आदरणीय महानुभाव
पाएं लागूं
कुशलता के समानान्तर ढेर सारे खतरों के बीच बैठा मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूँ और आपकी कुशलता की प्रभु से कामना कर रहा हूँ. आप मुझे नहीं जानते फिर भी मैं यह जानता हूँ कि आजकल आपको मेरी तलाश है बल्कि मुझे लग रहा है आप मेरे बारे में चिंतित भी हैं, बकौल दीवार फिल्म का अमिताभ ‘आप मुझे ढूँढ रहे हैं और मैं यहाँ हूँ बिल्कुल आपके आसपास’ आपका कृपाकटाक्ष पाने के लिए बेचैन हर बार मुझे लगता है मेरे दिन फिरने वाले हैं। हर बार मैं ठगा जाता हूँ, मैं दुखी इसलिए हूँ कि मेरे ठगे जाने का आपके मन में कोई मलाल ही नहीं है।
मेरी पहचान और मेरी औकात इतनी भर है कि मैं वोटर हूँ, संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र का वोटर, मुझे आप हिकारत और शरारत से एक दिन का राजा कहते हैं। जितनी चिंता आपको मेरी है आजकल मुझे सचमुच राजा जैसी बेचैनी हो रही है, यह भी नहीं जानता कि वोटर होना मेरे लिए वरदान या है या अभिशाप, मैं बड़ी उम्मीदों और उत्साह से वोट डालने जाता हूँ पर ज्योंही मैं अपना वोट डालता हूँ त्योंही अपनी लोकतान्त्रिक शक्तियों से च्युत हो जाता हूँ और फिर पांच साल बाद आने वाले उस दिन का इंतजार करने बैठ जाता हूँ जब मुझे फिर से राजा बनाया या समझा जाएगा। पिछले 60 सालों का अनुभव है कि यह पांच साल बड़े पीड़ादायक होते हैं। अपनी जीत की खुशी में जब आप जलूस निकाल रहे होते हैं हारों से लदे फदे, चेहरे पर प्लास्टिक मुस्कान चिपकाए, हवा में ही हाथ जोड़े उस अनाम भीड़ का अभिवादन, धन्यवाद कर रहे होते हैं तब मैं कहाँ होता हूँ यह सोचने या जानने की आपको फुर्सत नहीं होती। आप जब कोई मंत्री पद या निगम का अध्यक्ष पद हथियाने के लिए राजनेतिक गोटियाँ भिड़ा रहे होते हैं उस समय मैं अकेला नीम अँधेरे में आपके चुनावी घोषणा पत्र को उन्नीसवीं बार पढने की कोशिश कर रहा होता हूँ।
मान्यवर! मैं वोटर हूँ जानता हूँ कि यही मेरी नियति है मुझे आपसे कोई बहुत बड़ी उम्मीद पालनी ही नहीं चाहिए। ले देकर एक वोट ही है न मेरे पास, वो पहले ही आपके नाम हो चुका है, अब मेरे पास बचा ही क्या है। आप अपने आलीशान सरकारी बंगले या लक्जरी फ्लैट में आराम से पसरे मेरे बारे में ही सोच रहे होंगे ऐसी कल्पना भर मेरे लिए बहुत सुखदायक होती है, परन्तु आप क्या सोचते हैं क्या करते हैं यह जान पाने का कोई माध्यम नहीं है मेरे पास। आपकी भी अपनी मजबूरीयां हैं, अपनी प्राथमिकताएं हैं, अपने सपने हैं, अपनी महत्वकांक्षाएँ हैं, उसमे मैं कहाँ आता हूँ, फिर भी मैं हर बार आपका बहुमूल्य ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने की धृष्टता करता हूँ। मैंने आपको भाग्यविधाता बना कर राजधानी भेज दिया अब मेरे भाग्य में जो लिखा है वही होगा। अपने वादों और आश्वासनों का पुलिंदा जो आपने मुझे दिया है वह मेरी घोर हताशा के अँधेरे में एकमात्रा उजाले की किरण है। मैं आपके दिए इस पुलिंदे को बहुत सहेज कर रखता हूँ, गरीब बच्चे के खिलोने की तरह।
इस बार भी आप मुझे अच्छे अच्छे जादुई खिलौनों से बहलाने का प्रयास कर रहे हैं। आप इस बार भी नई नीतियों नई योजनाओं नये संकल्पों नये वादों का मरहम लेकर आये हैं- पर क्या करूं मेरे जख्मों कि टीस कम नहीं होती। इस बार भी आप गरीबी, महंगाई, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के प्रति इतने चिंतित दिख रहे हैं कि मन यकीन करने का हो रहा है लग रहा है कि यह सब बुराइयाँ बीमारियाँ गयीं कि गयीं। सभी राजनीतिक दलों में गरीब मजलूम के लिए चिंतित दिखने की अद्भुत होड़ है। चोर सिपाही में प्रेममयी गठजोड़ है। लगता है लोकतंत्र अपने परम पवित्र रूप में इस पावन धरा पर अवतरित हो रहा है। मैं तो पूरी तरह चमत्कृत हूँ। पहले मैं सडक किनारे ताजा फूलों के हार लिए आपके लिए खड़ा रहता था और आप लालबत्ती की खतरे वाली गाडी में एक अजीब भयानक सी आवाज करते हुए मेरे सामने से सीधे विश्राम गृह की ओर निकल जाते थे जहाँ खाकी वर्दी पहने कुछ लोग ठक ठक बंदूकें उठाकर आपको सलाम करते थे। मेरे दिल की दुआ और हाथों के फूल मायूसी में मुरझा जाते थे। कितने अचम्भे की बात है कि आज आप स्वयं पैदल चल कर मेरे पास आ रहे हैं। मैं तो कृतज्ञ हो गया। जनाब आप इतना कष्ट न उठाएं, आपका शरीर और आपके पांव इसके अभ्यस्त नहीं हैं। ;पांच साल आपके पांवों में रहता हूँ इसलिए जानता हूँद्ध आप केवल इतना बता दें कि जो कुछ आप मंचों से भाषणों में या चुनावी घोषणा पत्रों में कह रहे हैं- वह सच है? क्या सचमुच इस बार आप इतने अच्छे काम करने वाले हैं? अगर ऐसा है तो मैं भुजा उठाकर कहता हूँ कि मेरा वोट क्या मेरा तन मन भी आप पर फिदा होगा, और अगर जीवन में कभी मेरे पास धन आया तो वह भी आप पर ही न्योछावर होगा। आफ्टर आल आपकी तरह मैं भी देशभक्त हूँ जी।
आपने कल अपने भाषण में भ्रष्टाचार की खिलाफत की सो बहुत ही अच्छा किया। आप ऐसा करते रहेंगे तो भ्रष्टाचारियों को भी सम्मान के साथ जीने का अवसर मिलेगा। समाज में समानता के नये अध्याय का सूत्रपात होगा जी। बापू का सपना पूरा होगा दरअसल भ्रष्टाचार के विषय में आप जब भी मुंह खोलते हैं शोर करते हैं, तमतमाते हैं तो सच में मुझे बहुत अच्छा लगता है। यह अलग बात है कि कुछ सिरफिरे आप को ही भ्रष्टाचारी कहने लगते हैं, पर मैं आपकी बात मानता हूँ, कोई अपने भाषण में इतना झूठ थोड़े ही बोल सकता है! जो लोग झूठ बोलते हैं जी आप ऐसे लोगों को जरुर सबक सिखाना जी।
बुरा न माने तो एक बात कहूँ पता नहीं मुझे क्यूँ लगता है कि आप जनता रूपी विक्रमादित्य के बैताल हैं। जब जब विक्रमादित्य मुंह खोलेगा आप गायब हो जाएंगे, पर विक्रमादित्य फिर पांच साल के लिए आपको कंधे पर लाद लेगा और आप उसे फिर कोई मनघडन्त कहानी सुनाएंगे वह फिर मुंह खोलेगा और आप फिर गायब। यह अनोखा खेल चलता ही रहेगा। आप ही बताएं मान्यवर! इस खेल में कौन क्या मजा आ रहा है? आमजन तो ठगा ही जा रहा है न, जिसकी आपको इतनी चिंता है उसे बार बार जख्म देना और फिर दहाड़ मार कर हँसना आपको अच्छा लगता है क्या? आप बहुत समझदार हैं जी, आपको क्या बताना। आप वहां संसद में बड़ी बड़ी बातें भी करते हैं जो मुझे समझ नहीं आतीं। मुझे लगता है कि अभी आप मेरा जिक्र भी करेंगे पर ऐसा कभी नहीं होता। कभी कभी आप सो भी जाते हैं जी वहां. टी वी दिखाता है।
इस बार आप राम भगवान के मन्दिर का भी जिक्र कर रहे हैं अपने भाषणों में, अच्छा है जी मन्दिर बना दो, कहीं भी बना दो जी, हम मत्था टेक लेंगे जी। भगवन तो भगवन हैं पर हमारे भगवान तो आप ही हैं जी। आप हमारे बेटे को नौकरी जरुर पर जरुर दिला देना, बडा उदास रहता है। बाकि आप सब जाणी जान है। गैस वालों को भी बोलना सिलिंडर के पैसे थोड़े घट लिया करें। पुगाणा मुश्किल हो गया है जी। वोट तो मैं आप को डाल दूंगा जी पक्का।
शिमला/शैल। प्रदेश को केन्द्र की ओर से 68 राष्ट्रीय राजमार्ग मिले हैं। यह घोषणा विधानसभा चुनावों से बहुत पहले ही कर दी गयी थी। इस घोषणा पर यकीन करने के लिये उस समय केन्द्रिय स्वास्थ्य मन्त्री जगत प्रकाश नड्डा के नाम आया नितिन गडकरीे का पत्र भी जारी किया गया था। इस पत्र में यह दावा किया गया था कि इन राजमार्गों को सैद्धान्तिक मंजूरी मिल चुकी है। लेकिन विधानसभा में मुकेश अग्निहोत्री के एक सवाल के जवाब में आयी जानकारी के मुताबिक यह राजमार्ग अभी भी सैद्धान्तिक स्वीकृति से आगे नही बढ़ पाये हैं। इस सदन में कांग्रेस ने वाकआऊट किया और इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार को खनन माफिया चलाता था।
केंद्र सरकार से प्रदेश को 68 सड़कों को बतौर राष्ट्रीय राजमार्गों की सैंद्धातिक मंजूरी मिलने के बाद इनमें से एक को भी असल में मंजूरी न मिलने पर राज्यपाल के अभिभाषण
पर हुई चर्चा पर मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन से नारेबाजी करते हुए दो बार वाकआउट किया। राज्यपाल के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में कांग्रेस, माकपा व भाजपा विधायकों की ओर से भाग लेने के बाद चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि अभी तो बजट को पास हुए नौ महीने ही हुए हैं। कई घोषणाएं जमीन पर उतर चुकी हैं। बाकियों की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का तो अभी एक ही साल पूरा हुआ है। अभी तो चार साल बाकी हैं। हेलीटैक्सी सेवा की शुरूआत कांग्रेस की पूर्व सरकार की 2015 के बजट में की गई घोषणा का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना दिसंबर 2018 तक कांग्रेस सरकार शुरू नहीं करा पाई। इससे पहले मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और बाकी कांग्रेस विधायकों की ओर से यह कहने पर कि एक साल में कुछ भी नहीं हुआ पर आपति जताते हुए कहा कि जमीन पर बहुत कुछ हुआ है व विपक्ष इससे बैचेन हो गया है। राष्ट्रीय राजमार्गों को लेकर मुख्यमंत्री ने इन राजमार्गों को सवा दो साल पहले सैंद्धातिक मंजूरी मिल गई थी। लेकिन इसका भाजपा को राजनीतिक लाभ न मिले इसलिए कांग्रेस की वीरभद्र सिंह सरकार ने इसकी डीपीआर बनाने की प्रक्रिया रोक दी। केवल आठ सड़कों की डीपीआर बनाने का काम आउटसोर्स पर देने की प्रक्रिया शुरू की जबकि केंद्र सरकार ने कहा था कि इन तमाम राजमार्गो पर केंद्र खर्च करेगा। डीपीआर बनाने का खर्च भी केंद्र देगा। लेकिन कुछ नहीं किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने एक साल में 50 सड़कों की डीपीआर बनाने की प्रक्रिया पूरी कर दी है व जल्द ही इनके मंजूर होने पर सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को विधिवत तौर पर नंबर भी आवंटित हो जाएंगे। जवाब दे रहे मुख्यमंत्री को टोकते हुए मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि 65 हजार करोड़ में से कितनी रकम मिली। धन्यावाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष के निशाने पर रहे जनमंच कार्यक्रम को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार गांवों में जाकर लोगों की समस्याएं हल करना यह उनकी प्राथमिकता है। अभी 65 हलकों में 106 जनमंच कार्यक्रम हुए हैं और 30 हजार से ज्यादा शिकायतों व मांगपत्रों में से 26हजार 688 को समाधान किया जा चुका है। 277 स्वास्थ्य शिविरों में 45 हजार से ज्यादा लोगो के स्वास्थ्य की जांच की गई। 21 हजार से ज्यादा लाभार्थियों के कागजात बनाए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कार्यक्रम में कोई किसी से नहीं पूछता कि वह किस पार्टी का है। लोग समस्याएं लेकर आते हैं व उनका समाधान कर दिया जाता है।
हेलीकाप्टर के मसले पर विपक्ष को घेरते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2016 में कांग्रेस की सरकार में हेलीकाप्टर पर आठ करोड़ 31 लाख रुपए का खर्च आया। 2017 में आठ करोड़ 78 लाख का खर्च आया लेकिन पिछले एक साल में हेलीकाप्टर पर 7 करोड़ 78 लाख रुपए खर्च आया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने सप्ताह में तीन दिन के लिए अपने हेलीकाप्टर को सैलानियों को लाने ले जाने के लिए दे रखा है। लेकिन पिछले साल सितंबर में पहली बार लाहुल स्पिति में भारी बर्फ बारी हुई व उसमें लोग फंस गए। सरकार की प्राथमिकता पर लाहुल स्पिति में फंसे लोग आ गए। बीच में दो महीने यह खराब रहा। तब से लेकर यह वहीं पर लगा हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने उड़ानों पर उतर पूर्वी राज्यों को उपदान देने की योजना चलाई। कांग्रेस सरकार ने इस योजना का लाभ नहीं उठाया जबकि उनकी सरकार ने इस योजना के तहत केंद्र से सात करोड़ 38 लाख रुपए हासिल कर लिए हैं। यानी जितना खर्च हुआ उतना केंद्र से वसूल लिया।
इस बीच मुकेश ने फिर टोका व कहा कि बजट में जिन योजनाओं की घोषणा की थी उन पर रोशनी डाले। इस बीच दोनों ओर से शोर शराबा हो गया और मुख्यमंत्री बैठ गए। दोनों से शोर-शराबा होता रहा और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह समेत सभी कांग्रेस विधायकों ने सदन से वाकआउट कर दिया। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हर जगह राजनीति करना अच्छी बात नहीं हैं।
कांग्रेस विधायकों की गैरमौजूदगी में मुख्यमंत्री ने कहा कि एक साल में 10 हजार 300 करोड़ की बाहरी वितीय संस्थानों से पोषित योजनाओं को मंजूर कराया गया है। कानून व्यवस्था को लेकर उन्होंने कहा कि पहले अपराध होता था तो अपराधी पकड़े नहीं जाते थे। लेकिन अब यह सुनिश्चित कर दिया गया है कि अपराधियों को सजा मिलेगी ही। उन्होंने कहा कि 2018 में 19594 एफआइआर दर्ज हुई है व इनमें मादक पदार्थों से जुड़े मामले में 32 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। पिछली सरकार में नशे का कारोबार करने वाले लोग पकड़े ही नहीं जाते थे। किसी को पकड़ लिया गया तो पकड़ने वाले का ही तबादला हो जाता था। लेकिन अब किसी को छोड़ा नहीं जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार में खनन माफिया सरकार को चला रहा था। कोई पूछने वाला नहीं था और ऐसे ही माफियाओं ने सरकार को दफन भी कर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में 6789 चलान कर तीन करोड़ 33 लाख जुर्माना लगाया गया 36 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने कहा कि अपराधी छूटे न सरकार यह सुनिश्चिति कर रही है।
इससे पहले प्रश्नकाल के दौरान राष्टकृीय राजमार्गों के मसले पर मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर कांग्रेस के सभी विधायकों ने नारेबाजी करते हुए सदन से वाॅकआउट कर दिया। मुख्यमंत्री ने मुकेश अग्निहोत्री की ओर से पूछे प्रश्न के जवाब में कहा था के प्रदेश सरकार ने केंद्र से सभी राष्ट्रीय राजमार्गों की मंजूर करने का मामला उठाया है। इस पर मुकेश ने कहा कि अभी तक एक भी राजमार्ग मंजूर नहीं हुआ है। ऐसे में प्रदेश सरकार इस मसले पर पिछले एक साल से शोर मचा रही है कि प्रदेश को 70 राजमार्ग मिल गए जबकि जमीनी असलियत कुछ और है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डीपीआर तैयार कर दी गई है। प्रक्रियाओं को पूरा किया जा रहा है। केंद्र से डीपीआर के लिए 173 करोड़ मिल चुका है।
इससे पहले कि विधानसभा स्पीकर राजीव बिंदल प्रश्नकाल समाप्त करने की घोषणा करते नरेबाजी करते हुए सभी कांगेस विधायकों ने सदन से वाकआउट कर दिया।
जयराम सरकार के एक साल पूरा होने पर धर्मशाला में आयोजित की गई जन आभार रैली पर सरकारी खजाने से 2 करोड़ 31 लाख 41 हजार 187 रुपए खर्च किए गए है। इस रैली के लिए 44 सरकारी व 63 बसें लगाई गई थी। याद रहे इस रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खासतौर पर शिरकत की थी।
प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी की ओर से पूछे गए प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा लिखित में यह जानकारी दी गई।
शिमला/शैल। जनमंच जयराम सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है लेकिन विपक्ष इसे कई बार झण्ड मंच करार दे चुका है। अभी राजधानी में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज और शिमला की मेयर के बीच हुआ संवाद जिस तर्ज पर पहुंच गया था उससे इस कार्यक्रम की उपादेयता पर फिर से प्रश्नचिन्ह लगने शुरू हो गये हैं। यही नही यह सवाल भी उठने लग पड़ा है कि क्या इस मंच के माध्यम से सही में गंभीर समस्याओं का हल निकल पा रहा है? क्योंकि इस जनमंच से पहले इसके लिये जो प्री मंच खलीणी में आयोजित किया गया था उसमें एक विषय आया था कि पटवार खानों में बिजली का मीटर किसके नाम पर लगाया जाये। क्योंकि इस समय प्रदेशभर में पटवार खानों में यह मीटर पटवारी के नाम पर लगाया जाता है। जब पटवारी का तबादला हो जाता है तब वह इसे अपने नाम से कटवा देता है। फिर उसके स्थान पर आने वाला पटवारी नये सिरे उसी प्रक्रिया से गुजरता है और कई-कई दिन तक पटवारखानों मेें बिजली बाधित रहती है।
प्री मंच में इस समस्या पर लम्बी चर्चा हुई लेकिन इसका कोई समाधान नही निकला। विद्युत और राजस्व विभाग दोनों के पास इसका कोई ठोस हल नही था। लेकिन जब इस प्री मंच के बाद जनमंच आयोजित हुआ तब इस समस्या को वहां पर उठाया ही नही गया जब कि इस मंच पर अधिकारियों के साथ सरकार के दो वरिष्ठ मन्त्री मौजूद थे। इससे यह सामने आता है कि इस मंच पर गंभीर और बुनियादी समस्याओं के लिये कोई स्थान नही है जबकि पटवार खानों में बिजली के मीटरों की यह समस्या पूरे प्रदेशभर की है। लेकिन आज तक कंही से भी यह समस्या चर्चा में नही आयी है और अब जब प्री मंच में यह उठी तो इसे फिर पूरे जनमंच पर आने ही नही दिया गया। इससे जनमंच कार्यक्रमों की प्रसांगिकता पर सवाल उठने लग पड़े है।
जयराम सरकार के महत्वकांक्षी जनमंच कार्यक्रम के तहत राजधानी में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज सरेआम सबके सामने नगर निगम शिमला की महापौर कुसुम सदरेट पर ही भड़क गए। कुसुम सदरेट भाजपा की ही महापौर हैं। राजधानी के राजकीय महाविद्यालय कोटशेरा में आयोजित जनमंच के मौके पर कृष्णानगर वार्ड से पूर्व भाजपा पार्षद रजनी ने अपने वार्ड में पानी के कनेक्शन न मिलने का मसला उठाया। उन्होंने महापौर कुसुम सदरेट को निशाने पर लेते हुए कहा कि नगर निगम इस बावत कुछ काम नहीं कर रहा है। इस पर कुसुम सदरेट ने कहा कि निगम में काम हो रहे हैं। सदरेट का बीच में बोलना शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज को नागवार गुजरा और वह अपनी सीट पर खड़े होकर उनके साथ ही मंच पर बैठी कुसुम सदरेट पर भड़क गए। उन्होंने तलख लहजे में कहा कि शिकायतकर्ता अपनी बात कहना चाह रही है और आप उन्हें बात करने से रोक रही हैं। यह कोई तरीका नहीं हैं। समस्याएं सुननी हैं और उनका समाधान निकालना है। यह नजारा देख कर वहां मौजूद सब लोग सन्न रह गए। हालांकि कुसुम सदरेट ने कोई जवाब नहीं दिया व कार्यकम की अध्यक्षता कर रही शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी ने सुरेश भारद्वाज को चुप कराकर बिठा दिया। इसके बाद महापौर कुसुम सदरेट पूरे कार्यक्रम में कुछ नहीं बोली।
याद रहे विपक्षी पार्टी कांग्रेस पहले ही जनमंच कार्यक्रम को लेकर सरकार पर निशाना साध चुकी है। कांग्रेस इल्जाम लगा चुकी है जनमंच कार्यक्रम लोगों के सामने अधिकारियों को भड़काने का कार्यक्रम बन चुका है। लेकिन जयराम सरकार के मंत्री अपनी ही महापौर पर भड़क गए। पूर्व पार्षद रजनी को भारद्वाज की करीबी बताया जाता है। कई मामलों को लेकर भारद्वाज महापौर से खफा चल रहे हैं।
बीते दिनों ही नगर निगम के सदन में उप महापौर राकेश शर्मा व भाजपा की ही पार्षद आरती के बीच नोकझोंक हो गई थी व इसका वीडियो भी वायरल हो गया। उप महापौर भी भाजपा के ही हैं। भारद्वाज जिस तरह से महापौर पर भड़के उसका भी वीडियो वायरल हो गया है। इस बावत महापौर कुसुम सदरेट ने कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी है।
शिमला/शैल। नगर निगम शिमला के सांगटी वार्ड से भाजपा ने पहली बार जीत दर्ज की है। इससे पहले यहां पर माकपा और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। यह दूसरी बात है कि इस जीत की पटकथा लिखने के लिये भाजपा को उसी चेहरे पर दाव खेलना पड़ा जिसे वह कांग्रेस में सेंध लगाकर भाजपा में लायी थी। भाजपा की जीत का चेहरा बनी मीरा शर्मा ने इस वार्ड से तीसरी बार तीसरे दल में आकर भी अपनी जीत बरकरार रखी है। इस तरह भाजपा की यह उसकी विचारधारा की नही बल्कि उसकी जोड़तोड़ की जीत ज्यादा मानी जा रही है। क्योंकि यही मीरा शर्मा सबसे पहले यहां से माकपा और फिर कांग्रेस से जीत चुकी है। हालांकि इस बार प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद वह केवल 44 मतों से ही जीत पायी है जबकि कांग्रेस में वह 271 मतों से जीती थी। लेकिन जीत का अपना ही एक अलग अर्थ होता है और नगर निगम शिमला का प्रदेश की राजनीति में एक केन्द्रिय स्थान है। चुनाव की दृष्टि से शिमला को मिनी हिमाचल माना जाता है इस नाते इस जीत के राजनीतिक मायने अलग हो जाते हैं। भाजपा में इस जोड़-तोड़ का पूरा श्रेय शिमला के विधायक शिक्षा मन्त्री सुरेश भारद्वाज और चौपाल के विधायक बलवीर वर्मा के प्रबन्धन को जाता है जिन्होंने मीरा को ओकओवर में बिल्कुल गुपचुप तरीके से भाजपा में शामिल करवाया तथा इससे पहले किसी को भी इसकी भनक तक नही लगने दी।
शिमला पूरा जिला कांग्रेस गढ़ माना जाता रहा है क्योंकि इसी शिमला के वीरभद्र प्रदेश के छः बार मुख्यमन्त्री रह चुके हैं। फिर जब नगर निगम शिमला के चुनाव हुए थे तब वीरभद्र स्वयं चुनाव प्रचार में उत्तरे थे। माना जाता है कि जिला शिमला की राजनीति में उनके परोक्ष/ अपरोक्ष दखल के बिना कुछ भी नहीं घटता है। फिर इस उपचुनाव से पहले ही प्रदेश कांग्रेस को इसी जिले के कुमारसेन से कुलदीप राठौर के रूप में नया अध्यक्ष भी मिल गया था। इस परिप्रेक्ष में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि भाजपा न केवल कांग्रेस का प्रत्याशी ही सेंध लगाकर छीनने में कामयाब हुई बल्कि वीरभद्र के शिमला में यह जीत दर्ज करने में भी सफल हो गयी।
अब प्रदेश में लोकसभा चुनाव होने है और यह चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनो के लिये महत्वपूर्ण होंगे। इन चुनावों में साम, दाम, दण्ड और भेद सबका बराबर इस्तेमाल किया जायेगा। अभी भाजपा के शिमला से वर्तमान सांसद वीरेन्द्र कश्यप के खिलाफ ‘‘कैश आन कैमरा’’ मामले में अदालत में आरोप तय हो गये हैं। इसी के साथ विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिन्दल का मामला भी अदालत में गंभीर मोड़ पर है। सरकार इसे वापिस लेने के लिये अदालत में आग्रह दायर कर चुकी है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऐसे मामलों में दिये गये फैसलों के परिप्रेक्ष में इसे वापिस का पाना अदालत के लिये भी बहुत आसान नही रह गया है क्योंकि इसमें अभियोजन पक्ष की ओर से सारी गवाहीयां हो चुकी है। अब केवल डिफैन्स की ओर से ही गवाहीयां आनी है। ऐसे में इस स्टैज पर इस मामले के वापिस होने पर कई सवाल उठेंगे और यह भी संभव है कि कोई भी इसे उच्च न्यायालय के संज्ञान में ले आये तथा यह सरकार के लिये पेरशानी का कारण बन जाये।
इस परिदृश्य में सरकार और भाजपा के लिये सांगटी में मिली जीत को लोकसभा में दोहराने के लिये काफी संभलकर चलना होगा। क्योंकि यह स्वभाविक होगा कि कांग्रेस का नया अध्यक्ष इस हार के कारणों पर रिपोर्ट लेगा ही। ऐसे में जिस तरह की ब्यानबाजी इस चुनाव तक बड़े नेताओ की आती रही है उसका कड़ा संज्ञान लेते हुए इस तरह के आचरण पर कड़ाई से रोक लगायी जाये। अबतक भाजपा को कांग्रेस के अन्दर बनती इस तरह की स्थितियों का लाभ मिलता रहा है जो आगे शायद ज्यादा संभव नही हो पायेगा।
शिमला/शैल। क्या प्रदेश कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनावों में मिली शर्मनाक हार का बदला 2019 में ले पायेगी? उस समय केन्द्र और प्रदेश दोनों जगह कांग्रेस की सरकारें थी और मण्डी से स्वयं वीरभद्र की पत्नी पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह चुनाव मैदान में थी। लेकिन भाजपा उस समय चारों सीटें कांग्रेस से छीनने में सफल हो गयी थी। आज केन्द्र और राज्य में दोनों जगह भाजपा की सरकारें हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि क्या वीरभद्र और कांग्रेस इस हार का बदला ले पायेंगे? यह सवाल तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब वीरभद्र सिंह ने मण्डी से चुनाव लड़ने की हामी भर दी हो और इस हामी के बाद वह सुक्खु के साथ एक मंच पर भी आ गये हों। एक मंच पर आकर पहली बार यह देखने को मिला कि जब दोनों नेताओं ने एक दूसरे के खिलाफ एक शब्द नही बोला। वीरभद्र और सुक्खु के एक साथ आने से यह सन्देश तो चला ही गया है कि पार्टी नेतृत्व में अपने सारे मनभेद और मतभेद भुलाकर एकजुट खड़ा हो गया है। लेकिन क्या अकेले इस एक जुटता से ही 2014 के परिणामों को पलटने में सफल हो जायेंगे? यह सवाल भी इस एकजुटता के साथ ही खड़ा हो गया है और यह सवाल इसलिये उठा है क्योंकि अभी जब सरकार अपना एक साल पूरा होने का जश्न मना रही थी उसी दिन कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ राज्यपाल को एक आरोपपत्र सौंपा।
यह आरोपपत्र आने के बाद कांग्रेस की नीयत पर सवाल उठे हैं क्योंकि यह आरोप उसकी वरीयता के अनुरूप गंभीर नही थे। बल्कि जो आरोप ठाकुर राम लाल ने कुछ समय पूर्व बिलासपुर में एक पत्रकार वार्ता में लगाया था वह तक इस आरोप में दर्ज नही हो पाया। इस तरह के कई गंभीर मुद्देे ऐसे रहे हैं जिन्हे यदि आरोपपत्र में शामिल किया जाता तो सरकार के लिये गंभीर परेशानी खड़ी हो सकती थी लेकिन ऐसा नही हो पाया है। इससे यही उभरता है कि या तो कांग्रेस आरोप पत्र बनाने में ही गंभीर नही और उसके लिये उसने ईमानदारी से कोई तैयारी ही नही की या फिर नीयत ही साफ नही थी। इस समय देश की राजनीति जिस मुहाने पर खड़ी है उससे यह आंशका बनती जा रही है कि आने वाले चुनावों में हिसां तक हो सकती है। इस चुनाव में जो तथ्य पूर्ण आक्रामकता से जनता के सामने आयेगा उसी का पलडा भारी रहेगा।
इस परिप्रेक्ष में प्रदेश कांग्रेस ईकाई को प्रदेश सरकार के खिलाफ भी आक्रामक होना पड़ेगा। क्योंकि राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों पर भी प्रदेश की जनता का ध्यान आकर्षित करना पड़ेगा। लेकिन अभी तक इस तरह की तैयारी कांग्रेस की ओर से सामने नही आ पायी है। जबकि यह चुनाव पूरी तरह आक्रामक होने जा रहा है। इस समय कांग्रेस के खिलाफ सरकार के पास भाजपा के आरोप पत्र का एक बड़ा हथियार सुरक्षित पड़ा है। हांलाकि सरकार इस पर अभी तक गंभीर नही है लेकिन यह गंभीरता कभी भी आ सकती है। फिर वीरभद्र सिंह और परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और मनीलाॅंड्रिंग के मामले लंबित चल रहे हैं। मनीलाॅंड्रिंग में ईडी वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर की जमानत रद्द करवाने का प्रयास कर ही चुकी है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि राजनीति में कभी भी कुछ भी घटित हो सकता है। इसमें यह भी स्पष्ट हो जाता है कि जो पहले आक्रामकता अपना लेता है वह विरोधी पर भारी पड जाता है। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि कांग्रेस और सरकार में से कौन पहले आक्रामकता अपनाता हैं क्योंकि वीरभद्र और सुक्खु की एकजुटता से सियासी समीकरणों में जो बदलाव आया है उससे इस तरह की आक्रामकता की संभावनाएं बहुत बढ़ गई हैं।