Friday, 19 September 2025
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बागियों ने पूछा फाइव स्टार होटल में रुकने का राज

  • मौजूदा स्थिति के लिये मुख्यमंत्री को ठहराया जिम्मेदार
  • समझौते के दरवाजे हुए बन्द

शिमला/शैल। छः असंतुष्ट नेताओं और तीन निर्दलीय विधायकों ने पहली बार एक साथ संयुक्त ब्यान जारी करके मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर जबरदस्त हमला बोला है। इन नेताओं राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, इंद्र दत्त लखनपाल, रवि ठाकुर, देवेंद्र भुट्टो, चैतन्य शर्मा, होशियार सिंह, आशीष शर्मा और के.एल.ठाकुर ने कहा है कि मुख्यमंत्री को दूसरों पर कीचड़ उछालने से पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए कि मौजूदा स्थिति के लिए असली गुनहगार कौन है और किसने यह स्थितियां पैदा की।
इन नेताओं ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री बार-बार उनसे किसी भी सूरत में समझौता कर लेने की एप्रोच कर रहे हैं और दूसरी तरफ नागों और भेड़ों से उनकी तुलना कर रहे हैं, जिससे उनकी मानसिक स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चुने हुए जनप्रतिनिधियों की भेड़ बकरियों से तुलना करना हिमाचल की गौरवपूर्ण संस्कृति के खिलाफ है। इन नेताओं ने कहा कि कोई भी व्यक्ति हर चीज से समझौता कर सकता है लेकिन स्वाभिमान से समझौता कतई नहीं कर सकता और वे स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रहे हैं।
इन नेताओं ने संयुक्त ब्यान में कटाक्ष करते हुये यह भी पूछा है कि अगर मुख्यमंत्री इतने ही पाक साफ हैं तो उन्हें प्रदेश की जनता को यह हकीकत भी बतानी चाहिये कि वह चंडीगढ़ के अपने आधिकारिक दौरे के दौरान हिमाचल भवन में बने सीएम सूट में रुकने की बजाये फाइव स्टार होटल में क्यों रुकते थे और सिक्योरिटी वालों को भी आगे पीछे क्यों कर देते थे। इसके पीछे मुख्यमंत्री का क्या एजेंडा और क्या राज रहता था। यह राज प्रदेश की जनता को भी मालूम होना चाहिए। परदे के पीछे वह क्या खेल खेलते थे, इसकी जानकारी जनता को देने का नैतिक साहस भी उन्हें दिखाना चाहिए।
इन नेताओं ने कहा कि सरकार विधायकों के समर्थन से चलती है लेकिन मुख्यमंत्री सुक्खू अपनी मित्र मंडली को तरजीह देकर चुने हुए विधायकों को पिछले सवा साल से जलील कर रहे थे। जिन लोगों ने विधानसभा क्षेत्र में चुनावों में हमारा खुलकर विरोध किया था, उन्हें मुख्यमंत्री अपने सरआंखों पर बिठाकर हमें हर पल नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे थे। उन्हें ओहदों से नवाजा जा रहा था। उनकी मित्र मंडली विधायकों के ऊपर हावी हो रही थी और मुख्यमंत्री से बार-बार इस बारे आग्रह भी किया गया था लेकिन वे तानाशाह की तरह रवैया अपनाए रहे। इन नेताओं ने कहा कि चुने हुये विधायक अगर जनता के काम नहीं करेंगे तो वह जनता के बीच कैसे जाएंगे।
इन नेताओं ने कहा कि प्रदेश की जनता यह भी भलीभांति जानती है कि ‘कैबिनेट रैंक प्राप्त मित्र’ इस सरकार में क्या गुल खिला रहे हैं और कितनी लूट मचा रखी है। साथ ही इन नेताओं ने मुख्यमंत्री से यह भी सवाल किया है कि प्रदेश में सरकार के गठन में उनके इन मित्रों का क्या योगदान है, यह भी जनता को बताया जाना चाहिए और जनता के खजाने से इन पर कितने पैसे लुटाये जा रहे हैं, यह हकीकत भी जनता के सामने रखनी चाहिए। इन नेताओं ने करारा तंज करते हुये कहा कि जनता के चुने हुए विधायकों को नजरअन्दाज करके मित्रों को खुली छूट देने, रेवड़ियों की तरह उन्हें कैबिनेट रैंक से नवाजने और विधायकों को जलील करने को ही क्या व्यवस्था परिवर्तन कहा जाता है?
उन्होंने कहा कि हिमाचल के स्वाभिमान से किसी भी सूरत में समझौता नहीं किया जा सकता और मुख्यमंत्री को प्रदेश की जनता को यह भी बताना होगा कि जो व्यक्ति हिमाचल प्रदेश के हितों के खिलाफ हमेशा लड़ता रहा हो, उसे पार्टी का टिकट देकर राज्यसभा में भेजने के पीछे क्या मंशा थी और क्या मजबूरी थी।
इन नेताओं ने कहा कि इस सरकार में जो लोग स्वाभिमान की लड़ाई लड़ रहे हैं, उनमें से 9 तो खुलकर बाहर आ गये हैं लेकिन कुछ तो मंत्री और विधायक होने के बावजूद सुक्खू की सरकार में घुटन महसूस कर रहे हैं। व्यवस्था परिवर्तन वाली इस सरकार में स्थिति ऐसी हो गयी ही है कि मंत्रिमंडल की बैठकों से भी मंत्री रोते हुये बाहर आ रहे हैं। इसके पीछे उनकी क्या मजबूरी है, यह वही बेहतर बता सकते हैं।
इन नेताओं ने कहा कि अपने भाषणों में आरोप लगाने से सच्चाई छुपने वाली नहीं है और मुख्यमंत्री को प्रदेश की जनता को यह भी साफ-साफ बताना चाहिये कि ऐसी परिस्थितियां पैदा होने के पीछे असली गुनहगार मुख्यमंत्री खुद हैं या हाईकमान है या कोई और है।
इन नेताओं ने कहा कि पूरे देश में कांग्रेस ताश के पत्तों की तरह बिखर रही है लेकिन रस्सी जल गयी पर बल नहीं गया वाली कहावत भी कांग्रेस नेतृत्व पर ही चरितार्थ होती है।

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