Friday, 19 September 2025
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कौन होगा शिमला का अगला मेयर

  • कैग ने शिमला जल प्रबंधन निगम पर उठाये सवाल
  • नये सदन के लिये होगा यह बड़ा मुद्दा
शिमला/शैल। नगर निगम में कांग्रेस को बहुमत मिला है इस नाते महापौर और उपमहापौर दोनों पदों पर कांग्रेस के ही पार्षद चुने जाएंगे यह स्वभाविक है। कांग्रेस को 24 पार्षदों में से 14 पर महिला पार्षद जीतकर आयी हैं। निगम के कुल 34 वार्डों में से 21 पर महिला पार्षदों की जीत हुई है। इसलिये निगम के सदन में महिलाओं का दबदबा रहेगा यह स्वभाविक है। वरीयता के आधार पर पार्षदों ने अपनी-अपनी दावेदारी भी जताना शुरू कर दी है। कई पार्षद लगातार तीसरी बार चुनकर आये हैं। कुछ ऐसे भी हैं जिनके परिवारों का ही अपने-अपने वार्डो पर कब्जा चला आया है। टुटी कण्डी की पार्षद उमा कौशल तो शायद सुखविंदर सुक्खू के साथ भी पार्षद रह चुकी हैं और उस नाते सबसे वरिष्ठ हैं। लेकिन यह चयन केवल वरिष्ठता के आधार पर ही नही होना है। निगम के पिछले सदन में भी महिला महापौर रही है। उनके समय में निगम प्रशासन की क्या स्थिति उसका अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक मामले में एक बार उच्च न्यायालय और दो बार निगम के अतिरिक्त आयुक्त की कोर्ट से फैसले आने के बाद जब उन फैसलों पर अमल करने की गुहार लगाई गयी तो उस पर निगम के पार्षदों की एक कमेटी बनाकर मामले को लटकाने का प्रयास किया गया। जबकि अदालत के फैसले की अपील तो की जा सकती है लेकिन उस पर बदलाव करने के लिये कमेटी नहीं बनाई जा सकती। इस प्रसंग से यह सामने आता है की निगम में पार्षद और फिर महापौर उपमहापौर ऐसे व्यक्ति भी बन जाते हैं जिन्हें नियमों कानूनों की कोई समझ ही नहीं होती और इसकी भरपायी चुनावों में करनी पड़ती है। महापौर- उपमहापौर का फैसला लेते समय कांग्रेस को यह ध्यान रखना होगा कि ऐसे लोगों को यह जिम्मेदारियां दी जाये जो सही में इसके काबिल हों।
इस समय जो 24 पार्षद जीत कर आये हैं उनमें से जिन की शैक्षणिक योग्यता विश्वविद्यालय स्तर की रही हो और जो कानून की इतनी सी समझ जरूर रखते हो कि अदालत के फैसलों की या तो अपील की जाती है या उस पर अमल किया जाता है। निगम की कमेटी बनाकर फैसले का रिव्यू करना अपने में ही अपराध होता है। ऐसे दर्जनों मामले हैं जहां जानबूझकर लोगों को परेशान किया गया है। इसलिये नये चयन में इसका ध्यान रखना होगा। स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने के संविधान संशोधन में बहुत से कदम सूचीबद्ध हैं। अभी बजट सत्र में स्थानीय निकायों पर आयी कैग रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि सरकार ने इस संबंध में वांछित कदम आज तक नही उठाये हैं।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय निकायों में जो वार्ड कमेटियां बनाया जाना अनिवार्य है। उनका कई निकायों में गठन तक नही हुआ है। जहां कहां गठन भी हुआ है वहां उनकी बैठकर तक नही हुई है। शिमला निगम में वार्ड कमेटियों की कोई बैठक तक नहीं हुई है। शिमला में पानी की समस्या हल करने के लिये शिमला जल प्रबन्धन निगम का गठन किया गया था। इस पर कैग की टिप्पणी कई सवाल खड़े करती है। इसी से सदन पर भी सवाल उठते हैं जिन पर पार्षदों को जनता के सामने स्थिति स्पष्ट करनी होगी 
 
 
यह है कैग की टिप्पणी

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