देश में इस तरह की आतंकी गतिविधियों एक लम्बे अरसे से चली आ रही है और अधिकांश में इन्हें सीमा पार से प्रायोजित करार दिया जाता रहा है। जम्मू कश्मीर में सीमा पार के कुछ संपर्क होने के भी आरोप लगते आये हैं। इन आरोपों के परिणाम स्वरुप नोटबन्दी लागू की गयी थी। कहा गया था कि इससे आतंकवाद की रीढ़ टूट जायेगी। लेकिन नोटबन्दी के बाद भी यह घटनाएं रुकी नहीं है। सीमा पार के जम्मू कश्मीर में संपर्क होने के कारण ही जब 14 फरवरी 2019 को पुलवामा घट गया तब 5 अगस्त 2019 को संसद में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित करके प्रदेश को दो केन्द्र शासित राज्यों लद्दाख और जम्मू कश्मीर में विभाजित कर दिया गया। धारा 370 के तहत मिला विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया गया। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इस तरह जम्मू कश्मीर अब केन्द्र शासित प्रदेश है और ऐसे में वहां सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी केन्द्र पर आ जाती है। अब जब इस घटना के बाद सर्वदलीय बैठक हुई तो उस बैठक से प्रधानमंत्री गायब रहे। बैठक में गृह मंत्री और सुरक्षा सलाहकार डोभाल शामिल रहे। बैठक में सरकार ने स्वीकार किया कि सुरक्षा में चूक हुई है। लेकिन इस चूक के लिये जो कारण बताया वह एकदम गले नहीं उतरता। यह कहा गया कि जिस जगह यह घटना घटी है वह रास्ता अमरनाथ यात्रा के दौरान जून में खुलता है। वहां पर्यटक कैसे चले गये इसका पता ही नहीं चला। यह शुद्ध गलत ब्यानी है क्योंकि जो रिपोर्टस प्रैस के माध्यम से सामने आयी है उसके मुताबिक तो वहां पर हर समय पर्यटक जाते रहते हैं। पहलगाम का विकास प्राधिकरण बाकायदा पर्यटकों से टोल वसूल करता है। यह काम किसी प्राइवेट आदमी को दिया गया है। पहलगाम के डी.एम. को इसकी जानकारी रहती है। यह सब कुछ वीडियोज के माध्यम से देश के सामने आ चुका है। वहां पर दो हजार पर्यटक मौजूद थे ऐसा कैसे संभव हो सकता है कि इतने लोगों के वहां होने की सूचना खुफिया एजैन्सी को न मिली हो। यह सामने आ चुका है कि आईबी के पास ऐसी सूचना थी की घाटी में कोई वारदात हो सकती है। इस सूचना पर उच्च स्तरीय बैठक होने की भी जानकारी है। इसी जानकारी के आधार पर प्रधानमंत्री का घाटी दौरा रद्द किया गया था। यह सवाल इसलिये प्रासंगिक हो जाते हैं क्योंकि पुलवामा को लेकर जो सवाल तत्कालीन राज्यपाल सतपाल मलिक ने अपना पद छोड़ने के बाद उठाये हैं उनसे देश बहुत सतर्क और सजग हो चुका है।
इस समय जब पूरा देश सरकार और प्रधानमंत्री के साथ एक जूटता के साथ खड़ा है तब यह अपेक्षा तो सरकार और प्रधानमंत्री से रहेगी कि वह देश को पूरे तथ्यों से अवगत करवायें। जब सर्वदलीय बैठक में यह स्वीकार कर लिया है की सुरक्षा में चूक हुई है तो इस चूक के लिये किसी को दण्डित भी किया जाना आवश्यक है ताकि जनता आश्वस्त हो सके।