Friday, 19 September 2025
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क्या मुफ्ती योजनाओं की घोषणा केजरीवाल के डर का परिणाम है?

अनुराग की आप में सफल सेंधमारी भी मुख्यमंत्री के मनोबल को कायम नहीं रख पायी
क्या इन योजनाओं को नड्डा का समर्थन हासिल है?
क्या प्रदेश की जनता सत्ता में वापसी के इन प्रयासों की कीमत करीब 500 करोड़ का और कर्ज झेल कर चुका पायेगी

शिमला/शैल। क्या जयराम सरकार आम आदमी पार्टी के हिमाचल का विधानसभा चुनाव लड़ने के ऐलान से मनोवैज्ञानिक दबाव में आ गयी है? यह सवाल इसलिये उठना शुरू हो गया है क्योंकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 15 अप्रैल को हिमाचल दिवस के मौके पर प्रदेश की जनता को 125 यूनिट बिजली मुफ्त देने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति मुफ्त और सरकारी बसों में महिलाओं को बस किराये में 50% की छूट देने की घोषणा की है। इन घोषणाओं पर इसी वर्ष 1 अगस्त से अमल शुरू हो जायेगा। इससे पहले 60 यूनिट बिजली मुफ्त देने का ऐलान किया गया था। जो पहली अप्रैल से लागू होना था। अब मुफ्त बिजली की मात्रा दोगुनी से भी बढ़ा दी गयी है। स्मरणीय है कि पिछले दिनों केंद्र सरकार के दो दर्जन वरिष्ठ अधिकारियों की प्रधानमंत्री के साथ एक बैठक हुई थी। इस बैठक में दो अधिकारियों ने इन मुफ्ती योजनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुये यह आशंका व्यक्त की थी कि यदि ऐसी घाषणाओं को सख्ती से समय रहते न रोका गया तो कुछ राज्यों की स्थिति जल्द ही श्रीलंका जैसी हो जायेगी। इस बैठक की चर्चा बहुत वायरल हुई है। इस परिदृश्य में जयराम ठाकुर की इन घोषणाओं को आम आदमी पार्टी के आसन भय के साथ जोडकर ही देखा जायेगा।
फिर यह सब कुछ केजरीवाल के मण्डी रोड शो के बाद हुआ है। इसी रोड शो की सफलता के बाद आप ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अपने विधानसभा क्षेत्र सराज में भी ऐसा ही रोड शो करने का ऐलान किया हुआ है। बल्कि इस प्रस्तावित रोड शो से पहले अब कांगड़ा में रोड शो करने की तारीख की घोषणा कर दी है। कांगड़ा प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है और प्रदेश की सत्ता का रास्ता यहीं से होकर गुजरता है। यही नहीं आप को प्रदेश में पांव पसारने से रोकने के लिये जो सफल सेंधमारी की थी और नड्डा ने नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों पर विराम लगाते हुये प्रधानमंत्री से जो ईमानदारी का प्रमाण पत्र जारी करवा कर उत्साहवर्धन का जो प्रयास किया था उस सबका सच भी इन घोषणाओं से पूरी तरह अर्थहीन होकर रह गया है। आम आदमी पार्टी ने सराज की ओर से जो रूख करने का फैसला लिया है उसके पीछे वहां हुये विकास के सारे दावों और आरोपों का सच सराज से लेकर पूरे प्रदेश के सामने रखने की योजना है। चर्चाओं के मुताबिक सराज में देखने वाले विकास के नाम पर मुख्यमंत्री के अपने आवास होटल सराज और चुनाव क्षेत्र में बने करीब एक दर्जन हेलीपैड को छोड़कर और कुछ गिनती योग्य बड़ा नहीं है। होटल सराज बनने के साथ ही प्राइवेट सैक्टर को दे दिया गया है। क्षेत्र के युवाओं को रोजगार देने के लिए मल्टी टास्क वर्कर भर्ती में 50% का जो कोटा मुख्यमंत्री के लिये रखा गया था उस 50 को प्रदेश उच्च न्यायालय के दखल ने शून्य करके रख दिया है। ऐसे में आगे इन्हीं मुफ्ती योजनाओं का सहारा है। लेकिन जिस तरह से यह योजनाएं भी केजरीवाल के डर से का परिणाम कहीं जाने लगी हैं। उससे इन योजनाओं पर होने वाले खर्च की भरपाई सरकार कहां से करेगी यह और सवाल उठना शुरू हो गया है।
वैसे तो यह घोषणाएं पहली अगस्त से लागू किये जाने की बात कही गयी है। लेकिन यह संभावना भी बराबर बनी हुई है कि कहीं हिमाचल और गुजरात के चुनाव उत्तराखंड के उपचुनाव के साथ ही न करवा लिए जायें। यह उपचुनाव 15 सितम्बर तक हो जाना अनिवार्य है। यदि ऐसा होता है तो बहुत संभव है कि यह मुफ्ती की घोषणाएं चुनाव आचार संहिता के साये में लागू ही न हो पायें। अन्यथा इन्हें तुरंत प्रभाव से भी लागू किया जा सकता था। क्योंकि कर्ज लेकर घी पीने की परम्परा को ही तो आगे बढ़ाना है। इस परिदृश्य में आप की धार को कुन्द करने के जितने भी प्रयास किये जायेंगे वह निरर्थक ही प्रमाणित होंगे। क्योंकि इन मुफ्ती घोषणाओं को चुनावों की पूर्व संध्या पर किसी भी तर्क और गणित से जायज नहीं ठहराया जा सकेगा। जब 60 यूनिट बिजली मुफ्त देने की पहली घोषणा की गयी थी तब इसके बदले में 92 करोड़ बिजली बोर्ड को देने की बात की गयी थी। अब इसकी मात्रा दोगुनी करने से बोर्ड को दी जाने वाली रकम बढ़कर 200 करोड़ हो जायेगी। इसी के साथ जब ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल मुफ्त उपलब्ध करवाने और महिलाओं को बस किराये में 50% छूट का बिल भी साथ जुड़ जायेगा तो एक झटके में ही कम से कम 500 करोड़ का कर्ज बढ़ाने का प्रबन्ध सत्ता में वापसी के भरोसे को कायम रखने के लिये राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व ने कर लिया है। इस मुफ्ती योजना को मुख्यमंत्री के वकीलों नड्डा और अनुराग का कितना समर्थन हासिल है इसके लिये उनके ब्यान का इंतजार है। बाकी फैसला प्रदेश की जनता और बेरोजगार युवाओं के बढ़ते आंकड़े को करना है। क्योंकि यह सब सीधे उनके भविष्य के साथ जुड़ा है।

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