इस थाली से पूर्व धर्मशाला में सोनिया-राहूल के समर्थन में एक बड़ी रैली निकालकर अपनी राजनीतिक जन स्वीकारयता का जो सफल परिचय दिया है उस पर सुधीर शर्मा और वीरभद्र की अपनी -अपनी प्रतिक्रियाओं ने इसे मान भी लिया है। वीरभद्र ने इस रैली पर अनभिज्ञता की प्रतिक्रिया दी है और सुधीर ने इसे पार्टी का कार्यक्रम न मानकर बाली का व्यक्तिगत कार्यक्रम करार दिया है। जिस आकर की रैली बाली ने आयोजित कर दी है निश्चित रूप से उसकी तैयारी कुछ ही क्षणों में न होकर उसके लिये दो चार दिन तो लगे होंगे। ऐसे में स्थानीय मन्त्री और मुख्यमन्त्री को इसकी जानकारी न रही हो यह नही माना जा सकता है।
बल्कि इनकी प्रतिक्रियाओं से यह संकेत अवश्य उभरता है कि शायद इन नेताओं को यह विश्वास ही न रहा हो कि राहूल-सोनिया इस मसय जिस तरह के विवादों में घिरे हुए हैं उसमें उनके लिये इतना जन समर्थन जुटा पाना संभव ही नही होगा।
आज सोनिया-राहूल और पूरी कांग्रेस हाईकमान को इस तरह की जन रैलीयों की आवश्यकता है। यदि बाली की योजना के मुताबिक सोनिया-राहूल कांगडा आ ही जाते तो तय है कि इस रैली से कई गुणा बड़ी रैली आयोजित करने में बाली सफल हो जाते और उसके बाद उनकी जन स्वीकरयता को किसी प्रमाण पत्र की आवश्यकता ही न रह जाती।