Friday, 19 September 2025
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शिक्षक वर्गों में बढ़ता रोष सरकार के लिए घातक होगा

शिमला/शैल। प्रदेश के एसएमसी शिक्षक हड़ताल पर है। ऐसे मौसम में भी शिमला में धरने पर बैठे हैं। इनकी मांग है कि इनको नियमित किया जाये। नवम्बर में जेबीटी अध्यापकों के रिक्त पदों को भरने के लिये कॉउंसलिंग हुई थी। इसके तहत 1161 पद भरे जाने थे। प्रदेश में जेबीटी के 4000 पद खाली हैं। लेकिन नवम्बर में हुई इस काउंसलिंग के परिणाम अब तक घोषित नहीं हुये हैं। अब इस वर्ग में भी रोष व्याप्त हो गया है। यह लोग भी सड़क पर आने के लिये बाध्य हो रहे हैं। शास्त्री अपना रोष व्यक्त करते हुये विरोध मार्च निकाल चुके हैं। एसएमसी के करीब 2550 अध्यापक प्रदेश में कार्यरत हैं। धूमल के शासनकाल में एसएमसी के माध्यम से यह लोग भर्ती किये थे। एसडीएम और स्कूल के प्रधानाचार्य इसका साक्षात्कार लेने वालों में शामिल रहे हैं। धूमल के बाद वीरभद्र और जयराम की सरकारें भी आकर चली गयी। लेकिन किसी ने भी इनको नियमित करने के लिये कोई कदम नहीं उठाये हैं। सुक्खु सरकार आने के बाद इनके मामले सुलझाने के लिये तीन मंत्रियों की एक कमेटी बनाकर उनसे तीन माह में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था। लेकिन सरकार को 13 माह बाद भी इस कमेटी की रिपोर्ट नहीं मिली है क्योंकि कमेटी की कोई बैठक ही नहीं हो पायी है। क्या मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना ऐसा हो सकता है।
स्मरणीय है कि सुक्खु सरकार ने विभिन्न विभागों में रिक्त पदों की जानकारी हासिल करने के लिए एक तीन मंत्रियों की कमेटी बनाई थी। इस कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार में कर्मचारियों के 70000 पद खाली हैं। इनमें अकेले शिक्षा विभाग में ही बीस हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं। स्कूलों में अध्यापकों के रिक्त पदों के मामले हर सरकार में उच्च न्यायालय तक पहुंचे हैं और अदालत ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुये प्रशासन की निंदा भी की है। कई जगह तो अभिभावकों ने स्कूलों पर ताले तक भी लगा दिये हैं। जयराम सरकार के दौरान मण्डी में ही ऐसा घट चुका है। स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षण अभी भी शायद आउटसोर्स के माध्यम से ही चल रहा है।
शिक्षा और स्वास्थ्य दो ऐसे क्षेत्र हैं जहां शिक्षकों और ड्राइवर के पद खाली रहने का संबद्ध समाज पर गंभीर असर पड़ता है। आज शिक्षा विभाग में गेस्ट शिक्षकों की भर्ती की योजना बनाई जा रही है। क्योंकि शिक्षकों की कमी है। इसी कमी के कारण एसएमसी शिक्षक भर्ती किये गये थे। जो आज आन्दोलन के लिये विवश हो गये हैं। कल को यह गैस्ट शिक्षक भी इसी मुकाम पर पहुंच जायेंगे। सरकार नियमित भर्तियां इसलिये टालती जा रही हैं क्योंकि उसके पास धन का अभाव है। लेकिन दूसरी और भाजपा शासन में अटल आदर्श विद्यालय खोले गये थे और आज उसी तर्ज में राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल घोषित किये जा रहे हैं। हर विधानसभा क्षेत्र में एक-एक राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल खोलने की योजना है। इन स्कूलों को बनाने में ही करोड़ों का खर्च हो जायेगा और उससे लाभ बहुत ही कम लोगों को मिल पायेगा। जबकि इसी खर्च के साथ स्कूलों की वर्तमान दशा को सुधारा जा सकता है। शिक्षकों के सारे खाली पदों को भरा जा सकता है। लेकिन राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल और अटल आदर्श विद्यालय खोलकर अपने-अपने आकांओं को तो खुश किया जा सकता है परन्तु उससे स्कूलों की वर्तमान दशा को नही सुधारा जा सकता। इस दशा को सुधारने के लिये आम आदमी के नजरिये से सोचने की आवश्यकता है। आज एसएमसी शिक्षक धरने पर हैं और कोई भी उनसे बात करने का साहस नहीं कर पा रहा है। लेकिन आने वाले समय में इसका आकार क्या रूप ले लेगा उसकी ओर कोई भी सोच नहीं पा रहा है। जबकि हर गांव इससे प्रभावित हो रहा है।

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