शिमला/शैल। सरकार ने एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के छात्रों तथा गरीब बच्चों की शिक्षा का प्रबन्ध करने के लिये करीब 34 छात्रवृति योजनाएं शुरू कर रखी हैं। यह योजनाएं सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई कर रहे इन वर्गों के छात्रों पर बराबर लागू होती हैं। इस छात्रवृति योजना में एक समय करीब 250 करोड़ का घपला होने के आरोप लगे थे। इन आरोपों पर शिक्षा विभाग ने राज्य परियोजना अधिकारी शक्ति भूषण से प्रारिम्भक जांच करवाई थी और उसकी रिपोर्ट पर 16-11-2018 को पुलिस थाना छोटा शिमला में एफआईआर दर्ज करवायी थी। आगे चलकर यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। यह जांच शैक्षणिक सत्रा 2016-17 तक सीमित थी। इसमें सीबीआई ने 266 संस्थानों का रिकार्ड कब्जे में लिया है। शिक्षा विभाग और कुछ प्राईवेट संस्थानों के लोगों को गिरफ्रतार भी किया गया है। इस जांच पर अभी तक कोई अन्तिम फैसला नहीं आया है।
इन योजनाओं के तहत यह बच्चे प्रदेश से बाहर स्थित संस्थानों में भी पढ़ाई कर रहे हैं। पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति योजना के तहत स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री करने के लिये इन छात्रों को प्रतिवर्ष करीब 3,80,000 रूपये दिये जाते हैं। स्वभाविक है कि इन वर्गों के छात्र इतना खर्च अपनी जेब से नही कर सकते और सरकार द्वारा छात्रवृति भुगतान पर ही इनकी पढ़ाई निर्भर करती है। पंजाब के मोहाली स्थित विद्या ज्योति संस्थान की हिमाचल स्टूडैण्ट वैल्फेयर ऐसोसियेशन के प्रैस नोट से यह सामने आया है कि इन वर्गों के छात्रों को वर्ष 2017-18 और 2019 की छात्रवृति का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। यह छात्र कई बार सरकार के सामने अपनी समस्या रख चुके हैं। सीबीआई केस के नाम पर इनकी छात्रवृति रोकी गयी है जबकि इनका दाखिला ही 2016 के बाद का है।