शिमला/शैल। हिमाचल प्रदेश को केन्द्र सरकार की ओर से 70 राष्ट्रीय राजमार्ग दिये गये हैं और इन पर करीब 60 हजार करोड़ का खर्च किया जायेगा। प्रदेश सरकार यह दावा करती आ रही है क्योंकि इसकी पहली सूचना केन्द्रीय स्वास्थ्य मन्त्री जगत प्रकाश नड्डा के उस पत्र के माध्यम से दी गयी जो उन्हें केन्द्रीय मन्त्री नितिन गडकरी से मिला था। हिमाचल के लिये यह एक बड़ी उपलब्धि थी और इसे केन्द्र सरकार के प्रदेश के प्रति विशेष लगाव के रूप में लिया गया था। माना जा रहा था कि केन्द्र के इस सहयोग से प्रदेश की सड़कों का कायाकल्प हो जायेगा। लेकिन इस समय प्रदेश की सड़कों की हालत क्या है इसका अनुमान ‘शिमला-बिलासपुर’ सड़क से ही लगाया जा सकता है। इस सड़क की हालत देखकर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग के होने पर ही सन्देह होने लगता है। लोक निर्माण विभाग मुख्यमन्त्री के अपने पास है और वह 63 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा भी कर चुके हैं लेकिन इनमें से 42 का दौरा हैलीकाप्टर से ही हुआ है क्योंकि उन्हें शयद इसीलिये मुख्यमन्त्री को जमीनी हकीकत की सही जानकारी नही है।
अभी विधानसभा के बजट सत्र में राष्ट्रीय राजमार्गो को लेकर प्रश्न आये थे। एक प्रश्न 7 फरवरी को था। इसमें पूछा गया था कि क्या राष्ट्रीय राजमार्ग का प्रश्न केन्द्र सरकार से उठाया गया है। इसके जवाब में बताया गया कि जी, हां। प्रदेश सरकार द्वारा 69 सैद्धान्तिक राष्ट्रीय राजमार्गों और 1 सड़क को सैद्धान्तिक राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने हेतु मामला केन्द्र सरकार से उठाया गया है।
54 सड़कों की भेजी गई ड्राफ्ट संरेखण रिपोर्ट (Draft Alignment Report) की स्वीकृति और इनको राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने का मामला केन्द्र सरकार के विचाराधीन है। 2 अन्य सड़कें जो राष्ट्रीय राजमार्गो के मापदण्ड के अनुरूप बनी है, भी केन्द्र सरकार में राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने हेतु विचाराधीन है।
58 राष्ट्रीय राजमार्गों की Detailed Project Report (DPR) के लिए केन्द्र ने 173.75 करोड रू. की धनराशि स्वीकृत (sanction) की है। दूसरा प्रश्न 13फरवरी को आया था। इसमें पूछा गया था कि प्रदेश में कितने राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित है और इनमें से कितने पूरे होकर चालू हो गये हैं। इसके जवाब में कहा गया है कि प्रदेश में कुल 19 राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। इसमें यह भी नही कहा गया है कि 70 राष्ट्रीय राजमार्ग सैद्धान्तिक रूप से घेाषित हो चुके हैं। इस तरह एक ही मुद्दे पर दो अलग-अलग प्रश्नों पर दो अलग-अलग उत्तर आने से यह स्पष्ट हो जाता है कि 70 राष्ट्रीय राजमार्गों की घोषणा को हकीकत होने के लिये अभी लम्बा इन्तज़ार करना होगा। इसी के साथ यह भी तय है कि इन लोकसभा चुनावों में केन्द्र और राज्य सरकार के राष्ट्रीय राजमार्गो का दावा एक बड़ा मुद्दा बनकर उछलेगा। क्योंकि अब इसका प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी संज्ञान लेते हुए केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर सही स्थिति की जानकारी मांगी है।
यह है 19 राष्ट्रीय राजमार्गों की स्थिति
Reply of Starred Question No. 1512 asked by Sh. Jeet Ram Katwal (Jhanduta):
(a) There are 19 National Highways declared in the State of Himachal Pradesh with a total length of 2581 Kms.
The details of declared National Highways is in
Annexure- ‘A’
(b)&(C) Out of 19 numbers National Highway, 18 numbers are
complete/functional in the State. 7.00 kms (seven)
length of National Highway-503A (Una-Basoli-BarsarSalooni and terminating at its Junction with NH-103 near Bhota) from Km 35/00 to Km 42/00 is yet to be
constructed between Bhihroo (Una District) and
Lathiani (Una District) as its alignment passes along
Govind Sagar reservoir. The detail of expenditure and
the latest position of construction of National Highways
are shown in Annexure -‘B’.
NH wise detail of expenditure incurred on ongoing sanctioned projects on NH with State PWD alongwith latest status:
1. NH-22 (New NH-05) - Haryana Border-Solan, Shimla, Theog, Narkanda, Rampur, Chini and proceeding to the Border between India and Tibet near Shipkila Total Projects = 11 Total Expenditure= 97.35 crore
2. NH-72 (New NH-07) - Haryana Border-Paunta-Sahib- Uttarakhand Border Total Projects = 5 Total Expenditure= 45.09 crore
3. NH- 88 (New NH-103) - Junction with NH-3 near Hamirpur and connecting Bhota, Ghumarwain and terminating near Ghaghas on NH 154 Total Projects = 3 Total Expenditure= 270.58 crore
4. NH-21A (New NH-105) - Junction with NH-5 near Pinjore in Haryana connecting Baddi, Nalagarh and terminating at its junction with NH-205 near Swarghat Total Projects = 3 Total Expenditure= 72.36 crore
5. NH-20 & 21 (New NH-154) - The Highway starting from its Junction with NH-154 near Pathankot in Punjab connecting Nurpur-Palampur-Jogindernagar -Mandi-Sundernagar- Ghagus-Bilaspur and terminating it Junction with NH-205 near Nauni in H.P. Total Projects = 5 Total Expenditure= 46.43 crore
6. NH-21 & 88 (New NH-205) - Punjab Border- Swarghat, Nauni, Darlaghat- junction with NH-5 near Shimla Total Projects = 1 Total Expenditure= 9.29 crore
7. NH-20A & 88 (New NH-303) - Highway starting from Nagrota at Junction on NH-154 connecting Ranital-Jawalamukhi and terminating at Nadaun on NH-3 Total Projects = 1 Total Expenditure= 6.96 crore
8. NH-72B (New NH-707) - The Highway starting from its Junction with NH-7 near Poanta Sahib connecting Rajban-Shillai-Minus in H.P. and passing through Minus-Tiuni in Uttrakhand and terminating at Hatkoti in H.P. Total Projects = 2 Total Expenditure= 17.67 crore
9. NH-73A (New NH-907) - Junction with NH-7 near Paonta Sahib-Haryana Border Total Projects = 1 Total Expenditure= nil
10. New NH-305 - The Highway starting from Sainj on NH-5 connecting Luhri -Ani-Jalori- Banjar and terminating at Aut on NH-3 in the State of H.P Total Projects = 2 Total Expenditure= 27.32 crore
11. NH-70 & 21 (New NH-03) - Naduan- Hamirpur- Toni Devi- Awa Devi- Mandi- Kullu- Manali- Gramphoo- Kyelong Total Projects = 9 Total Expenditure= 37.08 crore
12. New NH-154A- Punjab Border- Banikhet- Chamba–Bharmour Total Projects = 2 Total Expenditure= 5.92 crore
13. NH–20A & 88 (New NH-503) - Punjab Border-Dehlan-Una-Amb-Junction with NH-3 at Mubarakpur connecting Dehra Gopipur, Ranital, Kangra, Mataur, Dharamshala–Macleodganj During this financial year no work is underway.
14. New NH-503Ext. - The Highway starting from its Junction with NH-3 near Mubarkpur connection Amb-Una-Dehlan in the State of Himachal Pradesh, Anandpur Sahib-Kiratpur and terminating at its junction with New NH No. 205 in the State of Punjab. During this financial year no work is underway.
15. NH-503APunjab, Una, Basoli, Barsar, Salooni and terminating at its junction with NH-103 near Bhota Total Projects = 1 Total Expenditure= 22.59 crore
16. New NH-907A- Starting from its junction with NH No-7 near NahanBanethi-Sarahan& terminating at its junction with NH No.-5 near Kumarhatti During this financial year no work is underway
17. New NH-505A- Junction with NH-5 near Powari - ReckongPeo–Kalpa Total Projects = 1 Total Expenditure= 3.32 crore
18. New NH-705 - The Highway starting from its junction with New NH No. 5 at Theog connecting Kotkhai, Jubbal and terminating at its junction with NH No. 707 at Hatkoti During this financial year no work is underway.
19. Khab-Sumbdo-Kaza-Gramphoo (BRO) Khab to Sumbdo 48 Kms. . i).Improvement to NHDL in progress. Sumdo-Kaza–Gramphoo ii) DPR is under preparation
शिमला/शैल। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का हिमाचल का प्रस्तावित दौरा रद्द हो गया है जबकि प्रदेश भाजपा और जयराम सरकार लम्बे अरसे से इस दौरे की तैयारियों में जुटे हुए थे। बल्कि ज्वालामुखी में आयोजित की गयी दो दिवसीय बैठक भी इन्हीं तैयारियों का एक हिस्सा थी। इस परिदृश्य में शाह के दौरे का स्थगित होना राजनीतिक और प्रशासनिक हल्कों में चर्चा का विषय बनना स्वभाविक है। लोकसभा के चुनाव अगले वर्ष मई में होना तय है लेकिन इस बात के ठोस संकेत उभरते जा रहे हैं कि चुनाव समय से पूर्व ही हो जायेंगे। क्योंकि इसी वर्ष के अन्त में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव होना तय है। इन राज्यों में लम्बे अरसे से भाजपा की सरकारें हैं। लेकिन इस बार इन राज्यों में हुए कुछ विधानसभा और लोकसभा के उपचुनावों में भाजपा को करारी हार मिली है। इस हार का सबसे बड़ा लाभ भी कांग्रेस को ही मिला है क्योंकि यहां भाजपा का राजनीतिक विकल्प कांग्रेस ही है। फिर लोकसभा चुनाव के लिये सारा विपक्ष एकजुट हो रहा है क्योंकि यदि इकट्ठा होकर विपक्ष भाजपा का सामना करेगा तभी तो बाद में क्षेत्रीय दल अपने अपने राज्यों में अपने वर्चस्व की मांग कर पायेंगे। भाजपा विपक्षी एकता की संभावना से अन्दर से घबरायी हुई है और इसे तोड़ने के लिये भाजपा ने सोशल मीडिया का एकमात्र फोकस राहूल और नेहरू परिवार के खिलाफ कर दिया है कि यदि एक झूठ को सौ बार बोलेंगे तो वह सच्च बन जायेगा लेकिन अब जब सोशल मीडिया की कुछ साईटस का सर्वोच्च न्यायालय ने कड़ा संज्ञान लिया है और इस संज्ञान के बाद पोस्टकार्ड मीडिया साईट के संस्थापक की गिरफ्तारी भी हो गयी है इससे सोशल मीडिया पर आधारित होने की धारणा को झटका भी लगा है क्योंकि इन दिनों अमित शाह सबसे अधिक अपने सोशल साईट कार्यकर्ताओं के सम्मेलनों पर ज्यादा फोकस कर रहे थे। हिमाचल में भी इसकी तैयारियां चल रही थी लेकिन यहां आईटी सैल के प्रमुख के त्यागपत्र के कारण यह गणित गड़बड़ा गया है।
इस सारी वस्तुस्थिति को सामने रखते हुए शाह के दौरे का रद्द हो जाना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस समय भाजपा के शीर्ष केन्द्रिय नेतृत्व का पूरा ध्यान लोकसभा चुनाव पर ही केन्द्रित चल रहा है। मोदी शाह की कार्यप्रणाली की जानकारी रखने वाले जानते हैं कि यह लोग अपने सूचना तन्त्र पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं। इस तन्त्र में केन्द्र सरकार की ऐजैन्सीयों के अतिरिक्त और भी कई ऐजैन्सीयां फील्ड में सर्वे में जुटी हुई है। हिमाचल में भी पिछले एक माह में ऐसी दो टीमें प्रदेश का सर्वे कर गयी हैं। उच्चस्थ सूत्रों के मुताबिक इन सर्वों में हिमाचल से चारों सीटें फिर से मिलने की संभावना नही मानी जा रही है। इसमें यह भी सामने आया है कि पिछले लोकसभा चुनावों में प्रदेश में भाजपा के पास वीरभद्र के खिलाफ आयकर, सीबीआई और ईडी में चल रहे मामले एक बड़ा हथियार थे। इन्ही के सहारे यह आरोप लगाये गये थे कि वीरभद्र के तो पेड़ो पर भी पैसे उगते हैं लोकसभा चुनावों के बाद जब विधानसभा चुनाव आये तब वीरभद्र सरकार की कार्यप्रणाली मुद्दा बन गयी जिसमें गुड़िया जैसे प्रकरणों ने आग में घी का काम किया। भ्रष्टाचार को लेकर महामहिम राष्ट्रपति तक को ज्ञापन सौंपे गये और सरकार को भ्रष्टाचार का पर्याय प्रचारित कर दिया गया तथा भाजपा को इतना बड़ा बहुमत मिल गया। लेकिन आज यह कोई भी हथियार भाजपा इस्तेमाल नही कर सकती क्योंकि इन मामलों में भाजपा सरकार की केन्द्र से लेकर राज्य तक करनी उनकी कथनी से एकदम भिन्न रही है। बल्कि आज उल्टे यह मामले भाजपा से जवाब मांगेगे।
ऐसे में इन लोकसभा चुनावों में सबकुछ राज्य सरकार की करनी और मुख्यमन्त्री की अपनी कार्यप्रणाली पर निर्भर करेगा। आज जयराम सरकार के इस दौरान लिये गये फैसलों की निष्पक्ष समीक्षा की जाये तो इनका बहुत ज्यादा सकारात्मक प्रभाव नही दिख पाया है। जयराम किस तरह के सलाहकारों से प्रशासन और राजनीतिक मसलों पर घिरे हुए हैं उस पर तो वीरभद्र की टिप्पणी ही सबसे स्टीक बैठती है। जब उन्होंने यह कहा कि यह लोग गद्दी के लिये खतरा हो सकते हैं। स्वभाविक भी हैं जिस मुख्यमन्त्री को अपने मुख्य सचिव की रक्षा यह कहकर करनी पड़े कि दिल्ली में उनके खिलाफ क्या है इससे उनका कोई सरोकार नही है तो यह टिप्पणी एक तरह से केन्द्र के ही खिलाफ हो जाती है। आज यह आम चर्चा का विषय बना हुआ है कि शीर्ष प्रशासन की निष्ठायें शायद मुख्यमन्त्री से ज्यादा कहीं और हैं खली प्रकरण और दीपक सानन को स्टडी लीव देने जैसे कई मामले आने वाले समय में सरकार से जवाब मांगेगे। लोकसभा प्रत्याशीयों को लेकर भी अभी तक यह स्थिति स्पष्ट नही है कि सभी पुराने जीते हुओं को ही फिर से चुनाव में उतारा जायेगा या इनमे कोई फेरबदल होगा। पार्टी के कार्यकर्ताओं की ताजपोशीयां किसी न किसी कारण से टलती जा रही हैं। ज्वालामुखी की बैठक में शान्ता, धूमल और नड्डा का शमिल न होना एक अलग ही संदेश दे गया है। अभी जयराम ने एक साक्षात्कार में कहा कि वह मन्त्रीयों के रिपोर्ट कार्ड पर बराबर नज़र रख रहे हैं। बल्कि इस कथन के बाद मन्त्रीमण्डल में फेरबदल की अटकलें तक चल पड़ी थी। माना जा रहा था कि शाह के दौरे के दौरान इन अटकलों पर स्थिति साफ हो जायेगी। लेकिन अब शाह के दौरे के दौरान इन अटकलों पर स्थिति साफ हो जायेगी। लेकिन अब शाह के दौरे के रद्द होने से यह भी चर्चा चल पड़ी है कि लोकसभा चुनावों के परिदृश्य में केन्द्र प्रदेश के रिपोर्ट कार्ड पर भी नज़र रख रहा है। सूत्रों की माने तो जिस बैठक में शाह का दौरा रद्द हुआ है उसी बैठक में शान्ता कुमार को भी एक बड़ी जिम्मेदारी दिये जाने पर भी विचार हुआ है। माना जा रहा है कि 15 अगस्त के बाद प्र्रदेश की भाजपा राजनीति में कई समीकरण बदलेंगे। शाह का दौरा रद्द होना मुख्यमन्त्री के लिये बड़ा झटका माना जा रहा है।
शिमला/शैल। खली प्रकरण में निश्चित रूप से सरकार की फजीहत हुई है और इसमें सबसे बड़ा योगदान शीर्ष तन्त्र का रहा है। खली का इवैन्ट सूचित खेल सूची में नही आता है। यह जानकारी सरकार को बजट सत्र के दौरान ही हो गयी थी। इस जानकारी के बाद जयराम के दो मन्त्री पंजाब में खली की अकादमी देखने गये थे इसके बाद खली मनाली आये वहां उन्होने एक आयोजन में भाषण भी दिया। इस भाषण में खली ने भाजपा की जमकर तारीफ की और कांग्रेस को खुब कोसा। खली के इस भाषण के बाद यह संकेत भी उभरे कि वह कभी भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इसी संकेत संदेश को आगे बढ़ाते हुए खली के आयोजन का पूरा खर्च सरकार द्वारा उठाने के प्रयास भी हुए। लेकिन जब यह प्रयास सफल नही हुए तब यह ऐलान भी हो गया कि सरकार इसमें कोई योगदान नही कर रही है बल्कि मण्डी के खेल मैदान के किराये का बिल भी खली को थमा दिया गया। सरकार के सहयोग न करने के फैसले से खली इस कदर आहत हुए कि उन्होने यहां तक कह दिया कि उनके पास तो कुर्सीयां लगाने तक के पैसे भी नही बचे हैं। उन्होने स्वयं रिंग में न उतरने तक की घोषणा कर दी और पूरा शो मुफ्त में दिखाने का फैसला ले लिया। शो मे लोगों की भीड़ जुटाने के लिये खली ने मण्डी और सुन्दरनगर रोड़ शो तक किये। इस आयोजन में मुख्यमन्त्री को बतौर मुख्य अतिथि होना प्रचारित किया गया था। जब सरकार अधिकारिक तौर पर खली के शो को आर्थिक सहायता देने का प्रयास कर रही थी और शीर्ष प्रशासन वरिष्ठ अधिकारियों से बैठकें करके आयोजन को सफल बनाने में लग गया था तथा पूरा मामला मन्त्रीमण्डल की बैठक तक पंहुचा दिया गया। लेकिन मन्त्रीमण्डल इस पर फैसला नही ले पाया। सरकार शो के लिये कभी हां तो कभी न की दुविधा में फस गयी थी इसी बीच सरकार के अनिर्णय और प्रयासों पर कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने पूरे दस्तावेजी प्रमाणों के साथ ऊना में पत्रकार वार्ता करके सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। मुकेश अग्निहोत्री की पत्रकार वार्ता के बाद खली और सरकार के लिये यह आयोजन करवाना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया। खली ने
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प्रदेश सरकार के प्रत्यक्ष सहयोग के बिना भी यह आयोजन पूरी सफलता के साथ कर दिया। इस आयोजन के लिये खली ने अपने साधनों से कितना धन जुटाया और सरकार ने अप्रत्यक्षतः कितना आर्थिक सहयोग दिया है इसका पूरा खुलासा तो समाने नही आया है लेकिन इसके लिये सरकारी तन्त्र के माध्यम से प्रयास किये जा रहे हैं। यह सामने आ गया है कि लोक निर्माण विभाग ठेकेदारों से पैसा इकट्ठा कर रहा है। इसके लिये ठेकेदारों को एक संदेश भेजा गया है कि वह पांच हजार का चैक मण्डी मित्रमण्डल के नाम भेजें। सन्देश में साफ कहा गया है कि म पद ब का काम है। इस संदेश से स्पष्ट हो जाता है कि ई इन सी को इस स्तर के निर्देश ऊपर से आये होंगे। लोक निर्माण विभाग का प्रभार स्वयं मुख्यमन्त्री के पास है। विभाग में हजारों ठेकेदार हैं कुछ की निष्ठायें भाजपा के साथ हो सकती हैं तो कुछ की कांग्रेस के साथ भी। इन्ही ठेकेदारों के माध्यम से यह संदेश मीडिया तक पंहुचा है। पांच हजार रूपये का चैक मण्डी मित्रमण्डल के नाम मांगा गया है इसलिये इसको खली के आयेजन के साथ जोड़कर देखा जा रहा है लेकिन इस तरह से वाकायदा संदेश भेजकर यह पैसा मांगा जा रहा है यह पूरे प्रशासन पर एक गंभीर सवाल खड़े करता है और यह एक बड़ा मुद्दा बन जाये इस संभावना से इन्कार नही किया जा सकता। इससे प्रशासन की प्रवक्ता और नीयत दोनो पर ही सवाल खड़े होते हैं।
खली के आयोजन तक सरकार के पास इतना पर्याप्त समय था कि वह इसके लिये खेल नियमों में संशोधन कर सकती थी। मल्लयुद्ध देश की संस्कृति का हिस्सा रहे हैं और राज्याश्रित थे। आज प्रदेश के गांव -गांव में होने वाली छिंज इसी का अपभ्रंश रूप है। इस सबको एक बड़े फलक पर लाकर एक बड़ा रूप दिया जा सकता था। लेकिन इस दिशा में एकदम वैचारिक शून्यता का ही परिचय दिया गया। इसी तरह की वैचारिकता जंजैहली प्रकरण में सामने आयी। अब मण्डी के बल्ह क्षेत्र में प्रस्तावित एयर पोर्ट पर जिस तरह का शेष बल्ह के निवासियों के सामने आया है वह भी इसी दिशा में संकेत करता है। सेवानिवृत अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक सानन को स्टडी लीव दिया जाना एकदम अपराध की श्रेणी में आता है। एचपीसीए के प्रकरण में भी सरकार की नीयत और नीति पर सवाल उठने जैसी स्थिति बन गयी है। इस मामले का मूल पक्ष कि एच पी सी ए सोसायटी है या कंपनी आरसीएस के पास पिछले पांच वर्षों से लंबित चला आ रहा है। अब आरसीएस के पास 20 जुलाई को पेशी लगी है। यहां डा. अजय शर्मा को आरसीएस लगाकर ऐसी कानूनी दुविधा में खड़ा कर दिया गया है कि इस मामले की सुनवाई करना उनके लिये संभव नही होगा। वहां फिर अगली पेशी लगना ही विकल्प बचता है और इस तरह न चाहते हुए भी लम्बे समय तक यह मामला और लटक जायेगा। ऐसे और भी कई मामले ऐसे हैं जहां सरकार की स्थिति हास्यास्पद हो जाती है।
इस समय प्रदेश के प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में प्रशासनिक सदस्यों के दोनों पद लम्बे अरसे से खाली चले आ रहे हैं लेकिन इन पदों को भरने में सरकार की ओर से कोई ठोस प्रयास नही किये जा रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि यह सरकार की प्राथमिकता का विषय ही नही रह गया है। कर्मचारी न्याय के लिये परेशान हो रहे हैं बल्कि इस कदर रोष उभर रहा है कि यदि सरकार ट्रिब्यूनल के पक्ष में नही हैं तो इसे बन्द करके कर्मचारियों के मामले फिर से उच्च न्यायालय को ही भेज दिये जायें। यह मांग कभी भी उठ सकती है। इन सारे मामलों का लोकसभा चुनावों पर असर पडेगा यह तय है।
शिमला/शैल। इंडियन ऑयल ने 5,06,428 करोड़ रुपए के कारोबार के साथ (पहली बार 5 लाख करोड़ आंकड़ा पार किया) वित्त वर्ष 2017-18 के लिए कर के बाद 21,346 करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक मुनाफ़ा दर्ज किया। यह मुनाफ़ा उच्च रिफाइनरी मार्जिनों, इन्वेंट्री लाभ और परिचालन क्षमता से बढ़ाया गया। वर्ष 2017-18 के दौरान, इंडियन ऑयल ने निर्यात सहित 88.76 मिलियन टन उत्पाद बेचे। हमारी रिफ़ाइनरियों ने 69 मिलियन मीट्रिक टन का थ्रूपुट हासिल किया और पाइपलाइनों के देशव्यापी नेटवर्क ने 85.67 मिलियन मीट्रिक टन का रिकॉर्ड थ्रूपुट दर्ज किया।
पाइपलाइन नेटवर्क अब लगभग 13,400 कि.मी. तक बढ़ गया है जो प्रति वर्ष 94.79 मिलियन मीट्रिक टन (कच्चा तेल और उत्पाद पाइपलाइन) और 9.5 एमएमएससीएमडी (गैस पाइपलाईन) की संचयी थ्रूपुट क्षमता के साथ बढ़ा है।
ब्रांड नाम प्रोपेल के तहत बेचे गए हमारे पेट्रोकेमिकल्स (निर्यात सहित) कारोबार ने 2017-18 में 2.36 मिलियन टन की बिक्री दर्ज की।
अधिकांश शहरों में खतरनाक प्रदूषण की स्थिति का जायज़ा लेते हुए, भारत सरकार ने बीएस-VI ईंधन के रोल-आउट को सक्रिय रूप से लागू करने का फैसला लिया।
इंडियन ऑयल ने अगुआई करते हुए अन्य तेल विपणन कंपनियों के साथ मिलकर 1 अप्रैल, 2018 से तीन चरणीय रोल आउट के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में बीएस-VI ईंधन की शुरुआत की है, इसमें शामिल है मुख्य रिफ़ाइनरी अपग्रेड, आपूर्ति लॉजिस्टिक्स में बदलाव और अन्य संबद्ध परिवर्तन।
संशोधित समय सीमा को पूरा करने के लिए 1 अप्रैल 2019 से दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों में 1 अप्रैल, 2020 से बीएस-VI ईंधन शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इस साल 2017-18 में इंडियन ऑयल ने एक बार फिर एक और विशाल कल्याण कार्यक्रम, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, समाज के ग़रीब तबके की महिलाओं के ऊर्जा और वित्तीय समावेशन के लिए दुनिया की सबसे बड़ी पहल का नेतृत्व किया। वर्ष 2019 तक ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को 8 करोड़ जमा मुक्त एलपीजी कनेक्शन जारी करने के संशोधित लक्ष्य के साथ, कार्यक्रम बहुत कम समय में 4 करोड़ कनेक्शनों के ऐतिहासिक आंकड़े तक पहुंचने वाला है, जिसमें से इंडियन ऑयल द्वारा 1.9 करोड़ से अधिक नए एलपीजी कनेक्शन जारी किए गए।
वर्ष के दौरान सौर शक्ति का उपयोग करते हुए अपने 32% से अधिक खुदरा नेटवर्क के साथ इंडियन ऑयल ने खुदरा नेटवर्क के सौरकरण में उद्योग अग्रणी के रूप में अपनी निर्विवाद स्थिति को मजबूत किया।
वर्ष के दौरान लगभग 2500 खुदरा बिक्री केन्द्रों को सौरकृत किया गया थे, जिससे सौरकृत खुदरा बिक्री केन्द्रों का संचयी आंकड़ा 8,800 पर पहुंच गया।
तेल विपणन कंपनियों ने ईईएसएल के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे हम पूरे देश में चुनिंदा खुदरा दुकानों से एलईडी बल्ब, एलईडी टयूबलाइट्स और ऊर्जा कुशल पंखे उपलब्ध कराएंगे।
उपभोक्ता अब हमारे पेट्रोल स्टेशनों से 70 रुपए में उच्च गुणवत्ता वाले 9 वॉट के एलईडी बल्ब, 220 रुपए में 20 वॉट की एलईडी टयूबलाईट और 1200 रुपए में फ़ाइव-स्टार रेटिड सीलिंग फ़ैन खरीद सकता है। यह देश में ऊर्जा के अनुकूलन और कुशल उपयोग द्वारा 10% तक ऊर्जा के आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकार के दृष्टिकोण को पूरा करने में मील का पत्थर साबित होगा।
इंडियन ऑयल अपने प्रतिष्ठानों में पारंपरिक लाइटों के स्थान पर एलईडी लाईटों को लगा रहा है। अभी तक 3.11 लाख पारंपरिक लाईटों के स्थान पर एलईडी लाइटें लगा दी गई है। अप्रैल 2017 से फरवरी 2018 के दौरान, 1.68 लाख एलईडी लाइटें लगाई गईं। इंडियन ऑयल ने गुजरात, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में 168 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाएं भी शुरू की हैं।
स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूरे देश में 6,800 से अधिक स्वच्छता गतिविधियां, जैसे स्वच्छता अभियान, जागरूकता अभियान इत्यादि शुरु किए गए थे। इंडियन ऑयल विभिन्न स्थानों पर 2 जी इथेनॉल पौधों की भी योजना बना रहा है।
इंडियन ऑयल की विभिन्न रिफाइनरियों, टर्मिनलों, डिपो और आवास परिसरों में कुल 560 वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित की गइ हैं। 950 हेक्टेयर के कुल जल ग्रहण क्षेत्र के साथ, प्रति वर्ष लगभग 3 बिलियन लीटर पानी संचित किया जा रहा है।
2017-18 के दौरान, विभिन्न लोकेशनों और यूनिटों पर 1.15 लाख पेड़ लगाए गए। अपशिष्ट पेपर रीसाईकि्ंलग इंडियन ऑयल द्वारा की गई एक और बड़ी पहल है जिसमें पिछले वर्ष 118 टन से अधिक पेपर रीसाईकल किया गया।
2016-17 में, इंडियनऑयल ने घरेलू हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में नवपरिवर्तनों के लिए अनुकूल पारिस्थितिक तंत्र को पोषित करने के लिए स्टार्ट-अप इंडिया पहल के तहत 30 करोड़ रुपये के परिक्रमी स्टार्टअप फंड की शुरुआत की।
भारत सरकार के कुशल भारत के तहत-राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के अंतर्गत इंडियनऑयल ने भुवनेश्वर में एक कौशल विकास संस्थान (एसडीआई) की स्थापना की है जिसका उद्देश्य 10 वर्षों में लगभग 50,000 युवाओं को प्रशिक्षित करना है।
ओडिशा में उद्योगों के संरचित विकास को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये के निवेश के साथ भुवनेश्वर में केमिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में विश्व स्तरीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए इंडियनऑयल ने आईसीटी मुंबई के साथ हाथ मिलाया है। विभिन्न क्षेत्रों में कौशल विकास पहल के एक हिस्से के रूप में, कुल 1505 प्रशिक्षु विभिन्न इंडियनऑयल लोकेशनों से जुड़े हैं।
इंडियन ऑयल 1964 से अपनी यूनिटों/स्थापनाओं के आसपास रहने वाले लोगों के जीवन को ऊपर उठाने के लिए विभिन्न गतिविधियों में लगा हुआ है। पूरे देश में विभिन्न परियोजनाएं चल रही हैं।
जम्मू व कश्मीर, त्रिपुरा और मणिपुर के कुछ हिस्सों में प्रतिकूल कानून एवं व्यवस्था तथा अपने कर्मचारियों और ट्रांसपोर्टरों को गंभीर ख़तरों के बावजूद इसने पेट्रोलियम उत्पादों की लगभग सामान्य आपूर्ति बनाए रखी। इंडियन ऑयल ने जम्मू-कश्मीर में दुनिया के सबसे ऊंचे मोटर वाहन घाटी खारदुंग्ला में एक पर्यटक चिकित्सा सुविधा केंद्र स्थापित किया। यह केंद्र समुद्र तल से 18,380 फीट की ऊंचाई पर स्थित। इंडियनऑयल ने लेह जिला प्रशासन की सहायता से लेह, जम्मू-कश्मीर के निकट गांव नांग में 23 सब्जी भंडारण तहख़ानों (सेलर्स) का निर्माण किया।
इंडियन ऑयल विदुषी एक नई फ्लैगशिप परियोजना है जिसका उद्देश्य जेईई मेन और एडवांस्ड के लिए बालिका छात्राओं को विशेष कोचिंग प्रदान करना है। जून 2018 से नोएडा और भुवनेश्वर में दो केंद्र प्रारंभ किए जाएंगे जिनमें प्रतिवर्ष 60 बालिका छात्राओं को लिया जाएगा।
सामुदायिक पहुंच इंडियनऑयल के ऑपरेटिंग लोकेशनों के व्यापक नेटवर्क ने समुदायों तक पहुंचने के अनूठे अवसर खोले हैं। ‘इंडियनऑयल जल जीवन’ (पूरे गांव की आबादी के लिए पेयजल समाधान) और ‘इंडियनऑयल सूर्य प्रकाश’ (पूरे गांव की सड़क के लिए सौर स्ट्रीट लाइट) कुछ प्रमुख परिचालन सामुदायिक विकास पहले हैं जो इसकी परिचालन लोकेशनों के आसपास स्थित 32 गांवों में लागू की गई हैं।
इंडियनऑयल की खेल-कूद को बढ़ावा देने की नीति ने वर्ष के दौरान समृद्ध लाभांश अर्जित किया, जिसने अपने खेल जगत के सितारों की झोली में पदक और मान्यताओं का एक समृद्ध भंडार देखा। इंडियनऑयल खिलाड़ियों द्वारा बटोरी गई वाहवाही में भारतीय अंडर-19 टीम के कप्तान थे, जिन्होंने फरवरी में न्यूज़ीलैंड में जूनियर विश्व कप जीता था। गोल्ड कोस्ट में राष्ट्रमंडल खेलों-2018 के भारतीय दल ने 11 पदक हासिल किए थे।
इंडियनऑयल की एक मज़बूत खेल नीति है जिसमें यह अपने छात्रवृत्ति कार्यक्रम के माध्यम से उभरते हुए खिलाड़ियों को सहायता प्रदान करता है। वर्तमान में, 20 गेमों/खेलों में 150 छात्रवृत्तियां उभरते हुए 14 से 19 वर्ष तक की आयु के जूनियर खिलाड़ियों को प्रदान की जाती हैं। 3 साल के लिए छात्रवृत्ति राशि के अतिरिक्त, किट आइटम, यात्रा सहायता, आवास इत्यादि की लागत भी इंडियनऑयल द्वारा दी जाती है। इंडियनऑयल ने मुख्य खेलों के तौर पर वालीबाल, बास्केट बॉल, शूटिंग, तीरंदाजी, कुश्ती, कबड्डी और बॉकि्ंसग जैसे खेलों को शामिल करने की योजना बनाई है।
जे पी भारद्वाज। 26 मई को भाजपा की मोदी सरकार के 4 वर्ष पूरे होने जा रहे है इस उपलक्ष्य में सरकार और संगठन की ओर से सतपाल सिहं सती ने विपक्ष पर हमला करते हुये मोदी सरकार की चार साल कि उपलब्धिया गिनाई। इन चार वर्षों में सरकार ने गरीब, दलित, पिछड़ा सभी वर्गों के लिये सकीमें लाई है। 100 से ज्यादा योजनायें सरकार ला चुकी है। आम जनमानस तक लोगों को आंतकवाद, नक्सलवाद को समाप्त करने के लिये जो वायदे किये थे उन्हें पूरी तरह निभाया है। विदेश नीति के स्तर पर हमारा देश हर उस राष्ट्र के साथ खड़ा नज़र आता है जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सही को सही कहने की हिम्मत रखता है। नरेन्द्र मोदी के कारण आज हर जगह हमारा मान सम्मान बढ़ा है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारे देश को अनदेखा नहीं किया जा सकता। मोदी ने हिमाचल को विशेष राज्य का दर्जा दिया है। पूरे देश में 7 एम्ज है 8वां हिमाचल को मिला है जिसका श्रेय मोदी और नड्डा को जाता है। आईआईआईटी ऊना को और आई आई एम नाहन को मोदी सरकार की देन है। नड्डा के सहयोग से चार मेडिकल काॅलेजों के इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिये पैसा समय पर मिल रहा है। 63 नेशनल हाईवेज़ की घोषणा गडकरी ने की है जिनकी डीपीआर का कार्य चल रहा है सैन्ट्रल युनिवर्सिटी का शिलान्यास जल्द से जल्द हो जायेगा। हिमाचल को दो स्मार्ट सिटी शिमला और धर्मशाला मोदी जी की ही देन है। यह मोदी सरकार की उप्लब्धियां सत्तपाल सत्ती ने अपनी प्रैस काॅन्फ्रैंस के माध्यम से बताई।
उन्होनें कहा कि प्रदेश भर में जनसम्पर्क अभियान चलाया जायेगा और यह 27 मई से 11 जून तक चलेगा। प्रदेश भर में मोदी सरकार की 4 साल की उप्लब्धियों को इस अभियान के तहत लोगों तक पहुंचाया जायेगा। नक्सलवाद, आतंकवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले नहीं चाहते कि मोदी दुबारा आयें और केन्द्र में सरकार बनाये।