शिमला/शैल। वीरभद्र और परिवार के खिलाफ सीबीआई में आय से अधिक संपति और ईडी में चल रहे मनीलाॅॅंडरिंग मामलों में चुन्नी लाल और आनन्द चैहान के बाद कुछ आर गिरफ्रतारीयां होने की संभावना बढ़ गयी है। क्योंकि जून में आयकर प्राधिकरण के चण्डीगढ़ बैंच में चल रही वीरभद्र सिंह की अपील पर सुनवाई रूक गयी
आनन्द चौहान के बैंक खातों में एकदम करोड़ों रूपया कैश जमा होने और फिर उसे निकाले जाने की जानकारी जब सामान्य रूप से आयकर विभाग में पहुंची थी तब आनन्द चौहान ने आयकर में 22.11.11 को पेश होकर यह बताया था कि उसी का पैसा है और उसका पूरा ब्योरा 15 दिन बाद विभाग को सौंप देगा। लेकिन जब 15 दिन बाद फिर पेश हुआ तो इस पैसे को वीरभद्र के बागीचे की आय बताया और अपने को बागीचे का प्रबन्धक तथा इस आश्य का एक 15.6.08 का हस्ताक्षरित ऐग्रीमेंन्ट भी पेश कर दिया। आनन्द के खाते में करोड़ो जमा हुआ था और उससे वीरभद्र परिवार के सदस्यों के नाम पर करोड़ो की एल आई सी पालिसियां ली गयी थी। जबकि वीरभद्र सिंह ने अपनी आयकर रिटर्नज में तीन साल की कुल आय 47.35 लाख दिखा रखी थी। आनन्द चैहान के ब्यान के बाद वीरभद्र ने मार्च 2012 में इन्ही वर्षो की संशोधित रिटर्न फाईल करके 47.35 की आय को बढकार 6.1 करोड़ दिखा दिया। इस विरोधाभास के कारण पूरे मामले की जांच हुई। जांच में आनन्द चैहान के साथ हुआ एग्रीमैन्ट सही नही पाया गया बल्कि 17.6.08 का इसी बागीचे का एक और एग्रीमैन्ट विश्म्बर दास के साथ मिल गया। इसकी सत्यता भी संदिग्ध हो गयी। बागीचेे में करोड़ो के सेब के उत्पादन की संभावनाओं पर बागवानी निदेशालय से रिपोर्ट ली गयी और इस रिपोर्ट ने भी आनन्द चौहान और वीरभद्र के दावों का समर्थन नही किया। यह सेब परवाणु के सेब व्यापारी चुन्नी लाल को बचा दिखाया गया। इतने सेब की ढुलाई के लिये जो वाहन प्रयुक्त हुए दिखाये गये उन पर ट्रांसपोर्ट निदेशालय से रिपोर्ट ली गयी। इस रिपोर्ट में दिखाये गये नम्बरों के वाहन पाये ही नही गये। सेब की ढुलाई में प्रयुक्त वाहनों की मार्किटिंग बोर्ड केे रिकार्ड में एन्ट्री होती है। परन्तु मार्किटिंग बोर्ड की रिपोर्ट में साफ कहा गया कि ऐसी एन्ट्रीयां उनके रिकार्ड में नही हैं। चुन्नी लाल ने जिन फर्माे से आनन्द चैहान को एक करोड़ की कैश पेमैन्ट एडवासं में उसके सामने उसके कार्यालय में दिया जाना दिखाया सीबीआई की जांच में वह फर्मे पायी ही नही गयी। इस तरह उत्पादन से लेकर विक्रय तक के सारे दावे सही नही पाये गये हैं। जबकि एलआई सी की रिपोर्ट में 18 पालिसीयां होने की डिटेले दी गयी है। इनमें से कुछ को भुनाकर ग्रेटर कैलाश दिल्ली में खरीदे गये मकान में निवेश किया गया है। इस तरह आनन्द चौहान और चुन्नी लाल के माध्यम से बैंक में आये करोड़ो के प्रत्यक्ष लाभार्थी वीरभद्र और परिवार है यह सीबीआई और ईडी की जांच में आ चुका है।
इसी दौरान वक्कामुल्ला चन्द्रशेखर के माध्यम से भी छः करोड से अधिक का फ्री लोन वीरभद्र परिवार को मिला है। एक कंपनी में वीरभद्र परिवार के सदस्यों के 90 लाख के शेयर और उनके ओएडी अमित पाल के दस लाख के शेयर सामने आये हैं। वक्कामुल्ला का आय का स्तो़त्रा भी अभी तक प्रामाणित नही हो पाया है। जबकि इसी दौरान महरौली में फार्म हाऊस की खरीद सामने आ चुकी है। वक्कामुल्ला को लेकर ईडी में अभी तक जांच चल रही है। लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया में वीरभद्र के ओएसडी को लेकर एक पोस्ट चर्चा में चल रही है। इस पोस्ट मुताबिक अमित पाल ने देश के कई भागों में सात प्लैट और 79 करोड़ के निवेश कर रखे हैं। अमित पाल ने इस पोस्ट के होने की पुष्टि करते हुऐ दावा किया हैं कि सब गल्त है और इसको लेकर उन्होने पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवा रखी है। जिसे वह शीघ्र ही सार्वजनिक कर देगें। लेकिन पुलिस विभाग ने ऐसी कोई शिकायत आने की पुष्टि नही की है। इस समय अमित पाल को लेकर ऐसी पोस्ट का सामने आना यह इंगित करता है कि यह पोस्ट भी जांच ऐजैन्सीयों की जांच का केन्द्र बनेगी। दूसरी ओर वीरभद्र के प्रधान निजि सुभाष आहलूवालिया के खिलाफ पहले से ही ऊना के दो वकीलों के नाम से एक शिकायत ईडी में लंबित चल रही है। ऐजैन्सी सूत्रों के मुताबिक अमित पाल की पोस्ट और सुभाष की शिकायत पर भी प्रारम्भिक जांच शुरू हो गयी है।
यह भी चर्चा हैं कि सीबीआई ने एक और पुराने मामले को भी नये सिरे से खंगालने का प्रयास शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक चुन्नी लाल और आनन्द चैहान से कांगडा के बड़ा भंगाल को लेकर भी कुछ प्रश्न पूछे गये हैं। ऐजन्सी सूत्रों के मुताबिक इस मामले में कुछ और गिरफ्तारीयों होने की भी संभावना है। स्मरणीय है कि आनन्द चैहान और चुन्नी लाल ने हिमाचल उच्च न्यायालय से वीरभद्र की तर्ज पर राहत मांगी थी जो उन्हे नही मिली है। इस तरह ईडी पर अदालत की ओर से वंदिश नही है। इस मामले में वरिष्ठ वकील आरके आनन्द और सलमान खुर्शीद को शिमला लाकर उनसे राय लिये जाने की भी चर्चा है। कुछ राजनीतिक हल्कों में यह भी चर्चा है कि पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए वीरभद्र पद त्यागने का भी फैसला ले सकते हैं।