Thursday, 18 September 2025
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जगदीश चौहान बने सर्व कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष

शिमला/शैल। सर्व कर्मचारी पैन्शनर, श्रमिक, युवा बेरोजगार संयुक्त मोर्चा की गतिविधियों में इन दिनों फिर से बढ़ौत्तरी आ गयी है। इसका संकेत मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल दास वर्मा द्वारा इस संगठन में बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन के
पूर्व सलाहकार एवम् प्रधान जगदीश चन्द चौहान को वरिष्ठ उपाध्यक्ष और प्रिंटिंग एवम् स्टेशनरी विभाग के पूर्व कर्मचारी नेता थानेश्वर नेगी को संगठन मन्त्री तथा राजस्व विभाग के देवी सिंह चौहान सचिव मनोनीत करने से सामने आया है। स्मरणीय है कि गोपाल दास वर्मा अपने सेवाकाल के दौरान प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के एक प्रभावी शीर्ष नेता रह चुके हैं। इस सर्व कर्मचारी संयुक्त मोर्चा का गठन उन्होने अपनी सेवानिवृति के बाद किया है और अब यह संगठन प्रदेश के सेवानिवृत कर्मचारियों का एक प्रभावी मंच बनने के प्रयास में जुट गया है।

गोपाल दास वर्मा पिछले लोकसभा चुनावों और विधानसभा चुनावों में भी काफी सक्रिय रहे हैं। अब फिर से लोकसभा चुनाव आ रहे हैं। माना जा रहा है कि इन चुनावों को ध्यान में रखते हुए वर्मा ने इस संयुक्त मोर्चा की गतिविधियों को बढ़ावा देने की नीयत से ही इसमें पूर्व कर्मचारी नेताओं को जोड़ने की मुहिम शुरू कर दी है। आने वाले चुनावों में इस मोर्चा की भूमिका कितनी और क्या रहती है इस पर अभी से कुछ लोगों की नजरें लग गयी हैं।

जय राम सरकार का छःमहीनों का कार्यकाल असफलताओं से परिपूर्णःमुकेश अग्निहोत्री

शिमला/शैल। हिमाचल प्रदेश में जय राम ठाकुर सरकार के 6 महीनों का कार्यकाल असफलताओं से परिपूर्ण रहा और प्रदेश की जनता को महज निराशा ही हाथ लगी है। सरकार का सारा समय अपने को स्थापित करने के प्रयासों में ही निकल रहा है और प्रदेश में हर तरफ अराजकता का माहौल बन रहा है। जहां यह सरकार प्रदेश में कानून-व्यवस्था स्थापित करने में नाकाम रही है, वहीं यह सरकार वित्तीय कुप्रबंधन का शिकार हो रही है। वर्तमान सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वायदों को पूरा करने से पीछे हट रही है और खासतौर पर बेरोजगारी दूर करने के लिए कोई भी ठोस नीति या कार्यक्रम बनाने में यह सरकार असफल रही है। सरकार का अभी तक का समय केवल जश्न मनाने, प्रशासनिक तबादलों और दौरों में ही बीत गया है।
मुख्यमंत्री प्रदेश के विकास को लेकर गंभीर नहीं लगते इसलिए प्रदेश में सत्ता के कई केंद्र बन गए हैं। हारे-नकारे लोग अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए अधिकारियों/कर्मचारियों पर अनुचित दबाव डाल रहे हैं। मुख्यमंत्री पूरी तरह से RSS और ABVP के प्रभाव में काम कर रहे हैं, नतीजन प्रशासनिक अमला पटरी से उतर गया है।
हिमाचल प्रदेश में सबसे बड़ा मसला कानून-व्यवस्था का है। गत 6 महीनों में प्रदेश में आए दिन हत्याएं और बलात्कार हो रहे हैं जिससे यह देवभूमि शर्मसार हुई है। प्रदेश में 100 से अधिक बलात्कार और 35 के करीब हत्याएं इस दौरान हो चुकी हैं। इतने अल्प समय में यह आंकड़ा अपने आप में गंभीर चिंता का विषय है। और मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि इन घटनाओं से बहुत कुछ सीखने को मिला है, यह अपने आप में हास्यास्पद टिप्पणी है। कसौली में दिन-दिहाड़े एक अधिकारी एवं कर्मचारी की गोली मार कर हत्या कर दी जाती है और पूरा प्रशासन त्वरित कार्रवाई करने की बजाय मूक दर्शक बनकर इस घटना को देखता रह गया। यह भी सरकार की असफलता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। पहले भाजपा शोर मचाती थी कि कांग्रेस शासन में माफिया सक्रिय है लेकिन प्रदेश में हर तरह का माफिया सरकार के संरक्षण में दनदना रहा है। यह 6 महीने का समय महज जश्न और घोषणाओं का समय ही रहा और इन 6 महीनों में सरकार विकास के नाम पर एक ईंट भी नहीं लगा सकी।
आर्थिक मोर्चे पर सरकार पूरी तरह से पिट गई है। केंद्र में भाजपा की सरकार सत्तासीन होने के बावजूद और मुख्यमंत्री के 6 महीनों में दर्जनों दिल्ली के दौरे लगभग सभी केंद्रीय मंत्रियों के दरवाजों पर दस्तक दे चुके हैं परंतु इसके बावजूद भी आर्थिक पैकेज लाने में नाकाम रहे हैं। मुख्यमंत्री यह दलील दे रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश को कर्जे की बैसाखियों से बाहर निकालना मुश्किल है और खुद सरकार अब तक लगभग 3 हजार करोड़ रुपये का कर्जा लेकर काम चला रही है।
प्रदेश की राजधानी और अंतराष्ट्रीय पर्यटन स्थल शिमला में लोगों को पीने-का-पानी मुहैया करवाने में भी आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो गई। जहां इससे पर्यटन के क्षेत्र में नुकसान हुआ वहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश की साख को भी बट्टा लगा है। ऐसा किसी भी प्रदेश में नहीं हुआ होगा कि मुख्य न्यायाधीश को स्वयं आधी रात को पानी की सप्लाई सुचारु रूप से चलाने के लिए स्कीमों का निरीक्षण और व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बाहर निकलना पड़ा हो। ऐसा प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है।
मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करते हुए लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले बनाए गए। इस दौरान प्रदेश में प्रशासनिक अराजकता का माहौल खड़ा हो गया और हजारों कर्मचारियों के तबादले राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से किए गए। यहां तक की प्रदेश में बड़े-बड़े प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए पूरा-पूरा कॉडर का ही अब तक स्थानांतरण हो चुका है। एक ही अधिकारी का तबादला कई दफा करके अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा को पूरा किया जा रहा है। प्रदेश सरकार RSS के प्रभाव में काम कर रही है और इस समय सत्ता के कई केंद्र स्थापित हो चुके हैं, जिससे अफसरशाही भी परेशानी के आलम में है। सत्ता में RSS और ABVP का बोलबाला है और ये लोग तांडव मचाए हुए हैं।
नेशनल हाईवे के नाम पर भी राज्य की जनता से धोखा हुआ है। केंद्र सरकार के द्वारा राज्य में नेशनल हाईवे के लिए करोड़ों रुपये की घोषणा की गई है परंतु अभी तक फूटी-कौड़ी भी प्रदेश को प्राप्त नहीं हुई। यह स्वयं एक प्रश्न है और इसके लिए कौन जिम्मेवार है? प्रदेश में आए दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है जोकि चिंता का विषय है। इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए वर्तमान सरकार गंभीर नजर नहीं आ रही क्येंकि सरकार के द्वारा अभी तक कोई भी ठोस नीति इस दिशा में नहीं बनाई गई है।
प्रदेश में सबसे बड़ा वायदा पिछले चुनावों के दौरान किया गया था कि सरकार बेरोजगारी को दूर करेगी। आज सरकार ने बेरोजगारी को दूर करने के लिए कोई भी पुख्ता कार्यक्रम नहीं बनाया है और यह मात्र कोरी घोषणा ही साबित हुई है। आज प्रदेश का बेरोजगार अपने आप को ठगा-सा महसूस कर रहा है। सरकार बेरोजगारों से पीछा छुड़ाने का प्रयास कर रही है और युवाओं को नौकरी देने की बजाये उन्हें दुकानें आदि स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जोकि प्रदेश की युवा पीढ़ी के साथ एक भद्दा मजाक है। युवाओं को रोजगार का छलावा देने वाली भाजपा विपक्ष में रहते हुए पूरे पांच वर्ष रिटायर्ड और टायर्ड का रोना रोती रही है। आज आलम यह है कि भाजपा सरकार खुद रिटायर्ड टीचर्ज को पुनर्नियुक्ति देने की बात कर रही है। जोकि प्रदेश के डिग्रीधारक बेराजगार युवाओं के साथ धोखा है।
RUSSA को समाप्त करने की घोषणा से भी सरकार पीछे हट रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। मौजूदा नेतृत्व प्रदेश को प्रगति और विकास की राह पर ले जाने में पूर्णतः असफल साबित हुआ है।

विधानसभा के बाहर भाजपा विधायक व डीएसपी से महिला ने की हाथापाई

शिमला/शैल। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बाहर अर्की तहसील के बागा में स्थित जे पी कंपनी के सीमेंट कारखाने में लगे ट्रकों के मालिकों की ओर से अपनी मांगों को लेकर अर्की के विधायक गोबिंद शर्मा, बागा-मांगल से बीडीसी सदस्य सुरेश कुमार और शिमला के डीएसपी सिटी राजेंद्र कुमार को थप्पड़ जड़ दिए हैं। बताते है कि ये महिला ये कहते हुए सुनी गई कि ‘आप दिलाएंगे इनको पैसे, साठ दिनों तक आप कहां थे।’

ये ट्रक आॅपरेटर जेपी कंपनी की ओर से रोके गए भुगतान की अदायगी की मांग को लेकर विधानसभा के बाहर प्रदर्शन करने आए थे। मांगल के बीडीसी सदस्य सुरेश कुमार ने कहा कि ‘जब हम मंच पर प्रदर्शन को डील कर रहे थे तो एक महिला वहां आई व हमसे पूछा की तुम कितने लोग हो’। हमने कहा कि मैडम ये हमारे विधायक हैं और यहां काफी सारे लोग आए हैं।

सुरेश कुमार ने कहा कि जब हमने उनसे पूछा कि आप कौन हैं, तो वो बोली कि हम सरकार की ओर से आए हैं, तो हमें अजीब लगा। इस बीच महिला ने मुझ पर दाहिने हाथ से हमला कर दिया। इसके बाद उसने विधायक गोबिंद शर्मा को थप्पड़ मार दिया। जब दूसरा मारा तो मैने उन्हें काफी हद तक बचा लिया। इस बीच वहां धक्का- मुक्की हो गई। बाद में थोड़ा आगे जाकर डीएसपी सिटी राजेंद्र कुमार उन्हें समझाने लगे व कहने लगे कि आप लाॅ एंड आर्डर को खराब कर रही हैं। बताते है कि इस महिला ने डीएसपी को कहा कि ‘तू ठीक करेगा आर्डर और थप्पड़ जड़ दिया। बताया जाता है कि सब कुछ नाटकीय ढंग से अचानक कुछ पलों में घट गया। किसी को कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला।
उधर, पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ बालूगंज थाने में धारा 353 व 332 के तहत एफआईआर दर्ज कर दी है। उससे पूछताछ की जा रही है, बताते हैं कि ये महिला अपना नाम पता नहीं बता रही थी। जानकारी के मुताबिक ये महिला विधानसभा में पीडब्ल्यूडी में बेलदार हैं। 50 साल के करीब की इस महिला के दो बेटे हैं जो प्राइवेट काम करते हैं। मूल रूप से ये मंडी की रहने वाली है। प्रारंभिक जांच के मुताबिक ये महिला मानसिक बीमारी का इलाज भी करा रही थी।
गौरतलब है कि तहसील अर्की की पंचायत मांगल में जेपी कंपनी के सीमेंट कारखाने में लगे ट्रकों के मालिकों की ओर से विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया जा रहा था। जे पी कंपनी ने इन आपरेटरों का माल भाड़े का करोड़ों रुपया रोक रखा है। जिसकी वजह से आपरेटर बैंकों की किश्तें नहीं दे पा रहे हैं व बैंको के डिफाल्टर हो गए हैं। आॅपरेटरों का कहना है कि कंपनी में लगे 1100 के करीब ट्रकों को फायनेंसर उठा कर ले गए हैं। अब बकाया कर्ज को लेकर रिकवरी के केस चल रहे हैं। ऐसे में ट्रक आपरेटर पिछले दो महीनों से बकाया राशि की मांग को लेकर बागा के शालूघाट में हड़ताल पर हैं व सीमेंट की ढुलाई बंद हैं।
प्रदर्शनकारियों को ट्रक आपरेटरों का एक प्रतिनिधिमंडल अर्की के भाजपा विधायक गोबिंद शर्मा व नैनादेवी से भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया।
इस बीच ट्रक आपरेटरों का एक प्रतिनिधिमंडल ने सीएम से मुलाकात की व सीएम ने मामले पर प्रधान सचिव उद्योग, प्रधान सचिव सहकारिता समेत अफसरों की कमेटी में इस मामले को ले जाने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने ये भी कहा कि उनकी कंपनी के नए मालिक से बातचीत हुई हैं। मसला सुलझा लिया जाएगा।
बालूगंज थाने से जुटाई गई जानकारी के मुताबिक महिला को रिपन में मेडिकल के लिए ले जाया गया। उधर, डीएसपी राजेंद्र कुमार ने कहा कि इस महिला ने विधायक गोबिंद राम शर्मा व पुलिस से धक्का मुक्की की है। उन्हें थप्पड़ मारने की पुष्टि नहीं की। उन्होंने कहा कि ‘विधायक व मैने दोनों ने एफआईआर दर्ज कराई हैं।
एएसपी अर्जित सेन के हवाले से कहा गया हैं कि एफआईआर दर्ज कर दी गई है।

नड्डा की रैली में नहीं पहुंचा धूमल खेमा

शैल/अर्की। भारतीय जनता पार्टी की ओर से पार्टी में एक ही परिवार धूमल परिवार का कब्जा उखाड़ फैंकने का आगाज आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केबिनेट मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने अर्की में रैली का आयोजन कर कर दिया है। इस रैली में ये भी साफ हो गया है कि प्रदेश में भाजपा अंदरखाते दोफाड़ हो गई है और धूमल खेमा नड्डा का साथ देने के लिए तैयार नहीं हैं। ये इस रैली ने क्लियर कर दिया हैं।
सबसे ज्यादा हैरान इस रैली में धूमल खेमे की गैरहाजिरी ने किया। उनके खेमे के विधायक तो विधायक पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बड़े बेटे व भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर तक रैली में नहीं आए।
वो इस रैली में आएंगे इस बावत अर्की विधानसभा हलके में पिछले एक सप्ताह से यहां से स्थानीय भाजपा विधायक गोबिंद राम शर्मा ने जमकर भोंपू बजवाया था। शायद ये रणनीति कदम था। अन्यथा ऐसा नहीं हो सकता कि अनुराग ठाकुर को रैली में बुलाया गया हो और वो न आए।
जो भी हो भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर रैली में नहीं आए। संभवतः वह इसलिए नहीं आएं होंगे क्योंकि मोदी के मंत्री नड्डा उनके पिता धूमल की सल्तनत को तबाह करने आ गए हैं। यही नहीं इस रैली में इतने सारे भाजपा नेता बोले लेकिन अनुराग ठाकुर का किसी ने नाम तक नहीं लिया।
भाजपा की ओर से मंडी के कद्दावर नेता जयराम ठाकुर और महेंद्र सिंह ठाकुर तक नड्डा को सहारा देने इस रैली में पहुंच गए हैं। जयराम ठाकुर और महेंद्र सिंह ठाकुर के खिलाफ धूमल खेमा एक अरसे से चित करने पर लगा हैं।
यही स्थिति शिमला से भाजपा विधायक सुरेश भारद्वाज की भी है। धूमल खेमा उन्हें भी चित करने की जुगत में लगा हुआ है। वो भी एक अरसे से धूमल विरोधी खेमे में शुमार हैं। इसीलिए नड्डा की रैली के लिए अर्की विधानसभा क्षेत्र सोच समझ कर चुना गया।
अर्की से धूमल खेमा गोबिंद राम शर्मा की जगह किसी और को टिकट दिलाना चाहता है। इस खेमे ने रिटायर आईएएस अफसर आर.एस.्गुप्ता पर निगाह लगा रखी थी। वो धूमल के सबसे वफादार अफसरों में रहे हैं। लेकिन वो अभी मुकर रहे हैं। इसके अलावा वहां से धूमल के एक अन्य करीबी भी कतार में हैं। धूमल खेमे की इस घेरेबंदी से गोबिंद राम शर्मा असहज हैं। ऐसे में वो नड्डा खेमे में आश्रय ढूंढ रहे हैं व नड्डा खेमे ने उन्हें हाथों हाथ ले भी लिया हैं।आज की रैली में ये साबित हो भी गया हैं और नड्डा ने सीएमशिप की अपनी दावेदारी को पुख्ता कर दिया हैं।
इस रैली में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सती ने भी शिरकत की। चूंकि राष्ट्रीय स्तर पर अमित शाह नड्डा की जुंडली के हैं सो सती को तो आना ही था। उन पर पहले ही ये इल्जाम है कि उन्होंने प्रदेश की भाजपा को धूमल परिवार का बंधुआ बना दिया हैं। आरएसएसए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह व प्रधानमंत्री मोदी पहले ही भाजपा को प्रदेशों में स्थानीय नेताओं की ओर से पार्टी को बंधुआ बनाने की रिवायत को खत्म करने का फैसला ले चुके हैं।
ऐसे में नड्डा ने अर्की से रैली कर ये सीधा संदेश दे दिया है कि वो बीजेपी से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीएम पद के प्रत्याशी हैं और उनके साथ कौन कौन हैं ये भी पब्लिक कर दिया है। अब दोनों खेमों में जंग शुरू हो गई हैं। धूमल खेमे में रविंद्र रवि, गुलाब सिंह ठाकुर, वीरेंद्र कंवर, रणधीर शर्मा जैसे जाबाज़ हैं तो नड्डा खेमे को जयराम, महेंद्र सिंह, सुरेश भारद्वाज के अलावा शांता कुमार का सहारा है।
इस सारे खेल में अर्की से भाजपा विधायक गोबिंद शर्मा अपनी नैया पार लगा पाएंगे या नहीं इस पर सबकी निगाह लगी हैं।

‘आप’ की प्रदेश इकाई को लेकर केन्द्रीय नेतृत्व चिंतित बड़े फैसले की संभावना बढ़ी

शिमला/शैल। हिमाचल प्रदेश को 2017 के विधानसभा चुनावों में वीरभद्र सिंह की कांग्रेस व धूमल की भाजपा से मुक्त कराने के दावे करने वाली आप पार्टी की राज्य इकाई के संयोजक राजन सुशांत व राज्य प्रवक्ता सुभाष चंद के बीच भंयकर वाकयुद्ध हुआ व इसके एक दिन बाद संयोजक राजन सुशांत ने रिटेंशन पाॅलिसी व बिजली बिलों को लेकर प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार पर हमला बोला।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक सुशांत व सुभाष दोनों के बीच पार्टी मीटिंग में जबरदस्त वाकयद्ध हुआ और दोनों ने एक दूसरे की शिकायतें आला कमान से की है। कहा जा रहा है कि आलाकमान को इस वाकयुद्ध की आडियो भी भेजी गई है। राज्य प्रवक्ता सुभाष ही नहीं आप के युवा प्रभारी के साथ भी वाकयुद्ध हुआ है।
ऊना रैली उसके बाद सुंदरनगर का बूूथ प्रभारियों का सम्मेलन व अब पार्टी मीटिंग में हुए वाकयुद्ध की सारी जानकारी प्रदेश प्रभारी संजय सिंह को है लेकिन संजय सिंह व आप के बड़े बाकी नेता प्रदेश की इकाई में चले घमासान पर पूरी तरह से खामोश है और तमाशा देख रहे है। लेकिन इस तरह की घटनाओं से पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविन्द केजरीवाल व संजय सिंह भाजपा व कांग्रेस के नेताओं की नजरों में खुद तमाशा बनते जा रहे हैै।
यहां ये गौरतलब है कि राजन सुशांत व सुभाष चंद्र दोनों ही भाजपा से आम आदमी पार्टी में आए हैं। सुशांत के राजनीतिक गुरू भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार हैं तो सुभाष भाजपा के दूसरे बड़े नेता प्रेम कुमार धूमल की चैखट से बाहर निकल कर आए हैं। शांता कुमार ने सुशांत तो धूमल ने सुभाष को अगल-अलग समय पर ऐन मौकों पर पटखनी दी है। सुशांत धूमल के निशाने पर रहे हैं तो सुभाष को वीरभद्र के साथ-साथ धूमल का भी साथ नही मिला है। लेकिन कहा जाता है कि दोनों के संपर्क अपने पुराने आकाओं व उनके लोगों से किसी न किसी तरह बने हुए हंै। इस भयंकर वाकयुद्ध के पीछे समझा जा रहा है कि सुभाष धूमल खेमें के कई नेताओं समेत पहले भाजपा में रह चुके बाकी नेताओं को भी आप में शामिल कराना चाहते है जबकि सुशांत धूमल खेमे के किसी भी नेता को फूटी आंख नही सुहाते है। वो भाजपा में अपने चहेतों को पार्टी में लाना चाहते हैं।
उधर वीरभद्र सिंह व धूमल अपने लोगों को किसी भी तरह आप में घुसपैठ करवाने की फिराक में हैं। कांग्रेस व भाजपा ने दिल्ली में भी इसी तरह का खेल खेला था जिससे अरविन्द केजरीवाल को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। वीरभद्र सिंह व धूमल पहले भी इस तरह केे खेल खेलते रहे हंै। इन सब मसलों को लेकर हिमाचल आप में शुरू से जबरदस्त जंग छिड़ी हुई है। जिससे न तो सुशांत बाहर आ पा रहे और न ही केजरीवाल व संजय सिंह कुछ फैसला ले रहे हैं। इस स्थिति के बीच सुशांत समय समय पर वीरभद्र सिंह सरकार व धूमल पर जुबानी हमला बोलकर अपनी राजनीति आगे बढ़ा रहे है। ये वो भी जानते है कि उनके साथ तो पार्टी के पदाधिकारी है और न ही जनता। वो जतना को अपने साथ जोड़ने में भी नाकाम साबित हुए हैं। जिन लोगों को जोड़ा गया है, उनका जुलूस खुद संजय सिंह सुंदरनगर में बूथ प्रभारियों की हुई बैठक में निकाल चुके हैं।
आप की खराब हालात के बीच आज राजन सुशांत ने रिटेंशन पाॅलिसी व बिजली बिलों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की है। पार्टी ने जरूरत से ज्यादा बिजली बिल वसूल कर उपभोक्ताओं की जेब ढीली करने का आरोप सरकार व राज्य बिजली बोर्ड पर लगाया है।
आप के प्रदेश संयोजक राजन सुशांत ने पत्रकार वार्ता में कहा कि राज्य विद्युत बार्ड द्वारा बिजली बिल में मीटर रैंट सहित अन्य कई तरह के चार्जिज लगाए जा रहे हैं, जो कि सरासर गलत हैं।
उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड द्वारा 200 से लेकर 700 रूपये तक की कीमतों के मीटर लगाए गए हैं। जिनकी एवज में बिजली बिलों में हर महीने 15 रूपये मीटर रेंट वसूला गया। लेकिन पिछले कई दशकों से यह मीटर रैंट उपभोक्ताओं से वसूला जा रहा है। जबकि मीटर की असल कीमत मात्रा एक साल के बिल में ही पूरी हो जाती है।
उन्होंने कहा कि मीटर रैंट के नाम पर बिजली बिलों में वसूली का चलन अभी भी बदस्तूूर जारी है और इसे रोकने के लिए सरकार को तुरंत पहल करनी चाहिए।
बिजली बिलों में 50 से 70 रूपये तक सर्विस चार्ज वसूला जाने को भी सुशांत ने अनुचित ठहराया और कहा कि बिजली की दरें निर्धारित करने से पहले विद्युत नियामक आयोग 9 प्रकार के अलग-अलग खर्चे पहले ही जोड़ लेता है। ऐसे में बिजली बिल पर सर्विस जार्च और अन्य शुल्क लगाए जाना व्यवहारिक नही है।
सुशांत ने कहा कि प्रदेश में 22 लाख विद्युत उपभोक्ता हैं, जिनमें साढ़े 19 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं तथा बिजली बोर्ड की मनमानी से उनकी जेबों पर डाका डाला जा रहा है।
सुशांत ने यह भी कहा कि बिजली बिलों के मुद्दे पर सरकार का दोहरा चेहरा सामने आया है। एक तरफ बिलों में अनुचित खर्चे जोड़कर ग्राहकों को गुमराह किया जा रहा है और दूसरी तरफ राज्य सरकार बिजली बिलों पर सब्सिडी देकर अपनी पीठ थपथपा रही है।
आप नेता ने कहा कि बिजली बिल के मुददे को पार्टी जोरशोर से उठाएगी और जनता को जागरूक करने के लिए 8 जून को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्रों में दो घंटे का धरना दिया जाएगा। बाद में पार्टी के नेता विधानसभा हल्कों में संबंधित जिला प्रशासन को ज्ञापन भी सोंपेंगे। उन्होंने रिटेंशन पाॅलिसी पर कहा कि जो क्षेत्रा नगर निगम में बाद में मिलाए गए है उनके मकान मालिकों की क्या गलती है । उन्होंने तो मकान बहुत पहले बना लिए है। उन्हें मकान नियमित करने के लिए पैसा क्यों देना चाहिए।
जो भी हो आम आदमी पार्टी में चल रही जंग पर प्रदेश कांग्रेस व भाजपा में खूब चुटकुले सुनाए जा रहे है। इसी बीच यह भी जानकारी बाहर आयी है कि पार्टी का केन्द्रिय नेतृत्व शीघ्र ही इस बारे में कोई बड़ा फैसला ले सकता है। माना जा रहा है कि केन्द्रिय नेतृत्व यहां के सारे पदाधिकारियों को हटाकर सारी कमान अपने हाथ में ले सकता है।

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