Friday, 19 September 2025
Blue Red Green

ShareThis for Joomla!

धूमल की याचिका पर नड्डा के फैसले से गरमाई भाजपा की राजनीति

शिमला/शैल। प्रदेश के आने वाले चुनाव जयराम ठाकुर के ही नेतृत्व में लड़े जायेंगे और मंत्री परिषद में भी कोई बदलाव नहीं होगा। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने इस स्पष्ट ब्यान से प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमा गयी है क्योंकि नड्डा स्वयं हिमाचल से ताल्लुक रखते हैं और 2017 में धूमल की हार के बाद वह स्वयं भी मुख्यमंत्री बनने की रेस में आ गये थे। प्रदेश में वह स्वास्थ्य और वन जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रह चुके हैं। उन्हें प्रदेश की राजनीति से केंद्र की राजनीति में क्यों जाना पड़ा था यह राजनीति के जानकार जानते हैं। ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष का यह ब्यान ऐसे समय में आया है जब आप प्रदेश में दस्तक दे चुकी है और केजरीवाल ने मंडी में रोड शो करके चुनाव में हुंकार भरी। मंडी का रोड शो उस दिन था जब भाजपा अपना स्थापना दिवस मना रही थी। इस दिन प्रधानमंत्री का वर्चुअल संबोधन भी था। मुख्यमंत्री से लेकर नीचे के नेताओं तक हर कार्यकर्ता और नेता इस आयोजन में व्यस्त था। मुख्यमंत्री स्वयं सराज में थे। इस सबके होते हुए भी जितनी भीड़ केजरीवाल के रोड शो में हो गयी थी वह भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए पर्याप्त चुनौती हो जाती है। भाजपा पर इस रोड शो का मनोवैज्ञानिक प्रभाव कितना पढ़ा है कि उसी दिन केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर के सांसद अनुराग ठाकुर आप के संयोजक और अन्य नेताओं को आप से निकालकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर पहुंचा देते हैं। नड्डा भी रात को ही अपने आवास पर आप के नेताओं को भाजपा में शामिल करने की सारी प्रक्रिया पूरी करके इस ऑपरेशन को अंजाम देते हैं। सुबह सारे चैनलों की यह बड़ी खबर हो जाती है।
आप में सेंध लगाने के इस प्रोग्राम को दिल्ली में अंजाम दिया जाता है और प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी इसमें शामिल नहीं किया जाता है। मुख्यमंत्री पर कोई बड़े सवाल न उठे इसलिए नड्डा ने स्वयं और अनुराग को जयराम का दिल्ली में वकील बताकर चर्चा को विराम दे दिया है। लेकिन वह यह भूल गये हैं कि जनता यह जानती है कि वकील तो मोटी फीस लेकर मुकदमा लड़ते हैं और यह कतई नहीं होता कि मुकदमे के बारे में भी उनकी राय वही हो। क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष की अदालत में याचिकाकर्ता तो प्रेम कुमार धूमल थे। उन्होंने मांग की थी कि धामी की तर्ज पर उनकी हार के कारणों की भी जांच की जाये। नड्डा ने इस मामले पर कोई भी कार्यवाई डालने की बजाये यह कहकर ही सारे प्रकरण को खारिज कर दिया कि पार्टी गुण दोष के आधार पर फैसला लेती है। अब नड्डा के इस एकतरफा फैसले से यह प्रकरण स्वतः ही जनता की अदालत का विषय बन गया है। जनता ने उप चुनावों के दौरान भी चार शुन्य का परिणाम देकर अपने तेवरों सेे परिचित करवा दिया है।
अब नड्डा के फैसले के बाद वह भी आने वाले विधानसभा चुनावों के परिणामों के स्वतः भागीदार हो जायेंगे। क्योंकि उपचुनावों के बाद भी महंगाई को कारण बता कर हार की जिम्मेदारी से बचने का प्रयास किया गया था। अब पांच राज्यों के चुनावों के बाद फिर महंगाई का उपहार जनता को मिला है। जनता को यह समझ आ चुका है कि चुनावों से पहले महंगाई पर रोक लगायी जायेगी और बाद में उससे दोगुना करके बढ़ाया जायेगा। ऐसे में यह तय है कि चुनावों में सरकार के हर फैसले पर खुलकर चर्चा होगी। क्योंकि जब नेतृत्व में परिवर्तन नहीं होगा तो हर सवाल का जवाब इसी नेतृत्व को देना होगा। कर्ज के बढ़ते आंकड़े से लेकर कैग रिपोर्ट में उठे सवालों का जवाब इन्हें ही देना होगा। केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश नेतृत्व को यह अभयदान देकर एक तरह से अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गया है। अनुराग ठाकुर ने आप में सेंध लगाकर अपनी राजनीतिक कुशलता और चुनाव सर्वेक्षणों में आ रहे आकलनों पर अपरोक्ष में मोहर लगा दी है। अभी नगर निगम शिमला के चुनाव होने हैं वैसे तो दिल्ली नगर निगम की तर्ज पर हिमाचल सरकार भी फैसला लेकर चुनावों से बचने का दाव चल सकती है। लेकिन नड्डा के रोड शो में जिस तरह से शिमला के विधायक सुरेश भारद्वाज को हाशिये पर रखा गया है उससे भी कई सवाल उठने शुरू हो गये हैं। क्योंकि पिछले दिनों सुरेश भारद्वाज की केंद्रीय नेताओं से मुलाकातें रही हैं उससे उन्हें भी नेतृत्व के दावेदारों में गिना जाने लगा था। ऐसे में नड्डा के ब्यान से भाजपा के अंदर भी चर्चाओं का दौर चल पड़ा है।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search