Friday, 19 September 2025
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व्यवस्था परिवर्तन के शैल्टर में बैठा नगर निगम प्रशासन कहीं अराजकता का पर्याय तो नहीं

शिमला/शैल। नगर निगम शिमला के चुनाव आने वाले दिनों में कभी भी घोषित हो सकते हैं। बोर्ड के आरक्षण का रजिस्टर वायरल होकर बाहर आ गया है। विधानसभा चुनाव के बाद यह पहला चुनाव आ रहा है जहां सरकार और विपक्ष की परीक्षा होगी। कायदे से यह चुनाव बहुत पहले हो जाने चाहिये थे। नगर निगम की चयनित परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद इसका प्रबन्धन प्रशासक के पास है। प्रशासक जिलाधीश शिमला है। नगर निगम के आयुक्त और संयुक्त आयुक्त तथा प्रशासक सब भाजपा सरकार के कार्यकाल से चले आ रहे हैं। सत्ता परिवर्तन के बाद माना जा रहा था कि नगर निगम के इस प्रशासन में भी बदलाव आयेगा। लेकिन व्यवस्था परिवर्तन की पक्षधर सुक्खू सरकार ने निगम प्रशासन में भी कोई बदलाव नहीं किया है। यह बदलाव न करने से यह संदेश जाता है कि सरकार इन अधिकारियों की कार्यप्रणाली से पूरी तरह संतुष्ट है। ऐसे में नगर निगम प्रशासन पर उठने वाले सवालों के जवाब की जिम्मेदारी इस सरकार पर भी आ जाती है। नगर निगम शिमला के क्षेत्र में पानी की सुचारू व्यवस्था बनाने के लिए पिछली सरकार के समय 16-4-2018 को कंपनी एक्ट के तहत शिमला जल प्रबंधन निगम लि. का गठन किया गया था। इस गठन का उद्देश्य था कि शिमला में जल प्रबंधन और सीवरेज प्रबंधन में आपसी तालमेल स्थापित रहे। जिससे यह दोनों सेवाएं शिमला वासियों को सुचारू रूप से उपलब्ध हो सकें। 2015 में जब शिमला में पीलिया फैला था तब जो अध्ययन इस संबद्ध में किये गये थे उनके परिणाम स्वरूप इस तरह की संस्था के गठन की आवश्यकता समझी गई थी। यह माना गया था कि इसने इसमें कुछ विषय विशेषज्ञों की सेवाएं ली जायेंगी। लेकिन व्यवहार में यह संस्था सेवानिवृत्त अधिकारियों कर्मचारियों की शरण स्थली बनकर रह गयी है। बल्कि विधानसभा चुनावों को सामने रखते हुये मई 2022 से सेवानिवृत्त अधिकारियों को ही इस में भर्ती करने का रास्ता अपनाया गया जब सुक्खू सरकार ने पिछली सरकार के कुछ फैसलों को बदलने का फैसला लिया तो उसमें इस तरह की नियुक्तियां भी शामिल थी। मेडिकल कॉलेज को छोड़कर शेष सभी जगह ऐसी भर्ती किये गये लोगों को तुरन्त प्रभाव से हटाने के लिये 12-12-2022 को पत्र लिखा गया था। लेकिन इस पत्र की अनुपालन में एसजेपीएनएल ने यह कहकर नहीं हटाया की इन लोगों की सेवाएं तकनीकी आधार पर आवश्यक हैं और एसजेपीएनएल के इस आग्रह को मान लिया गया। इससे दस सेवानिवृत्त अधिकारियों को मिला पुनः रोजगार बहाल रह गया। शिमला जल प्रबंधन को लेकर पूर्व महापौर टिकेन्द्र पंवर पूर्व जयराम सरकार पर कई गंभीर आरोप लगा चुके हैं। टिकेन्द्र पंवर ने इस संबध में मुख्यमंत्री सुक्खू को भी पत्र लिखा है जिसका जवाब नहीं आया है। अब जो रोस्टर वायरल हुआ है उसने भी यह आरोप लगना शुरु हो गया है कि इसमें स्थानिय विधायक हरीश जनारथा को सुनियोजित तरीके से कमजोर करने का प्रयास किया गया है। स्वभाविक है कि यह रोस्टर तैयार करने में निगम प्रशासन की बड़ी भूमिका रही है। यह कहा जा रहा है कि प्रशासन पुराने मालिकों के प्रति अपनी पूरी वफादारी निभा रहा है जो चुनाव में रंग दिखायेगी।

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