Friday, 19 September 2025
Blue Red Green

ShareThis for Joomla!

जन सरोकारों पर संघर्ष का स्वभाविक लाभ वामदलों को मिलना तय

शिमला/शैल। आम आदमी पार्टी ने जहां चार विधानसभा क्षेत्रों के लिये उम्मीदवारों की घोषणा की है वहीं पर सी.पी.एम. ने एक दर्जन क्षेत्रों के लिये उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं। मौजूदा विधानसभा में भी सी.पी.एम. का एक उम्मीदवार है जिसकी सदन में रही वर्किंग इसका पर्याप्त प्रणाम बन जाती है कि सी.पी.एम. जन मुद्दों के प्रति कितना सजग और ईमानदार रही है। सी.पी.एम. की तुलना आम आदमी पार्टी से करना इसलिये आवश्यक हो जाती है कि आप प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा का विकल्प होने का दावा कर रही है। जबकि जन सरोकारों के मुद्दों पर सी.पी.एम. की गंभीरता तथा जन संघर्ष में भागीदारी कांग्रेस और भाजपा से कहीं अधिक रही है। आज शिक्षा को जिस तरह मौजूदा सरकार प्राईवेट सैक्टर के हवाले एक योजनाबद्ध तरीके से करती जा रही है और प्राईवेट शिक्षण संस्थानों ने फीसें बढ़ाकर करीब एक लाख तक पहुंचा दी है तब इस सब के विरूद्ध किसी ने आन्दोलन का आयोजन किया है तो इसका श्रेय केवल सी.पी.एम. को जाता है। शिक्षण संस्थाओं को बाजार बनाने के प्रयासों का विरोध किया जाना आज पहली आवश्यकता बन चुका है। क्योंकि सरकारी स्कूलों को जानबूझकर कमजोर रखा जा रहा है बल्कि अध्यापकों की आपूर्ति करवाने के लिए उच्च न्यायालय का सहारा तक लेना पड़ा है।
अभी जब पशुओं विशेषकर गोधन में जो लम्पी रोग का प्रकोप फैला और इस दिशा में सरकार के प्रयास नहीं के बराबर सिद्ध हुये तब सी.पी.एम. के नेता और कार्यकर्ता ही प्रभावितों का दर्द बांटने के लिये उनके पास पहुंचे। कुसुम्पटी क्षेत्र जो शिमला की जलापूर्ति का एक बड़ा स्त्रोत है जब इसके बाशिंदों को पेयजल का संकट झेलना पड़ा तब इनकी समस्या को संबद्ध प्रशासन तक पहुंचाने में सी.पी.एम. नेता डॉ. तनवर ही इनके पास पहुंचे। महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भी सी.पी.एम. नेतृत्व जनता के साथ खड़ा होने में अग्रिम रहा है। जनहित से जुड़े मुद्दों पर सत्ता के खिलाफ खड़ा होने की जो भूमिका सी.पी.एम. ने निभाई है वह विपक्ष के नाते कांग्रेस या आप नहीं निभा पायी है। जन सरोकारों पर संघर्ष के मानक पर वाम नेतृत्व से ज्यादा खरा कोई नहीं उतरता है। ऐसे में यदि जनता का समर्थन मुद्दों के मानक पर आता है तो इस बार तीसरे दल के नाम पर सी.पी.एम. का दखल विधानसभा के पटल पर संख्या बल के नाम पर बहुत प्रभावी रहेगा यह तय है। क्योंकि आप भाजपा की बी टीम होने के लांछन से मुक्त नहीं हो पायी है। भाजपा सत्ता के लिए जांच एजैन्सियों के दुरुपयोग में सारी सीमाएं लांघती जा रही है यह धारणा समाज के हर वर्ग में बहुत गहरे तक उतर गयी है। कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग जांच एजैन्सियों के बढ़ते दखल से डरकर भाजपा में जाने में ही अपनी भलाई मान रहा है। इस वस्तुस्थिति का स्वभाविक राजनीतिक लाभ सी.पी.एम. को मिलना तय है।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search