Friday, 19 September 2025
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ग्लोबल इन्वैस्टर मीट में हस्ताक्षरित 96720 करोड़ के निवेश और 1,96,800 रोजगारों का क्या हुआ

रोजगार गारंटी के परिप्रेक्ष में उठी चर्चा
उद्योग विभाग के 250 एमओयू में आना था 17063.22 करोड़
पर्यटन में 16559.94 करोड़ के 225 एमओयू हुये थे साइन
आवास में आना था 12054.50 करोड़ का निवेश
इस असफलता के लिये कौन है जिम्मेदार राजनीतिक नेतृत्व या प्रशासन

शिमला/शैल। कांग्रेस ने जो दस गारंटीयां प्रदेश की जनता को चुनाव से पहले दी हैं उनमें से एक पांच लाख रोजगार उपलब्ध करवाने की भी है। सभी गारंटीयों को कैसे पूरा किया जायेगा इसके लिये रोडमैप तैयार करने का काम कुछ कमेटीयों को सौंपा गया है। पांच लाख रोजगार सरकार में ही सृजित नहीं किये जा सकते क्योंकि सरकारी कर्मचारियों की कुल संख्या ही तीन लाख से कम है। स्वभाविक है कि इतना रोजगार पैदा करने के लिये प्राईवेट सैक्टर का भी सहारा लेना पड़ेगा। प्राइवेट सैक्टर के निवेश की व्यवहारिक स्थिति क्या है इसकी जानकारी जयराम सरकार के समय में वर्ष 2019 में आयोजित ग्लोबल इन्वैस्टर मीट से जुटाई जा सकती है। धर्मशाला में आयोजित हुई इस मीट में निवेशकों को बुलाने के लिये देश और विदेश में रोड शो आयोजित किये गये थे। इन आयोजनों पर करीब 12 करोड़ रुपये खर्च हो गये हैं। लेकिन इतने बड़े आयोजन के बाद इस मीट का व्यवहारिक परिणाम क्या निकला है। स्मरणीय है कि इस मीट में 96720 करोड़ के प्रस्तावित निवेश के 703 समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित हुए थे और इस निवेश से 1,96,800 लोगों को रोजगार हासिल होने का दावा किया था। सरकार के 19 विभागों ने यह समझौता ज्ञापन साईन किये थे। यदि करीब एक लाख करोड़ के निवेश से करीब दो लाख रोजगार पैदा होने का अनुमान था तो पांच लाख रोजगार के लिए करीब चार लाख करोड़ का निवेश होना चाहिये।
इस निवेश मेले में सबसे अधिक 250ै ज्ञापन उद्योग विभाग ने साइन किये थे और इसमें 17063.22 करोड़ का निवेश होना था। दूसरे स्थान पर पर्यटन था और इसमें 16559.94 करोड़ के 225 ज्ञापन हस्ताक्षरित हुये थे। आयुष विभाग में 1269.25 करोड़ के निवेश के 45 ज्ञापन और उच्च शिक्षा में 1713 करोड़ के 44 एमओयू साईन हुए थे। हाउसिंग के 33 एमओयू में 12054.50 करोड़ निवेश होना था। इस मीट में जितना निवेश आने के एमओयू साईन हुये थे और रोजगार का दावा किया गया यदि इन दावों का आधा भी व्यवहार में होता तो प्रदेश पर शायद इतना कर्ज भी न होता और बेरोजगारी में देश के पहले छः राज्यों में प्रदेश न आता। आज भी सरकार पर्यटन के क्षेत्र में ए.डी.बी का 1311 करोड़ का कर्ज निवेश करने जा रही है। 2019 की ग्लोबल इन्वैस्टर मीट से पहले भी ए.डी.बी. का 256.99 करोड़ कर्ज निवेशित हो चुका है। लेकिन इस सबके बाद भी परिणाम यह है कि 28-9-2019 को हस्ताक्षरित हुए 225 एम ओ यू में से शायद एक भी जमीन पर नही उतर पाया है।
एमओ यू को अमलीजामा पहनाने के लिये तीन बुनियादी आवश्यकताएं होती हैं। पहली जमीन दूसरी कैपिटल और तीसरी मार्केटिंग। यदि इनमें से एक की भी कमी हो तो कोई भी परियोजना सिरे नहीं चढ़ती है। इसलिये जिस इन्वैस्टर मीट पर प्रदेश के आम आदमी का करोड़ों रुपया आयोजन पर निवेश कर दिया गया है उसके वांछित परिणाम क्यों सामने नहीं आये हैं यह कारण जानने का आम आदमी को अधिकार है। यह सामने आना चाहिये कि क्या सरकार इन लोगों को जमीन ही उपलब्ध करवा पायी। या इनके पास वांछित कैपिटल का अभाव था या निवेश के बाद मार्केटिंग की सुविधायें नहीं थी। जिन विभागों ने यह एमओयू साइन किये थे उन्होंने इन्हें अमलीजामा पहनाने के लिये क्या कदम उठाये? क्या निवेशकों से कोई पत्राचार किया गया तो उसका क्या परिणाम सामने आया। यह सब प्रदेश के आम आदमी के सामने रखा जाना चाहिये। क्योंकि इस सरकार को भी वायदा किये रोजगार पैदा करने के लिए प्राइवेट सैक्टर का ही सहारा लेना पड़ेगा। पिछली सरकार ने ग्रामीण विकास विभाग के तहत दो रोजगार योजनाएं घोषित की थी। अब इस सरकार ने उन दोनों योजनाओं को एक करके उद्योग विभाग को जिम्मेदारी दे दी है। लेकिन उन योजनाओं के तहत कितने लोगों को रोजगार मिल पाया है इसका कोई आंकड़ा सामने नहीं आ पाया है। यदि डबल इंजिन की सरकार के समय में भी निवेशक प्रदेश में नहीं आ पाया है तो आज कैसे आ पायेगा यह बड़ा सवाल है। जबकि प्रधानमंत्री और केन्द्रिय वित्त मन्त्री हर आदमी को कर्ज के लिये प्रेरित कर रहे थे। बैंकों को खुले मन से कर्ज बांटने के निर्देश थे। इस सबके बावजूद प्रदेश में यह प्रस्तावित निवेश क्यों नहीं आ पाया इसके कारण सामने आने ही चाहिये।

              यह था प्रस्तावित निवेश

   विभाग                    एमओयू                निवेश
1. कृषि                        2                 225 करोड़
2.आयुष                      45              1269.25 करोड़
3.प्रारंभिक शिक्षा             5                   6.85 करोड़
4.उच्च शिक्षा                 44                 1713 करोड़
5. मत्स्य पालन                 1                     7 करोड़
6. वन                           1                    25 करोड़
7. स्वास्थ्य                       5                   632 करोड़
8.बागवानी                      6                   77.55 करोड़
9. उद्योग                     250                17063.22 करोड़
10.आईटी                     14                 2833.21 करोड़
11. भाषा कला संस्कृति       1                  25 करोड़
12. उर्जा                       18               34112 करोड़
13. कौशल विकास            7                 15 करोड़
14. खेल                         2                 116 करोड़
15.तकनीकी शिक्षा             1                 300 करोड़
16. पर्यटन                    225               16559.94 करोड़
17. परिवहन                   13                 3658 करोड़
18. शहरी विकास             30                6027.66 करोड़
19. आवास                     33                12054.50 करोड़

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