आदरणीय महानुभाव
पाएं लागूं
कुशलता के समानान्तर ढेर सारे खतरों के बीच बैठा मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूँ और आपकी कुशलता की प्रभु से कामना कर रहा हूँ. आप मुझे नहीं जानते फिर भी मैं यह जानता हूँ कि आजकल आपको मेरी तलाश है बल्कि मुझे लग रहा है आप मेरे बारे में चिंतित भी हैं, बकौल दीवार फिल्म का अमिताभ ‘आप मुझे ढूँढ रहे हैं और मैं यहाँ हूँ बिल्कुल आपके आसपास’ आपका कृपाकटाक्ष पाने के लिए बेचैन हर बार मुझे लगता है मेरे दिन फिरने वाले हैं। हर बार मैं ठगा जाता हूँ, मैं दुखी इसलिए हूँ कि मेरे ठगे जाने का आपके मन में कोई मलाल ही नहीं है।
मेरी पहचान और मेरी औकात इतनी भर है कि मैं वोटर हूँ, संसार के सबसे बड़े लोकतंत्र का वोटर, मुझे आप हिकारत और शरारत से एक दिन का राजा कहते हैं। जितनी चिंता आपको मेरी है आजकल मुझे सचमुच राजा जैसी बेचैनी हो रही है, यह भी नहीं जानता कि वोटर होना मेरे लिए वरदान या है या अभिशाप, मैं बड़ी उम्मीदों और उत्साह से वोट डालने जाता हूँ पर ज्योंही मैं अपना वोट डालता हूँ त्योंही अपनी लोकतान्त्रिक शक्तियों से च्युत हो जाता हूँ और फिर पांच साल बाद आने वाले उस दिन का इंतजार करने बैठ जाता हूँ जब मुझे फिर से राजा बनाया या समझा जाएगा। पिछले 60 सालों का अनुभव है कि यह पांच साल बड़े पीड़ादायक होते हैं। अपनी जीत की खुशी में जब आप जलूस निकाल रहे होते हैं हारों से लदे फदे, चेहरे पर प्लास्टिक मुस्कान चिपकाए, हवा में ही हाथ जोड़े उस अनाम भीड़ का अभिवादन, धन्यवाद कर रहे होते हैं तब मैं कहाँ होता हूँ यह सोचने या जानने की आपको फुर्सत नहीं होती। आप जब कोई मंत्री पद या निगम का अध्यक्ष पद हथियाने के लिए राजनेतिक गोटियाँ भिड़ा रहे होते हैं उस समय मैं अकेला नीम अँधेरे में आपके चुनावी घोषणा पत्र को उन्नीसवीं बार पढने की कोशिश कर रहा होता हूँ।
मान्यवर! मैं वोटर हूँ जानता हूँ कि यही मेरी नियति है मुझे आपसे कोई बहुत बड़ी उम्मीद पालनी ही नहीं चाहिए। ले देकर एक वोट ही है न मेरे पास, वो पहले ही आपके नाम हो चुका है, अब मेरे पास बचा ही क्या है। आप अपने आलीशान सरकारी बंगले या लक्जरी फ्लैट में आराम से पसरे मेरे बारे में ही सोच रहे होंगे ऐसी कल्पना भर मेरे लिए बहुत सुखदायक होती है, परन्तु आप क्या सोचते हैं क्या करते हैं यह जान पाने का कोई माध्यम नहीं है मेरे पास। आपकी भी अपनी मजबूरीयां हैं, अपनी प्राथमिकताएं हैं, अपने सपने हैं, अपनी महत्वकांक्षाएँ हैं, उसमे मैं कहाँ आता हूँ, फिर भी मैं हर बार आपका बहुमूल्य ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने की धृष्टता करता हूँ। मैंने आपको भाग्यविधाता बना कर राजधानी भेज दिया अब मेरे भाग्य में जो लिखा है वही होगा। अपने वादों और आश्वासनों का पुलिंदा जो आपने मुझे दिया है वह मेरी घोर हताशा के अँधेरे में एकमात्रा उजाले की किरण है। मैं आपके दिए इस पुलिंदे को बहुत सहेज कर रखता हूँ, गरीब बच्चे के खिलोने की तरह।
इस बार भी आप मुझे अच्छे अच्छे जादुई खिलौनों से बहलाने का प्रयास कर रहे हैं। आप इस बार भी नई नीतियों नई योजनाओं नये संकल्पों नये वादों का मरहम लेकर आये हैं- पर क्या करूं मेरे जख्मों कि टीस कम नहीं होती। इस बार भी आप गरीबी, महंगाई, अशिक्षा, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के प्रति इतने चिंतित दिख रहे हैं कि मन यकीन करने का हो रहा है लग रहा है कि यह सब बुराइयाँ बीमारियाँ गयीं कि गयीं। सभी राजनीतिक दलों में गरीब मजलूम के लिए चिंतित दिखने की अद्भुत होड़ है। चोर सिपाही में प्रेममयी गठजोड़ है। लगता है लोकतंत्र अपने परम पवित्र रूप में इस पावन धरा पर अवतरित हो रहा है। मैं तो पूरी तरह चमत्कृत हूँ। पहले मैं सडक किनारे ताजा फूलों के हार लिए आपके लिए खड़ा रहता था और आप लालबत्ती की खतरे वाली गाडी में एक अजीब भयानक सी आवाज करते हुए मेरे सामने से सीधे विश्राम गृह की ओर निकल जाते थे जहाँ खाकी वर्दी पहने कुछ लोग ठक ठक बंदूकें उठाकर आपको सलाम करते थे। मेरे दिल की दुआ और हाथों के फूल मायूसी में मुरझा जाते थे। कितने अचम्भे की बात है कि आज आप स्वयं पैदल चल कर मेरे पास आ रहे हैं। मैं तो कृतज्ञ हो गया। जनाब आप इतना कष्ट न उठाएं, आपका शरीर और आपके पांव इसके अभ्यस्त नहीं हैं। ;पांच साल आपके पांवों में रहता हूँ इसलिए जानता हूँद्ध आप केवल इतना बता दें कि जो कुछ आप मंचों से भाषणों में या चुनावी घोषणा पत्रों में कह रहे हैं- वह सच है? क्या सचमुच इस बार आप इतने अच्छे काम करने वाले हैं? अगर ऐसा है तो मैं भुजा उठाकर कहता हूँ कि मेरा वोट क्या मेरा तन मन भी आप पर फिदा होगा, और अगर जीवन में कभी मेरे पास धन आया तो वह भी आप पर ही न्योछावर होगा। आफ्टर आल आपकी तरह मैं भी देशभक्त हूँ जी।
आपने कल अपने भाषण में भ्रष्टाचार की खिलाफत की सो बहुत ही अच्छा किया। आप ऐसा करते रहेंगे तो भ्रष्टाचारियों को भी सम्मान के साथ जीने का अवसर मिलेगा। समाज में समानता के नये अध्याय का सूत्रपात होगा जी। बापू का सपना पूरा होगा दरअसल भ्रष्टाचार के विषय में आप जब भी मुंह खोलते हैं शोर करते हैं, तमतमाते हैं तो सच में मुझे बहुत अच्छा लगता है। यह अलग बात है कि कुछ सिरफिरे आप को ही भ्रष्टाचारी कहने लगते हैं, पर मैं आपकी बात मानता हूँ, कोई अपने भाषण में इतना झूठ थोड़े ही बोल सकता है! जो लोग झूठ बोलते हैं जी आप ऐसे लोगों को जरुर सबक सिखाना जी।
बुरा न माने तो एक बात कहूँ पता नहीं मुझे क्यूँ लगता है कि आप जनता रूपी विक्रमादित्य के बैताल हैं। जब जब विक्रमादित्य मुंह खोलेगा आप गायब हो जाएंगे, पर विक्रमादित्य फिर पांच साल के लिए आपको कंधे पर लाद लेगा और आप उसे फिर कोई मनघडन्त कहानी सुनाएंगे वह फिर मुंह खोलेगा और आप फिर गायब। यह अनोखा खेल चलता ही रहेगा। आप ही बताएं मान्यवर! इस खेल में कौन क्या मजा आ रहा है? आमजन तो ठगा ही जा रहा है न, जिसकी आपको इतनी चिंता है उसे बार बार जख्म देना और फिर दहाड़ मार कर हँसना आपको अच्छा लगता है क्या? आप बहुत समझदार हैं जी, आपको क्या बताना। आप वहां संसद में बड़ी बड़ी बातें भी करते हैं जो मुझे समझ नहीं आतीं। मुझे लगता है कि अभी आप मेरा जिक्र भी करेंगे पर ऐसा कभी नहीं होता। कभी कभी आप सो भी जाते हैं जी वहां. टी वी दिखाता है।
इस बार आप राम भगवान के मन्दिर का भी जिक्र कर रहे हैं अपने भाषणों में, अच्छा है जी मन्दिर बना दो, कहीं भी बना दो जी, हम मत्था टेक लेंगे जी। भगवन तो भगवन हैं पर हमारे भगवान तो आप ही हैं जी। आप हमारे बेटे को नौकरी जरुर पर जरुर दिला देना, बडा उदास रहता है। बाकि आप सब जाणी जान है। गैस वालों को भी बोलना सिलिंडर के पैसे थोड़े घट लिया करें। पुगाणा मुश्किल हो गया है जी। वोट तो मैं आप को डाल दूंगा जी पक्का।