शिमला/शैल। सोलन जिले के अर्की चुनाव क्षेत्र की पंचायत कुनिहार में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पिता स्व0 राजा पदमचन्द केे नाम पर क्रिकेट स्टेडियम का निमार्ण किया जा रहा है। इस निमार्ण के लिये यहां पर सैकडों वर्ष पहले 18 वीघे 10 बिस्वे में बने तालाब को खत्म किया जा रहा है। राजस्व रिकार्ड में 18 बीघे 10 बिस्वे में गैरमुमकीन तालाब का इन्दराज है। यह तालाब किसी की प्राईवेट संपति नहीं है बल्कि विलेज कामन लैण्ड है विलेज कामन लैण्ड के इस्तेमाल को लेकर सर्वोच्च न्यायालय जगपाल सिंह
स्व0 राजा पदम चन्द के नाम यहां क्रिकट स्टेडियम और शांपिग काम्पलैक्स का निमार्ण करने के लिये कुनिहार पंचायत ने 20.10.15 को अपनी बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया था। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद इस जगह को ग्रामीण विकास एंवम पंचायती राज विभाग के नाम करने के लिये जिलाधीश से लेकर स्थानीय प्रशासन तक ने बडी तेेज रफ्रतार से काम किया है। क्यांेकि पंचायत के माध्यम से तब तक कोई निमार्ण नही हो सकता जब तक जमीन विभाग के नाम न हो। फिर पंचायत के पास अपने स्तर पर तो इतना पैसा संभव हो नही सकता। इसलिये यह निवेश या तो पंचायती राज और युवा सेवाएं तथा खेल विभाग के माध्यम से आयेगा या आऊटसोर्स किया जायेगा। शापिंग काम्पलैक्स के लिये आऊटसोर्स के माध्यम से भी पैसे का प्रबन्ध किया जा सकता है। लेकिन मजे की बात यह है कि वर्ष 2010 से 2015 के बीच इस तालाब के सौन्दर्यकरण के लिये सरकार 49 लाख की ग्रंाट दे चुकी है और यह पैसा खर्च भी हो चुका है यह दुसरी बात है कि सौन्दर्यकरण के नाम पर हुए इस खर्च की झलक मौके पर कम मिलती है।
इस प्रस्तावित स्टेडियम के निमार्ण को कुछ लोगों जोगेन्द्र कंवर, रघुवीर कंवर और सतीश ठाकुर आदि ने एक याचिका के माध्यम से प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती भी दे रखी है। इस याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने इसके निमार्ण पर स्टे जारी करते हुए संबंधित जिला प्रशासन और विभागों से रिपोर्ट तलब की है। बल्कि इस रिपोर्ट तलबी पर याचिकाकर्ता के वकील रमन पराशर ने यह आपति भी जताई है कि उन्ही विभागों से रिपोर्ट मांगी जा रही है जो इसमें संलिप्त हैं। पराशर की इस आपति पर अदालत ने उन्हें इसमें धैर्य रखने के लिये कहा है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि इस तालाब को खत्म करने के लिये करीब 2000 टिप्पर मिटी और मलवे के डाले गये हैं और इसमें संबंधित विभागों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस आश्य की एक सीडी भी अदालत में सौंपी गयी है। उधर पंचायत ने अपने जवाब में यह कहा है कि जो संस्था यह याचिका लेकर आयी है उसके कई सदस्यों ने यहां पर अवैध कब्जे तक कर रखे हैं।
यह प्रस्तावित निमार्ण पंचायत के प्रस्ताव पर किया जा रहा है। लेकिन पंचायत के इस प्रस्ताव पर यह सवाल उठ खडे़ हुए हैं कि जब यह प्रस्ताव उपप्रधान की अध्यक्षता में पारित किया गया था तब प्रदेश में आचार संहिता लगी हुई थी। इस प्रस्ताव के बाद एक और प्रस्ताव पंचायत की ओर से सामने आया है और यह प्रस्ताव उस दिन पारित किया गया जब नवनिर्वाचित सदस्य शपथ ग्रहण कर रहे थे। इस तरह इन दोनों प्रस्तावों पर सवालिया निशान लग जाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि एक ओर यहां सौन्दर्यकरण के नाम पर सरकार का करीब 50 लाख रूपया लगा दिया जाता है। यह पैसा भी पंचायत के माध्यम से ही खर्च होता है और आज वही पंचायत उस तालाब को समतल करके मुख्यमन्त्राी के स्व0 पिता राजा पदम चन्द्र के नाम पर क्रिकेट स्टेडियम और शापिंग काम्पलैक्स के निमार्ण का प्रस्ताव पारित करती है। कुछ लोग पंचायत के इस कदम को अगले विधानसभा चुनावों के आईने में भी देख रहे हैं।