Friday, 19 September 2025
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आखिर क्यों नहीं बढ़ रही है आप शिक्षा के मुद्दे से आगे

शिमला/शैल। आम आदमी पार्टी इकाई ने प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान कर रखा है। यह ऐलान पंजाब की जीत के बाद किया गया था। आप के केंद्रीय नेता अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया दो-दो बार हिमाचल आ चुके हैं। बल्कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी केजरीवाल के साथ आ चुके हैं। 400 लोगों की नई प्रदेश इकाई भी घोषित हो चुकी है। केंद्रीय नेताओं की रैलियों में दिल्ली की तर्ज पर हिमाचल में भी अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधायें देने का वायदा किया गया है। केन्द्रिय नेताओं के इस आश्वासन के बाद प्रदेश इकाई शिक्षा व्यवस्था को चुनावी सफलता का एक बड़ा मंत्र मानकर लगातार इस के जाप में लग गयी है। शिक्षा और स्कूलों से जुड़े आंकड़े परोसे जा रहे हैं। पंजाब में भी शिक्षा और स्वास्थ्य को बड़ा मुद्दा बनाकर प्रचारित किया गया था। दिल्ली मॉडल के आकर्षण में पंजाब में 92 सीटें जीतकर इतिहास रच चुके हैं। लेकिन दिल्ली मॉडल और चुनावी वायदों पर पंजाब में कितना अमल हो पाया है और पार्टी की लोकप्रियता कितनी बड़ी है इसका खुलासा अब चार माह बाद ही संगरूर लोकसभा का उपचुनाव हार कर सामने आ चुका है। मुख्यमंत्री अपने घर के बूथ पर भी बढ़त नहीं दिला पाये हैं। इस परिदृश्य में हिमाचल में आप का परफॉरमेन्स क्याा और कैसा रहेगा अब इस पर चर्चा चलनी शुरू हो गयी है। अभी पंजाब का बजट आ चुका है और उसमें किये गये वादे भी सामने आ चुके हैं। अभी जून में ही आरबीआई देश के 10 राज्यों की सूची जारी कर चुका है जिनकी वित्तीय स्थिति अति गंभीर है। इस स्थिति के चलते पंजाब में किये गये वायदों को पूरा करना तो दूर बल्कि सरकार को चलाये रखना भी कठिन हो जायेगा। क्योंकि पंजाब का आउटस्टैंडिंग कर्ज ही जीडीपी के 200 प्रतिशत से भी कहीं ज्यादा है। हिमाचल का कर्ज भी 87 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। ऐसे में प्रदेश की आर्थिक स्थिति का संज्ञान लिये बिना शिक्षा स्वास्थ्य या और भी किसी अन्य विषय में बात करना बेमानी हो जाता है। क्योंकि आगे कर्ज लेना भी आसान नहीं रह जायेगा। इसलिये आप की प्रदेश इकाई द्वारा शिक्षा स्वास्थ्य के जाप से आगे न बढ़ना अपरोक्ष में भाजपा की ही मदद करने का प्लान माना जा रहा है।

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