पहलगाम आतंकी हमले के लिये पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने और उससे बदला लेने के जिस तरह के संकल्प प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री ने देश के सामने लिये हैं उसके मुताबिक तो अब तक बहुत कुछ घट जाना चाहिये था। लेकिन कुछ लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाने के अतिरिक्त अभी तक और कुछ नहीं हुआ है। पहलगाम में सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी इस चूक को स्वीकारने के बाद भी इसके लिये न तो किसी को चिन्हित किया गया और न ही किसी को दण्डित किया गया। जबकि इस चूक ने 28 लोगों की जान ले ली है। यही नहीं इस घटना के बाद जिस तरह से कुछ मीडिया मंचों ने इसमें हिन्दू-मुस्लिम का वर्ग भेद खड़ा करते हुये जम्मू-कश्मीर के हर मुसलमान को इसके लिये जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया वह अपने में बहुत ही गंभीर हो जाता है। फिर एक यू टयूब चैनल 4 पीएम न्यूज़ और लोक गायिका नेहा ठाकुर के खिलाफ मामले दर्ज किये गये उससे कुछ और ही संकेत उभरते हैं। इस सारे परिदृश्य को समझने के लिये कुछ और सवाल उठाने आवश्यक हो जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कभी संघ के प्रचारक हुआ करते थे। प्रचारक से वह चौदह वर्ष गुजरात के मुख्यमंत्री रहे उनके शासनकाल में जिस तरह की स्थितियां गुजरात में बन गयी थी उनके साथ में अमेरिका ने उन्हें अपने यहां आने का वीजा नहीं दिया था। लेकिन जब मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री बन गये तब अमेरिका से उनके रिश्ते किस तरह के रहे यह पूरा देश जानता है। प्रधानमंत्री बनने के बाद वह भाजपा के पर्याय हो गये। मोदी है तो मुमकिन है यह संज्ञा उनको दी गयी। एक व्यक्ति के जीवन में चौदह वर्ष मुख्यमंत्री और फिर ग्यारह वर्ष प्रधानमंत्री होना अपने में ही एक बड़ी उपलब्धि है। लेकिन आज उसी प्रधानमंत्री के काल में भाजपा अपना नया अध्यक्ष नहीं बना पा रही है। प्रचारक से प्रधानमंत्री तक पहुंचे मोदी के ही काल में संघ की भाजपा के लिये आवश्यकता पर भी सवाल उठे हैं और आज तक इन सवालों का कोई जवाब नहीं आ पाया है। यहां यह भी जिक्र करना आवश्यक हो जाता है कि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब केन्द्र की कांग्रेस सरकार से सार्वजनिक मंचों पर गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, काला धन, डॉलर के मुकाबले रुपए के गिरने और आतंकवाद पर जिस भाषा में सवाल पूछते थे आज भी वही सवाल उसी भाषा में मोदी और उनकी सरकार से जवाब मांग रहे हैं। उनके द्वारा पूछे गये हर सवाल का वीडियो वायरल हो रहा है। आज देश की आर्थिक स्थिति और विकास पर मोदी सरकार का हर दावा वहां आकर खोखला हो जाता है जब आज भी 140 करोड़ के देश में 80 करोड़ लोग अपने राशन तक का जुगाड़ न कर पा रहे हों। उन्हें सरकार के राशन पर निर्भर रहना पड़ रहा हो। इस वस्तुस्थिति में यदि पहलगाम प्रकरण पर हिन्दू-मुस्लिम करने के प्रयासों पर गंभीरता से विचार किया जाये तो उसकी गहराई में देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने का सच ही सामने आता है। मोदी के प्रधानमंत्री के अब तक के कार्यकाल पर यदि नजर डाली जाये तो इस दौरान उनका हर फैसला ज्यादा से ज्यादा लोगों को सरकार पर निर्भर करने का रहा है ताकि यह लोग ध्वनि मत से उनके फैसले का समर्थन करते रहें। लेकिन आज देश मोदी से उन्हीं की भाषा में उनके ही सवालों को उनके आगे परोस रहा है। इसलिये पहलगाम और वक्फ संशोधन पर उठते सवालों के परिदृश्य में यह नहीं लगता है कि सरकार कोई और बड़ी कारवाई करके देश का बिना शर्त समर्थन हासिल कर पायेगी। क्योंकि भ्रष्टाचार के जिस आन्दोलन के सहारे भाजपा केन्द्र में सत्तारूढ़ हुई थी आज उस आन्दोलन के केन्द्रिय सवाल 2G स्पैक्ट्रम और कॉमनवैल्थ घोटाले इस सरकार में बुरी तरह से बेनकाब हो गये हैं।