Friday, 19 September 2025
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सुक्खू सरकार ने दिल्ली में तैनात किया सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर

  • आउटसोर्स के माध्यम से की गयी नियुक्ति से सरकार की नीयत और नीति सवालों में

शिमला/शैल। सुक्खू सरकार ने पिछले दिनों कांगड़ा से ताल्लुक रखने वाले राजा अवस्थी को दिल्ली में सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया है। यह नियुक्ति आउटसोर्स के माध्यम से की गयी है। आउटसोर्स की प्रक्रिया को प्रदेश की इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ने अंजाम दिया है। निगम ने राजा अवस्थी का नाम सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को उसकी सहमति के लिये भेजा। विभाग ने इसे स्वीकार करके राजा अवस्थी को दिल्ली में यह नियुक्ति दे दी। इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन को राजा अवस्थी का नाम शिमला की एक आउटसोर्स कंपनी द्वारा प्रेषित किया गया है। इस नियुक्ति से यह इंगित होता है कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के कुछ कार्यांे को सरकार आउटसोर्स कंपनियों को सौंपना चाहती है। जिसमें दिल्ली में सोशल मीडिया के साथ कोऑर्डिनेट करना भी शामिल है। वैसे दिल्ली में विभाग का क्षेत्रीय कार्यालय भी कार्यरत है। लेकिन सरकार ने विभाग को सक्षम न मानकर दिल्ली में यह काम एक आउटसोर्स कंपनी को दिया है। सुक्खू सरकार ने सत्ता में आने के बाद आउटसोर्स के माध्यम से कोविड काल में स्वास्थ्य विभाग में रखे गये 1800 से अधिक कर्मचारियों को बाहर निकाला भी है। इस निष्कासन से उठे विवाद के बाद आउटसोर्स योजना पर कुछ विचार विमर्श भी हुआ है। राजा अवस्थी की नियुक्ति से आउटसोर्स की प्रासंगिकता तो प्रमाणित हो जाती है और यही सवाल खड़ा होता है कि इसके माध्यम से अपने ही लोगों को भर्ती करने का साधन बनाया जाये। आउटसोर्स के माध्यम से रखें कर्मियों को भी सरकार में भर्ती करने का प्रावधान रखा जाये। इस समय जो 35000 के करीब आउटसोर्स के माध्यम से रखे गये कर्मचारी है उनके भविष्य को लेकर भी सरकार को सोचना चाहिये। इस नियुक्ति की चयन प्रक्रिया पर उठ रहे सवालों के साथ सरकार की मीडिया पॉलिसी पर उसकी नीयत और नीति दोनों ही अलग से प्रशनित हो गये हैं। दिल्ली में सोशल मीडिया के लिये कोआर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि सरकार सोशल मीडिया मंचों की भूमिका और प्रासंगिकता दोनों को स्वीकार करती है। दिल्ली स्थित सोशल मीडिया मंचों तक सरकार का प्रश्न रखना और उसे प्रचारित प्रसारित करवाने की जिम्मेदारी इस सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर की होगी। इस सरकार का पक्ष दिल्ली स्थित हाईकमान तक तो पहुंच जायेगा। लेकिन क्या वही पक्ष प्रदेश की जनता के सामने उसी क्लेवर में आ पायेगा और जनता उस पर विश्वास कर पायेगी? क्योंकि प्रदेश की जनता के सामने तो सरकार का व्यवहारिक पक्ष यथास्थिति मौजूद रहेगा। फिर शिमला स्थित मीडिया के कुछ वर्ग को जिस तरह सरकार ने उत्पीड़ित करना शुरू किया हुआ है उसके परिदृश्य में सरकार कुछ समय के लिये हाईकमान को तो प्रभावित कर लेगी परन्तु प्रदेश की जनता के सामने उसकी स्थिति और हास्यस्पद हो जायेगी। दिल्ली में सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर बिठाने से सरकार स्वतः ही एक अन्तर विरोध का शिकार हो गयी है।

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