Friday, 19 September 2025
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क्या शिमला को मिली राजनीतिक हिस्सेदारी स्वर्गीय वीरभद्र का प्रभाव कम करने का प्रयास है?

शिमला/शैल। सुक्खू सरकार में तीन मन्त्री पद और एक विधानसभा उपाध्यक्ष का पद खाली चल रहा है। यही नहीं विभिन्न निगमों बोर्डों में भी कार्यकारी संचालन समितियों का भी गठन अभी तक होना है। ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर जिन कमेटियों का गठन होता था वह भी अभी तक नहीं हो पाया है। यहां तक कि भाजपा सरकार के दौरान विभिन्न निगमों/ बोर्डों में जो अधिवक्ता तैनात किये गये थे उनको अभी तक हटाया नहीं गया है और न ही उनके स्थान पर नये लोग तैनात हो पाये हैं। जब राजनीतिक सतांए बदलती है तब पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को ऐसी ताजपोशीयां देकर तैनातियां दी जाती हैं। प्रशासन में बड़े स्तर पर फेरबदल करके सत्ता के बदलाव का संकेत दिया जाता है। लेकिन सुक्खू सरकार में छः माह के समय में ऐसा कोई कदम उठाकर किसी बदलाव का व्यवहारिक संदेश नहीं दिया है। केवल प्रदेश उच्च न्यायालय में कुछ अधिवक्ताओं को अवश्य तैनात किया गया है लेकिन शायद सर्वोच्च न्यायालय में तो यह भी बहुत देरी से हुआ है। पार्टी अध्यक्षा शायद हाईकमान तक भी कार्यकर्ताओं को सरकार में सम्मानजनक ताजपोशीयां दिये जाने की बात रख चुकी है। लेकिन मुख्यमन्त्री अभी तक ऐसा कर नहीं पाये हैं और अब यह देरी अटकलों और चर्चाओं का विषय बनती जा रही है। क्योंकि जिस व्यवस्था परिवर्तन को अपनी सरकार का केन्द्र बिंदु बनाने का प्रयास मुख्यमन्त्री कर रहे हैं उस पर उन्हीं के मन्त्री चन्द्र कुमार के पुत्र पूर्व विधायक नीरज भारती ने यह कहकर तंज कसा है कि व्यवस्था बदलने से पहले अवस्था बदलनी पड़ती है। पार्टी के भीतरी हलकों में इस चल रही यथास्थिति को लेकर रोष उभरने लग पड़ा है। यदि इस स्थिति को समय रहते न सुलझाया गया तो स्थितियां कभी भी विस्फोटक हो सकती हैं। प्रदेश की वित्तीय स्थिति की श्रीलंका से तुलना करने के बाद संसाधन बढ़ाने के लिये जो भी प्रयास किये जा रहे हैं उनके व्यवहारिक परिणाम इसी कार्यकाल में आ पाने की संभावनाएं बहुत कमजोर नजर आ रही है। वाटर सैस लगाकर जो उम्मीद लगाई गयी थी वह अब इस मामले के अदालत में जा पहुंचने के बाद बड़े दूर की बात हो गयी है। शानन परियोजना का मामला भी अदालत तक पहुंचेगा यह तय माना जा रहा है। अन्य परियोजनाओं से जो ज्यादा हिस्सा लेने की बात की जा रही है वह भी लंबी कानूनी लड़ाई के बिना संभव नहीं हो पायेगा। प्रदेश की जनता पर मंत्रिपरिषद की हर बैठक के बाद महंगाई का बोझ आता जा रहा है। लेकिन जनता के सहन करने की भी एक सीमा होती है और उस सीमा का अतिक्रमण नुकसानदेह हो जाता है यह तय है। इसी समय यह आम चर्चा चल पड़ी है कि इस सरकार को सही राय नहीं मिल रही है। शिमला को जितनी राजनीतिक हिस्सेदारी दे दी गयी है उसे स्वर्गीय वीरभद्र के प्रभाव को कम करने की दिशा में उठा पहला कदम माना जा रहा है।

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