शिमला/शैल। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने प्रदेश की जनता के नाम एक खुला पत्र लिखकर आम आदमी का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है क्योंकि जब संसद से लेकर विधानसभा तक सरकार विपक्ष की बात सुनने को तैयार न हो। संसद में बिना बहस के बिल पास हो जाये और देश के प्रधान न्यायधीश को अपनी चिन्ता सार्वजनिक करनी पड़े तो स्पष्ट हो जाता है कि इस व्यवस्था में आम आदमी और उसके सवालों के लिये कहीं कोई मंच नहीं रह गया है। ऐसे में किसी भी संवदेनशील नेता के लिये जनता के दरबार में गुहार लगाने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं रह जाता है। क्योंकि इसी जनता को अच्छे दिन आने का सपना दिखाकर उसका विश्वास जीतकर यह सरकार सत्ता में आयी थी। सात साल सत्ता भोगने के बाद भी जो सरकार विपक्ष से ही सवाल करे क्या उससे यह नहीं पूछा जाना चाहिये कि क्या उसने सत्ता संभालने पर देश की स्थिति को लेकर कोई श्वेत पत्रा इस जनता के सामने रखा था शायद नहीं। आज अपनी असफलताओं पर पर्दा डालने के लिये अपने संख्या बल की ताकत पर विपक्ष की आवाज को दबाना ज्यादा देर नहीं चलेगा।
आज जयराम सरकार अनुराग ठाकुर की जन आशीर्वाद यात्रा के बाद स्वर्णिम रथ यात्रा का आयोजन करने जा रही है। पूरे प्रशासन को इस यात्रा की तैयारी पर लगा दिया है। अनुराग ठाकुर की जन आशीर्वाद यात्रा और अब स्वर्णिम रथ यात्रा ऐसे समय में होने जा रही है जब प्रदेश की जनता को कोरोना की तीसरी लहर का डर भी बराबर परोसा जा रहा है। कोरोना के कारण प्रदेश के शैक्षणिक संस्थान पिछले वर्ष मार्च से लेकर अब तक बन्द चले आ रहे हैं। बच्चों और अध्यापकों को मोबाईल पर आश्रित कर दिया गया है। जिस मोबाईल का ऑप्रेशन पैट्रोल पम्पों पर प्रतिबन्धित है और डाक्टर इसके आन्तरिक प्रयोग से बच्चों को बचने की नसीहत देते हैं क्योंकि इससे उनकी ऑंखे प्रभावित होगी लेकिन आज सरकारी आदेश से सबको इस पर आश्रित बना दिया गया है। यदि आने वाले समय में पांच प्रतिशत भी इससे नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं तो क्या एक नयी समस्या को न्योता नहीं दिया जा रहा है। कोरोना का अभी तक कोई ईलाज सामने नहीं आया है। फिर भी लोग ठीक हो रहे हैं क्योंकि उनका अन्य बिमारियों के लिये ही उपचार किया जा रहा है। कोरोना में जितने लोगों की मोत हुई है उसमें सरकार के अपने आंकड़ो के अनुसार ही 80% से अधिक मौतें अन्य बिमारियों से हुई है। जब 24 मार्च 2020 को लाकडाऊन लगाया गया था और उसके कारण सारे अस्पताल भी खाली कर दिये गये थे तब लम्बे समय तक लोग बिना ईलाज के रहे थे। उन लोगों में से कितने कोरोना के कारण अब अपनी जान गंवा चुक हैं इसका कोई अध्ययन आंकड़ा सरकार के पास नहीं है।
कोरोना को लेकर सरकार की समझ अभी यहीं तक पहुंची है कि इसका संक्रमण शादी-ब्याह के समारोहों से फैलता है और राजनीतिक रैलियों से नहीं। यह आम आदमी के सामने आ चुका है कि कोरोना काल में बंदिशों के दौरान राजनीतिक गतिविधियां बराबर जारी रही है। अभी जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान कितने लोग मास्क का प्रयोग कर रहे थे और भीड़ में सोशल डिस्टैंन्सिग की कितनी पालना हो रही थी यह सब जनता के सामने आ चुका है। अब जो रथ यात्रा प्रस्तावित है उसमें भी इसी तरह का आचरण रहेगा यह तय है। ऐसे में जब सरकार किसी की भी बात सुनने को तैयार नहीं है तब जनता को इस सब पर विचार करना होगा। इसी आश्य के साथ नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश की जनता के नाम खुला पत्र लिखकर उसका ध्यान आकर्षित किया है।