Friday, 19 September 2025
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हिमाचल रसोई ब्लास्ट पर कुण्डू के खुलासे से सरकार फिर सवालों में

शिमला/शैल। क्या 18 जुलाई 2022 को शिमला के माल रोड के साथ लगता मिडल बाजार स्थित हिमाचल रसोई में हुए ब्लास्ट में आरडीएक्स का इस्तेमाल हुआ है? इस ब्लास्ट की जांच एस पी शिमला की पुलिस ने की थी और इसमें जुन्गा स्थित फारैन्सिक लैब का भी सहयोग लिया गया था। इस जांच में इसे गैस सिलैण्डर लीक होने के कारण हुआ धमाका करार दिया गया था। इसी जांच के दौरान दिल्ली से एनएसजी के विशेषज्ञों की टीम भी घटनास्थल पर आयी थी और जांच करके चली गयी थी। इस जांच में धमाके का कारण क्या पाया गया है इसका अधिकारिक खुलासा आज तक सामने नहीं आया है। लेकिन इस धमाके के बाद जब पालमपुर के एक कारोबारी निशान्त शर्मा का एक झगड़ा एक वरिष्ठ वकील और एक पूर्व आईपीएस अधिकारी तथा इसी मामले में वर्तमान डीजीपी कुण्डू की भूमिका को लेकर चर्चा में आया और निशान्त शर्मा की शिकायत का स्वतः संज्ञान लेते हुये याचिका दायर कर कारवाई शुरू की तब इस मामले में भी यह मोड़ आया है।
स्मरणीय है कि निशान्त शर्मा की शिकायत पर स्वतः संज्ञान लेते हुये यह मामला दो बार उच्च न्यायालय और दो ही बार सुप्रीम कोर्ट तक हो आया है। उच्च न्यायालय ने पहली बार उसके सामने एसपी कांगड़ा और एसपी शिमला की रिपोर्टों के माध्यम से सामने आये तथ्यों की विवेचना करते हुये डीजीपी और एसपी कांगड़ा को उनके पदों से हटाने के निर्देश जारी किये थे। इन निर्देशों पर अमल करते हुये प्रदेश सरकार ने डीजीपी को प्रधान सचिव आयुष तैनात कर दिया था। एसपी कांगड़ा को लेकर कोई आदेश जारी नहीं हुये थे। उच्च न्यायालय के इस फैसले को डीजीपी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी कुण्डू को राहत देते हुये ट्रांसफर आदेश को स्टे करके उन्हें फिर से उच्च न्यायालय में जाने और पहले फैसले को रिकॉल करने की याचिका दायर करने के निर्देश दिये। इन निर्देशों पर डीजीपी कुण्डू ने उच्च न्यायालय में रिकॉल याचिका दायर कर दी। उच्च न्यायालय ने इस रिकॉल याचिका को अस्वीकार करते हुये बहुत सारे तथ्य भी रिकॉर्ड पर ला दिये। इस पर कुण्डू दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये। इस बार कुण्डू ने अपनी याचिका में यह आरोप लगाया की जिस एसपी शिमला ने उनके खिलाफ उच्च न्यायालय में स्टेटस रिपोर्ट दायर की है वह द्वेषपूर्ण है। क्योंकि एसपी शिमला ने हिमाचल रसोई में हुये धमाके को लेकर गैस सिलैण्डर लीक होने की जो रिपोर्ट सौंपी है वह सही नहीं है। उन्होंने इसकी रिपोर्ट को लेकर सरकार को पत्र लिखे हैं। एनएसजी की रिपोर्ट में ब्लास्ट का कारण आरडीएक्स पाया गया है। यह सब कुछ सुप्रीम कोर्ट के बारह जनवरी के फैसले में दर्ज है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने के लिये कोई उपलब्ध नहीं था। इसलिए हिमाचल रसोई में हुये ब्लास्ट का जो कारण डीजीपी ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट को बताया है उसे ही मानना पड़ेगा।
लेकिन इस स्थिति में नये सवाल उभर कर सामने आते हैं क्या उन्हें आसानी से नजर नजरअंदाज किया जा सकता है। हिमाचल रसोई में ब्लास्ट 18 जुलाई को हुआ था जिसमें मौतें तक हुई हैं। पुलिस ने इसे गैस सिलैण्डर लीक करार दिया था। इसमें आरडीएक्स इस्तेमाल हुआ होने की बात पहली बार सर्वाेच्च न्यायालय में करीब सात माह बाद सामने आयी है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि यदि निशान्त शर्मा कुण्डू प्रकरण सर्वाेच्च न्यायालय न पहुंचता तो क्या तब भी हिमाचल रसोई प्रकरण में आरडीएक्स इस्तेमाल होने की खुलासा हो पाता? इसी के साथ यह भी सवाल उठता है कि यदि एसपी शिमला की जांच पर सवाल खड़े करते हुये डीजीपी ने सरकार को पत्र लिखे हैं तो उन पर सरकार ने कोई कारवाई क्यों नहीं की? केंद्रीय जांच एजैन्सी की रिपोर्ट को आज तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया? इस रिपोर्ट पर जुन्गा की फारैन्सिक लैब से सवाल क्यों नहीं किये गये? यदि हिमाचल रसोई प्रकरण में जुन्गा की रिपोर्ट अविश्वसनीय है तो अन्य मामलों में विश्वसनीय कैसे हो सकती है? यह सवाल इसलिये महत्वपूर्ण है क्योंकि इनसे सरकार के पूरे तंत्र पर कई गंभीर प्रश्न चिन्ह लग जाते हैं?

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