Thursday, 18 September 2025
Blue Red Green
Home देश इन उपचुनावों में भाजपा की नीयत और नीति पर उठाये सवाल

ShareThis for Joomla!

इन उपचुनावों में भाजपा की नीयत और नीति पर उठाये सवाल

भाजपा नेतृत्व आक्रामकता से पीछे हटा नजर आ रहा
कांग्रेस से ज्यादा भाजपा नेतृत्व के लिए कसौटी होते जा रहे यह उपचुनाव
शिमला/शैल। क्या इन उपचुनाव में भाजपा सफलता हासिल कर पायेगी? यह सवाल इसलिये उठ रहा है क्योंकि लोकसभा में जहां भाजपा ने प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर 2014 और 2019 की तरह इस बार भी कब्जा कर लिया है वहीं पर भाजपा छः विधानसभा उपचुनावों में से चार हार गई है। जबकि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व लगातार यह फैला रहा था कि इन चुनावों के बाद प्रदेश की सरकार गिर जायेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और यह हार भाजपा के आपसी तालमेल में अभाव और सरकार के साथ रिश्तों की घनिष्ठता पर उठते सवालों के नाम लगी। अब इन तीन उपचुनावों में भाजपा को यह प्रमाणित करना है कि उसमें कोई गुटबाजी नहीं है और जनता में उसकी सवीकार्यता बराबर बनी हुई है। इसलिए उसने 68 में से 61 विधानसभा क्षेत्र में जीत हासिल की थी। इस परीक्षा में यह उपचुनाव प्रदेश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को अपने को प्रमाणित करने का अवसर होगा। अन्यथा यही कहा जायेगा कि लोकसभा की जीत तो मोदी के नाम पर हो गयी। लेकिन प्रदेश स्तर पर स्थानीय नेतृत्व अपनी प्रासंगिकता खोता जा रहा है।
विधानसभा के लिये उपचुनावों की स्थिति क्यों पैदा हुई पूरा प्रदेश जानता है। सरकार और कांग्रेस लगातार यह कहती आ रही है कि भाजपा धनबल के सहारे सरकार गिराने का प्रयास कर रही है। दूसरी और भाजपा और उपचुनाव में गए सारे कांग्रेस के बागी और निर्दलीय मुख्यमंत्री के अपेक्षा पूर्ण व्यवहार को इसका कारण बताते आ रहे हैं। मुख्यमंत्री और कांग्रेस पूरी आक्रामकता के साथ विधायकों के बिकाऊ होने तथा हर बार अपने व्यक्तिगत कामों के लिये ही उनके पास आने का आरोप लगाते आ रहे हैं। जबकि इन नौ लोगों ने सरकार पर भ्रष्टाचार के संगीत आरोप लगाये हैं। मुख्यमंत्री की पक्षपात पूर्ण कार्यप्रणाली पर सवाल उठाये हैं। लेकिन भाजपा नेतृत्व इन नौ लोगों द्वारा उठाये गये आरोपों को इस आक्रामकता के साथ आगे नहीं बढ़ा पाया है। जबकि चुनाव में आक्रामकता ही सबसे बड़ा हथियार होती है।
यह सही है कि जयराम के शासनकाल भाजपा ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ दायर किये अपने ही आरोप पत्रों पर कोई कारवाई नहीं की है। बल्कि जब भाजपा के जिला स्तरीय दफ्तरों के लिए जमीन खरीदी का मुद्दा आया था तब सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बिलासपुर की खरीद पर कुछ गंभीर सवाल किये थे। सुखविंदर सिंह सुक्खू के इन सवालों का जवाब तब हमीरपुर में जिले के भाजपा विधायकों और अन्य पदाधिकारी ने एक पत्रकार वार्ता के माध्यम से सुक्खू की अपनी जमीन खरीद पर सवाल उठाये थे। इन सवालों और प्रति सवालों के बाद दोनों ओर से युद्ध विराम हो गया था। आज भी भाजपा और सुक्खू सरकार में शायद वही विराम चल रहा है। बल्कि जो सवाल उपचुनावों के पात्र बने नौ लोग उठा रहे हैं उन मुद्दों को भी भाजपा नेता गंभीरता से आगे नहीं बढ़ा रहे हैं। इस समय नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जिस तर्ज में सरकार के गिरने की बातें कर रहे हैं उसके अनुरूप उनके व्यावहारिक कदम नहीं हो रहे हैं। इस समय भाजपा पर यह आरोप है कि वह धन बल के सहारे सरकार गिराना चाहती है। कांग्रेस से बाहर गये लोग मुख्यमंत्री को ही इस सारी स्थिति के लिये जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इन लोगों ने जो सवाल मुख्यमंत्री से सार्वजनिक रूप से पूछे हैं उनका कोई जवाब नहीं आया है। यह सवाल असहज कर देने वाले हैं लेकिन इनके साथ भाजपा नेतृत्व अपनी संबद्धता और समर्थन नहीं दिखा पा रहा है और इसी से उसकी नीयत और नीति पर सवाल उठ रहे हैं। इससे सरकार गिरने-गिराने के दावे राजनीतिक औपचारिकता से अधिक नहीं बढ़ पा रहे हैं। जबकि इस समय आयकर की छापेमारी के बाद प्रदेश का राजनीतिक वातावरण कुछ अलग ही संकेत दे रहा है। ऐसे में यह उपचुनाव कांग्रेस और मुख्यमंत्री से ज्यादा भाजपा के लिये राजनीतिक विश्वसनीयता की परीक्षा बनते जा रहे हैं। क्योंकि देहरा में मुख्यमंत्री की पत्नी के चुनावी शपथ पत्र पर भाजपा प्रत्याशी होशियार सिंह की शिकायत ने एक अलग ही स्थिति पैदा कर दी है। जिसके परिणाम इन चुनावों के परिणाम आने के बाद स्पष्ट होंगे।

Add comment


Security code
Refresh

Facebook



  Search