शिमला/शैल। हिमाचल से राज्यसभा में कौन जायेगा यह मुद्दा सुक्खू सरकार और संगठन के लिये एक बड़ा सवाल बनता जा रहा है। क्योंकि मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्षा दोनों ने ही इसके लिये सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के नाम का प्रस्ताव हाईकमान को दिया था। अब जब सोनिया गांधी का राजस्थान से उम्मीदवार होना लगभग तय माना जा रहा है तो स्वभाविक है कि प्रियंका गांधी उन्हीं की सीट से लोकसभा में जाना पसन्द करेंगी। प्रियंका राज्यसभा के माध्यम से संसद में जाने का रास्ता नहीं चुनेंगी। ऐसे में राज्यसभा के लिये प्रदेश से ही किसी का चयन होगा।
इस समय सरकार और संगठन में किस तरह का तालमेल चल रहा है यह जगजाहिर है। विधानसभा चुनावों में जो गारंटीयां दी गयी थी उनकी व्यवहारिक स्थिति भी सामने है। कर्मचारियों के कई वर्ग सरकार से नाराज होकर धरने प्रदर्शनों पर उतर आये हैं। युवाओं को नौकरी के वादे की जगह आउटसोर्स कर्मचारीयों को निकाल कर स्थिति और जटिल हो गयी है। जब से पैन्शन में 20% कटौती किये जाने की संभावना का खुलासा नेता प्रतिपक्ष ने किया है उससे सरकार की मुश्किलें और बढ़ गयी हैं। ऐसी वस्तुस्थिति में राज्यसभा के लिये प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं ठाकुर कौल सिंह या आशा कुमारी जैसों में से ही किसी एक को राज्यसभा में भेज कर राजनीतिक संतुलन बनाने का प्रयास किया जाना चाहिये। क्योंकि अभी तक जितने लोगों को इस सरकार में ताजपोशियां मिली हैं उनकी मेरिट मुख्यमंत्री से मैत्री से अतिरिक्त और कुछ नहीं है। ऐसे में राज्यसभा इस समय एक ऐसा अवसर है जिसके माध्यम से प्रदेश में संतुलन बनाया जा सकता है। यदि आनन्द शर्मा को हाईकमान अनुमोदित नहीं करती है तो आशा और कौल सिंह में से किसी एक को यह अवसर मिलना चाहिए।