Friday, 19 September 2025
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तीन वर्षों से नहीं आयी उच्च शिक्षा विनियामक आयोग की रिपोर्ट

शिमला/शैल। हिमाचल सरकार में प्राइवेट सैक्टर में खुले उच्च शिक्षण संस्थानों को रैगुलेट करने के लिये 2010 में एक विनियामक आयोग की स्थापना की थी। हॉयर एजुकेशन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना as per the notification the Commission shall prepare and submit the annual report to the Government as required under the provision of section 13 of the Act, giving true and full account of the activities undertaken during the previous year.  के अनुसार यह आयोग हर वर्ष अपनी वर्ष भर की गतिविधियों को लेकर एक वार्षिक रिपोर्ट जारी करेगा। यह रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर भी रखी जाती है। आयोग की वेबसाइट पर भी लोड की जाती है तथा आर.टी.आई. के तहत भी उपलब्ध रहती है। वर्ष 2019 तक यह रिपोर्ट बराबर प्रकाशित होती रही है। लेकिन उसके बाद आज तक यह रिपोर्ट सामने नहीं आयी है। इस संबंध में जब भी आर.टी.आई. के तहत सूचना मांगी गयी तो एक ही जवाब मिला की रिपोर्ट तैयार हो रही है।
स्मरणीय है कि विनियामक आयोग इसलिये स्थापित किया गया था ताकि निजी क्षेत्र में खुले उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों और उनके अभिभावकों का शोषण न हो। वहां हो रहा शिक्षण और वहां तैनात सारा स्टाफ वॉइस चान्सलर से लेकर नीचे तक तह मानकों  के तहत भर्ती किया गया हो। पिछले दिनों जब मानव भारती विश्वविद्यालय में हुई गड़बड़ी सामने आयी है तब से इस आयोग की कार्य प्रणाली और भी महत्वपूर्ण हो गयी है। कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की शैक्षणिक योग्यताओं को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। यहां तक आशंकाएं व्यक्त की गयी है कि इन संस्थान में कई विषयों के लिये इतनी-इतनी सीटें दे दी जाती है जो सरकार क्षेत्र में कई दशकों से खुले शिक्षण संस्थानों को भी उपलब्ध नहीं हो पाती है। सीटें देना और तय मानकों की अनुपालन सुनिश्चित करवाना यह सब इस आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। यह आशंकाएं व्यक्त की जा रही है कि कुछ विश्वविद्यालयों को कई कोर्सों में इतनी अधिक सीटें दे दी गयी है जिनके वह शायद पात्र ही नहीं थे। इसमें शूलिनी विश्वविद्यालय तक नाम उछल रहा है।

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