Friday, 19 September 2025
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क्या अवैध निर्माण के आरापों में घिरे भवन में सरकारी कार्यालय हो सकता है

  • नगर निगम द्वारा दी गयी जानकारी से उठी चर्चा
  • नगर निगम और सरकार दोनों की कार्यप्रणाली सवालों में

शिमला/शैल। क्या किसी ऐसे भवन में सरकारी कार्यालय हो सकता है जिसके निर्माण पर अवैधता के आरोप लगे हों और नगर निगम ने दो मंजिलों को गिराने का नोटिस जारी किया हो यह स्थिति लोअर पंथाघाटी स्थित हरि विश्राम भवन की है। जिसमें फूड कमिश्न का कार्यालय कार्यरत है। इस भवन के बारे में आरटीआई एक्टिविस्ट देवाशीष भट्टाचार्य ने नगर निगम से इसके मालिक और क्या इस भवन का नक्शा आवासीय उद्देश्य के लिये पारित है या व्यावसायिक के लिये 18-10-2023 को मांगी गयी सूचना का 200 पन्नों से अधिक का जवाब 10-01-2024 को प्राप्त हुआ है। इस जवाब के मुताबिक इसके मालिक प्रवीण गुप्ता और रचना गुप्ता हैं। प्रवीण गुप्ता प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में मुख्य अभियन्ता है और रचना गुप्ता प्रदेश लोक सेवा आयोग की सदस्य हैं। रचना गुप्ता के पास शायद सरकारी आवास भी है जिसके लिये शायद यह शपथ पत्र पड़ता है कि प्रार्थी के नाम पर कोई अपना निजी आवास नहीं है। इस परिप्रेक्ष में हरी विश्राम भवन को लेकर आयी सूचना का प्रभाव क्षेत्र बढ़ जाता है।
नगर निगम आयुक्त द्वारा 31-12-2015 को अतिरिक्त सचिव शहरी विकास विभाग को लिखे पत्र के मुताबिक पार्किंग फ्लोर की कोई योजना न तो भेजी ही गयी थी और न ही स्वीकृत की गयी है। इसी पत्र में इनके द्वारा एक और मंजिल का निर्माण कार्य शुरू कर दिये जाने का उल्लेख जिसकी स्वीकृति नहीं है। इस अवैधता पर इनको नोटिस जारी किये जाने का भी जिक्र है। पत्र में इनके खिलाफ निगम आयुक्त के अदालत में इस अवैध निर्माण को न गिरने पर कारवाई चलाने की भी उल्लेख है। इस पत्र से पहले भी इन्हें छठी मंजिल को गिराने के आदेश दो बार नगर निगम से 2014 और 2015 में जारी हुये हैं।
नगर निगम द्वारा भेजे गये दस्तावेजों से यह स्पष्ट हो जाता है कि इस भवन की पांचवी और छठी मंजिल को लेकर अवैधता के नोटिस इन्हें भेजे गये थे। इसको लेकर निगमायुक्त की अदालत में कारवाई चलने का भी विवरण है। लेकिन नगर निगम से 18-10-2023 को यह पूछा गया था कि क्या यह भवन आवासीय अनुमोदित है या व्यवसायिक। अब जनवरी 24 में आये जवाब में नगर निगम का इस पर मौन यही इंगित करता है कि यह मामला अभी भी लंबित चल रहा है या नगर निगम किसी दबाव में इसका स्पष्ट उत्तर नहीं दे पा रहा है। ऐसे में यह सवाल और भी गंभीर हो जाता है कि जिस भवन के निर्माण पर अवैधता के आरोप लगाते हये नगर निगम उसे तोड़ने का नोटिस दे रहा हो क्या उसी भवन की उन्हीं मंजिलों में सरकारी कार्यालय खोला जा सकता है।

यह है दस्तावेज

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 



 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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