अब अपनी आत्मकथा लिखते हुये वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर पाए यह एक बहुत ही गंभीर विषय है । कि जब केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री स्तर पर भी भ्रष्टाचार को सरंक्षण दिया जा रहा हो तो फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के दावे केवल जनता को मूर्ख बनाने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है । शांता कुमार ने इस आत्मकथा में और भी कई खुलासे किए हैं लेकिन इन्हीं पर कहीं से कोई खंडन नहीं आया है। और यही इनकी प्रमाणिकता का प्रमाण है। शांता कुमार की आत्मकथा अब सार्वजनिक खुलासा और इसको लेकर सवाल उठने स्वाभाविक हैं। क्योंकि इन तथ्यों के सार्वजनिक होने के बाद भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा सरकारों के बारे में आम आदमी क्या राय बनायेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। खुलासे के बाद भी शांता कुमार भाजपा के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं और यह करते हुए पार्टी के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। भ्रष्टाचार का यह खुलासा सार्वजनिक करके शांता कुमार ने जनता के प्रति भी अपने धर्म को पूरा कर दिया है । अब यह जनता के अपने विवेक पर हैं कि वह क्या फैसला लेती है।