राहुल के जिस ब्यान से मोदी समाज का अपमान हुआ है उससे ज्यादा अपमानजनक टिप्पणी राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य और भाजपा नेत्री खुशबू सुन्दर की 2018 में रही है। तब मोदी समाज का अपमान नहीं हुआ क्योंकि मोदी किसी समुदाय विशेष का घोतक नहीं है। मोदी उपनाम वाले सारे लोग एक ही समुदाय या जाति के नहीं हैं। हिन्दू, मुस्लिम, पारसी सभी इस उपनाम का उपयोग करते हैं। वैष्णव (बनिया) पोरबन्दर के खारवा (मछुआरे) और लोहाना (व्यवसायी) समुदाय में मोदी उपनाम लगाने वाले लोग हैं। ओ.बी.सी. की सूची में मोदी नाम का कोई समुदाय या जाती नहीं है। बिहार और राजस्थान की केन्द्रीय सूची में भी कोई मोदी नहीं है। गुजरात की केंद्रीय सूची में मोदी घांची है। यहां सब अब सामने आ चुका है। इस गणित में कौन सा मोदी कैसे आहत हुआ यह एक सामान्य समझ का विषय बन जाता है। आगे अदालतों में यह बहस का विषय बनेगा। इस मामले की सुनवाई एक माह में पूरी हो गयी। जबकि शायद फास्ट टै्रक कोर्ट भी इस गति से फैसले नही दे पाये हैं। इस तरह मामले के सारे तथ्यों को यदि एक साथ रखकर देखा जाये तो इसमें निश्चित रूप से राजनीति की गंध आती है। एक राजनीतिक गंध हर रोज स्पष्ट होती जा रही है। इसी से भाजपा लगातार यह सवाल कर रही है कि कांग्रेस ऊपरी अदालत में क्यों नहीं जा रही है। क्योंकि जैसे ही मामला अदालत में जायेगा तो तुरंत प्रभाव से अदालत में विचाराधीन की श्रेणी में आ जायेगा और सार्वजनिक बहस काफी हद तक रुक जायेगी यही भाजपा चाहती है।
इस समय नरेंद्र मोदी से राहुल का राजनीतिक कद बहुत बढ़ गया है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल को जिस तरह से स्थापित कर दिया है उसकी बराबरी कर पाना शायद नरेंद्र मोदी के लिये कठिन हो गया है। क्योंकि इस प्रकरण के बाद वह सब कुछ एकदम फिर से चर्चा में आ गया है जो पिछले आठ वर्षों में देश में घटा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश विदेश में दिये सारे ब्यान ताजा हो गये हैं। किस तरह से एक ही झटके में यह कह दिया गया कि 75 वर्षों में देश में हुआ ही कुछ नहीं है। किस तरह से पूर्व प्रधानमंत्रियों को लेकर टिप्पणियां की गयी है वह सब चर्चा में आ गयी है। कैसे नेहरु, गांधी परिवार के खिलाफ एक तरह से जिहाद छेड़े गये। कैसे राहुल को पप्पू प्रचारित करने में अरबों रुपए खर्च किये गये। कोबरा पोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन में यह सामने आ चुका है। यह बहस चल पड़ी है कि देश का अपमान नरेन्द्र मोदी ने किया है कि राहुल गांधी ने। क्योंकि सरकार लगातार अपने विरोधियों को येन केन प्रकारेण दबाने में लगी रही और आाम जनता को इसके बदले में जो महंगाई और बेरोजगारी मिली उसमें आज जनता को दोनों में तुलना करने पर खड़ा कर दिया है और उसमें मोदी कमजोर पढ़ते जा रहे हैं। क्योंकि अदानी प्रकरण पर सारी सरकार और भाजपा का अदानी के पक्ष में खड़े हो जाना आम आदमी की नजर में लगातार प्रश्नित होता जा रहा है। जब आज तक हर विवादित मुद्दे पर जे.पी.सी. का गठन होता आया है तो अदानी मामले में क्यों नहीं ? क्यों केंद्रीय कानून मंत्री सर्वोच्च न्यायालय और सेवानिवृत्त जजां के खिलाफ हर कुछ बोलने लग गये हैं। जनता इस सब पर नजर रख रही हैं और यही भाजपा तथा मोदी सरकार का कमजोर पक्ष बनता जा रहा है।