शिमला/शैल। देश में पहली जून से आनलाॅक का पहला चरण शुरू हुआ है। लेकिन हिमाचल में अभी भी कफर्यू लागू है। अब यह केवल रात में ही प्रभावी है। कोरोना के मामले अब प्रदेश में हर रोज बढ़ते जा रहे हैं। प्रदेश के लगभग सभी जिले इससे प्रभावित हो गये हैं। लाहौल स्पिति में तो वहां के लोगों ने क्षेत्र के विधायक मन्त्री डा. रामलाल मार्कण्डेय को भी वहां नही आने दिया है। भले ही मन्त्री का रास्ता रोकने पर उन लोगों के खिलाफ अब एफआईआर दर्ज कर दिये गये है। इस घटना से यह पता चलता है कि लोगों में कोरोना को लेकर किस कदर आतंक का माहौल बना हुआ है।
लोगों में बना यह आतंक एक बहुत ही खतरनाक मानसिकता का परिचायक बनता जा रहा है। लेकिन इस आतंक से जब प्रशासन स्वयं ही प्रभावित हो जाये तो अन्दाजा लगाया जा सकता है कि सामान्य समाज की स्थिति क्या होगी। कोरोना के कारण शिमला के मालरोड़ पर कुछ दिनों के लिये शेरे पंजाब के पास के रेन शैल्टर से स्कैण्डल तक ट्रैफिक ‘‘वन वे’’ कर दिया गया था। फिर कुछ दिनों बाद यह ‘‘वन वे’’ व्यवस्था हटा दी गयी। लेकिन अब इसे फिर से लागू कर दिया गया है। अब जहां माल रोड़ के कुछ स्थलों पर लोग बैठकर थोड़ा विश्राम कर लेते थे वहां छोटा सा पोस्टर चिपका दिया गया है। इस पर लिखा है कि यहां बैठना मना है। यह पोस्टर किसके आदेशों से जारी किया गया है इसका कोई जिक्र इस पर नही है। वैसे शहर में कुछ अन्य स्थानों पर भी ‘‘रास्ता बन्द’’ है के पोस्टर चिपके हुए हैं जिन पर आदेशकर्ता का उल्लेख नही है। मालरोड़ प्रदेश का ऐसा स्थल है जिसमें एक ओर ही दुकानें हैं और पूरा रास्ता बहुत चैड़ा है। वहां पर आने जाने वालोें में स्वभाविक रूप से सामाजिक दूरी के निर्देश की अनुपालना हो जाती है। लेकिन जब ऐसे स्थान पर भी प्रशासन इस तरह से अपने फैसले बदलेगा तो निश्चित रूप से लोगों में और आतंक का वातावरण बनेगा।
जबकि इसी शहर में जब पहली जून को प्रदेश के नये डीजीपी ने कार्यभार संभाला तब एक व्यक्ति दिल्ली से उन्हे बधाई देने उनके कार्यालय पहुंच गया। बधाई देकर कुछ समय रूक कर यह व्यक्ति उसी दिन दिल्ली वापिस भी चला गया। लेकिन दिल्ली जाकर कुछ दिनों बाद इस व्यक्ति की मौत हो गयी और यह पता चला कि यह व्यक्ति तो कोरोना पाॅजिटिव था। यह सूचना मिलते ही हड़कंप मच गया। संजय कुण्डु होम संगरोध में चले गये पुलिस मुख्यालय को सील कर दिया गया। जितने लोगों को कुण्डु सहित यह व्यक्ति मिला था सबके सैंपल लिये गये। सुखद यह रहा कि सभी नैगेटिव निकले। कुछ लोगों ने इस पर सवाल भी उठाये है कि दिल्ली के व्यक्ति को शोघी बेरियर के पास अन्दर शिमला कैसे आने दिया जबकि नियमों के अनुसार उसे तो संस्थागत संगरोधन में भेजना चाहिये था। यह एक प्रशासनिक पक्ष है और देर सवेर प्रशासन को इसका जवाब देना भी होगा।
लेकिन इस सबमें सबसे सुखद और महत्वपूर्ण यह है कि इस व्यक्ति के संपर्क में आया कोई भी व्यक्ति संक्रमित नही निकला। अन्दाजा लगाया जा सकता है कि जिसकी कोरोना के कारण कुछ ही दिनों में मौत हो गयी हो उसके संपर्क में आया कोई भी व्यक्ति संक्रमित नही हुआ। क्या इससे यह निष्कर्ष नही निकलता कि कोरोना का संक्रमण इस तरह नही फैलता है इस समय प्रशासन के स्तर पर जब आतंक की यह हालत हो जाये कि उसे बार -बार अपने फैसले बदलने पड़े तो इसका आम आदमी पर कितना नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है। प्रशासन को अपनी मानसिकता और कार्यशैली दोनो ही बदलने की आवश्यकता है।