Friday, 19 December 2025
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दावों और वायदों के आईने में नगर निगम का पिछला कार्यकाल

शिमला/शैल। नगर निगम शिमला पर केवल चार पार्षदों के सहारे पूरे पांच वर्ष तक इसकी सत्ता पर काबिज माकपा का यह कार्यकाल कैसा रहा। क्या-क्या दावे और वायदे शिमला की जनता से किये गये तथा कितने सही मायनों में हकीकत बन पाये यह जानना शहर के मतदाताओं का अधिकार और कर्तव्य दोनों एक बराबर है। इस कामकाज का मूल्यांकन करने के लिये पिछले सदन के स्वरूप पर भी नजर डालना आवश्यक है। निगम के पिछले हाऊस में वार्डो की संख्या 25 थी जो अब बढ़कर 34 हो गयी है। पिछली बार भाजपा सरकार के शासनकाल में यह चुनाव हुए थे और मेयर तथा डिप्टी मेयर सीधे मतदान से चुने गये थे लेकिन इस सीधे मतदान में इन दोनों पदों पर माकपा का कब्जा हो गया। भाजपा और कांग्रेस को इन दोनों पदों में से एक भी नहीं मिल पाया जबकि निगम की सत्ता पर कांग्रेस का ही कब्जा रहता आया था। भाजपा को पार्षदों में तो बहुमत मिल गया था कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी। निगम के इस स्वरूप से यह स्पष्ट हो जाता है कि इसके बजट को पारित करने में और कामकाज के लिये लाये गये हर प्रस्ताव को तब तक पारित नही किया जा सकता था जब तक इसके लिये भाजपा और कांग्रेस का पूरा-पूरा सहयोग/समर्थन निगम के हाऊस को न मिलता।
भाजपा और कांग्रेस का यदि एक भी योजना/प्रस्ताव पर समर्थन न मिल पाता तो यह हाऊस अपना कार्यकाल पूरा कर ही नही सकता था। भाजपा या कांग्रेस ने इस पांच वर्ष के कार्यकाल में एक बार भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं रखा है। यदि एक बार भी यह दोनों दल ऐसा प्रस्ताव लाते तो सदन की सत्ता गिर जाती और पुनः चुनावों की नौबत आ जाती। लेकिन ऐसा हुआ नही है इस नाते आज निगम के सदन में जो भी प्रस्ताव पारित हुए हैं उनमें से कितने हकीकत में पूरे हो पाये हैं इसके लिये माकपा के मेयर और डिप्टी मेयर के साथ-साथ भाजपा और कांग्रेस भी बराबर के जवाब देह बनते है। अब हो रहे निगम चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के कई पूर्व पार्षद तथा कुछ के परिवार के सदस्य प्रत्याक्षी बन सामने हैं। शिमला की जनता इनसे इनके पांच वर्ष के कामो का लेखा-जोखा मांग रही है।
शहर की समस्याओं में पेयजल, स्वच्छता और पार्किंग सबसे प्रमुख है। शहर के गरीबों और बेरोजगारों के लिये क्या किया गया यह भी एक बड़ा सवाल रहा है। निगम के हाऊस में इन समस्याओं पर बड़े-बडे़ प्रस्ताव पारित हुये हैं। इनक कार्यान्वयन के लिए बड़े-बडे़ दावे/वायदे सदन में किये गये हैं। आज इस चुनाव के मौके पर शैल इनमें से कुछ प्रस्ताव जो सदन में पारित हुए हैं उन्हें अपने पाठकों के सामने रख रहा है। इन प्रस्तावों की याद ताजा कराने का यही प्रयोजन है कि मतदान स्वयं अपने चारों ओर देखकर इनकी हकीकत का अनुमान लग सके।
पार्किंग को लेकर घोषणाएं
2013-14
शहर में पार्किंगों की सुविधा हेतू तथा पर्यटन के दृष्टिगत छोटा शिमला, लिफ्ट के पास, नजदीक रा.वरि.मा.पाठशाला सर्कूलर रोड़ संजौली और विकास नगर में लगभग 1512 गाड़ियों के लिये बी.ओ.टी. के आधार पर पार्किंग स्थलों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। पार्किगों के साथ-साथ इन पार्किंग स्थलों पर पर्यटकों व लोगों की सुविधा हेतू व्यवसायिक परिसर भी बनाने का प्रावधान है। अन्य वार्डो में भी पार्किंगों की सम्भावनाए तलाशी जा रही है।
वर्ष 2014-15
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, संजौली के समीप 2500 वर्ग मीटर क्षेत्र पर 24 करोड़ 70 लाख की अनुमानित लागत से 400 वाहनों के लिए पी.पी.पी. आधार पर पार्किंग का निर्माण प्रगति पर है। इसमें लगभग 40 हजार वर्ग फुट व्यवसायिक क्षेत्र प्रस्तावित है। 30 वर्षो की कन्सैशन अवधि में नगर निगम को प्रति वर्ष रू. 96 लाख की आमदनी होगी, जो प्रति 2 वर्षो में 10 प्रतिशत बढ़ेगी। प्रस्तावित नौ मंजिला परिसर वाले भवन में से लगभग 150 वाहनों की पार्किंग क्षमता वाली तीन मंजिलों को शीघ्र ही जनसाधारण के लिए खोल दिया जाएगा। वित्त वर्ष 2014-15 में सम्पूर्ण रूप से कार्य कर लिया जाएगा।
लिफ्ट के समीप 6471.24 वर्गमीटर क्षेत्र पर 46 करोड़ 11 लाख की अनुमानित लागत से 700 वाहनों के लिए पार्किंग का निर्माण कार्य प्रगति पर है। 30 वर्षो की कन्सैशन अवधि में नगर निगम को प्रतिवर्ष रू. 1 करोड़ की आय होगी जोकि प्रति 2 वर्षो में 10 प्रतिशत बढे़गी, परिसर में 40 हजार वर्गफुट व्यवसायिक क्षेत्र बनाया जाएगा। छः मंजिला निर्माणाधीन परिसर की चार मंजिलें वित्त वर्ष 2014-15 के अन्त तक पूर्ण हो जाएगी।
विकासनगर में 1062 वर्ग मीटर क्षेत्र पर 174 वाहनों की पार्किंग क्षमता वाले परिसर का निर्माण कार्य मार्च, 2014 मेें प्रारम्भ किया जा रहा है। 40 वर्षो की कन्सैशन अवधि में नगर निगम शिमला को प्रतिवर्ष रू. 16 लाख आमदनी होगी, जो प्रति 3 वर्षो में 10 प्रतिशत बढ़ेगी।
सब्जी मण्डी मैदान में लगभग 100 करोड़ की लागत से डी.बी.ओ.टी. आधार पर HPIDB के माध्यम से प्रस्तावित बहु उद्देेशीय परिसर की औपचारिकताएं पूर्ण की जा रही हैं ताकि सितम्बर, 2014 तक कार्य आरम्भ करने का लक्ष्य है। कार्य पूर्ण होने पर नगर निगम को न्यूनतम 2 करोड़ प्रतिवर्ष आय का अनुमान है।
वित्त वर्ष 2014-15 में ढली में डी.बी.ओ.टी. आधार पर पार्किंग सुविधा सहित बहुउद्देशीय परिसर का निर्माण कार्य आरम्भ किया जाएगा। सामुदायिक भवन न्यू शिमला का विस्तारीकरण, भराड़ी में सामुदायिक भवन का निर्माण पूर्ण करना, खलीनी, चक्कर, ढली टनल के समीप तथा कैथू में बहुउद्देशीय परिसरों का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
नगर निगम शिमला द्वारा वर्तमान में 15 कार पार्किग तथा 5 रोड़ साईड पार्किग चलाई जा रही है। जिनसे वार्षिक 1 करोड़ 20 लाख की आमदनी हो रही है। वर्ष 2014-15 में 5 पार्किंग गृृह रक्षा विभाग के माध्यम से एवं सी.सी.टी.वी. कैमरा, बूम बेरियर, एल.ई.डी. स्क्रीन, कम्पयुटर जैनेरेटिड रसीद इत्यादि की सुविधा सहित चलाने की प्रस्तावना है ताकि शहरवासियों एवं पर्यटकों को सुविधा प्रदान की जा सके।
कम जगह में अधिक वाहनों की पार्किंग सुविधा प्रदान करने के लिए वर्ष 2014-15 में बहुमंजिल स्मार्ट पार्किंग बनाने की भी प्रस्तावना है।
नगर निगम शिमला की परिधि में लगभग 5000 वाहनों की क्षमता वाले 61 पार्किंग स्थलों को चिन्हित किया गया है तथा भूमि हस्तान्तरण की प्रक्रिया प्रगति पर है। औपचारिकताएं पूर्ण होने पर पार्किंग स्थल विकसित किए जाएंगे। पर्यटक सूचना केन्द्र के समीप पर्यटन विभाग के साथ से लगभग 1000 वाहनों की पार्किंग का निर्माण आरम्भ किया जाएगा।
वर्ष 2015-16
कसुम्पटी में रानी ग्राउण्ड में एक बहु-उद्देश्य आधुनिक पार्क का विकास करने के लिए हि.प्र. लोक निर्माण विभाग के आर्कीटेक्ट विंग की सहायता से नगर निगम शिमला द्वारा राशि 1 करोड़ 29 लाख की लागत का प्राकलन बनवाया है। जिसमेंgates, toilet block, harvesting tank, railings, park equipment plantations इत्यादि बनाये जाने प्रस्तावित हैं तथा जिसके लिए सतलुज जल विद्युत निगम लि. से धन की उपलब्धता बारे पत्राचार द्वारा सम्पर्क किया गया है। इस पार्क के बनने से समाज के सभी लोग लाभान्वित होगें तथा क्षेत्र का सौन्दर्य बढे़गा। इस पार्क का निर्माण शीघ्र आरम्भ किया जाएगा। इसके अतिरिक्त कनलोग में पार्क व पार्किंग का निर्माण करने की प्रस्तावना है।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला संजौली के समीप 2500 वर्ग मीटर क्षेत्र पर 24 करोड़ 70 लाख की अनुमानित लागत से 400 वाहनों के लिए पी.पी.पी. आधार पर पार्किंग का निर्माण प्रगति पर है। इसमें लगभग 40 हजार वर्ग फुट व्यवसायिक क्षेत्र प्रस्तावित है। 30 वर्षों की कन्सैशन अवधि में नगर निगम को प्रति वर्ष 96 लाख की आमदनी होगी, जो प्रति 2 वर्षों में 10 प्रतिशत बढ़ेगी। प्रस्तावित नौ मंजिला परिसर वाले भवन में से लगभग 250 वाहनों की पार्किंग क्षमता वाली चार मंजिलों को शीघ्र ही जनसाधारण के लिए खोल दिया जाएगा तथा पूरे प्रोजैक्ट का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण कर लिया जाएगा।
छोटा शिमला में 1832 वर्ग मीटर क्षेत्र में 11 करोड़ 68 लाख की अनुमानित लागत से 250 वाहनों के लिए पार्किंग का निर्माण पी.पी.पी. आधार पर प्रगति पर है। 30 वर्षों की कन्सैशन अवधि में नगर निगम को 36 लाख प्रतिवर्ष की आय होगी, जोकि प्रति दो वर्षो में 10 प्रतिशत बढ़ेगी। परिसर में लगभग 30 हजार वर्गफुट व्यवसायिक क्षेत्र प्रस्तावित है तथा इस पूरे प्रोजैक्ट का निर्माण कार्य जून, 2015 तक पूर्ण कर लिया जाएगा।
लिफ्ट के समीप 6471.24 वर्गमीटर क्षेत्र 46 करोड़ 11 लाख की अनुमानित लागत से 700 वाहनों के लिए पार्किंग का निर्माण कार्य प्रगति पर है। 30 वर्षो की कन्सैशन अवधि में नगर निगम को प्रतिवर्ष 1 करोड़ की आय होगी जोकि प्रति 2 वर्षो में 10 प्रतिशत बढे़गी, परिसर में लगभग 40 हजार वर्गफुट व्यवसायिक क्षेत्र बनाया जाएगा तथा इस का निर्माण कार्य वित्त वर्ष 2015-16 के अन्त तक पूर्ण होने की सम्भावना है।
विकासनगर में 1062 वर्ग मीटर क्षेत्र पर 174 वाहनों की पार्किंग क्षमता वाले परिसर का निर्माण कार्य सरकार से नक्शों की स्वीकृति प्राप्त होने पर शीघ्र ही प्रारम्भ कर दिया जाएगा। 40 वर्षो की कन्सैशन अवधि में नगर निगम शिमला को प्रतिवर्ष 16 लाख आमदनी होगी, जो प्रति 3 वर्षो में 10 प्रतिशत बढ़ेगी।
नगर निगम द्वारा शिमला शहर के लोगों व सैलानियों के लिए पर्यटक सूचना केन्द्र बायपास रोड़ टूटीकण्डी से रिज वाया नगर निगम पार्किंग हाई कोर्ट, रोप-वे को पी.पी.पी. के आधार पर बनाने हेतू एच.पी.आई.डी.बी. द्वारा निविदाएं बुला करके खोल दी गई हैं तथा उन पर विभागीय कार्यवाही की जा रही है। इस रोप-वे को बनाने के लिए जिन स्थानों का चयन किया गया है उनसे सम्बन्धित राजस्व कागजात एकत्रित किए जा रहे हैं तथा जहाॅं-जहां पर वन भूमि आने की सम्भावना है, उसका एफ.सी.ए. के अन्तर्गत स्वीकृति हेतु मामला वन विभाग से उठाया जाएगा। आगामी वित्त वर्ष में इसका निर्माण कार्य शुरू करने की प्रस्तावना है तथा इस रोप-वे से शहर के विकास के लिए 11 करोड़ प्रतिवर्ष नगर निगम को आय प्राप्त होगी।
नगर निगम शिमला द्वारा पार्किंग की समस्या को देखते हुए शहर के विभिन्न स्थानों में पार्किंग की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए कैथू में मौरनिंग व्यु के पास, स्नो व्यु के पास, केपिटल होटल के नीचे पुलिस लाईन कैथू सड़क पर, बालूगंज चैक पर, प्राईमरी स्कूल, चक्कर नजदीक हवाघर, बालूगंज बाजार नजीदक पुलिस स्टेशन, हनुमान मन्दिर खलीनी, सेन्ट जेवियर स्कूल, संजोली तथा ढली में सामुदायिक भवन के नजदीक पार्किंग का निर्माण करने के लिए स्थान चयनित किए गए। इन सभी चयनित पार्किंग स्थलों को पी.पी.पी. के आधार पर निर्माण करने की योजना है। जैसे ही इन चयनित स्थलों की भूमि सम्बन्धी औपचारिकताएं पूर्ण होगी। आगामी वित्त वर्ष 2015-16 में इनके पी.पी.पी. आधार पर निर्माण हेतू प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इसके अतिरिक्त न्यु शिमला में सेक्टर-II बस स्टैण्ड के नजदीक पार्किंग का निर्माण करने की प्रस्तावना है।
शिमला शहर में पार्किंग समस्या से निजात पाने के लिए कार्ट रोड़ पर जहाॅं-जहां पर सड़क की चैड़ाई ज्यादा है वहां पर येलो लाईन लगाकर के गाड़ियाॅं पार्क करने का प्रावधान किया जाएगा। इससे सम्बन्धित मामला लोक निर्माण विभाग से उठाया गया है। लोक निर्माण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र आने पर 850 गाड़ियों के लिए पार्किंग की सुविधा उपलब्ध होगी तथा साथ में नगर निगम की आय में भी बढ़ौतरी होगी।
शिमला शहर मंें पार्को के निर्माण हेतु विभिन्न वार्डों में 40 स्थानों का चयन किया गया है। इनमें से जिन स्थानों पर भूमि की स्थिति स्पष्ट थी तथा जिसमें किसी तरह की वन भूमि सम्बन्धी राजस्व विवाद नहीं था उन चयनित स्थानों पर सतलुज जल विद्युत निगम लि. की वित्तीय सहायता से 5 पार्को का निर्माण किया जा रहा है, उनमें से 3 पार्क का न्यु शिमला में, 1 का फलावरडेल में निर्माण किया जा चुका है तथा ढिंगुधार में कार्य प्रगति पर है। सतलुज जल विद्युत निगम लि. द्वारा शिमला में पार्कों के निर्माण हेतू 3 करोड़ 35 लाख की सहमति दी गई थी, जिसमें से लगभग 26 लाख की राशि नगर निगम को उपलब्ध करवा दी गई है। इसके अतिरिक्त अन्य स्थानों में पार्क बनाने की सूची भी सतलुज जल विद्युत निगम लि. को उपलब्ध करवाई गई है। जिसके लिए उनसे पुनः वित्तीय सहायता हेतू आग्रह किया गया है।
स्थानीय लोगों व पर्यटकों के लिए विशेषतया महिलाओं एवं बच्चों के मनोरंजन के लिए रानी झाॅंसी पार्क में लगभग 4 करोड़ की लागत से कृृत्रिम बर्फ स्केटिंग, स्पोटर्स, डांसिंग इत्यादि का टर्फ तैयार किया जाएगा।
वर्ष 2016-17
नगर निगम द्वारा आई.जी.एम.सी कैंसर अस्पताल के नजदीक 800 वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा प्रदान करने की योजना है। जिसके लिए स्थान चयनित किया जा चुका है तथा एफ.सी.ए. के लिए विभागीय कार्यवाही चल रही है।
लिफ्ट के समीप 6471.24 वर्गमीटर क्षेत्र 46 करोड़ 11 लाख की अनुमानित लागत से 700 वाहनों के लिए पार्किंग का निर्माण कार्य प्रगति पर है। 30 वर्षो की कनसैशन अवधि में नगर निगम को प्रतिवर्ष 1 करोड़ की आय होगी जोकि प्रति 2 वर्षो में पिछले वर्ष की राशि पर 10 प्रतिशत बढे़गी, परिसर में लगभग 40 हजार वर्गफुट व्यवसायिक क्षेत्र बनाया जाएगा तथा इस का निर्माण कार्य वित्त वर्ष 2016-17 के अन्त तक पूर्ण होने की सम्भावना है।
विकासनगर में 1062 वर्ग मीटर क्षेत्र पर 174 वाहनों की पार्किंग क्षमता वाले परिसर का निर्माण कार्य के लिए सरकार से नक्शों की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है तथा सम्बन्धित कम्पनी को करारनामा के अनुसार औपचारिकताएं पूर्ण करने तथा कार्य शुरू करने के दिशा-निर्देश दिए गए है। इसका निर्माण कार्य शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा। 40 वर्षो की कनसैशन अवधि में नगर निगम शिमला को प्रतिवर्ष 16 लाख आमदनी होगी, जो प्रति 3 वर्षो में 10 प्रतिशत बढ़ेगी।
एशियन डवैल्पमेन्ट बैंक के सहयोग से टूटीकण्डी बायपास पर बहुमंजिला पार्किंग व परिसर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इस परियोजना पर राशि 64.3 करोड़ रूपये व्यय किए जा रहे है। इसके अतिरिक्त एशियन डवैल्पमेन्ट बैंक के सहयोग से टाऊन हाल का जिर्णोद्धार 8 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। आगामी वित्त वर्ष में टाऊन हाल को आधुनिक रूप देकर कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा तथा नगर निगम शिमला पुनः अपना कार्य इसमें आरम्भ कर देगा। माल रोड़ पर किए जा रहे सौंदर्यकरण के कार्य प्रगति पर है तथा प्रथम चरण का कार्य इस वित्त वर्ष में पूर्ण कर लिया जाएगा।
पेयजल को लेकर हुई घोषणाएं
वर्ष 2013-14
शिमला शहर के विभिन्न क्षेत्रों में समुचित जलापूर्ति सुनिश्चित करने के दृष्टिगत नई पानी की लाईने बिछाने पर राशि 34.59 लाख खर्च किए गये हैं व सिवरेज लाईने बिछाने के लिए राशि 112.50 लाख खर्च किए जा चुके हैं तथा जन-सुविधाओं के रख-रखाव पर 27.95 लाख रूपये खर्च किए जा चुके हैं।
जवाहर लाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन के अन्र्तगत भारत सरकार द्वारा पेयजल योजना के कायाकल्प तथा मल निकास प्रणाली के नवीकरण एवं जिन क्षेत्रों में सिवरेज की व्यवस्था नहीं है वहाॅं पर सिवरेज व्यवस्था के कायाकल्प व गल-सड़ गई पाईपों को बदलने हेतु स्वीकृत डी.पी.आर. का मामला प्रदेश सरकार से उठाया गया है तथा इन प्रोजैक्टों को पी.पी.पी. के आधार पर न कार्यान्वित किया जाए व नगर निगम द्वारा स्वयं कार्यान्वित करने हेतू स्वीकृत करने की मांग की गई है। सरकार से स्वीकृति प्रदान होते ही इन प्रोजैक्टों के कार्यान्वयन की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी जायेगी।
वर्ष 2014-15
चालू वित्त वर्ष में पानी की लाईनों को बिछाने तथा सुधार हेतु 1 करोड़ 51 लाख तथा सीवरेज व्यवस्था के लिए 2 करोड़ 11 लाख व्यय किए गए। शौचालय निर्माण पर 38 लाख 92 हजार व्यय किए गए हैं। तवी स्थित टैंक को चालू करके तथा नई वितरण लाईने बिछाकर टुटू क्षेत्र में पानी के कुनैक्शन दिए गए हैं।
लगभग 1 करोड़ की लागत से संजौली भण्डारण टैंक को कसुम्पटी टैंक से एक नई लाईन बिछाकर जोड़ा गया है।
संजौली में ढिंगुधार पम्प में क्षमता सुधार तथा भण्डारण टैंक का निर्माण करके 75 लाख की राशि व्यय कर सितम्बर, 2014 में चालू करने की प्रस्तावना है। इससे संजौली, ढली व चम्याणा वार्डो में जल आपूर्ति सुचारू की जाएगी।
वर्ष 2014-15 में लगभग 14 लाख की लागत से टका बैंच तथा महात्मा गाॅंधी की प्रतिमा के समीप तीन फवारें लगाए जाने प्रस्तावित है।
नगर निगम शिमला की परिधि के भीतर तथा बाहर पेयजल आपूर्ति की घरेलू तथा व्यवसायिक दरों को युक्तिसंगत बनाया जाएगा।
वर्ष 2015-16
चालू वित्त वर्ष में नगर निगम शिमला में सम्मिलित नए क्षेत्रों में 746 नए पानी के कुनैक्शन तथा 248 सीवरेज के कुनैक्शन लगाए गए हैं, जिससे शहर में 28140 पानी के तथा 11069 सीवरेज कुनैक्शन हो गए हैं।
इस चालू वित्त वर्ष में पानी की लाईनों को बिछाने तथा सुधार हेतु 157.37 लाख तथा सीवरेज व्यवस्था के लिए 225.59 लाख व्यय किए गए। शौचालय निर्माण पर 25.56 लाख व्यय किए गए हैं।
नगर निगम द्वारा संजौली, ढली व चम्याणा वार्डों के क्षेत्रों में जलापूर्ति सुनिश्चित करने के दृष्टिगत राशि 75 लाख की लागत से संजौली में ढिंगुधार पम्प हाउस के संवर्धन एवं उठाऊ पेयजल योजना का कार्य प्रगति पर है तथा इसका राईजिंग-मेन व पम्पिंग मशीनरी का कार्य पूर्ण कर दिया गया है। शीघ्र ही बिजली ट्रांसफारमर लगने के उपरान्त पेयजल आपूर्ति आरम्भ कर दी जाएगी। इसके अतिरिक्त 5 लाख लीटर क्षमता वाले भण्डारण टैंक के निर्माण की निविदाएं आमन्त्रित की जा चुकी हैं।
विकासनगर, पट्टी रझाणा, मल्याणा, संकटमोचन, महावीर घाटी, घोड़ा चैकी तथा संदल चक्कर क्षेत्रों में सीवरेज की सुविधा उपलब्ध करने के उद्देश्य से नई सीवरेज लाईनें बिछाई गई हैं। जिन पर 1,75,93,533/-व्यय किए गए।
टुटू वार्ड के अन्तर्गत शिव नगर, विजयनगर इत्यादि क्षेत्रों में चली आ रही पानी की समस्या को लेकर नगर निगम द्वारा इस चालू वित्त वर्ष में जल वितरण प्रणाली में सुधार किया गया है।
शिमला शहर में पानी की आपूर्ति में सुधार के लिए राशि 335.77 करोड़ की लागत से विस्तृत पेयजल परियोजना (DPR) तैयार की गई है और इस परियोजना के लिए वल्र्ड बैंक/जेईका/ए.डी.बी. से धन उपलब्ध करवाने हेतु मामला भारत सरकार के आर्थिक मामले विभाग को भेजा जा रहा है। 

वर्ष 2016-2017
इस चालू वित्त वर्ष में पानी की नई लाईनों को बिछाने तथा सुधार हेतु 75.78 लाख तथा सीवरेज व्यवस्था के लिए 221.56 लाख अभी तक व्यय किए जा चुके है। इसके अतिरिक्त शौचालय निर्माण पर 25.00 लाख व्यय किए गए।
75 लाख की लागत से संजौली में ढिंगुधार पम्प हाउस से उठाऊ पेयजल योजना का कार्य पूर्ण कर दिया गया है तथा 5 लाख लीटर क्षमता वाले भण्डारण टैंक का निर्माण कार्य प्रगति पर है। जिसे शीघ्र ही पूर्ण कर दिया जाएगा। जिसके बनने से संजौली, ढली व चम्याणा वार्डो के क्षेत्रो में जल आपूर्ति को सुचारू कर दिया जाएगा।
टूटू क्षेत्र के स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए 26 करोड़ रूपये की लागत से सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लांट का निर्माण कार्य सिचाई एवं जन-स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा रहा है तथा इसके लिए नगर निगम शिमला द्वारा 19 करोड़, 42 लाख, 2 हजार 958 रूपये सिंचाई एवं जन-स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध करवा दिए गए हैं।
नगर निगम शिमला द्वारा शिमला शहर में जलापूर्ति व सीवरेज नेटवर्क के कायाकल्प हेतू 623 करोड़ रूपये की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट सिंचाई एंव जन-स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से बनवाकर राज्य सरकार के माध्यम से केन्द्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय को भेजी गई थी। जो जून, 2015 में केन्द्र सरकार के आर्थिक मामलों के विभाग ने फण्डिंग हेतू पारित कर दी है। राज्य सरकार से आग्रह किया जाता है कि इस पर शीघ्र कार्यवाही की जाए ताकि शहर में जल आपूर्ति व सीवरेज की व्यवस्था सुचारू की जा सके।
सिवरेज को लेकर घोषणाएं
वर्ष 2013-14
शहर में विभिन्न स्थानों पर स्थानीय लोगों एवं पर्यटकों की सुविधा हेतू इस वित्तीय वर्ष में 5 नये सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण आर.टी.ओ. के समीप, न्यू शिमला, रामनगर, नजदीक राजकीय माध्यमिक पाठशाला संजौली, विक्ट्री टनल तथा संस्कृत कालेज फागली में किया गया। इसके अतिरिक्त रूल्दू भट्ठा, घोड़ा सराय, रिज, जाखू मन्दिर व शेरे पंजाब में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण प्रगति पर है तथा लोअर बाजार नत्थू हलवाई के पास पुराने शौचालय को आधुनिक शौचालय बनाया जाना प्रस्तावित है।
वर्ष 2014-15
शिमला शहर में 130 सार्वजनिक शौचालय हैं, जिनमें से 110 का रख-रखाव सुलभ इन्टरनेशनल संस्था द्वारा किया जा रहा है। जी.आई.जेड. के सहयोग से 26 शौचालय के नवनिर्माण/जीर्णोद्धार की विस्तृृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की गई है। वित्त वर्ष 2014-15 में शौचालयों के रख-रखाव हेतु कलस्टर बेसिज पर निविदाएं आमन्त्रित करने की प्रस्तावना है। जन शिकायत निवारण हेतु एस.एम.एस. द्वारा शौचालयों से सम्बन्धित सुझाव भी आमन्त्रित किए जाएंगे।
चालू वित्त वर्ष में 6 नए सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया तथा 6 अन्य का निर्माण प्रगति पर है तथा रिज, लालपानी, नजदीक शेरे पंजाब, भराड़ी नजदीक गवर्नमेन्ट स्कूल, लोअर खलीनी, न्यु शिमला सेक्टर-2, सब्जी मण्डी से नीचे तथा संजौली चैक पर सार्वजनिक शौचालय का जिर्णोद्धार किया गया है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2014-15 में नजदीक लिफ्ट, घोड़ा सराए, जाखू मन्दिर, अनाडेल चैक, नजदीक ताराहाल स्कूल, मोती मस्जिद लोअर बाजार, केथू बाजार तथा कच्ची घाटी में नए सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण प्रस्तावित है।
नगर निगम द्वारा शहर में 39 सार्वजनिक शौचालयों के जिर्णोद्धार पर राशि 66 लाख का व्यय किया जायेगा।
नगर निगम शिमला में रिज मैदान पर लगभग 17 लाख की लागत से महिलाओं, पुरूषों एवं बच्चों के लिए तीन ई.-शौचालयों का निर्माण वर्ष 2014-15 में पूर्ण किया जाएगा।
चालू वित्त वर्ष में नगर निगम शिमला में सम्मिलित नए क्षेत्रों में 759 नए पानी के कुनैक्शन तथा 244 सीवरेज के कुनैक्शन लगाए गए हैं, जिससे शहर में 27124 पानी के तथा 10512 सीवरेज कुनैक्शन हो गए हैं।
शिमला शहर में 130 सार्वजनिक शौचालय हैं, जिनमें से 110 का रख-रखाव सुलभ इण्टरनेशनल संस्था द्वारा किया जा रहा है। जी.आई.जैड. के सहयोग से 26 शौचालयों के नवनिर्माण/जीर्णोद्धार की विस्तृृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की गई है। वर्ष 2015-16 में शौचालयों के रख-रखाव हेतु क्लस्टर बेसिज पर निविदाएं आमन्त्रित की जा रही हैं। सामुहिक सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) से इनके संचालन हेतु धन के प्रावधान की प्रस्तावना है।
चालू वित्त वर्ष में 5 नए सार्वजनिक शौचालयों का पुनर्निर्माण किया गया है, जिसमें से घोड़ा सराय के समीप एक महिला एवं एक पुरूष, रिज, नजदीक मोती मस्जिद तथा नजदीक लिफ्ट पार्किंग का कार्य पूरा हो चुका है तथा ताराहाल स्कूल के नजदीक शौचालय का कार्य लगभग पूर्ण होने जा रहा है। इसके अतिरिक्त बंगाला कालौनी संजौली, जाखू मंदिर, गौसाई का अहत्था जाखू, अनाडेल, कैथू बाजार, बंगाला कालौनी टूटू, घोड़ा चैकी में दो तथा आॅकलैण्ड टनल के पास नये सार्वजनिक शौचालय बनाये जाने प्रस्तावित हैं।
नगर निगम शिमला में रिज मैदान पर लगभग 18 लाख की लागत से महिला, पुरूष एवं बच्चों के लिए तीन ई.-शौचालयों का निर्माण वर्ष 2015-16 में किया जाना प्रस्तावित है।
शिमला शहर के विभिन्न वार्डो में कई स्थानों पर सीवरेज लाईनों की क्नैक्टिविटी मिसिंग व गल-सड़ गई है। इसके कायाकल्प के लिए 170.35 करोड़ की विस्तृृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर दी गई है तथा मामला शीघ्र ही आर्थिक मामले विभाग, भारत सरकार को वल्र्ड बैंक/जेईका/ए.डी.बी. द्वारा धन उपलब्ध करवाने हेतु भेजा जा रहा है।
वर्ष 2016-2017
शिमला शहर में 125 सार्वजनिक शौचालय हैं जिनमें से 102 का रख-रखाव सुलभ इन्टरनेशनल संस्था द्वारा किया जा रहा है। इस वित्त वर्ष में जिन शौचालयों में मुरम्मत इत्यादि की आवश्यकता है उनका जिर्णोद्धार व मुरम्मत का कार्य किया जाएगा।
इस चालू वित्त वर्ष ताराहाल स्कूल के सामने व ढली टनल के पास बने पुराने शौचालयों का पुनर्निर्माण किया गया। इसके अतिरिक्त आगामी वर्ष में आॅकलैण्ड टनल के पास तथा ढली में नए सार्वजनिक शौचालय का निर्माण व कैथू बाजार में पुराने सार्वजनिक शौचालय का जिर्णोद्धार किया जाना प्रस्तावित है।
वर्ष 2016-17 में रिज मैदान पर लगभग 18 लाख की लागत से महिला व पुरूष ई-शौचालयों का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाएगा। इन शौचालयों के लिए साईट डवेल्पमेन्ट का कार्य प्रगति पर है। इसके अतिरिक्त छोटा शिमला में भी ई-शौचालय बनाया जाना प्रस्तावित है।
वर्ष 2015-16 में नगर निगम शिमला द्वारा 758 नए पानी के कुनैक्शन तथा 111 सीवरेज के कुनैक्शन लगाए गए है, जिससे शहर में कुल 28998 पानी के तथा 11280 सीवरेज कुनैक्शन हो गए है। जिन लोगों के पास पानी व सीवरेज के कुनैक्शन नहीं है उन्हें कुनैक्शन उपलब्ध करवाने हेतू हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1994 के तहत उप-नियमों में संशोधन किया गया है।
अन्य घोषणाएं
वर्ष 2014-15
नगर निगम शिमला के अन्र्तगत छः एसकेलेटरज: (i) लिफ्ट से माल रोड़ वाया सब्जी मण्डी मैदान, (ii) लक्कड़ बाजार बस अड्डा से रिज मैदान/माल रोड़ (iii) लोअर बाजार से माल रोड़ (इन्दिरा चैक) (iv) लोअर बाजार से माल रोड़ (जैन मन्दिर के समीप), (v) रेलवे स्टेशन से माल रोड़ (iv) आॅकलैण्ड टनल से लक्कड़ बाजार स्थापित करने की योजना HPIDB को माननीय सदन के अनुमोदन के उपरान्त प्रेषित की गई है। औपचारिकताएं पूर्ण की जा रही हैं। वर्ष 2014-15 में कार्य पूर्ण करने का सतत् प्रयास किया जाएगा। निगम की आय में वृद्धि जनसुविधा, पर्यटक-आकर्षण, आधुनिकीकरण इत्यादि ध्येयों की पूर्ति होगी।
नगर निगम शिमला के अधीन अन्तर्राष्ट्रीय राज्य बस स्टैण्ड टूटीकण्डी-लिफ्ट-रानी झाॅंसी पार्क रोप-वे परियोजना के लिए HPIDB द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने का कार्य प्रगति पर है। वर्ष 2014-15 के अन्त तक इस परियोजना को पूर्ण करने का प्रयास किया जाएगा। शहर में ट्रैफिक समस्या में वांछित सुधार व इसके अतिरिक्त स्थानीय जनता एवं पर्यटक इस परियोजना से लाभान्वित होंगे।
नगर निगम ने हि. प्र. लोक निर्माण विभाग के सहयोग से 163 करोड़ 52 लाख की अनुमानित लागत से प्रस्तावित आई.जी.एम.सी. से हिमफैड पैट्रोल पम्प टनल तथा सर्कुलर रोड़ के साथ लगते पैदल रास्तों के निर्माण हेतु 12 करोड़ 58 लाख की योजना केन्द्र सरकार को प्रेषित की गई है। भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में ओवर ब्रिज बनवाने तथा शहर की सड़कों, सम्पर्क मार्गों एवं रास्तों के कायाकल्प की योजना पर भी कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2014-15 में धन का प्रावधान होने पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
वर्ष 2015-16
ऐतिहासिक रिज मैदान में प्रमुख रूप से भूस्खलन रोकने के आश्य से एवं आय सृजन के उद्देश्य से लगभग 20 करोड़ की अनुमानित लागत से पार्क, दुकानों, मल्टीपलैक्स, स्काईवाक, लिफ्ट, फूड कोर्ट इत्यादि की सुविधा से सुसज्जित बहु-उद्देशीय परिसर की परिकल्पना अन्तिम चरण मे है तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का डिजाईन व माॅडल विकसित किया जा रहा है ताकि रिज मैदान का संरक्षण हो सके तथा जनाकर्षण का केन्द्र बिन्दु प्रस्तुत किया जा सके। प्रदेश सरकार की अनुमति प्राप्त होते ही इस परिसर का कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा।
नगर निगम में 2 करोड़ 80 लाख की लागत से सोलर सिटी मिशन के अन्तर्गत सोलर पावर प्लांट का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जिसके लिए स्थान का चयन किया जा रहा है।
शहर के विभिन्न वार्डों में 1000 सोलर स्ट्रीट लाईटें लगाने का कार्य पूर्ण किया जा चुका है। साथ ही 1700 सोलर होम लाईट स्लम एरिया में लगाने के लिए भी अग्रसर है।
शिमला शहर में यातायात की समस्या से निजात पाने के लिए दो अन्य रोप-वे तारादेवी से कुफरी वाया संकट मोचन, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, पुराना बस अड्डा, जाखू मन्दिर तक तथा तारादेवी रेलवे स्टेशन से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय वाया कसुम्पटी, छोटा शिमला, टूटीकण्डी, पुराना बस अड्डा तक रोप-वे व दो टनलों का निर्माण लिफ्ट से लक्कड़ बाजार तथा लिफ्ट से हिमफैड पम्प नजदीक नवबहार तक बनाने की परियोजना है। इन रोप-वे व टनलों के निर्माण से शिमला शहरवासियों को जहां यातायात की समस्या से निजात मिलेगी, वहीं शहर के पर्यावरण व विकास के साथ-साथ सैलानी भी लाभान्वित होंगे।
वर्ष 2016-17 मे शिमला शहर में 7661 पुरानी स्ट्रीट लाईटों को एल.ई.डी. में बदलने का कार्य प्रस्तावित है तथा 1000 नए एल.ई.डी. स्ट्रीट लाईट प्वाईंट लगाने भी प्रस्तावित है।
सोलर सिटी मिशन के अन्र्तगत 37 लाख की लागत से 20 किलोवाट का सोलर पावर प्लांट एच.आर.टी.सी. कार्यालय व 29 लाख की लागत से 15 किलोवाट का सोलर पावर प्लांट पंचायत भवन में लगा दिए गए है। इसके अतिरिक्त रिज मैदान पर 2.80 करोड़ की लागत से सोलर पावर प्लांट का क्रियान्वयन किया जाना प्रस्तावित है। शीघ्र ही सोलर पावर प्लाॅंट का कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा।

निगम की सत्ता पर कांग्रेस के कब्जे की संभावना बढ़ी

नेतृत्व की अस्पष्टता भारी पड़ेगी भाजपा पर

शिमला/शैल। नगर निगम चुनावों में जीत का सेहरा किसके सिर सजेगा यह स्थिति स्पष्ट होने की बजाये लगातार उलझती जा रही है। क्योंकि भाजपा और कांग्रेस दोनों बडे़ दावेदारों में अपने भीतर के असंतुष्टों/विद्रोहीयों की समस्या लगभग बनी हुई है। भाजपा ने जिस तरह से टिकट वितरण किया है उससे बहुत सारेे स्थानों पर उनकेे विद्रोही खुलकर सामने आ गये हैं। भाजपा ने कई वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को अनुशासनात्मक कारवाई के लिये नोटिस जारी कर दिये हैं। इस चुनाव के टिकट वितरण में ही पार्टी की गुटबंटी न चाहते हुए भी सामने आ गयी है जो निश्चित रूप से नुकसानदेह सिद्ध होगी। इसी गुटबंदी के कारण टिकट वितरण में परिवारवाद तक के आरोप लग गये। फिर आज तक निगम की सत्ता पर भाजपा का कब्जा नही हो पाया है। ऐसे में भाजपा को बहुमत मिल पाने की संभावनाएं बहुत कम होती जा रही हैं। हालांकि चुनाव प्रचार में भाजपा कांग्रेस के बहुत आगे चल हरी है।
कांग्रेस में सुक्खु-वीरभद्र विवाद के कारण पार्टी शुरू में यह फैसला ही नही ले पायी कि उसे उम्मीदवारों की अधिकृत सूचिजारी करनी चाहिये या नही। सबको अपने दम पर चुनाव लड़ने की छुट दे दी। लेकिन जब यह चर्चाे का विषय बना और सुक्खु-वीरभद्र को हाईकमान ने तलब किया तब नामांकन वापसी के दिन अधिकृतसूची जारी कर दी उसमें भी सारे वार्डो पर सहमति नही बन पायी। परिणामस्वरूप आधे से ज्यादा बार्डो में समानान्तर प्रत्याक्षी मौजूद हंै। फिर जिन मन्त्रीयों/विधायकों एवम अन्य नेताओं की चुनाव प्रचार से डियूटी लगायी गयी है वह अभी तक सामने आये नही हैं। सबके आने की उम्मीद भी नही है। कांगे्रस की इस स्थिति से स्पष्ट हो जाता है कि पार्टी अपने संख्याबल पर सत्ता पर काबिज नही हो पायेगी। हालांकि अब तक लगभग कांग्रेस का कब्जा निगम पर रहा है।
माकपा का पांच वर्ष निगम की सत्ता पर कब्जा रहा है और इस कब्जे के कारण ही आज तीस वार्डो से चुनाव लड़ रही है। माकपा ने चुनावी रणनीति के तहत करीब हर वार्ड में काफी वोटरों का पंजीकरण करवाया है। यह सारे वोटर माकपा के लिये ही मतदान करेगें यह तय है। इस रणनीति के तहत यह मानना गलत होगा कि माकपा के पाषर्दों की संख्या अब पहले से दोगुणी नही हो जायेगी फिर इस कार्यकाल में पानी आदि की जो समस्या रही हैं उसके लिये कांग्रेस और भाजपा भी बराबर के जिम्मेदार माने जायेंगे क्योंकि इनका संख्याबल माकपा से कहीं ज्यादा था।
इस परिदृश्य में निगम चुनाव का आकलन करते हुए यह सामने है कि निगम तीन विधानसभा क्षेत्रों शिमला, शिमला ग्रामीण और कुसुम्पटी में फैला है। शिमला ग्रामीण से वीरभद्र स्वयं हैं और कुसुम्पटी से अनिरूद्ध भी कांग्रेस के ही विधायक हैं करीब नौ वार्ड इन दो विधानसभा क्षेत्रों से हैं। माना जा रहा है कि इनमें बहुमत कांग्रेस के पक्ष में रहेगा और माकपा भाजपा यहां बराबरी पर रहेंगे। शिमला के 25 वार्ड हैं और पिछली बार भी इतने ही थे। पिछली बार भाजपा को यहां बहुमत मिला था। पिछली बार के निगम चुनावों के दौरान भाजपा की प्रदेश में सरकार थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी उस समय कौल सिंह थे। इसलिये उन चुनावों से वीरभद्र सिंह पर कोई सीधा राजनीतिक प्रभाव नही पड़ता था। बल्कि यह चुनाव हारने से वीरभद्र के प्रदेश अध्यक्ष बनने का दावा मजबूत हो गया और वह फिर बन भी गये। आज वीरभद्र प्रदेश के मुख्यमन्त्री हैं सातवीं बार बनने का दावा कर रहें है। भाजपा नेतृत्व पिछले दो साल से सरकार गिरने के दावे करता आ रहा है जो सफल नही हुए हैं। वीरभद्र के मामलें भी एक मोड़ पर आकर रूक गये हैं और इसी कारण से इन चुनावों में भाजपा इनका जिक्र तक करने का साहस नही कर पा रही है। वीरभद्र निगम चुनावों की राजनीतिक अहमियत को समझते हैं और स्वयं मैदान में आ गये हैं। इसी के साथ यह भी महत्वपूर्ण है कि शिमला जंहा प्रदेश की राजधानी है वहीं जिले का मुख्यालय भी है। इस समय अवैध कब्जों के प्रकरण में शिमला सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां के बागवान सबसे ज्यादा पीडित होने वाले हैं। इनको अपने हितों की रक्षा का सबसे ज्यादा भरोसा वीरभद्र पर ही है। इसी भरोसे के कारण निगम पर सबसे ज्यादा कब्जा कांग्रेस का रहा है। विधानसभा चुनावों में भी जिले में कांग्रेस का पलड़ा इसी कारण भारी रहता रहा है। निगम के जिन वार्डों में शिमला जिले के वोटरों का बहुमत है वहां पर अक्सर कांग्रेस ही जीत दर्ज करती रही है क्योंकि यह मतदाता अन्त में वीरभद्र के संकेत पर ही मतदान करते हैं यह सर्वविदित है। आज भी राजनीतिक परिदृश्य पहले जैसा ही है। फिर भाजपा में नेतृत्व के प्रश्न पर कोई स्पष्टता नही उभर पायी है इस परिदृश्य में विश्लेष्कों का मानना है कि इन निगम चुनावों में भाजपा को सत्ता मिलना संभव नहीं है। यह हो सकता है कि यदि कांग्रेस को अपने दम पर 18 का आंकड़ा हासिल नही होता है तो माकपा के साथ मिलकर बहुमत बनाया जायेगा क्योंकि माकपा की भी राजनीतिक निकटता कांग्रेस के ही साथ है भाजपा के नही। ऐसे में साफ है कि अन्त में निगम पर फिर कांग्रेस का ही कब्जा होगा भले ही माकपा को भी कुछ हिस्सा मिल जाये।

नगर परिषद सोलन के अध्यक्ष पवन गुप्ता के प्रकरण में अब तक कोई कारवाई न होने से प्रशासन सवालों में

शिमला/शैल। सोलन नगर परिषद पर इस समय भाजपा का कब्जा है। जिले के वरिष्ठ भाजपा नेता पवन गुप्ता इसके अध्यक्ष हैं। वरिष्ठता के कारण ही शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद विरेन्द्र कश्यप और पूर्व स्वास्थ्य मन्त्री नाहन के विधायक डा. राजीव बिन्दल का भी उन्हे सहयोग/ समर्थन हासिल है। लेकिन जब से पवन गुप्ता पर अपने पद के दुरूपयोग और एक तरह की दबंगाई के आरोप लगे हैं इससे भाजपा नेतृत्व के सामने एक अजीब संकट खडा हो गया है। क्योंकि जिस तरह के आरोप पवन गुप्ता पर लगे हैं उनके चलते अब तक उनसे त्यागपत्रा लेकर कारवाई हो जानी चाहिये थी। क्योंकि एसडीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में इन आरोपों को सही पाया है।
पवन गुप्ता के खिलाफ सोलन के ही एक महेन्द्र कुमार वर्मा ने आरोप लगाये हैं । अतिरिक्त मुख्य सचिव शहरी विकास विभाग को भेजी शिकायत को अतिरिक्त सचिव ने जांच के लिये जिलाधीश सोलन को भेजा और डीसी ने एसडीएम को जांच की जिम्मेदारी सौंपी। एसडीएम ने 3.4.2017 को डीसी को भेजी रिपोर्ट में आरोपों को सही पाया है। महेन्द्र वर्मा का आरोप है कि उन्होने 2013 में अपने मकान की दो मंजिले स्वीकृत नक्शे से अधिक बना ली थी और रिटैन्शन पाॅलिसी के तहत उनके नियमितिकरण के लिये आवेदन किया था। लेकिन इस आवेदन पर कोई भी आदेश पारित होने से पहले ही नगर परिषद अध्यक्ष पवन गुप्ता ने अजय सहगल, पंकज सहगल, हरीश सहगल तथा परिषद के जेई एसडीओ और मजदूरों ने उसके मकान की छत आदि तोड़ दी। तोड़फोड़ की यह कारवाई सीसीटी कैमरे में भी दर्ज है। शिकायतकर्ता वर्मा के मुताबिक यह लोग उसके मकान को खरीदना चाहते थे। 26.7.2016 को अजय सहगल, पंकज सहगल और हरीश सहगल ने वर्मा को मकान की टाॅप मंजिल 25 लाख में उन्हे बेचने का आग्रह किया। जबकि वर्मा के मुताबिक इसकी कीमत एक करोड़ थी। इस तरह जब वर्मा ने यह मकान बेचने से इन्कार कर दिया तो उसे यह मकान तोड़ दिये जाने की धमकी मिल गयी और इस धमकी को अन्जाम भी दे दिया गया। वर्मा ने इस सबकी शिकायत सोलन पुलिस से की जिसे अनसुना कर दिया गया। हार कर वर्मा इस मामले को आई जी शिमला के संज्ञान में लाये और आईजी के निर्देशों पर इसमें 16.8.2016 को एफआईआर संख्या 183 दर्ज हुई जिस पर अभी अगली कारवाई अपेक्षित है।
दूूसरी ओर पवन गुप्ता का परिवार भी राजगढ़ रोड़ पर एक बहुमंजिला भवन का निर्माण अपने बेटे रोहित गुप्ता के नाम से कर रहा है। शिकायत के मुताबिक यह मंजिला भवन पूरी तरह अवैधता के साथ सारे नियमों कानूनों को अंगूठा दिखाकर बनाया जा रहा है। इस भवन के दो ब्लाॅक हैं जिनमें ईओएमसी के मुताबिक एक में 147.3% और दूसरे में 104.28% अवैधता है। ईओ की रिपोर्ट 4.1.2017 की है। जबकि कार्यकारी अभियन्ता द्वारा 20.3.2017 को सौंपी रिपोर्ट में 158% और 132.7% अवैधता पायी गयी है। पवन गैर हिमाचली और गैर कृषक हैं यह उन्होने इस जांच के दौरान स्वयं एमडीएम के पास स्वीकारा है। एसडीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया है। यही नही पवन गुप्ता परिवार द्वारा किये जा रहे निर्माण से कोटला नाला के पास मीनस रोड़ भी आर डी 0850 से 0865 तक डैमेज हुआ है जिसकी क्षति पूर्ति के लिये लोक निर्माण विभाग ने उनके खिलाफ कारवाई को भी अंजाम दिया है।
इस पूरे प्रकरण की जांच में एसडीएम ने सारे सवंद्ध पक्षों को पूरे विस्तार से सुनने और उनके द्वारा पेश किये सारे साक्ष्यों/तथ्यों का निरीक्षण करने के बाद सारे आरोपों को सही पाया है। लेकिन 3.4.2017 को एसडीएम द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट पर अभी तक कोई कारवाई सामने नहीं आयी है। एक नगर परिषद का अध्यक्ष किस हद तक अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करके दूसरे का नुकसान कर सकता इसका खुलासा एसडीएम की रिपोर्ट से हो जाता है। लेकिन इस रिपोर्ट के वाबजूद प्रशासनिक स्तर पर कोई कारवाई न होना और पार्टी नेतृत्व का भी इस पूरे प्रकरण पर खामोश रहना कई सवाल खडे़ कए जाता है।

निगम चुनावों के परिदृश्य में भाजपा का आरोप पत्र ही भाजपा से मांगेगा जवाब

                              टिकट आवंटन के बाद उभरी बगावत पड़ेगी भारी
शिमला/शैल। नगर निगम शिमला के चुनाव हो रहे हैं इसके लिये 16 जून को मतदान होगा। इस चुनाव में वामदल, भाजपा और कांग्रेस में त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। यह सभी दल सभी सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव उम्मीदवारों की सूची जारी करने में वामदलों ने पहल करके अपने विरोधीयों को इस संद्धर्भ में तो निश्चित रूप से पीछे छोड़ दिया है। नगर निगम में जीत का सेहरा किसके सिर सजता है यह तो 17 जून को चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा लेकिन यह तय है कि इन चुनावों का असर विधानसभा चुनावों पर भी पडे़गा। अभी जब मतदाता सूचियों को लेकर विवाद खड़ा हुआ और राज्य चुनाव आयोग द्वारा इन सूचियों को संशोधित करने के आदेश जारी करने पडे़ तब चुनाव आयोग के इस कदम को भाजपा ने प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी तथा साथ ही राज्यपाल को एक आरोप पत्र भी सौंपा। इस आरोप पत्र में भाजपा ने वामदलों और प्रदेश की कांग्रेस सरकार को खूब घेरा है। अब उच्च न्यायालय के फैसले के बाद यह चुनाव घोषित हो गये है। ऐसे में भाजपा को अपने आरोप पत्र पर जांच और कारवाई करने की मांग का तो शायद ज्यादा समय नही है लेकिन अब अपने ही आरोप पत्र के मुद्दों पर कारवाई करने का भरोसा इसे शिमला की जनता को देना पडे़गा।
पानी शिमला शहर की सबसे बड़ी समस्या है जिसके चलते निगम प्रशासन पूरे शहर को हर रोज एक साथ पानी देने की स्थिति में कभी भी किसी भी सीजन में नहीं रहा है, बल्कि भाजपा शासन के दौरान भी शिमला को पानी लाने के प्रयास में एक बड़ी पाईप लाईन बिछाई गई थी जिसे आशियाना रेस्तरां के पास से रिज के टैंक से जोड़ा गया था। जिसमें कभी पानी आया ही नहीं। पानी के संद्धर्भ में कांग्रेस और भाजपा दोनों सरकारों की स्थिति एक जैसी ही रही है। पानी के बाद शहर की दूसरी बड़ी समस्या अवैध निमार्णों की है। शहर में 7000 से भी अधिक अवैध निर्माण है। हर सरकार में अवैध निर्माण होते रहे हैं। जिन्हें नियमित करने के लिये हर बार रिटैन्शन पाॅलिसीयां लायी जाती रही है। नौ बार ऐसा हो चुका है इस बार यह मामला प्रदेश उच्च न्यायालय में लंबित चल रहा है। शहर में फैले पीलिया को लेकर संवद्ध अधिकारियों के खिलाफ कारवाई किये जाने को लेकर भी आज तक मामला उच्च न्यायालय में लंबित चल रहा है। सरकार और निगम प्रशासन इन लोगों के खिलाफ अदालत से हटकर अपने स्तर पर विभागीय कारवाई को अंजाम दे सकते थे लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। शहर मे सीवरेज के लिये भी एक समय बड़ा मास्टर प्लान तैयार किया गया था। आऊट सोर्स के नाम पर यह सर्वे एक दिल्ली की कंपनी से करवाया गया था, लेकिन यह सीवरेज प्लान आज तक अमली जामा नही ले पायी है। भाजपा ने निगम क्षेत्र मे हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिये राज्यपाल को एक आरोप पत्र सौंप कर नगर की जनता का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है। ऐसे में उजागर किये गये इस भ्रष्टाचार पर सख्त कारवाई की वचनबद्धता क्या भाजपा शिमला की जनता को देगी या यह आरोप पत्र मात्र चुनावी प्रचार का मुद्दा होकर ही रह जायेगा इस पर शिमला की जनता की निगाहें लगी हुई है।
भाजपा ने एशियन विकास बैंक के ऋण से किये जा रहे शिमला के सौंदर्यकरण पर भी गंभीर सवाल उठाये हैं। निश्चित रूप से सौन्दर्यकरण के नाम पर इस 260 करोड़ के ऋण का आपराधिक दुरूपयोग हो रहा है। शहर के दोनो चर्चों की रिपेयर के लिये ही 24 करोड़ का अनुबन्ध किया गया है। इस अनुबन्ध का दस्तावेज शैल बहुत पहले ही अपने पाठकों के सामने रख चुका है। भाजपा ने अपने आरोप पत्र में भी इस मुद्दे को उजागर किया है। सौन्दर्यकरण के इस काम के एक बड़े भाग को जो ठेकेदार अंजाम दे रहा है उसने पिछले दिनों जब प्रधानमन्त्री मोदी शिमला आये थे भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। उसकी पत्नी ने भी जो कभी शिमला की मेयर रह चुकी है भाजपा की सदस्य बन गयी है। बहुत संभव है कि महिला के नाम पर वह शिमला से विधान सभा के लिये भाजपा की उम्मीदवार हों। इन लोगों के सहयोग से शिमला में सौन्दर्यकरण के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार को और भी विस्तार से जनता के सामने ला सकती है। इस परिदृश्य में क्या भाजपा अपने इस आरोप पत्र पर कारवाई करने की वचनबद्धता शिमला की जनता को दे पायेगी या नही इस पर सबकी निगाहें लगी हुई है।
इसी के साथ निगम चुनावों में जिस तरह से भाजपा ने टिकटों का आवंटन किया है उससे आधा दर्जन से अधिक बार्डो में बगावत के स्वर मुखर हो गये हैं टिकट आवंटन में योग्यता को दर किनार करने से लेकर परिवारवाद तक के आरोप लग गये हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं में उभरी इसी बगावत से एक ही सन्देश जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर मिली सफलता से यह व्यवहार करने पर उत्तर आया है कि ’जीताऊं’ की परिभाषा केवल नेता विशेष के प्रति वफादारी ही है। यह व्यक्तिगत वफादारी का पैमाना जब टिकट पाने का आधार बन जाता है तब संगठन को नुकसान पहुंचना तय बन जाता है। इन निगम चुनावों में टिकट के आवंटन का आधार यही व्यक्तिगत वफादारी रही है। जिसके कारण पहले दिन से बगावत के स्वर मुखर हो गये हैं।

सुक्खु-वीरभद्र की लीडरशिप में निगम चुनावों से भागी कांग्रेस लड़ने वालों को छोड़ा अपने हाल पर

शिमला/शैल। नगर निगम शिमला के चुनावों में कांग्रेस की ओर से उम्मीदवारो की कोई अधिकारिक सूची जारी नही की गयी है। जबकि भाजपा और माकपा ने वाकायदा अपने-अपने उम्मीदवारों की सूचियां जारी की है। उम्मीदवारों की अधिकारिक सूची जारी न करने को लेकर कांग्रेस का तर्क है कि जब पार्टी के चुनाव चिन्ह पर यह चुनाव लड़े ही नही जा रहे हैं तो फिर पार्टी की ओर से सूची क्यों जारी की जाये। पार्टी चिन्ह की स्थिति तो सारी पार्टियों के लिये एक बराबर है लेकिन अन्य किसी भी पार्टी ने कांगे्रस का अनुसरण नहीं किया है। कांग्रेस का तर्क पार्टी के अपने ही कार्यकर्ताओं के गले नही उतर रहा है क्योंकि एक वार्ड में कांग्रेस के ही एक से अधिक सदस्य चुनाव में उम्मीदवार हो सकते है। ऐसे में पार्टी की ओर से न तो इन चुनावोें के लिये उम्मीदवारों को कोई चुनाव सामग्री उपलब्ध करवाई जायेगी न ही कोई आर्थिक सहायता दी जायेगी। इसी कारण से इन चुनावों के लिये पार्टी कोई अपना ऐजैन्डा भी घोषित नहीं कर पायेगी। चुनावों में यदि भाजपा और माकपा की ओर से सरकार और संगठन से कोई सवाल पूछे जाते हैं या कोई आरोप लगाये जाते हैं तो उनका उम्मीदवारो की ओर से कोई अधिकारिक जवाब तक भी नही जा पायेगा। पार्टी का कोई भी नेता चुनाव प्रचार के लिये नही आ पायेगा क्योंकि संगठन की ओर से किसी की भी अधिकारिक जिम्मेदारी रहेगी ही नही। चुनाव जीतने के बाद यदि यह लोग कोई पासा बदल लेते हैं तो उन्हे पार्टी की ओर से रोकना या उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कारवाई कर पाना संभव नहीं होगा। अधिकारिक तौर पर निगम चुनावों में पार्टी एकदम लावारिस रहेगी।
शिमला नगर निगम के चुनाव राजनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं बल्कि इन चुनावों को एक तरह से विधानसभा के मिनी चुनाव माना जाता है। इन चुनावों के थोड़े समय बाद ही विधानसभा के चुनाव आने है। पार्टी वीरभद्र के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ कर पुनः सत्ता में वापसी के दावे कर रही है। वीरभद्र को सातवीं बार मुख्यमन्त्री बनाने के सपने संजोये जा रहे हैं लेकिन जो पार्टी राजधानी नगर की निगम के चुनाव सीधे लड़ने का साहस नही कर पायी है वह विधानसभा चुनावों में अपनी क्या एकजुटता दिखा पायेगी। मजे की बात तो यह है कि हाईकमान की ओर से प्रदेश का प्रभार संभाल रही महामन्त्री अंबिका सोनी भी इन चुनावों की राजनीतिक गंभीरता का आकलन नही कर सकी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुक्खु और मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह जैसा अनुभवी राजनेता भी इस स्थिति का आकलन नहीं कर पाया है।
पार्टी की इस स्थिति के लिये आज मुख्यमन्त्री वीरभद्र सिंह और पार्टी अध्यक्ष सुक्खु के बीच जो छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है उसे जिम्मेदार माना जा रहा है। इन चुनावों में सरकार और संगठन के ऊपर सारा विपक्ष खुलकर हमला करेगा। सीधी चुनौती दी जायेगी कि जो पार्टी निगम चुनावों का सामना नही कर पायी है वह विधानसभा चुनावों में क्या मुंह लेकर उतरेगी। निगम चुनावों से इस तरह भागकर सुक्खु ने 18 विधायकों का समर्थन जुटा कर जो अपनी स्थिति को सुरक्षित किया था इस रणनीति से उस सुरक्षा पर नये सिरे से प्रश्नचिन्ह लगने की नौबत आ जायेगी। कांग्रेस के इस बिखराव और शीर्ष नेतृत्व की कलह से निश्चित रूप से पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर प्रतिकूल असर पड़ना तय है। यदि इन निगम चुनावों के बाद पार्टी के इस फैसले की समीक्षा की जायेगी तो तय है कि शीर्ष नेतृत्व में से किसी एक की बलि चढ़ जायेगी क्योंकि निगम चुनावों की गंभीरता का आकलन करके ही भाजपा ने प्रधानमन्त्री मोदी की शिमला में रैली तक करवा दी, लेकिन कांग्रेस अधिकारिक रूप से चुनाव लड़ने का साहस ही नही जुटा पायी। ऐसे में बहुत संभव है कि कांग्रेस का प्रतिबद्ध वोटर इस स्थिति को देखकर माकपा को समर्थन देने का फैसला लेने पर मजबूर हो जाये, यदि ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस की इस भीतरी अराजकता का पूरा-पूरा लाभ भाजपा को मिल जायेगा।

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