Friday, 19 September 2025
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क्या प्रदेश भाजपा भी राजनीति के लिये धर्म को हथियार बना रही है?

  • मनोहर हत्याकाण्ड पर आयी प्रतिक्रियाओं से उभरी चर्चा
  • कथित दोषी परिवार के खिलाफ लगाये गये अवैध कब्जे और खाते में दो करोड़ जमा होने की सच्चाई क्या है
  • क्या कांग्रेस सरकार बनने के बाद ही यह सब हुआ या भाजपा शासन में भी चल रहा था।
  • अब इन आरोपों पर चुप्पी क्यों?

शिमला/शैल। लगातार तीन चुनाव हार चुकी प्रदेश भाजपा क्या अपना राजनीतिक आधार बनाये रखने के लिये धर्म का सहारा लेने का प्रयास कर रही है? यह सवाल चम्बा के सलूणी में घटे मनोहर हत्याकाण्ड पर सामने आयी भाजपा की प्रतिक्रियाओं से उभरा है। इस हत्याकांड की हर एक ने निन्दा की है। क्योंकि इससे ज्यादा घिनौना और मानवता को शर्मसार करने वाला और कुछ हो ही नहीं सकता। यह काण्ड जैसे ही सामने आया पुलिस बिना कोई समय खोये इसकी जांच में जुट गयी और संदिग्धों को तुरन्त प्रभाव से पकड़ लिया गया। लेकिन जैसे ही यह सामने आया कि कथित दोषी मुस्लिम है तो इस पर तुरन्त प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया। नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला में एक पत्रकार वार्ता में यह खुलासा रखा कि इस परिवार ने दो हजार के 97 लाख के नोट बदलवाये है और इनके खाते में दो करोड़ जमा है। इसने सौ बीघा सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। परिवार के पास बकरियां हैं और प्रतिवर्ष दो सौ बेचता है। निश्चित है कि जयराम ठाकुर को जो सूचना दी गयी उसी को पुख्ता मानकर उन्होंने यह ब्यान दे दिया। इस ब्यान से यह संदेश गया है कि यह सब कुछ इस परिवार ने कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कर लिया और प्रशासन बेखबर बैठा रहा। जयराम ठाकुर के इस ब्यान के बाद राजस्व विभाग भी हरकत में आया जमीन की पैमाइश की गयी और तीन बीघा पर कब्जा पाया गया। लेकिन दो हजार के नोट बदलवाने और दो करोड़ खाते में जमा होने कोे लेकर कुछ भी सामने नहीं आया और न ही इस आश्य का फिर से कोई ब्यान आया।
इस ब्यान के परिदृश्य में भाजपा नेता पूरे उत्तेजित वातावरण में यदि पीड़ित परिवार को मिलने दिये जाते तो उसके बाद किस तरह की कानून और व्यवस्था की स्थिति बन जाती इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है। इस परिदृश्य यह जांच एनआईए को सौंपे जाने से न चाहते हुये भी आने वाले दिनों में प्रदेश में हिन्दू-मुस्लिम समस्या खड़ी हो जाती। जिस तरह के आरोप लगाये गये हैं उनकी आंच तो पूर्व के जयराम शासन तक भी चली जाती। यह सवाल उठता कि उस समय इस परिवार की गतिविधियों पर नजर क्यों नहीं रखी गयी। क्योंकि सौ बकरियों का मालिक होकर दो सौ तो उस समय भी बेचता होगा। सौ बीघा पर अवैध कब्जा तो तब से चल रहा होगा। कुल मिलाकर इस हत्याकाण्ड पर जिस तरह की प्रतिक्रियाएं भाजपा नेतृत्व की आयी है उसे यही आभास होता है कि भाजपा राजनीति के लिये किसी भी हद तक जा सकती है। इस परिवर्तन में कानून और व्यवस्था को लेकर भाजपा द्वारा राज्यपाल को सौंपा गया ज्ञापन भी सरकार से ज्यादा भाजपा के अपने ऊपर सवाल उठाता है। क्योंकि चालीस से अधिक हत्याओं और 150 बलात्कार का जो आंकड़ा उछालकर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर जो सवाल उठाया गया है वह भाजपा शासन में घटे 1500 बलात्कार के आंकड़ों से पूर्व शासन से ज्यादा सवाल पूछता है। इसलिये भाजपा पर यह सवाल बराबर बना रहेगा कि उसने राजनीतिक आधार को बचाने के लिये धर्म को भी मनोहर हत्याकाण्ड के माध्यम से एक हथियार के रूप में प्रयोग करने का प्रयास किया है। जबकि हिमाचल में इस तरह की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है। बल्कि इन प्रतिक्रियाओं से मणिकरण प्रकरण के दौरान आयी प्रतिक्रियाएं फिर से यह जवाब मांगती है कि उस दौरान बनाये गये मामलों की आज क्या स्थिति है।

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