Friday, 19 September 2025
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पहली ही सालगिरह पर केंद्रीय नेतृत्व का न आना भाजपा को दे गया मुद्दा

  • राहुल प्रियंका और खड़गे का न आना सरकार को डाल गया संकट में
  • जयराम ने इसे पूरी राजनीति से परोसा जनता में
  • क्या कांग्रेस नेतृत्व इसका जवाब दे पायेगा उठने लगा है सवाल
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शिमला/शैल। सुक्खू सरकार की पहली ही सालगिरह पर राहुल और प्रियंका गांधी के न आने को नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने जिस तरह से अपने विरोध प्रदर्शन पर जनता के सामने रखा है उससे प्रदेश के सियासी हल्कों में सारे समीकरण गड़बड़ा गये हैं। क्योंकि जयराम ने दावा किया है कि ‘‘हमने पहले ही कह दिया था कि अगर उनमें थोड़ी भी शर्म होगी तो नहीं आयेंगे।’’ सरकार की पहली ही सालगिरह पर इन केंद्रीय नेताओं का न आना अपने में ही बहुत कुछ कह जाता है। फिर जिस तरह से जयराम ने इस न आने को पेश किया है वह उसका सबसे बड़ा सियासी  
स्ट्रोक
 माना जा रहा है। क्योंकि हिमाचल सरकार की पहले साल की असफलताओं को ही भाजपा ने तीनों चुनावी राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में खूब प्रचलित किया था और आज हिमाचल भाजपा इन राज्यों में कांग्रेस की असफलता को इस प्रचार का प्रतिफल मान रही है। जयराम के इस दावे से अनचाहे ही यह संकेत और संदेश चला गया है कि हिमाचल सरकार में सब अच्छा नहीं चल रहा है। जयराम के इस कथन से प्रदेश कांग्रेस का हर कार्यकर्ता और प्रदेश का हर आदमी यह सोचने लग जायेगा कि क्या सही में कांग्रेस हाईकमान प्रदेश सरकार के कामकाज से प्रसन्न नहीं है।

अभी अभी कांग्रेस तीन राज्यों में चुनाव हारी और उस हार में हिमाचल सरकार कि परफॉरमैन्स को भी एक कारण माना गया है। ऐसे में आने वाले लोकसभा चुनावों में प्रदेश सरकार और संगठन का मनोबल गिराने के लिए राहुल- प्रियंका और खड़गे का न आना उस समय तो और भी गंभीर हो जाता है जब उनके आने का प्रचार किया जा रहा हो। भाजपा सरकार की गारंटीयों पर पहले से ही आक्रामक चल रही है। आरटीआई के माध्यम से प्रमाण जुटाकर जनता के सामने रख रही है। जबकि सरकार व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर भाजपा काल से चले आ रहे प्रशासन को ही अभी तक यथास्थिति रख कर चली आ रही है। हिमाचल कांग्रेस का कोई भी बड़ा छोटा नेता अभी तक भाजपा की नीतियों पर कोई सवाल तक नहीं कर पाया है। राहुल ने ही जिन मुद्दों पर प्रधानमंत्री और भाजपा को घेरा है उनको भी प्रदेश कांग्रेस के नेता आगे नहीं बढ़ा पाये हैं।
इस वस्तुस्थिति में सरकार के पहले ही समारोह में केंद्रीय नेतृत्व का न आ पाना प्रदेश की कांग्रेस को ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है जिसका कोई आसान जवाब दे पाना संभव नहीं होगा। जयराम द्वारा पैदा किये सन्देह का परिणाम दूरगामी होगा। इसका जवाब देने के लिये जो तथ्यात्मक आक्रामकता अपेक्षित है शायद उसके लिए सरकार, उसका तंत्र और सलाहकार कोई भी तैयार नहीं लगता। यह तय है कि जो बीज आज विपक्ष ने इस अनुपस्थिति पर बीज दिये हैं उनके फल भयंकर होंगे।

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