Friday, 19 September 2025
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प्रधान सचिव सहित आधा दर्जन अधिकारियों की मूल पोस्टिंग एक साथ शिमला और दिल्ली में कैसे

दो जगह एक ही समय में मूल पोस्टिंग होना कैसे संभव हो सकता है
दो जगह सरकारी आवास मिलना क्या नियमों में है?
जब दिल्ली में भी मूल पोस्टिंग है तो दिल्ली यात्राओं पर टी ए, डी ए कैसे?
क्या सरकार ने इन अधिकारियों को अपने ट्रैप में ले लिया है?
क्या चुनावों में यह अधिकारी सरकार की इच्छा पूर्ति का साधन नहीं बनेंगे
आज प्रदेश का कर्ज भार जीडीपी के 38% से भी अधिक हो गया है। इस पर वित्त विभाग की खामोशी क्या इसी ट्रैप का परिणाम है?

शिमला/शैल। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के प्रधान सचिव शुभाशीष पाण्डा सहित प्रदेश सरकार के आधा दर्जन वरिष्ठ अधिकारी एक साथ शिमला और दिल्ली में तैनात हैं। दोनों जगह प्रदेश सरकार ने इन्हें मूल पोस्टिंग दे रखी है। दोनों जगह मूल पोस्टिंग होने के कारण यह लोग शिमला और दिल्ली में भी सरकारी आवास लिये हुये हैं। व्यवहारिक तौर पर यह लोग शिमला में ही सेवाएं दे रहे हैं। बल्कि शिमला सचिवालय में तैनात होने के कारण इस उपलक्ष में मिलने वाले सचिवालय वेतन का भी लाभ ले रहे हैं। दूसरी ओर दिल्ली में आवासीय आयुक्त के यहां भी मूल पोस्टिंग होने के कारण केन्द्र सरकार के संपदा निदेशालय से भी आवास लिये हुए हैं। संयोगवश केन्द्र के संपदा निदेशालय में भी हिमाचल कॉडर की ही अधिकारी निदेशक के तौर पर तैनात है और उसी के आदेशों से इन लोगों को दिल्ली में भी सरकारी आवास मिले हैं जबकि उसे यह जानकारी रही है कि इन अधिकारियों के पास शिमला में भी सरकार आवास हैं। लेकिन हिमाचल कॉडर और इन अधिकारियों से जूनियर होने के कारण इस पर एतराज नहीं कर पायी है।
नियमों के अनुसार कोई भी अधिकारी उसी स्थान पर सरकारी आवास लेने का हकदार होता है जहां उसकी मूल पोस्टिंग होती है। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव का पद और उस पर अधिकारी की तैनाती उसी स्थान पर होगी जहां मुख्यमन्त्री है। अब जब विधानसभा का सत्र चल रहा था तो उस समय प्रधान सचिव दिल्ली में तैनात होकर इस पद की जिम्मेदारियां कैसे निभा सकता है। जबकि प्रधान सचिव शुभाशीष पांडा का 7 अक्तूबर 2021 से दिल्ली में बतौर एडवाईजर स्थानान्तरित और पोस्टेड हैं। इसी पोस्टिंग के आधार पर उन्होंने भारत सरकार की संपदा निदेशालय से दिल्ली में आवास के लिये आवेदन किया है और आवास मिल भी गया। अब उनके पास दोनों जगह शिमला और दिल्ली में एक साथ सरकारी आवास हैं। यही नहीं शिमला में सचिवालय विशेष वेतन का लाभ ले रहे हैं और दिल्ली में टूर पर जाने के लिये टी ए, डी ए का लाभ भी ले रहे हैं। ऐसा सभी आधा दर्जन अधिकारी जो शिमला और दिल्ली में एक साथ मूल पोस्टिंग पर तैनात हैं तथा आवास लिये हुये हैं। सवाल उठ रहा है कि ऐसा दोहरा वित्तीय लाभ लेना नियमों के अनुसार संभव है या नहीं। स्मरणीय है कि सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों का ऐसा आचरण एक कनिष्ठ अधिकारी को सचिवालय वेतन का लाभ न देने पर उठा था क्योंकि उसकी मूल पोस्टिंग तब किसी निदेशालय नहीं थी। तब यह सामने आया था कि सीनियर तो दो दो जगह सरकारी आवास लेकर बैठे हुए हैं और जूनियर को सचिवालय वेतन से भी वंचित रखा जा रहा है।
इस परिदृश्य में यह सवाल अहम हो जाता है कि जब सरकारी आवास लेने के नियमों में पोस्टिंग स्थल पर मूल पोस्टिंग होना अनिवार्य है और यह मूल पोस्टिंग एक समय में एक ही जगह हो सकती है तो सरकार ने दो-दो जगह मूल पोस्टिंग के आदेश क्यों कर दिये? क्या अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को कानून के इस पक्ष की जानकारी ही नहीं होने दी? या फिर इन अधिकारियों को ही ऐसे ट्रैप में ला खड़ा कर दिया गया जहां यह सरकार के किसी भी गलत आदेश पर कोई प्रश्न ही न उठा सके। किसी के भी खिलाफ कोई भी मामला खड़ा करके राजनीतिक आकाओं को खुश कर सकें। आने वाले विधानसभा चुनावों में ऐसे फंसे हुए अधिकारी कुछ भी करने को नतमस्तक रहेंगे ही। इस समय प्रदेश के कर्ज को लेकर सवाल उठ रहे हैं। नियमों के मुताबिक कर्ज जीडीपी के तीन प्रतिश्त से अधिक नहीं हो सकता। कोविड काल में इसकी सीमा पांच प्रतिश्त तक बढ़ा दी गयी थी। लेकिन अब विधानसभा के मानसून सत्र में विधायक रोहित ठाकुर के एक प्रश्न के उत्तर में सरकार ने यह स्वीकारा है कि आज कर्ज जीडीपी 38% से भी अधिक हो गया है। कर्ज की सीमा की अनुपालना करना वित्त सचिव का दायित्व है लेकिन जब वित्त विभाग का मुखिया भी शिमला और दिल्ली में सरकारी आवास लेने का लाभार्थी होगा तो ऐसा अधिकारी नियमों के अनुपालन का साहस दिखा पायेगा यह सामान्य विवेक की बात है। जितने भी अधिकारी शिमला और दिल्ली में एक साथ मकानों के लाभार्थी हैं उनके विभागों की कारगुजारीयों में ऐसे कई मामले मिल जाएंगे बल्कि यह कहना ज्यादा सही होगा राज्य सरकार ही इन अधिकारियों को केन्द्र सरकार को चूना लगाने में प्रोत्साहित कर रही है ताकि चुनावों में इनसे मनचाहा सहयोग ले सके।

यह है जयराम का प्रशासन

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