस्वरूप 2016 से 2021 तक सेवानिवृत्त हुये कर्मचारियों को इस संशोधन के अनुसार एरियर का भुगतान न होना बनता जा रहा है। क्योंकि ओ.पी.एस. का असर सरकार के इस कार्यकाल में नहीं के बराबर पड़ना है। आरोप है कि सरकार के पास कर्मचारियों का 2000 करोड़ जमा है जिस पर सरकार चार सौ करोड़ से ज्यादा ब्याज कमा चुकी है। वित्तीय स्थिति के कारण यदि कर्मचारियों को भुगतान तक नहीं हो पा रहा है तो उस स्थिति में बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणा किस आधार पर की जा रही है? क्या कर्ज लेकर बड़े ठेकेदारों को ही भुगतान किये जा रहे हैं यह सवाल उठने शुरू हो गये हैं। दिल्ली तक यह जानकारीयां भी पहुंच चुकी है। लेकिन मुख्यमंत्री इस सबको भ्रामक प्रचार कहकर जो
नकायने का प्रयास कर रहे हैं उससे स्थिति और भी हास्य पद होती जा रही है।
भ्रष्टाचार के किसी भी मामले पर कारवाई न करना सरकार की नीति बन गयी है। बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ बात करने वालों की आवाज दबाने का प्रयास किया जा रहा है। इस परिदृश्य में यह स्पष्ट है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कोई सफलता मिलने वाली नहीं है। आने वाले दिनों में यह और भी रोचक हो जायेगा कि जिन चार प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं वहां पर भी जब हिमाचल की तर्ज पर कांग्रेस गारंटीयां घोषित करेगी तो वहां पर विपक्ष हिमाचल की सुक्खू सरकार की परफॉर्मेंस का लेखा-जोखा जनता के सामने रखकर कांग्रेस को परेशानी में डाल देगा। अभी जुलाई में विपक्ष की शिमला में बैठक होने जा रही है उस बैठक में शामिल होने वाले नेताओं को जब अपने स्तर पर ही प्रदेश सरकार की परफॉर्मेंस कि यह व्यवहारिक जानकारी मिल जायेगी कि यह सरकार गारंटीयां लागू करना तो दूर बल्कि समय पर वेतन का भुगतान भी नहीं कर पा रही है तब हाईकमान के लिये यह एक बहुत ही असहज स्थिति बन जायेगी। क्योंकि व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर जिस तरह यह सरकार अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को ही सत्ता परिवर्तन का एहसास नहीं करवा पायी है उससे ज्यादा हास्यपद और कुछ नहीं हो सकता। भाजपा काल के प्रशासन को ही यह सरकार शीर्ष पर क्यों बैठाये हुए हैं इस सवाल का जवाब खोजने में शायद अब हाईकमान भी लग गयी है क्योंकि हिमाचल का प्रभाव दूसरे राज्यों पर भी पड़ेगा हाईकमान इससे चिन्तित है।

More Articles...

  1. हिमाचल में कांग्रेस को लोस की एक सीट नहीं पार्टी के सर्वे में खुलासा
  2. वित्त वर्ष के दो माह में ही खजाना खाली क्यों हो गया?
  3. क्या गारंटियां देते समय कांग्रेस को वित्तीय स्थिति का ज्ञान नहीं था भाजपा
  4. क्या सरकार में आपसी तालमेल का अभाव है
  5. उपमुख्यमंत्री के खिलाफ आयी याचिका से भाजपा की नीयत और नीति पर उठे सवाल
  6. सुक्खू सरकार के खिलाफ भी शुरू हुई पत्र बम्ब रणनीति
  7. क्या कर्नाटक का परिणाम हिमाचल को भी प्रभावित करेगा
  8. सरकार गिरने के दावे करने वाली भाजपा की हार क्यों हुई
  9. उप-मुख्यमंत्री के पदनाम को भी मिली उच्च न्यायालय में चुनौती
  10. वाटर सैस लगाकर संसाधन जुटाने पर लगा प्रश्नचिन्ह
  11. डॉ. राजीव बिन्दल के पुनः प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने के राजनीतिक मायने
  12. ‘‘देश के गद्दारों को गोली मारो’’ प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट से नोटिस जारी
  13. घटती जा रही है केंद्रीय सहायता-तीन वर्षों में मिले 55150 करोड़
  14. क्या हिमाचल सरकार 1975 के आपातकाल को सही मानती है
  15. पहले 2000 मेगावाट का उत्पादन होगा उसके बाद दी जाएगी 300 यूनिट बिजली मुफ्त
  16. ओल्ड पैन्शन बहाली के प्रचार-प्रसार पर 18 दिनों में 53,66,951 रूपये खर्च किये सुक्खु सरकार ने
  17. ग्लोबल इन्वैस्टर मीट में हस्ताक्षरित 96720 करोड़ के निवेश और 1,96,800 रोजगारों का क्या हुआ
  18. व्यवस्था परिवर्तन के दावों का प्रशासन पर नहीं है कोई असर
  19. शिवधाम परियोजना में बजट का होना न होना बना विवाद
  20. जब वित्त वर्ष 2022-23 का घाटा ही 1064.35 करोड़ है तो प्रतिमाह इतना कर्ज क्यों?

Subcategories

  • लीगल
  • सोशल मूवमेंट
  • आपदा
  • पोलिटिकल

    The Joomla! content management system lets you create webpages of various types using extensions. There are 5 basic types of extensions: components, modules, templates, languages, and plugins. Your website includes the extensions you need to create a basic website in English, but thousands of additional extensions of all types are available. The Joomla! Extensions Directory is the largest directory of Joomla! extensions.

  • शिक्षा

    We search the whole countryside for the best fruit growers.

    You can let each supplier have a page that he or she can edit. To see this in action you will need to create a users who is in the suppliers group.  
    Create one page in the growers category for that user and make that supplier the author of the page.  That user will be able to edit his or her page.

    This illustrates the use of the Edit Own permission.

  • पर्यावरण

Facebook



  Search