पुलिस पेपर लीक में क्यों नहीं जारी हुई कथित ऑडियो टेप
निर्दलीय विधायकों के मामले में भी विधानसभा अध्यक्ष से आगे क्यों नहीं बढ़ रही पार्टी
राष्ट्रपति चुनाव में अनिल शर्मा का वोट कहां जायेगा?
शिमला/शैल। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पुनर्गठन के बाद राज्य कार्यकारिणी में तीन बार विस्तार हो गया है। इस विस्तार में जिस कद के नेताओं को पद देकर नवाजा गया है उससे न चाहते हुये यही संदेश गया है कि संगठन में नाराज लोगों की समस्या बराबर बनी हुई है। जिससे इस तरह से हल करने के प्रयास किये जा रहे हैं। बल्कि इन प्रयासों के कारण पार्टी नेतृत्व राजनीतिक मुद्दों और जन समस्याओं पर भी पूरा ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा है। इस समय कर्ज और बेरोजगारी प्रदेश की सबसे बड़ी समस्याएं बन चुकी है। प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर नवनियुक्त उपनेता प्रतिपक्ष हर्षवर्धन चौहान के अतिरिक्त दूसरे किसी नेता ने आवाज नहीं उठाई जबकि अब तक यह मुद्दा जन चर्चा का विषय बन जाना चाहिये था। लगता है कि कांग्रेस नेताओं का ध्यान कैग रिपोर्ट पर नहीं गया है। बेरोजगारी में केंद्र सरकार की अपनी रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल देश की बेरोजगारी में टॉप 6 राज्यों में शामिल है। ऐसे में पुलिस भर्ती पेपर लीक मामला इस समय का सबसे बड़ा मुद्दा था। जब यह मुद्दा सामने आया और कांग्रेस ने भी इस पर गंभीर चिंता जताई। एक नेता को लेकर यहां तक आ गया कि उसके पास इस प्रकरण से जुड़ी एक ऑडियो टेप है। जिसे शीघ्र ही जारी कर दिया जायेगा। इसी का परिणाम था कि मुख्यमंत्री को यह मामला सीबीआई को देने की घोषणा करनी पड़ी। लेकिन बाद में न तो यह ऑडियो टेप सामने आया और न ही मामला सीबीआई में गया। इसमें मुकेश अग्निहोत्री के अतिरिक्त दूसरे नेताओं की सक्रियता ज्यादा नही बन पायी। इसी दौरान देहरा और जोगिन्दर नगर के दोनों निर्दलीय विधायक भाजपा में शामिल हो गये। दल बदल कानून के तहत यह अयोग्य घोषित हो सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने इस आशय का आवेदन भी स्पीकर के पास कर रखा है। इस समय राष्ट्रपति चुनाव के परिदृश्य में यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। प्रदेश उच्च न्यायालय में एक याचिका डालकर विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिलाये जा सकते थे कि इसका फैसला 18 जुलाई से पहले किया जाये। लेकिन कांग्रेस अभी भी विधानसभा अध्यक्ष से आगे नहीं बढ़ रही है। इसी तरह भाजपा में विधायक अनिल शर्मा की स्थिति बनी हुई है। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भाजपा विधायक दल की चंडीगढ़ और बद्दी में दो बैठकें हो चुकी हैं। अनिल दोनों बैठकों से गैरहाजिर रहे हैं। अनिल की नाराजगी को कांग्रेस इस समय भुना सकती थी। अनिल का बेटा आश्रय कांग्रेस के बड़े नेताओं में से है। लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे पर भी खामोश चली हुई है। विश्लेषकों की नजर कांग्रेस की यह चुप्पी इस बात का संकेत मानी जा रही है कि कांग्रेस में कहीं तोड़फोड़ की संभावना तो नहीं बन रही है। क्योंकि लंबे अरसे से ऐसी चर्चाएं चल रही हैं।