Dy. S.P. पदम ठाकुर की पुनर्नियुक्ति से उठा सवाल
2017 में सौंपे भाजपा के आरोप पत्र की प्रमाणिकता पर उठे सवाल
शिमला/शैल। पूर्व मुख्यमंत्री स्व.वीरभद्र सिंह के लम्बे समय तक सुरक्षा अधिकारी रहे डी.एस.पी. पदम ठाकुर 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए और जयराम ठाकुर की सरकार ने पहली सितम्बर को उन्हें उसी पद पर छःमाह के लिए पुनर्नियुक्ति दे दी। पदम ठाकुर एक योग्य अधिकारी हैं इसमें कोई दो राय नहीं है इस नाते उन्हें फिर से नियुक्त कर लिये जाने पर किसी को कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन इसी भाजपा ने 2017 में जब यह विपक्ष में थी तब वीरभद्र सरकार के खिलाफ एक बड़ा आरोप पत्र राज्यपाल को सौंपा था। उस आरोप पत्र में वीरभद्र के सुरक्षा अधिकारी इन्हीं पदम ठाकुर और उनके कुछ परिजनों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाये गये हैं। बल्कि इन्हीं आरोपों के चलते जयराम ठाकुर की विजिलैन्स ने 27-08-2022 को धर्मशाला में पदम ठाकुर की बेटी अंजली ठाकुर के खिलाफ अपराध संहिता की धारा 420 और 120 बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 ;प्द्ध;प्प्द्ध और 13 ;2द्ध के तहत एफ आई आर संख्या 10/2022 दर्ज भी की हुई है। परन्तु अब उन्हीं पदम ठाकुर को छःमाह की पुनर्नियुक्ति देकर प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में तूफान के हालात पैदा कर दिये हैं। स्मरणीय है कि जयराम सरकार 2017 में सौंपी अपनी चार्जशीट को कांग्रेस के खिलाफ एक बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल करती आयी है। जब भी कांग्रेस ने जयराम सरकार के खिलाफ आरोप लगाने की बात की है तभी जयराम अपने 2017 में सौंपी गयी चार्जशीट का भय दिखाकर कांग्रेस को चुप करवाते आये हैं। लेकिन आज उसी आरोपपत्र के एक मुख्य पात्र बने अधिकारी को उन्हीं के व्यक्तिगत आग्रह पर पुनर्नियुक्ति देकर सबको चौंका दिया है। क्योंकि आने वाले चुनाव प्रचार में अब इसी आरोप पत्र पर कांग्रेस को घेरना संभव नहीं होगा। इस नियुक्ति के माध्यम से मुख्यमंत्री ने अपनी ही पार्टी से एक बड़ा हथियार छीन लिया है। वैसे भी इस आरोप पत्र पर अंजली ठाकुर के खिलाफ दर्ज हुई एफ आई आर को छोड़कर और कोई बड़ी कारवाई सामने नहीं आयी है। पार्टी के भीतर इस पुनर्नियुक्ति पर क्या प्रतिक्रियाएं उभरती है या इस पुनर्नियुक्ति को रद्द कर दिया जाता है इसका पता तो आने वाले दिनों में चलेगा। लेकिन यह नियुक्ति की ही क्यों गयी। इसको लेकर राजनीति और प्रशासनिक हलकों में कयासों का दौर अवश्य चल निकला है। अब तक जितने भी चुनावी सर्वेक्षण सामने आये हैं। उन में किसी में भी भाजपा की सरकार नहीं बन पायी है। जिन निर्दलीय और कांग्रेसी विधायकों को भाजपा में शामिल करवाया गया है उन्हें पार्टी चुनावी टिकट दे पायेगी यह तक निश्चित नहीं है। इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री प्रो.प्रेम कुमार धूमल के अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा फैल गयी है और इसका कोई खण्डन नहीं आया है। इस चर्चा से यह सवाल उलझ गया है कि भाजपा का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। क्योंकि नड्डा जयराम को लेकर कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया के प्रत्युत्तर में इशारे की बात ही कर पाये थे स्पष्ट नहीं कर सके थे। उधर एक समय जब जयराम ने कांग्रेस के प्रस्तावित आरोप का मुख मोड़ने के लिए भाजपा के पुराने आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपने की बात कही थी उसका अपरोक्ष में विक्रमादित्य सिंह ने सीबीआई/ईडी का हॉली लॉज में स्वागत की पोस्ट डाल कर जवाब दिया। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि आज सीबीआई से डरने वाला कोई नहीं है। इस सारे घटनाक्रम से अनचाहे ही यह संकेत चला गया है कि भाजपा के भीतर की तस्वीर कांग्रेस से भी ज्यादा धुंधली चल रही है। इस परिदृश्य में पदम ठाकुर की पुनर्नियुक्ति का आदेश आना इसी संदेश का वाहक माना जा रहा है कि पांच वर्षों में जयराम सरकार ने ईमानदारी से कांग्रेस के खिलाफ कुछ नहीं किया है और आने वाले समय में कांग्रेस से भी इसी सौहार्द की अपेक्षा है। अन्यथा चुनावी संध्या पर ऐसे आदेशों का और क्या अर्थ निकाला जा सकता है जिनकी मार अपने घर पर ज्यादा पढ़ने वाली हो जबकि इससे पहले लोक सेवा आयोग प्रकरण में मिली फजीहत की पीड़ा अभी कम नहीं हुई है।
यह है आरोप पत्र