शिमला/शैल। वित्तीय वर्ष 2022-23 की कैग रिपोर्ट सदन में आ गयी है। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के सार्वजनिक उपक्रमों का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस रिपोर्ट में प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों को लेकर गंभीर टिप्पणियां की गयी हैं। कैग रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और स्वास्थ्य संस्थान डाक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। यहां 9 से 56 प्रतिशत तक चिकित्सक कम हैं। आईजीएमसी शिमला से लेकर जिला अस्पतालों में 15 से 69 प्रतिशत तक विशेषज्ञों की कमी है। चम्बा और सिरमौर जिलों में यह कमी 42 प्रतिशत से अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार जिला व सिविल अस्पतालों में जहां 9 से 11 ओपीडी का प्रावधान है वहां पर 2 से 5 ओपीडी थी। लाखों रुपए के उपकरण खरीदने के बावजूद स्टाफ की कमी होने के कारण उनका लाभ रोगियों को नहीं मिल रहा है। रिपोर्ट के अनुसार जांचे गये 18 स्वास्थ्य संस्थानों में से सात संस्थान बिना लाइसेन्स एक्सरे सुविधा चला रहे थे। लाइसेन्स नवीनीकरण के बिना 25 चयनित संस्थानों में से 12 रक्त बैंक चला रहे थे। 575 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से 98 ने जैव चिकित्सा अपशिष्ट के उत्पादन पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति व एनओसी ही नहीं ली।
कैग के अनुसार अस्पतालों में बिस्तरों की स्वीकृत संख्या में 45.02 प्रतिश्त की वृद्धि हुई लेकिन वास्तविक उपलब्धता में 20.60 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आईजीएमसी में ही पर्याप्त बिस्तर उपलब्ध तो करवाये गये लेकिन कई वार्डों में एक बिस्तर पर दो से तीन रोगी पाये गये। प्रदेश के 12 जिला अस्पतालों में से 9 में बिस्तरों की 8 से 71 प्रतिशत तक कमी पायी गयी। कैग के इन आंकड़ों पर भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष कांगड़ा के सांसद डॉ. राजीव भारद्वाज ने प्रदेश सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने इस पर कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुये सरकार के प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प पर गंभीर सवाल उठाये हैं। लेकिन डॉ. भारद्वाज यह सवाल उठाते हुये भूल गये की कैग रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2022-23 की है और कांग्रेस की सुक्खू सरकार दिसम्बर 2022 में बनी थी। इसलिये यह रिपोर्ट कांग्रेस की बजाये पूर्व की भाजपा सरकार को ही कटघरे में खड़ा करती है। डॉ. भारद्वाज के ब्यान और कैग रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि स्वास्थ्य संस्थानों की यह हालत सुक्खू सरकार के वित्त वर्ष के अंतिम तीन माह में हुई है। शायद कांग्रेस की सुक्खू सरकार पर हमला बोलने की नीयत से वह पूर्व भाजपा सरकार को ही लताड़ लगा गये। वर्ष 2023-24 की जब रिपोर्ट आयेगी तब उसमें पता चलेगा कि सुक्खू सरकार इस स्थिति को कितना बेहतर बना पायी है।