Friday, 19 September 2025
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क्या भाजपा का मनकोटिया प्रयोग सफल हो पायेगा?

मनकोटिया के पुराने सवालों से उठी चर्चा

शिमला/शैल। पूर्व मंत्री विजय सिंह मनकोटिया अब भाजपा में शामिल हो गये हैं। विजय सिंह मनकोटिया ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने कांगड़ा के साथ भेदभाव किया है। कांगड़ा में कोई बड़े कद का नेता ही नहीं छोड़ा है। इससे पहले मनकोटिया कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुये पूरे कांगड़ा में किस विधानसभा में किस राजनेता का परिवार ही आगे राजनीति में आया है इस पर एक लंबी प्रेस वार्ता कर चुके हैं। शाहपुर से ही भाजपा मंत्री सरवीण चौधरी के खिलाफ करोड़ों की संपत्ति बनाने के आरोप लगाते हुये सीबीआई जांच की मांग कर चुके हैं। जब पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस से बाहर निकले थे और अपनी पार्टी बनाने की बात की थी तब भी मनकोटिया ने एक पत्रकार वार्ता में दावा किया था कि अमरेन्द्र की पार्टी की हिमाचल की जिम्मेदारी वह संभालेंगे। अब अमरेन्द्र ही भाजपा के हो गये हैं तो मनकोटिया भी भाजपा के हो गये हैं। लेकिन दोनों की टाइमिंग अलग-अलग होने से नहीं लगता कि इस पर किसी ने किसी से कोई सलाह ली हो। यह सवाल इसलिये प्रसांगिक हो गये हैं क्योंकि परिवारवाद के सिद्धांत को आज भाजपा ने हिमाचल के चुनाव में ही किनारे कर दिया। ऐसे में कांग्रेस पर यह आरोप लगाना बेमानी हो जाता है। भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा कितनी ईमानदार और गंभीर रही है यह सरवीण चौधरी को प्रत्याशी बनाये जाने से स्पष्ट हो जाता है। मनकोटिया को सरवीण चौधरी के लिये वोट मांगने पड़ रहे हैं। यही नहीं कांगड़ा के ही मंत्री विक्रम ठाकुर चुनावी जीत के लिये बलात्कार के दोषी पाये गये और जेल की सजा काट रहे बाबा राम रहीम की चौखट पर आशीर्वाद मांगने पहुंच गये पूरी भाजपा इस मुद्दे पर खामोश रही है। यह भाजपा के अपराध के प्रति चरित्र का एक प्रमाण है।
मनकोटिया एक समय तक राजनीति में जिन सिद्धांतों के लिये आवाज उठाते रहे आज भाजपा में जाकर उनका कोई जवाब दे पायेंगे? क्या भाजपा में जाकर मनकोटिया के लिये यह मुद्दे नहीं रहेंगे? मनकोटिया पांच बार विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस, जनता दल और बसपा में रह चुके हैं। स्व.वीरभद्र सिंह के साथ टकराव में रहे हैं और इसी टकराव के कारण कांग्रेस के अन्दर बाहर होते रहे। लेकिन आज उम्र के जिस पढ़ाव पर भाजपा में शामिल हुये हैं वहां उनका स्थान केवल मार्गदर्शक मण्डल तक ही रहेगा। क्योंकि भाजपा का उम्र का सिद्धांत उनको चुनावी राजनीति से बाहर कर देता है। वैसे तो जब नरेन्द्र मोदी कांगड़ा आये थे तब मनकोटिया ने कुछ दैनिक समाचार पत्रों को एक विज्ञापन जारी करके मोदी की बहुत प्रशंसा की थी। तब यह क्यास लगे थे कि शायद मोदी की उपस्थिति में मनकोटिया भाजपा के हो जायेंगे। लेकिन ऐसा हो नहीं सका क्योंकि मोदी की कांगड़ा यात्रा की पूर्व संध्या पर केन्द्र की अग्निवीर योजना आ गयी और इसका पहला विरोध कांगड़ा एयरपोर्ट से ही शुरू हो गया। पुलिस और युवाओं में मुठभेड़ तक हो गयी। मनकोटिया ने इस अग्निवीर योजना का विरोध किया है। कांगड़ा के साथ कांग्रेस के भेदभाव बरतने के आरोप में यह सवाल उठना स्वभाविक है कि भाजपा ने कांगड़ा को क्या दिया। बल्कि आरोप लगा है कि कांगड़ा के कई कार्यालय तो मण्डी पहुंचा दिये गये हैं। कांगड़ा का राजनीतिक कद कम करने के लिये कांगड़ा को तीन भागों में बांटने का प्रयास किया जा रहा है।
इस परिदृश्य में राजनीतिक हलकों में यह सवाल उछल रहा है कि मनकोटिया क्यों भाजपा में गये? मनकोटिया के आने से भाजपा को क्या लाभ हुआ है। माना जा रहा है कि जब संघ भाजपा और गुप्तचर एजैन्सियों के किसी भी चुनावी सर्वेक्षण में भाजपा की सरकार नहीं बनी तब कांग्रेस को कमजोर करने के लिए साम दाम और दण्ड की नीति अपनाई गयी। क्योंकि भाजपा अपने काम पर नहीं बल्कि अपने पैसे और संसाधनों के दम पर ही चुनाव जीतने की योजना बना रही थी। इस योजना के तहत ही सबसे पहले मीडिया को अपने साथ किया। मीडिया के बाद कांग्रेस के विधायक और दूसरे नेताओं को धनबल के माध्यम से भाजपा में लाने के प्रयास किये गये। कांग्रेस विधायक अनिरुद्ध के बयान से इस योजना का सच सामने आ गया। जिसका भाजपा आज तक खण्डन नहीं कर पायी। मनकोटिया और हर्ष महाजन शायद इसी योजना के तहत भाजपा में लाये गये हैं। अब यह देखना रोचक होगा कि कब तक है भाजपा में बने रहते हैं।

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