Friday, 19 September 2025
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सुक्खु सरकार के पहले बजट पर लगी निगाहें गारंटीयों के लिये धन का जुगाड़ कैसे किया जायेगा

  • क्या यह सरकार भी कर्ज लेकर काम चलायेगी
  • क्या सेवाएं महंगी करके और कर लगाकर राहतें दी जायेंगी

शिमला/शैल। सुक्खु सरकार के पहले बजट पर पूरे प्रदेश की निगाहें लगी हुई हैं क्योंकि इस सरकार को विरासत में कोई सुखद वित्तीय स्थिति नहीं मिली है और चुनाव के दौरान जनता को दी दस गारंटीयों को पूरा करने की चुनौती है। कठिन वित्तीय स्थिति पर श्रीलंका जैसे हालात होने की आशंका तक सरकार व्यक्त कर चुकी है। पिछली सरकार के नाम कर्ज लेने वाली सरकार का तमगा लग चुका है। पिछली सरकार ने अन्तिम छः माह में जो संस्थान खोले थे उनसे प्रदेश पर पांच हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ना था इसलिये वह बन्द कर दिये गये हैं। लेकिन जो गारंटीयां पूरी की जानी है उनमें 1,34,000 कर्मचारियों को ओल्ड पैन्शन का लाभ दिया जाना है और यह अन्तिम वेतन का 50% होती है। इसके अतिरिक्त 1,34,000 महिलाओं को 1500 रूपये प्रति माह दिये जाने हैं। इन्हीं दो मदों पर करीब 5000 करोड़ का वार्षिक खर्च होने का अनुमान है। इसी के साथ 300 यूनिट बिजली मुफ्त देनी है। इस सबको सामने रखते हुए यह देखना रोचक होगा कि इतने धन का प्रावधान यदि कर्ज लेकर किया जाता है तो पांच वर्षों में यह कर्ज ही 25000 करोड़ हो जायेगा। यदि कर लगाकर या सेवाएं महंगी करके प्रबन्ध किया जाता है तो पहले ही महंगाई और बेरोजगारी से त्राहि-त्राहि कर रही जनता पर और बोझ पड़ेगा। इसलिये यह सरकार और उसके सलाहकारों की परीक्षा होगी कि वह कैसे जनता पर कोई बोझ डाले बिना इस धन का प्रबन्ध करते हैं। क्योंकि विद्युत परियोजनाओं के लिये पानी पर जो सैस लगाने की योजना चर्चा में चल रही है उससे अन्तिम परिणाम में किसी को तो बिजली महंगी मिलेगी। जबकि इसी प्रदेश में सन 1990 में शान्ता कुमार की सरकार बनी थी तब बसपा परियोजना बिजली बोर्ड से लेकर जे.पी. उद्योग समूह को दी गयी थी। उस समय बिजली बोर्ड जो पैसा इस परियोजना पर करीब पन्द्रह सोलह करोड़ लगा चुका था उसे 16% ब्याज सहित बोर्ड को वापिस करने का अनुबंध हुआ था। शान्ता सरकार के बाद वीरभद्र और धूमल की सरकारें भी आकर चली गयी। लेकिन जे. पी. उद्योग यह पैसा वापिस नहीं कर पाया। तब यह तय हुआ कि जब बसपा में उत्पादन शुरू हो जायेगा तब जे.पी. से पैसा वापस लिया जायेगा। लेकिन जब उत्पादन शुरू हो गया और पैसा वापस करने की बात आयी तब सरकार ने यह फैसला दिया कि यदि अब यह पैसा वापस लिया जाता है तो इसका बोझ अप्रत्यक्ष में जे.पी. जनता पर डालेगा क्योंकि बिजली महंगी दरों पर देगा। इस तरह अन्त में करीब 92 करोड़ रूपया बट्टे खाते में डाल दिया गया। कैग ने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति भी जताई है। लेकिन पैसा वापस नहीं मिला। ऐसे में यदि अब जनता पर परोक्ष/अपरोक्ष में कोई बोझ डाला जाता है तो उसका प्रभाव अच्छा नहीं पड़ेगा।

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