क्या है भाजपा के वायदे
शिमला/शैल। विधानसभा चुनाव की हार का आकलन भले ही भाजपा ने सार्वजनिक न किया हो लेकिन नगर निगम चुनावों में अपनाई रणनीति से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इन चुनावों के लिये बहुत गंभीर है। नगर निगम शिमला के चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिये राष्ट्रीय परिप्रेक्ष में बहुत महत्वपूर्ण हैं। भाजपा हाईकमान भी इन चुनावों पर नजर बनाये हुये है। यह इससे प्रमाणित हो जाता है कि भाजपा ने इन चुनावों के बीच अपने प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री को बदल दिया तथा प्रभारी भी उत्तर प्रदेश से लगा दिया। इस बदलाव से भाजपा का पूरा काडर फिर से सक्रिय हो उठा है। यह कहा जा रहा है कि सुक्खू सरकार के फैसलों से कि भाजपा को बल मिल रहा है। सुक्खू सरकार के पहले ही फैसले से भाजपा को मुद्दा मिल गया। जिसे उसने मंत्रिमंडल विस्तार से पहले प्रदेश के हर कोने से लेकर उच्च न्यायालय तक भी पहुंचा दिया। विधानसभा में भी सरकार को यह कहना पड़ा कि जहां आवश्यक होगा वहां संस्थान खोल दिये जायेंगे। यही नहीं अपने कार्यकाल में मुख्य सचिव रहे अधिकारी को मुख्य सूचना आयुक्त और वित्त सचिव को मुख्य सचिव बनवा लिया। अब मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति का मामला उच्च न्यायालय में पहुंच जाने के कारण सरकार गिरने की भविष्यवाणियां करने का अवसर मिल गया है। फिर जब सरकार अपने वायदे के बावजूद प्रदेश की आर्थिकी पर सदन में श्वेत पत्र नहीं ला पायी तो जयराम सरकार को स्वतः ही वित्तीय कुप्रबंधन के आरोपों से क्लीन चिट मिल गई है। बल्कि सरकार पर प्रतिदिन चालीस करोड़ का कर्ज लेने का आंकड़ा जनता तक पहुंचा कर उल्टे सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। इस बार एक सच को सामने रखकर विश्लेषकों को यह मानने पर बाध्य कर दिया है कि रणनीतिक तौर पर भाजपा सरकार पर भारी पड़ रही है।
इसी के साथ यदि भाजपा के चुनावी वायदों पर नजर डालें तो सबसे पहले शिमला के नागरिकों को प्रतिमाह चालीस हजार लीटर पानी मुफ्त देने का वायदा किया गया है। कांग्रेस ने सबसे ज्यादा प्रतिक्रियाएं इस पर दी हैं। मुख्यमंत्री ने इसे झूठ करार दिया है क्योंकि कांग्रेस ने शहरी निकाय क्षेत्रों में ही पानी की दरें बढ़ायी हैं। ऐसे में यदि भाजपा के वायदे झूठे हैं तो कांग्रेस के सच्चे कैसे हो सकते हैं। गारवेज उठाने के बिल आधा करने की बात की है। शहर में करीब एक दर्जन झुग्गी झोपड़ी बस्तीयां हैं। इनके लोगों को जहां ढारा वहीं मकान का वायदा अपने में बहुत प्रभावी हो जाता है। भाजपा के यह वायदे निगम क्षेत्र के हर व्यक्ति को सीधे प्रभावित करते हैं और उसने यह वायदे प्रिन्ट में हर घर तक पहुंचा दिये हैं। इस तरह वायदों के बिन्दु पर भाजपा कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। यह स्वभाविक है कि यदि जनता ने कांग्रेस के वायदों पर विश्वास किया है तो उसी तरह से भाजपा के वायदों पर भी भरोसा किया जायेगा। इस तरह यह चुनाव इस मुकाम तक पहुंच गया है जहां कांग्रेस के लिये स्थिति गंभीर हो गयी है।