Friday, 19 September 2025
Blue Red Green
Home देश क्या प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा का विकल्प होगा

ShareThis for Joomla!

क्या प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा का विकल्प होगा

शिमला/शैल। क्या प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा का राजनीतिक विकलप बन पोयगा? यह सवाल एक बार फिर राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। क्योंकि प्रदेश में इस समय कांग्रेस और भाजपा दोनो का शीर्ष नेतृत्व एक बराबर सवालों और जांच ऐजैन्सीयो की जांच की आंच झेल रहा है आजतक प्रदेश में सता कांग्रेस और भाजपा दोनों के बीच रही है। और इसी सता के कारण यह नेतृत्व अब तक अपने को बचाता भी रहा है। इनके इस बचाव की कला की कीमत प्रदेश ने कैसे चुकाई है इसका प्रमाण है प्रदेश के कर्जभार का आंकड़ा 46 हजार करोड़ तक पहुंचना और जिस दिन यह आंकड़ा 60 हजार करोड़ तक पहुंच जायेगा तब प्रेदश के कर्ज लेने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लग जायेगा। केन्द्रिय सहायता तक रूक जायेगी। प्रदेश का शीर्ष प्रशासन इस स्थिति को जानता और समझता है। संभवत इसी कारण प्रशासनिक हल्को में भी राजनीतिक विकल्प की आवश्यकता पर चर्चा चल पडी है।
इस परिदृश्य में यदि पूर्व में विकल्प के लिये हुए प्रयासों पर नजर डाली जाये तो लोकराज पार्टी से लेकर हिंविका, हिलोपा तक जो कुछ हुआ है उसका एक निश्कर्ष स्पष्ट है कि जिस भी नेता ने एक बार सता का सुख भोग लिया हो वह विपक्ष की राजनीति कर ही नही सकता। विजय सिंह मनकोटिया और राजन सुशांत भी इसी कारण असफल रहे है। लेकिन प्रदेश की जनता ने हर प्रयास को समर्थन देने का साहस दिखाया है और तभी जनता दल को 17 सीटांे पर चुनाव लड़कर 11 पर जीत हासिल हुई थी। इतनी ही जीत एक बार लोक राजपार्टी को मिली थी। विकल्प की यह पृष्ठ भमि आज नया प्रयास करने वालों को सामने रखनी होगी। क्योंकि भाजपा और कांग्रेस आसानी से अपना हकदार क्यों पैदा होने देगी।
इस समय प्रदेश के भविष्य को संभालने के लिये विकल्प की अतिआवश्यकता है क्योंकि जहां कांग्रेस और भाजपा में चाटुकारिता की संस्कृति हावी हो चुकी है वहीं पर प्रशासन भी इसी संस्कृति का शिकार हो चुका है। यहां तक कि लोकतन्त्र का चैथा खम्भा होने का दावा करने वाली पत्रकारिता ने भी आत्मचिन्तन का गला घोंट रखा है। पत्रकार नेता और अधिकारी से ज्यादा व्यापारी हो चुके हैं। ऐसे में विकल्प का साहस जुटाने वालों को इन ताकतों से एक ही समय में इक्टठे लोहा लेना होगा। क्योंकि इस समय राष्ट्रीय स्तर पर आम आदी पार्टी जैसे जैसे भाजपा और कांग्रेस का विकल्प बनने की ओर एक कदम बढ़ा रही है उसी अनुपात में यह सारी ताकतें उस पर हमलावार होती जा रही है।
हिमाचल में भी विकल्प की उम्मीद केवल हिमाचल में विकन्प की उम्मीद केवल आम आदमी पार्टी से ही की जा सकती है। क्योंकि भाजपा और कांग्रेस के हाईकमानों की तरह अभी आप का हाई कमान नहीं है। भाजपा और कांग्रेस अपने भ्रष्टों पर कारवाई से पहले उनकी भ्रष्टता को सही ठहराने का प्रयास करती है जबकि केजरीवाल ने हर आरोपी पर कारवाई करने में कोई देर नहीं लगाई है। हिमाचल के परिदृश्य में यहां की सारी कार्यकारिणी को सामूहिक रूप से भंग करके अपनी निष्पक्षता का परिचय दे दिया है। यह निष्पक्षता उनके भविष्य की उम्मीद जगाती है। कार्यकारिणी को भंग करके नये पर्यवक्षकों की टीम भेज दी गई है और इस टीम ने अपना काम शुरू भी कर दिया है यह पर्यवेक्षक अपना क्या आंकलन सामने रखते हैं यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा लेकिन प्रदेश की अब तक की ईकाई राजन सुशांत के नेतृत्व में प्रदेश की जनता को यह तक नही बता पाई है कि प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा का विकल्प आखिर क्यों चाहिये? यह प्रदेश इनकी किन नीतियों के कारण कर्ज के मकड़ जाल में फंस कर रह गया है? कहां इन दोनों ने एक दूसरे के भ्रष्टाचार को नजरअन्दाज किया है? क्योंकि आज जो कुछ प्रदेश में घट चुका है यदि उसका ईमानदारी से पर्दाफाश किया जाये तो इनको राष्ट्रीय स्तर पर भी जवाबदेह होना पड़ेगा। उम्मीद है कि ‘आप’ अगली ईकाई घोषित करने से पहले इन तथ्यों को ध्यान में रखेगी।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search