Friday, 19 September 2025
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राजनीति की आकाश-राणे संस्कृति का अंजाम क्या होगा

इन दिनों भाजपा और कांग्रेस के कई नेता अपनी दबंगई और विवादित ब्यानों के कारण जन चर्चा का विषय बने हुए हैं। इनमें प्रमुख रूप से भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गी, कांग्रेस विधायक नितेश राणे और भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर, सन्नी दियोल, प्रहलाद पटेल और मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ के नाम विशेष उल्लेखनीय हो गये हैं। प्रज्ञा ठाकुर तो चुनाव प्रचार के दौरान ही चर्चित हो गयी थी। जब उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथू राम गोडसे को देशभक्त तथा आतंकवादीयों की गोली का शिकार हुए पुलिस अधिकारी हेमन्त करकरे की मौत को अपने अभिशाप का प्रतिफल कहा था। साधवी प्रज्ञा ठाकुर के इन ब्यानों पर काफी विवाद खड़ा हुआ था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इसकी निन्दा करते हुए यहां तक कह दिया था कि प्रज्ञा को दिल से क्षमा नही कर पायेंगे। लेकिन जब प्रज्ञा ने बतौर सांसद शपथ ली और जिस तरह की नारेबाजी वहां हुई उससे स्पष्ट हो गया कि उन पर प्रधानमन्त्री की नाराज़गी का कोई असर नही हुआ है। बल्कि प्रज्ञा के आचरण पर पार्टी से रिपोर्ट मांगी गयी थी लेकिन यह रिपोर्ट भी अभी तक सामने नही आयी है।
इसी तरह भाजपा के गुरदासपुर के सांसद सन्नी दियोल भी चर्चा में आ गये हैं दियोल भी संसद में शपथ लेते हुए जव to uphold the constitution के स्थान पर with hold the constitution का उच्चारण कर गये थे। उनके इस उच्चारण पर उस समय मणीशंकर अय्र जैसे विद्वानों ने सवाल भी उठाये थे। लेकिन उस समय इस पर कोई बड़ा विवाद खड़ा नही हुआ। परन्तु अब दियोल ने अपने संसदीय क्षेत्र में बतौर सांसद अपने कार्यों और अधिकारियों के साथ बैठकें करने आदि के लिये अपना गुरप्रीत नाम का एक प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया है। यह गुरप्रीत सिंह व्यवहारिक तौर पर अधिकारियों और जनता के बीच एक तरह से सांसद ही बन जायेगा यह स्वभाविक है। दियोल ने वाकायदा पत्र लिखकर यह प्रतिनिधि नियुक्त किया है। सोशल मीडिया में यह पत्र वायरल होकर चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा दियोल के इस आचरण पर एकदम खामोश है क्योंकि वह अमितशाह और मोदी की विशेष पसन्द रहे हैं।
इन सांसदो के साथ ही मध्यप्रदेश के इन्दौर से भाजपा विधायक आकाश विजय वर्गीय चर्चा में आ गये हैं। उन्होंने अपने बैट से सरेआम अधिकारियों को पीट डाला। इस प्रकरण पर पुलिस में मामला दर्ज हुआ और उनकी गिरफ्तारी तक हो गयी। इस प्रकरण में उन्हांेने मीडिया में दिये अपने ब्यान में बड़े गर्व से यह स्वीकारा है कि उन्हे शिक्षा ही यह दी गयी है कि ‘‘ पहले आवेदन फिर निवेदन और अन्त में दनादन’’ आकाश के ब्यान से सत्ता की ताकत का स्पष्ट पता चलता है। यही नही जब आकाश के इस आचरण की निन्दा होने लगी तब उनके इस शौर्य को महिमामण्डित करते हुए भाजपा के ही कुछ लोगों ने एक गाना तक इस पर रच दिया। पूरी भाजपा की ओर से आकाश के इस आचरण की कोई निन्दा नही आयी। अब इस पर भी प्रधानमंत्री की ओर से ही यह आया है कि आकाश चाहे किसी का भी बेटा रहा हो परन्तु ऐसे लोगों का पार्टी में कोई स्थान नही है। प्रधानमन्त्री द्वारा निंदा किये जाने के बाद संगठन कब क्या कारवाई करता है यह अभी सामने आना है। लेकिन आकाश के इस आचरण के बाद उत्तर प्रदेश में मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ के एक अस्पताल के दौरे के दौरान पत्रकारों को वहीं एक कमरे में बन्द करने और मुख्यमन्त्री के जाने के बाद उन्हे छोड़ने का प्रकरण सामने आया है। इस पर योगी से लेकर मोदी तक किसी की कोई प्रतिक्रिया सामने नही आयी है। क्योंकि योगी आदित्यनाथ भाजपा में एक बड़ा नाम होते जा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ के अतिरिक्त केन्द्रिय मन्त्री प्रहलाद पटेल के बेटे का नाम भी दबंगई में जुड़ गया है उसके ऊपर गोली चलाने का आरोप है। इसी आरोप में वे गिरफ्तार हो चुके हैं और अब तक जेल मे ही हैं। अब इस कड़ी में कांग्रेस के विधायक नितेश राणे का नाम भी जुड़ गया है। उन्होंने अपने समर्थकों के साथ एक इंजिनियर को पुल पर रस्सीयों से बांध कर उस पर बाल्टी भर के कीचड़ फैंका है। नितेश राणे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमन्त्री नारायण राणे के बेटे हैं। नारायण अब भाजपा के सांसद हैं और कल को उनके बेटे नितेश राणे भी भाजपा के विधायक हो सकते हैं।
ऐसे कई प्रकरण सामने आते जा रहे हैं जहां नेताओं द्वारा सत्ता की ताकत का इस तरह का आपराधिक प्रदर्शन सामने आता जा रहा है। आज जो समर्थन भाजपा को मिला हुआ है उसके बाद एक बार फिर अन्य राजनीतिक दलों में तोड़फोड़ का दौर शुरू हो गया है। आन्ध्र प्रदेश के चार राज्यसभा सांसद भाजपा में शामिल हो गये हैं। लेकिन यह वही सांसद है जिनके खिलाफ पिछले दिनों सीबीआई ने भाजपा महामन्त्री जी वी एल नरसिम्हाराव की शिकायत पर छापेमारी करके हजारों करोड़ के घपलों के मामले दर्ज किये हैं। जब इस तरह की पृष्ठभूमि के लोग भाजपा में शामिल होंगे तो इसका संदेश यही जायेगा कि क्या भाजपा भ्रष्टाचारियों के लिये गंगोत्री बन गयी है। यह ठीक है कि आम आदमी आज इस सबका मूक दर्शक होने के अतिरिक्त और कुछ नही कर सकता है लेकिन वह यह अवश्य कहेगा कि भाजपा भी अन्य दलों जैसी ही है।
यह जो कुछ घट रहा है उसके इन नायकों के अपने -अपने तर्क हो सकते हैं जिनके आधार पर यह लोग अपने-अपने कृत्यों को सही ठहरा सकते हैं लेकिन जिस ढंग से यह हुआ है उसके पीछे सीधे और स्पष्ट रूप से सत्ता की ताकत के नशे की गंध आ रही है। शायद सत्ता के इन्ही प्रतीकों का दूसरा रूप जनता में भीड़ हिंसा होता जा रहा है। भीड़ हिंसा के जितने भी मामले सामने आये हैं उनके पीछे गो तस्करी के आरोप का तर्क परोसा जा रहा है। यदि इस तर्क को मान भी लिया जाये तो यह सवाल उठता है कि इस तस्करी को रोकने और उस पर सजा़ देने का काम तो प्रशासनिक तन्त्र तथा अदालत का है लेकिन यहां अदालत और प्रशासन का काम भीड़ ने अपने हाथ में ले लिया है जिन नेताओं और नेता पुत्रों ने अधिकारियों को सार्वजनिक रूप से पीटने का काम शुरू किया है उन्होंने भी प्रशासन और अदालत का काम अपने हाथ मे ले लिया है।
ऐसे ही यदि कल को यह जनता भी मन्त्रीयों/विधायकों/सांसदो और अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ उनके झूठे वायदें/जूमलों को लेकर इसी संस्कृति का अनुसरण करना शुरू कर दे तो क्या होगा। आज देश के राजनीतिक नेतृत्व को राजनीति में उभरती इस नयी संस्कृति को लेकर गंभीर होना होगा। यदि समय रहते इसे रोका न गया तो यह तय है कि इसके परिणाम गंभीर होंगे।

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